शक्तिशाली हाथी

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एक समय की बात है चन्दन वन में एक शक्तिशाली हाथी रहता था। उस हाथी को अपने बल पर बहुत घमंड था। वह रास्ते से आते जाते सभी प्राणीयों को डराता धमकाता और वन के पेड़-पौधों को बिना वजह नष्ट करता उधम मचाता रहता। एक दिन उस हाथी नें रोज़ की तरह जंगल के सभी प्राणीयों को सताना शुरू किया कि तभी अचानक आकाश में बिजली चमकी और मूसलाधार बारिश होने लगी। तेज़ बारिश से बचने के लिए हाथी दौड़ कर एक बड़ी गुफा में जा छिपा। Related: पंचतंत्र की दो सबसे प्रसिद्द कहानियां गुफा के भीतर एक छोटी सी छीटी भी थी। उसे देखते ही हाथी हँसने लगा- हाहा.हा..हा… तुम कितनी छोटी हो, तुम्हे तो मैं एक फूंक मरूँगा तो चाँद पर पहुँच जाओगी…मुझे देखो मैं चाहूँ तो पूरे पर्वत को हिला दूँ…तुम्हारा जीवन तो व्यर्थ है… छोटी सी चीटी नें हाथी को घमंड ना करने को समझाया पर हाथी अपनी ताकत के मद में चूर था…वह लगातार चींटी का मजाक उड़ाता रहा और चींटी को डराने के लिए अपना पैर पटकने लगा… हाथी ऐसा कर ही रहा था कि तभी बाहर से धड़ाम की जोरदार आवाज़ आई… पैर पटकने की वजह से एक बड़ा सा पत्थर गुफा के मुहाने पर आ गिरा। अब हाथी के होश उड़ गए…वह पत्थर हटाने के लिए आगे बढ़ा पर अपनी पूरी ताकत लगा कर भी वह पत्थर को टस से मस नहीं कर पाया.. बारिश रुकते ही चीटी बोली, “देखो तुम मेरे छोटे होने का मज़ाक उड़ा रहे थे पर इस समय मैं अपने इसी छोटे आकर की वजह से ही इस गुफा से बाहर ज़िंदा जा सकती हूँ लेकिन तुम नहीं।” और इतना कह कर चींटी अपने रास्ते चल देती है । थोड़ी देर बाद चीटी जंगल में जा कर अन्य हाथियों को बुला लाती है और सब मिल कर गुफा के द्वार पर आ गिरा पत्थर हटा देते हैं और उस हाथी को गुफा के बाहर निकाल देते हैं। हाथी निकलते ही चींटी से अपने व्यहार के लिए क्षमा मांगता है और उसके प्राण बचाने के लिए धन्यवाद देता है। इस घटना से हाथी को यह बात समझ आ जाती है कि सभी प्राणीयों के साथ मिल-जुल कर रहने में ही भलाई है। और उस दिन के बाद वह हाथी कभी किसी प्राणी को नहीं सताता है।

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क्रमरहित सूची

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