न्याय और अन्याय

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धृतराष्ट्र का पुत्र मोह हस्तिनापुर नरेश धृतराष्ट्र जन्म से अंध थे। इस कारण वह ज्येष्ठ पुत्र होते हुए भी राजा बनने योग्य नहीं थे। परंतु राजा पांडु एक गंभीर बीमारी का शिकार हो जाने की वजह से वन प्रस्थान कर गए थे और एक राज्य का सिंहासन रिक्त नहीं रखा जा सकता था, इसलिए धृतराष्ट्र को पांडु का प्रतिनिधि राजा बनाया गया था। एक बार राजसुख का स्वाद चख लेने वाले धृतराष्ट्र चाहते थे की उनके बाद हस्तिनापुर का राजा उनका पुत्र दुर्योधन बनें। इसी लालसा में उन्होने न्याय और अन्याय में तर्क करना छोड़ दिया, और अपने पुत्र की हर एक ज़्यादती को वह अनदेखा कर के पांडु पुत्रों से पग-पग पर अन्याय करते गए। दुर्योधन ने भी पांडवों के लिए अपनें ह्रदय मे घृणा ही पाल रखी थी। भीम को ज़हर दे कर नदी में डुबोना, लाक्षाग्रह में आग लगा कर पांडु पुत्रों और कुंती को ज़िंदा जला देने का षड्यंत्र, द्रौपदी चीर हरण, द्यूत क्रीडा में कपट कर के पांडवों को वनवास भेजना और ना जाने ऐसे कई षड्यंत्र से उसने पांडवों का अनिष्ट करने की चेष्टा की थी। अंत में जब उन के पाप का घड़ा भर गया, तब धर्म युद्ध हुआ। और उस महायुद्ध में लालची धृतराष्ट्र के 100 पुत्र मृत्यु को प्राप्त हुए। अपनी लालसा की वेदी पर अपने समस्त पुत्रों की बलि चढ़ा देने वाले धृतराष्ट्र नें युद्ध समाप्ती के बाद भी भीमसेन को अपनी भूजाओं में जकड़ कर मार डालने का प्रयास किया था। लेकिन अंत में शर्मिंदा हो और हार स्वीकार कर धृतराष्ट्र पत्नी सहित वन चले जाते हैं। सार- लालच बुरी बला है। इसे करने वाले का अंत भी धृतराष्ट्र जैसा ही होता है “परास्त” और “अपमानित”।

अच्छी तरह से ध्यान दें: कुछ कहानियां मनोरंजन और नीति ज्ञान के लिए बस काल्पनिक और मन गढ़न होता है । कुछ कहानियों में कुछ सच्चाई होसकता है लेकिन कुछ धूर्त लेखक उस को ज्यादा ही कुछ बढ़ा चढ़ा के अपने बुरा इरादों को हासिल करने के लिए इस्तेमाल करते हैं । अगर किसी कहानी में वैज्ञानिक आधार और यौक्तिकता नहीं है तो इसे सत्य मानना या नैतिक ज्ञान समझना मूर्खता है । हालांकि कुछ कहानियाँ मनोरंजन और नीति ज्ञान के लिए क्यों न लिखा गया हो लेकिन ये ज्यादातर वर्ण व्यवस्था यानि जात पात, अंध विश्वास, तर्क हीनता, अज्ञानता, नफरत, धर्म, हिंसा और व्यक्ति विशेष के प्रचार और प्रसार के  उद्देश्य से लिखागया धूर्त कहानियां है इसलिए ये कहानियाँ आपको पढ़ के उसके सच्चाई भी आप को जान ने की जरूरत है । कुछ कहानियाँ अच्छे बिचारोंसे क्यों न लिखा गया हो लेकिन कुछ धूर्त समय के साथ साथ उसमे बदलाव डाल के अपनी धर्म, वर्ग या  व्यक्ति विशेष नाम से अपना प्रचार और प्रसार के लिए इस्तेमाल करते आ रहे हैं । ये सब बातों को आप अपनी साधारण ज्ञान और तार्किक आधार पर परखें और सच्चाई को अपने दिमाग का हिस्सा बनाये । जैसे अच्छा खाना एक अच्छा स्वास्थ्य बनता है, वैसे ही अच्छी ज्ञान अच्छी दिमाग बनाते हैं । अगर किसी व्यक्ति का काल्पनिक और मानसिक स्तर अगर वास्तविकता के साथ समानता नहीं है और अंध विश्वास के अधीन होकर अज्ञानता का अधिकारी बन जाये तो उस को मानसिक विकृति कहते हैं ।

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