सुधारवाद और मार्क्‍सवाद – लेनिन

अराजकतावादियों के विपरीत मार्क्‍सवादी सुधारों के लिए संघर्ष को, यानी मेहनतकशों की दशा में ऐसे सुधारों के लिए संघर्ष को स्वीकार करते हैं, जो सत्तारूढ़ वर्ग की सत्ता को नष्ट न करते हों। परन्तु इसके साथ ही मार्क्‍सवादी उन सुधारवादियों के विरुध्द सर्वाधिक संकल्पपूर्वक संघर्ष करते हैं, जो प्रत्यक्ष अथवा परोक्ष रूप में मजदूर वर्ग के प्रयासों तथा...

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बादशाह का नौकर

एक दिन बादशाह अकबर ने एक नौंकर को दीवार से गिरा हुआ चुना उठाकर बाहर फैंकने का आदेश दिया, कार्य की अधिकता होने से वह बादशाह के आदेश का पालन नहीं कर सका. बादशाह ने दोबारा चुने को उसी हालत में पडा देखा तो वह क्रोध से भडक उठे और उस नौकर को बुलाकर बोले – जाकर बाजार से एक सैंर चुना ले आओ. बादशाह की भावंभंगिमा देखकर नौंकर को अपनी असावधानी की याद ताजा हो...

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भिड का भय

एक सम्राट के दरबार में एक आदमी ने आकर कहा कि में स्वर्ग से कपडे ला सकता हूं, वह भी सिर्फ आपके लिए. उस सम्राट ने कहा स्वर्ग के वस्त्र सुना नहीं कभी, देखें नहीं कभी. उस आदमी ने कहा में ले आउंगा उन्हें, फिर आप देख भी सकेंगे और पहन भी सकेंगे. लेकिन बहुत पैसे खर्च करने पडेंगे कई करोडो रुपये खर्च हो जायेंगे क्योंकी रिश्वत की आदत दैवताओ तक पहुंच गयी है...

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अकबर बीरबल की खिचड़ी

एक बार की बात हैं, सर्दी का मौसम था, अकबर और बीरबल तालाब के नजदीक टहल रहे थे | तभी बीरबल को यह विचार आया की मनुष्य पेसो के लिए कुछ भी कर सकता है | बीरबल ने अपनी भावनाओ को अकबर के सामने व्यकत कि | तभी अकबर ने अपनी एक उंगली तालाब के पानी में डाली और झट से उंगली को बाहर निकाली क्योंकि पानी बहुत ठंडा था | और अकबर बोले मुझे नहीं लगता है की कोई व्यक्ति...

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तीन साधू

एक औरत अपने घर से निकली, उसने घर के सामने सफ़ेद लम्बी दाढ़ी में तीन साधू-महात्माओं को बैठे देखा। वह उन्हें पहचान नही पायी। उसने कहा, ” मैं आप लोगों को नहीं पहचानती, बताइए क्या काम है ?” ” हमें भोजन करना है।”, साधुओं ने बोला। ” ठीक है ! कृपया मेरे घर में पधारिये और भोजन ग्रहण कीजिये।” ” क्या तुम्हारा पति घर में है ?”, एक साधू ने प्रश्न किया। “नहीं...

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डाँकू रत्नाकर

बहुत समय पहले की बात है किसी राज्य में एक बड़े ही खूंखार डाँकू  का भय व्याप्त था।  उस डाँकू का नाम रत्नाकर था।  वह अपने साथियों के साथ जंगल से गुजर रहे राहगीरों को लूटता और विरोध करने पर उनकी हत्या भी कर देता। एक बार ऋषि नारद भी उन्ही जंगलों से भगवान का जप करते हुए जा रहे थे। जब वे घने बीहड़ों में पहुंचे तभी उन्हें कुछ लोग विपरीत दिशा में भागते हुए...

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बत्तीसवीं पुतली ~ रानी रूपवती ~ अंतिम कहानी

बत्तीसवीं पुतली रानी रूपवती ने राजा भोज को सिंहासन पर बैठने की कोई रुचि नहीं दिखाते देखा तो उसे अचरज हुआ। उसने जानना चाहा कि राजा भोज में आज पहले वाली व्यग्रता क्यों नहीं है। राजा भोज ने कहा कि राजा विक्रमादित्य के देवताओं वाले गुणों की कथाएँ सुनकर उन्हें ऐसा लगा कि इतनी विशेषताएँ एक मनुष्य में असम्भव हैं और मानते हैं कि उनमें बहुत सारी कमियाँ है।...

