बहुत समय पहले की बात है , किसी गाँव में एक किसान रहता था . उसके पास बहुत सारे जानवर थे , उन्ही में से एक गधा भी था . एक दिन वह चरते चरते खेत में बने एक पुराने सूखे हुए कुएं के पास जा पहुचा और अचानक ही उसमे फिसल कर गिर गया . गिरते ही उसने जोर -जोर से चिल्लाना शुरू किया -” ढेंचू-ढेंचू ….ढेंचू-ढेंचू ….” उसकी आवाज़ सुन कर खेत में काम कर रहे लोग कुएं...
एक बारहसिंगा झील में पानी पीने पहूंचा। वह जल में अपनी परछाई को देखकर बहुत खुश हुआ और कहने लगा- ओह! मेरा शरीर कितना सुन्दर है। सिर तो मानो साचे मे ही डाल दिया है। उस पर लंबे-लंबे फैले हुए सिंग कितने मनोहर जान पडते है । भला ईष्वर ने इतने प्यारे व मजबुूत सिंग किस पशु को दियेे है। यह कहते-कहते बाहरसिंगा की नज़र अपने पैरों पर पडी वह दुखी हो उठा और कहने...
मथत मथत माखन रहै दही मही बिलगाय रहिमन सोई मीत है भीर परे ठहराय । दही को बार बार मथने से दही और मक्खन अलग हो जाते हैं। रहीम कहते हैं कि सच्चा मित्र दुख आने पर तुरंत सहायता के लिये पहुॅच जाते हैं। मित्रता की पहचान दुख में हीं होता है। जो रहीम दीपक दसा तिय राखत पट ओट समय परे ते होत हैं वाही पट की चोट । जिस प्रकार वधु दीपक को आॅचल की ओट से बचाकर शयन...
जीवन में ऐसा बहुत बार मौका आता है जब हमारे साथ लोग ठगी बेईमानी करने लगते है, ऐसे समय में बिना उनकी इस हरकत का सामना किया बिना हम उनके इस जुर्म को सहन कर लेते है. ऐसे लोगों की बेईमानी भरी हरकतों का सामना करने के लिए सिर्फ बुद्धि/विवेक ही काफी होता है. लेकिन हम ऐसी परिस्थितियों में होश खो बैठते हैं इस वजह से हमारा विवेक नहीं जाग पाता. इस ठगी पर या...
किसी नगर में एक सेठ रहता था उसके दो बेटे थे, दोनों ही जवान और निकम्मे थे । सेठ स्वयं खुब मेहनत करता और बेटों से भी काम करने को कहता मगर बेटों पर उसकी बातों का कोई असर नही पडता था। जब सेठ बुढा होकर मरने वाला था, तो उसने दोनों बेटों को पास बुलाकर कहा- मैं तुम दोनों को व्यापार करने के लिए थोडा-थोडा धन दे रहा हूं इसे लेकर कोई व्यापार शुरू कर दो पर...
एक समुराई जिसे उसके शौर्य ,इमानदारी और सज्जनता के लिए जाना जाता था , एक जेन सन्यासी से सलाह लेने पहुंचा । जब सन्यासी ने ध्यान पूर्ण कर लिया तब समुराई ने उससे पूछा , “ मैं इतना हीन क्यों महसूस करता हूँ ? मैंने कितनी ही लड़ाइयाँ जीती हैं , कितने ही असहाय लोगों की मदद की है । पर जब मैं और लोगों को देखता हूँ तो लगता है कि मैं उनके सामने कुछ नहीं हूँ ...
अमावस्या का दिन था। एक व्यक्ति उसी दिन समुद्र-स्नान करने के लिए गया, किन्तु स्नान करने के बजाय वह किनारे बैठा रहा। किसी ने पूछा, “स्नान करने आये हो तो किनारे पर ही क्यों बैठे हो ? स्नान कब करोगे ? उस व्यक्ति ने उत्तर दिया कि “इसी समय समुद्र अशान्त है। उसमे ऊँची-ऊँची लहरे उठ रही है; जब लहरे बंद होगी और जब उपयुक्त समय आएगा तब मैं स्नान कर लूंगा। ”...
