कछुआ और खरगोश

एक बार की बात है कि एक जंगल में एक कछुए और एक खरगोश में रेस हो गयी। अभी दौड़ते-दौड़ते थोड़ा ही समय गुज़रा था कि खरगोश ने पीछे मुड़कर देखा कि कछुआ काफी पीछे रह गया है। उसने सोचा कि कछुए की चाल तो बहुत ही धीमी है इसलिए मैं थोड़ी देर विश्राम कर लेता हूँ।अब वह एक पेड़ की ठंडी छाँव में ऐसा सोया कि कछुआ, धीमी चाल होने के बावजूद भी, उससे आगे निकल कर अपने...

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बीज

मिटटी के नीचे दबा एक बीज अपने खोल में आराम से सो रहा था . उसके बाकी साथी भी अपने अपने खोल में सिमटे पड़े हुए थे . तभी अचानक एक दिन बरसात हुई, जिस्से. मिटटी के ऊपर कुछ पानी इकठ्ठा हो गया और सारे बीज भीग कर सड़ने लगे . वह भी बीज भी तर -बतर हो गया और सड़ने लगा . बीज ने सोचा , ”इस तरह तो मैं एक बीज के रूप में ही मर जाऊंगा . मेरी हालत भी मेरे दोस्तों...

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सबसे कीमती तोहफ़ा

मोहन काका डाक विभाग के कर्मचारी थे। बरसों से वे माधोपुर और आस पास के गाँव में चिट्ठियां बांटने का काम करते थे। एक दिन उन्हें एक चिट्ठी मिली, पता माधोपुर के करीब का ही था लेकिन आज से पहले उन्होंने उस पते पर कोई चिट्ठी नहीं पहुंचाई थी। रोज की तरह आज भी उन्होंने अपना थैला उठाया और चिट्ठियां बांटने निकला पड़े। सारी चिट्ठियां बांटने के बाद वे उस नए पते...

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पहले फ़कीर की कहानी – अलिफ लैला

पहले फकीर ने अदब से घुटनों के बल खड़े होकर कहा ‘सुंदरी, अब ध्यान लगाकर सुनो कि मेरी आँख किस प्रकार गई और मैं क्यों फकीर बना। मैं एक बड़े बादशाह का बेटा था। बादशाह का भाई यानी मेरा चचा भी एक समीपवर्ती राज्य का स्वामी था। मेरे चचा का एक बेटा मेरी उम्र का था और दूसरी संतान एक पुत्री थी। मैं अपने पिता के आदेशानुसार प्रति वर्ष अपने चचा के यहाँ...

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ईमानदारी

एक गांव में मनोहर और धर्मचंद नामक दो दोस्त रहते थे. वे परदेस से धन कमाकर लाये तो उन्होंने सोचा कि धन घर में न रखकर कहीं और रख दें, क्योंकि घर में धन रखना खतरे से खाली नहीं है. इसलिए उन्होंने धन नींम के पेड की जड में गड्ढा खोदकर दबा दिया. दोनों में यह भी समझौता हुआ कि जब भी धन निकालना होगा साथ-साथ आकर निकाल लेंगे. मनोहर भोला, इमानदार और नेक दिल...

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बगुला भगत और केकड़ा ~ पंचतंत्र

एक वन प्रदेश में एक बहुत बडा तालाब था। हर प्रकार के जीवों के लिए उसमें भोजन सामग्री होने के कारण वहां नाना प्रकार के जीव, पक्षी, मछलियां, कछुए और केकडे आदि वास करते थे। पास में ही बगुला रहता था, जिसे परिश्रम करना बिल्कुल अच्छा नहीं लगता था। उसकी आंखें भी कुछ कमज़ोर थीं। मछलियां पकडने के लिए तो मेहनत करनी पडती हैं, जो उसे खलती थी। इसलिए आलस्य के...

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पुजारी का पत्नी और तिल के बीज ~ पंचतंत्र

एक बार की बात है एक निर्धन ब्राह्मण(वैदिक वर्ण व्यवस्था के ऊँची सामाजिक पहचान; जो की पुजा करने की वृत्ति करते हैं; निर्जीव मूर्तियों को संस्कृत की मंत्र यानी गाना सुनाते हैं और उन निर्जीव मूर्तियों के आगे जीवित प्राणी के हत्या करवाते हैं) परिवार रहता था, एक समय उनके यहाँ कुछ अतिथि आये, घर में खाने पीने का सारा सामान ख़त्म हो चुका था, इसी बात को...