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पुजारी, चोर, और दानव की कथा ~ पंचतंत्र

एक गाँव में द्रोण नाम का पुजारी रहता था । भिक्षा माँग कर उसकी जीविका चलती थी । सर्दी-गर्मी रोकने के लिये उसके पास पर्याप्त वस्त्र भी नहीं थे । एक बार किसी यजमान ने पुजारी पर दया करके उसे बैलों की जोड़ी दे दी । पुजारी ने उनका भरन-पोषण बड़े यत्न से किया । आस-पास से घी-तेल-अनाज माँगकर भी उन बैलों को भरपेट खिलाता रहा । इससे दोनों बैल खूब मोटे-ताजे हो...

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दूसरा दीपक

एक बार की बात है , मगध साम्राज्य के सेनापति किसी व्यक्तिगत काम से चाणक्य से मिलने पाटलिपुत्र पहुंचे । शाम ढल चुकी थी , चाणक्य गंगा तट पर अपनी कुटिया में, दीपक के प्रकाश में कुछ लिख रहे थे। कुछ देर बाद जब सेनापति भीतर दाखिल हुए, उनके प्रवेश करते ही चाणक्य ने सेवक को आवाज़ लगायी और कहा , ” आप कृपया इस दीपक को ले जाइए और दूसरा दीपक जला कर रख दीजिये।”...

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राज्य की मुहर

कोई डेढ़ हजार वर्ष पहले चीन के सम्राट ने सारे राज्य के चित्रकारों को खबर की कि वह राज्य की मुहर बनाना चाहता है। मुहर पर एक बांग देता हुआ, बोलता हुआ मुर्गा, उसका चित्र बनाना चाहता है। जो चित्रकार सबसे जीवंत चित्र बनाकर ला सकेगा, वह पुरस्कृत भी होगा, राज्य का कलागुरु भी नियुक्त हो जायेगा । और बड़े पुरस्कार की घोषणा की गयी। देश के दूर-दूर कोनों से...

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इंकलाब की तलवार विचारों की सान पर तेज होती है – भगत सिंह (1930)

असेम्बली बम काण्ड पर यह अपील भगतसिंह द्वारा जनवरी, 1930 में हाई कोर्ट में की गयी थी। इसी अपील में ही उनका यह प्रसिद्द वक्तव्य था : “पिस्तौल और बम इंकलाब नहीं लाते, बल्कि इंकलाब की तलवार विचारों की सान पर तेज होती है और यही चीज थी, जिसे हम प्रकट करना चाहते थे।” माई लॉर्ड, हम न वकील हैं, न अंग्रेजी विशेषज्ञ और न हमारे पास डिगरियां हैं। इसलिए हमसे...

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दो पत्थर

नदी पहाड़ों की कठिन व लम्बी यात्रा के बाद तराई में पहुंची। उसके दोनों ही किनारों पर गोलाकार, अण्डाकार व बिना किसी निश्चित आकार के असंख्य पत्थरों का ढेर सा लगा हुआ था। इनमें से दो पत्थरों के बीच आपस में परिचय बढ़ने लगा। दोनों एक दूसरे से अपने मन की बातें कहने-सुनने लगे। इनमें से एक पत्थर एकदम गोल-मटोल, चिकना व अत्यंत आकर्षक था जबकि दूसरा पत्थर बिना...

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सबसे ज्यादा प्रेम में अंधा कौन था? – बेताल पच्चीसी – इक्कीसवीं कहानी!

विशाला नाम की नगरी में पदमनाभ नाम का राजा राज करता था। उसी नगर में अर्थदत्त नाम का एक साहूकार रहता था। अर्थदत्त के अनंगमंजरी नाम की एक सुन्दर कन्या थी। उसका विवाह साहूकार ने एक धनी साहूकार के पुत्र मणिवर्मा के साथ कर दिया। मणिवर्मा पत्नी को बहुत चाहता था, पर पत्नी उसे प्यार नहीं करती थी। एक बार मणिवर्मा कहीं गया। पीछे अनंगमंजरी की राजपुरोहित के...