मैनेजमेंट की शिक्षा प्राप्त एक युवा नौजवान की बहुत अच्छी नौकरी लग जाती है, उसे कंपनी की और से काम करने के लिए अलग से एक केबिन दे दिया जाता है। वह नौजवान जब पहले दिन office जाता है और बैठ कर अपने शानदार केबिन को निहार रहा होता है तभी दरवाजा खट -खटाने की आवाज आती है दरवाजे पर एक साधारण सा व्यक्ति रहता है , पर उसे अंदर आने कहनेँ के बजाय वह युवा...
मई, 1928 के ‘किरती’ में यह लेख छपा। जिसमें भगत सिंह ने धर्म की समस्या पर प्रकाश डाला है। अमृतसर में 11-12-13 अप्रैल को राजनीतिक कान्फ्रेंस हुई और साथ ही युवकों की भी कान्फ्रेंस हुई। दो-तीन सवालों पर इसमें बड़ा झगड़ा और बहस हुई। उनमें से एक सवाल धर्म का भी था। वैसे तो धर्म का प्रश्न कोई न उठाता, किन्तु साम्प्रदायिक संगठनों के विरुद्ध प्रस्ताव पेश हुआ...
डा बी.आर. अम्बेडकर ने दीक्षा भूमि, नागपुर, भारत में ऐतिहासिक बौद्ध धर्मं में परिवर्तन के अवसर पर,15 अक्टूबर 1956 को अपने अनुयायियों के लिए 22 प्रतिज्ञाएँ निर्धारित कीं. 800000 लोगों का बौद्ध धर्म में रूपांतरण ऐतिहासिक था क्योंकि यह विश्व का सबसे बड़ा धार्मिक रूपांतरण था. उन्होंने इन शपथों को निर्धारित किया ताकि वैदिक/हिंदू धर्म के बंधनों को पूरी...
वर्धमान नामक एक शहर में एक बहुत ही कुशल व्यापारी रहता था। राजा को उसकी क्षमताओं के बारे में पता था, और इसलिए उसने उसे राज्य का प्रशासक बना दिया। अपने कुशल तरीकों से उसने आम आदमी को भी खुश रखा था, और साथ ही दूसरी तरफ राजा को भी बहुत प्रभावित किया था। कुछ दिनों बाद व्यापारी ने अपनी लड़की का विवाह तय किया। इस उपलक्ष्य में उसने एक बहुत बड़े भोज का आयोजन...
नवीं पुतली – मधुमालती ने जो कथा सुनाई उससे विक्रमादित्य की प्रजा के हित में प्राणोत्सर्ग करने की भावना झलकती है। कथा इस प्रकार है- एक बार राजा विक्रमादित्य ने राज्य और प्रजा की सुख-समृद्धि के लिए एक विशाल यज्ञ का आयोजन किया। कई दिनों तक यज्ञ चलता रहा। एक दिन राजा मंत्र-पाठ कर रहे, तभी एक ॠषि वहाँ पधारे। राजा ने उन्हें देखा, पर यज्ञ छोड़कर...
मेरे लिए यह कल्पना करना कठिन है कि एक बेरोज़गार भूखा व्यक्ति किस तरह की “निजी स्वतन्त्रता” का आनन्द उठाता है। वास्तविक स्वतन्त्रता केवल वहीं हो सकती है जहाँ एक व्यक्ति द्वारा दूसरे का शोषण और उत्पीड़न न हो; जहाँ बेरोज़गारी न हो, और जहाँ किसी व्यक्ति को अपना रोज़गार, अपना घर और रोटी छिन जाने के भय में जीना न पड़ता हो। केवल ऐसे ही समाज में निजी और किसी...
