शराबी शिष्य

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एक जेन मास्टर के सैकड़ों शिष्य थे . वे सभी नियमों का पालन करते थे और समय पर पूजा करते थे . लेकिन उनमे से एक शिष्य शराबी था , वो न नियमों का पालन करता था और न ही समय पर पूजा करता था.

मास्टर वृद्ध हो रहे थे . आश्रम में  यही चर्चा थी कि मास्टर किसे अपने रहस्य  बताएँगे और अपना उत्तराधिकारी घोषित करेंगे … सभी का अनुमान था कि मास्टर के कुछ प्रिय शिष्यों में से एक ही अगला मास्टर बनेगा .शराबी

पर मरने से कुछ समय पहले मास्टर ने शराबी शिष्य को बुलाया और  सारे रहस्य बता कर उसे अपना उत्तराधिकारी घोषित कर दिया .

ये बात किसी के गले नहीं उतरी , जल्द ही बाकी शिष्यों ने उनका विरोध करना शुरू कर दिया .

एक शिष्य क्रोधित होते हुए बोला ,“ कितना शर्मनाक है ये … हमने एक गलत मास्टर के लिए अपना बहुमूल्य समय बर्वाद कर दिया , उसने हमारे जैसे गुणवान शिष्यों को चुनने की बजाये एक शराबी को चुन लिया। “

उसकी  बात सुनकर मास्टर बोले , “

पुत्रों , मैं अपने रहस्य केवल उसी को बता सकता था जिसे मैं अच्छी तरह से जानता हूँ . तुम सभी बड़े गुणवान हो लेकिन तुम सबने मेरे सामने हमेशा अपनी अच्छाई ही रखी अपनी बुराइयों को कभी सामने नहीं आने दिया . ये खतरनाक है; क्योंकि अक्सर इन गुणों के पीछे व्यक्ति  का घमंड , गर्व और असहिष्णुता छिपी रह जाती है . इसलिए मैंने उस शिष्य  को चुना जिसकी बुराइयों को भी  मैं देख सकता हूँ और जिसे मैं सबसे अच्छी तरह से जानता हूँ .”

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क्रमरहित सूची

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