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क्या बनाता है आपको सफल, IQ या EQ ?

“ना मजबूत प्रजातियां ना बुद्धिमान प्रजातियां सर्वाइव करते हैं, बल्कि सबसे ज्यादा बदलाव/परिवर्तन को अपनाने वाला प्रजातियां ही ज्यादा देर सर्वाइव करते हैं।” – चार्ल्स डार्विन “It is not the strongest of the species that survives,  nor the most intelligent, but the one most responsive to change.” – Charles Darwin कहा जाता  है कि...

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नेल्सन मंडेला के अनमोल विचार

Quote 1: Let there be work, bread, water and salt for all. In Hindi : सभी के लिए काम, रोटी , पानी और नमक हो. Quote 2:It always seems impossible until its done. In Hindi : जब तक काम हो ना जाये वो असंभव लगता है. Quote 3:It is better to lead from behind and to put others in front, especially when you celebrate victory when nice things occur. You take...

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चाणक्य नीति : तेरहवां अध्याय

1. यदि आदमी एक पल के लिए भी जिए तो भी उस पल को वह शुभ कर्म करने में खर्च करे. जो आदमी दुख का कारण बने उसकी हजारों साल जीना भी व्यर्थ है. 2. हम उसके लिए ना पछताए जो बीत गया. हम भविष्य की चिंता भी ना करे. विवेक बुद्धि रखने वाले लोग केवल वर्तमान में जीते है. 3. जो व्यक्ति अपने घर के लोगो से बहोत आसक्ति रखता है वह भय और दुःख को पाता है. आसक्ति ही दुःख...

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पौराणिक कथाएँ

पौराणिक कथाएँ हिन्दू धर्म एक ऐसा महान धर्म है जिसमें कई महाकाव्य और धार्मिक कथाओं का वर्णन है। कई सारे ग्रंथ इस बात की गवाही देते हैं की विभिन्न युगों में दैवी शक्तियों नें अवतार ले कर पृथ्वी को पाप मुक्त किया है। और उन्हीं पौराणिक ग्रंथों में सिद्ध ऋषि मुनियों और दैवी पात्रों के द्वारा, दूसरे कई पात्रों को दिये गए शाप का भी वर्णन किया गया है।  1...

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बारहवी पुतली – पद्मावती ~ विक्रमादित्य राक्षस से घमासान युद्ध!

बारहवी पुतली – पद्मावती उस सिंहासन की बारहवीं पुतली थी उसने जो कथा सुनाई वह इस प्रकार है- एक दिन रात के समय राजा विक्रमादित्य महल की छत पर बैठे थे। मौसम बहुत सुहाना था। पूनम का चाँद अपने यौवन पर था तथा सब कुछ इतना साफ़-साफ़ दिख रहा था, मानों दिन हो। प्रकृति की सुन्दरता में राजा एकदम खोए हुए थे। सहसा वे चौंक गए। किसी स्त्री की चीख थी। चीख की...

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टिटिहरी का जोडा़ और समुद्र का अभिमान ~ पंचतंत्र

समुद्रतट के एक भाग में एक टिटिहरी का जोडा़ रहता था । अंडे देने से पहले टिटिहरी ने अपने पति को किसी सुरक्षित प्रदेश की खोज करने के लिये कहा । टिटिहरे ने कहा – “यहां सभी स्थान पर्याप्त सुरक्षित हैं, तू चिन्ता न कर ।” टिटिहरी – “समुद्र में जब ज्वार आता है तो उसकी लहरें मतवाले हाथी को भी खींच कर ले जाती हैं, इसलिये हमें...

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मैं बडा या इंद्र ?

एक सुबह अकबर और बीरबल बगीचे में घुमने निकले, घुमते हुए वे स्वर्ग नर्क की बातें कर रहे थे। बातो ही बातों में स्वर्ग के राजा इंद्र की बात चल पडी। अकबर ने बीरबल से पूछा- बीरबल राजा इंद्रा बडा हैं या मैं ? जो सही बात हो वही कहना । बीरबल उलझन में पड गये उन्होने सोचा यदि मैं इंद्र को बडा कहूंगा तो बादशाह नाराज होंगे, यदि मैं बादशाह को बडा कहूंगा तो वह...