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तीन मछलियां ~ पंचतंत्र

एक नदी के किनारे उसी नदी से जुडा एक बडा जलाशय था। जलाशय में पानी गहरा होता हैं, इसलिए उसमें काई तथा मछलियों का प्रिय भोजन जलीय सूक्ष्म पौधे उगते हैं। ऐसे स्थान मछलियों को बहुत रास आते हैं। उस जलाशय में भी नदी से बहुत-सी मछलियां आकर रहती थी। अंडे देने के लिए तो सभी मछलियां उस जलाशय में आती थी। वह जलाशय लम्बी घास व झाडियों द्वारा घिरा होने के कारण...

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हैबिट्स जो बना सकतीं हैं आपको सक्सेसफुल

आपकी ज़िन्दगी बस यूँ ही नहीं घट जाती. चाहे आप जानते हों या नहीं, ये आप ही के द्वारा डिजाईन की जाती है. आखिरकार आप ही अपने विकल्प चुनते हैं. आप खुशियाँ चुनते हैं. आप दुःख चुनते हैं. आप निश्चितता चुनते हैं. आप अपनी अनिश्चितता चुनते हैं. आप अपनी सफलता चुनते हैं. आप अपनी असफलता चुनते हैं. आप साहस चुनते हैं. आप डर चुनते हैं. इतना याद रखिये कि हर एक...

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एक घोड़ा बादल

बादल अरबी नस्ल का एक शानदार घोड़ा था। वह अभी 1 साल का ही था और रोज अपने पिता – “राजा” के साथ ट्रैक पर जाता था। राजा घोड़ों की बाधा दौड़ का चैंपियन था और कई सालों से वह अपने मालिक को सर्वश्रेष्ठ घुड़सवार का खिताब दिला रहा था। एक दिन जब राजा ने बादल को ट्रैक के किनारे उदास खड़े देखा तो बोला, ” क्या हुआ बेटा तुम इस तरह उदास क्यों खड़े हो?” “कुछ नहीं...

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सिंदबाद जहाजी की तीसरी यात्रा – अलिफ लैला

सिंदबाद ने कहा कि घर आकर मैं सुखपूर्वक रहने लगा। कुछ ही दिनों में जैसे पिछली दो यात्राओं के कष्ट और संकट भूल गया और तीसरी यात्रा की तैयारी शुरू कर दी। मैंने बगदाद से व्यापार की वस्तुएँ लीं और कुछ व्यापारियों के साथ बसरा के बंदरगाह पर जाकर एक जहाज पर सवार हुआ। हमारा जहाज कई द्वीपों में गया जहाँ व्यापार करके हम लोगों ने अच्छा लाभ कमाया। किंतु एक दिन...

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चाणक्य नीति : द्वितीय अध्याय

1.  झूठ बोलना, कठोरता, छल करना, बेवकूफी करना, लालच, अपवित्रता  और निर्दयता ये औरतो के कुछ नैसर्गिक दुर्गुण है। 2. भोजन के योग्य पदार्थ और भोजन करने की क्षमता, सुन्दर स्त्री और उसे भोगने के लिए काम शक्ति, पर्याप्त धनराशी तथा दान देने की भावना – ऐसे संयोगों का होना सामान्य तप का फल नहीं है। 3. उस व्यक्ति ने धरती पर ही स्वर्ग को पा लिया : १...

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वैज्ञानिक स्टीफन हॉकिंग के अनमोल विचार

Quote 1: Look up at the stars and not down at your feet. Try to make sense of what you see, and wonder about what makes the universe exist. Be curious. In Hindi: ऊपर सितारों की तरफ देखो अपने पैरों के नीचे नहीं।  जो देखते हो उसका मतलब जानने की कोशिश करो और आश्चर्य करो की क्या है जो ब्रह्माण्ड का अस्तित्व बनाये हुए है।  उत्सुक रहो। Quote 2: However...

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बाइसवीं पुतली – अनुरोधवती ~ राजा विक्रमादित्य और बुद्धि और संस्कार पर चर्चा!

बाइसवीं पुतली – अनुरोधवती नामक बाइसवीं पुतली ने जो कथा सुनाई वह इस प्रकार है- राजा विक्रमादित्य अद्भुत गुणग्राही थे। वे सच्चे कलाकारों का बहुत अधिक सम्मान करते थे तथा स्पष्टवादिता पसंद करते थे। उनके दरबार में योग्यता का सम्मान किया जाता था। चापलूसी जैसे दुर्गुण की उनके यहाँ कोई कद्र नहीं थी। यही सुनकर एक दिन एक युवक उनसे मिलने उनके द्वार तक...

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किसी भी विज्ञापन को विश्वास करने से पहले जांच करें ।

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