सिकंदर महान ने अपने रण कौशल से ग्रीस, इजिप्ट समेत उत्तर भारत तक अपना साम्राज्य स्थापित कर लिया था। सालों से युद्ध करती सिकंदर की सेना बहुत थक चुकी थी और अब वो अपने परिवारों के पास वापस लौटना चाहती थी। सिकंदर को भी अपने सैनिकों की इच्छा का सम्मान करना पड़ा और उसने भी भारत से लौटने का मन बना लिया। पर जाने से पहले वह किसी ज्ञानी व्यक्ति को अपने साथ ले...
प्राचीन काल में विक्रमादित्य नाम के एक आदर्श राजा हुआ करते थे। अपने साहस, पराक्रम और शौर्य के लिए राजा विक्रम मशहूर थे। ऐसा भी कहा जाता है कि राजा विक्रम अपनी प्राजा के जीवन के दुख दर्द जानने के लिए रात्री के पहर में भेष बदल कर नगर में घूमते थे। और दुखियों का दुख भी दूर करते थे। राजा विक्रम और बेताल के किस्सों पर कई सारी किताबें और कहानियाँ...
बहुत समय पहले की बात है, सुदूर दक्षिण में किसी प्रतापी राजा का राज्य था । राजा के तीन पुत्र थे, एक दिन राजा के मन में आया कि पुत्रों को को कुछ ऐसी शिक्षा दी जाये कि समय आने पर वो राज-काज सम्भाल सकें । इसी विचार के साथ राजा ने सभी पुत्रों को दरबार में बुलाया और बोला, “ पुत्रों, हमारे राज्य में नाशपाती का कोई वृक्ष नहीं है, मैं चाहता हूँ तुम सब चार...
एक बार की बात है कि एक जंगल में एक कछुए और एक खरगोश में रेस हो गयी। अभी दौड़ते-दौड़ते थोड़ा ही समय गुज़रा था कि खरगोश ने पीछे मुड़कर देखा कि कछुआ काफी पीछे रह गया है। उसने सोचा कि कछुए की चाल तो बहुत ही धीमी है इसलिए मैं थोड़ी देर विश्राम कर लेता हूँ । अब वह एक पेड़ की ठंडी छाँव में ऐसा सोया कि कछुआ, धीमी चाल होने के बावजूद भी, उससे आगे निकल कर अपने...
1. एक बुद्धिमान व्यक्ति को निम्नलिखित बातें किसी को नहीं बतानी चाहिए .. १. की उसकी दौलत खो चुकी है. २. उसे क्रोध आ गया है. ३. उसकी पत्नी ने जो गलत व्यवहार किया. ४. लोगो ने उसे जो गालिया दी. ५. वह किस प्रकार बेइज्जत हुआ है. 2. जो व्यक्ति आर्थिक व्यवहार करने में, ज्ञान अर्जन करने में, खाने में और काम-धंदा करने में शर्माता नहीं है वो सुखी हो जाता है...
जुलाई, 1928 के ‘किरती’ में छपे इस लेख में भगतसिंह ने सुभाषचन्द्र बोस और जवाहरलाल नेहरू के विचारों की तुलना की है। असहयोग आन्दोलन की असफलता के बाद जनता में बहुत निराशा और मायूसी फैली। हिन्दू-मुस्लिम झगड़ों ने बचा-खुचा साहस भी खत्म कर डाला। लेकिन देश में जब एक बार जागृति फैल जाए तब देश ज्यादा दिन तक सोया नहीं रह सकता। कुछ ही दिनों बाद जनता बहुत जोश...
कभी हिमालय के घने वनों में एक हाथी रहता था। उसका शरीर चांदी की तरह चमकीला और सफेद था। उसकी आँखें हीरे की तरह चमकदार थीं। उसकी सूंड सुहागा लगे सोने के समान कांतिमय थी। उसके चारों पैर तो मानो लाख के बने हुए थे। वह अस्सी हज़ार गजों का राजा भी था। वन में विचरण करते हुए एक दिन सीलवा ने एक व्यक्ति को विलाप करते हुए देखा। उसकी भंगिमाओं से यह स्पष्ट था कि...