मैं बडा या इंद्र ?

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एक सुबह अकबर और बीरबल बगीचे में घुमने निकले, घुमते हुए वे स्वर्ग नर्क की बातें कर रहे थे। बातो ही बातों में स्वर्ग के राजा इंद्र की बात चल पडी। अकबर ने बीरबल से पूछा- बीरबल राजा इंद्रा बडा हैं या मैं ? जो सही बात हो वही कहना ।

बीरबल उलझन में पड गये उन्होने सोचा यदि मैं इंद्र को बडा कहूंगा तो बादशाह नाराज होंगे, यदि मैं बादशाह को बडा कहूंगा तो वह प्रमाण मांगेंगे। मैं प्रमाण कहां से लाऊंगा ? बीरबल कुछ नही बोले। बादशाहअकबर ने उन्हें खामोश देखा तो जिद करने लगे। उन्होने सोचा कि शायद बीरबल के पास इस प्रश्न का कोई उत्तर नही है।

“बीरबल कुछ भी करो मुझे इस प्रश्न का उत्तर इसी वक्त चाहिए।”

जहाँपनाह इंद्र का और आपका क्या मुकाबला। आप आप हैं, और इंद्र इंद्र है। नहीं-नहीं मुझे यह गोलमोल जवाब नही चाहिए। साफ-साफ बताओ मैं बडा हूं या इंद्र। बीरबल ने एक गहरी सांस ली फिर बोले- जहांपनाह इंद्र से बडे आप है।

बादशाह मन नही मन बहुत खुश हुए लेकिन इतनी सरलता से बीरबल को छुटकारा भला कहां मिलने वाला था। वही हुआ जैसा बीरबल ने सोचा था।

बादशाह बोले- ‘तुम मुझे इंद्र से बडा कहते हो इसका कोई प्रमाण हैं तुम्हारें पास ?’ बीरबल को तो मालूम ही था कि बादशाह प्रमाण मांगेंगे, फिर उन्होंने उत्तर दिया, जब ब्रम्हा ने इस सृष्टि की रचना की तब उन्होंने दो पुतले बनाये थे एक आपका और एक इंद्र का । दोनो को उन्होंने तराजू के एक-एक पलडे में रखा आप बडे थे इसलिए आप वनज में भारी थे, आपका पलडा नीचे आ गया।

ब्रम्हा ने आपको यहां का अर्थात प्रथ्वी का राज्य दिया। इंद्र छोटे थे इसलिए वह वजन में हल्के थे उनका पलडा ऊपर उठ गया इसलिए ब्रम्हा ने उन्हे स्वर्ग का राज्य दिया। इस प्रकार ब्रम्हा जी ने ही उस समय प्रमाणित कर दिया था कि आप ही बडे है।

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