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विनाशक यज्ञ

जनमेजय का “सर्प मेघ यज्ञ” एक बार राजा परीक्षित किसी तपस्वी ऋषि का अपमान कर देते हैं। ऋषिवर क्रोधित हो उन्हें सर्प दंश से मृत्यु का श्राप दे देते हैं। बहुत पौराणिक कथाएं के अनुसार सावधानियां रखने के बावजूद ऋषि वाणी अनुसार एक दिन फूलों की टोकरी में कीड़े के रूप में छुपे तक्षक नाग के काटने से परीक्षित की मृत्यु हो जाती है। जब राजा परीक्षित के पुत्र...

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बुद्धिमान आप भी हैं

“वह व्यक्ति बहुत बुद्धिमान है” यह वाक्य हम तब कहते हैं जब हम किसी की प्रशंसा करते हैं. पर हम में से अधिकतर लोग बुद्धिमान उसी व्यक्ति को समझते हैं जो बहुत पढ़ा लिखा होता है. अपने एकेडेमिक्स में अच्छे मार्क्स लाता है और दी गयी किसी भी प्रॉब्लम को तुरंत सॉल्व कर लेता है पर शायद ऐसा सोच कर हम बुद्धि के बहुत ही विस्तृत रूप को संकुचित कर देते है. माता...

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सताइसवीं पुतली – मलयवती ~ विक्रमादित्य और दानवीर राजा बलि

सताइसवीं पुतली – मलयवती नाम की सताइसवीं पुतली ने जो कथा सुनाई वह इस प्रकार है- विक्रमादित्य बड़े यशस्वी और प्रतापी राजा था और राज-काज चलाने में उनका कोई  सानी नहीं था। वीरता और विद्वता का अद्भुत संगम थे। उनके शस्त्र ज्ञान और शास्त्र ज्ञान की कोई सीमा नहीं थी। वे राज-काज से बचा समय अकसर शास्त्रों के अध्ययन में लगाते थे और इसी ध्येय से उन्होंने...

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कबीर के दोहे – वेश/garb

अजार धन अतीत का, गिरही करै आहार निशचय होयी दरीदरी, कहै कबीर विचार। सन्यासी को दान में प्राप्त धन यदि कोई गृहस्थ खाता है तो वह निश्चय ही दरिद्र हो जायेगा। ऐसा कबीर का सुबिचारित मत है। Ajar dhan aateet ka,girhi karai aahar Nishchay hoyee daridri,kahai Kabir vichar. The wealth of an ascetic is not liable to decay,if the householder eats it It is sure...

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दरजी और बादशाह के कुबड़े सेवक के हत्या की कहानी – अलिफ लैला

दूसरी रात को मलिका शहरजाद ने पिछले पहर अपनी बहन दुनियाजाद के कहने से यह कहानी सुनाना आरंभ किया। पुराने जमाने में तातार देश के समीपवर्ती नगर काशगर में एक दरजी था जो अपनी दुकान में बैठ कर कपड़े सीता था। एक दिन वह अपनी दुकान में काम कर रहा था कि एक कुबड़ा एक दफ (बड़ी खंजरी जैसा बाजा) ले कर आया और उसकी दुकान के नीचे बैठ कर गाने लगा। दरजी उसका गाना सुन...

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कबीर के दोहे – ईश्वर स्मरण/Remembrance

सुमिरन मारग सहज का,सदगुरु दिया बताई सांस सांस सुमिरन करु,ऐक दिन मिलसी आये। ईश्वर स्मरण का मार्ग अत्यंत सरल है। सदगुरु ने हमें यह बताया है। हमें प्रत्येक साॅंस में ईश्वर का स्मरण करना चाहिये। एक दिन निश्चय ही प्रभु हमें मिलेंगे। Sumiran marag sahaj ka, satguru diya batai Sans sans sumiran karun , ek din milsi aaye . The path of remembrance is...

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किसी भी विज्ञापन को विश्वास करने से पहले जांच करें ।

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