महापंडित रावण

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लक्ष्मण को मिला ज्ञान श्री राम और रावण के बीच हुए अंतिम युद्ध के बाद रावण जब युद्ध भूमि पर, मरणशैया पर पड़ा होता है तब भगवान राम लक्ष्मण को समस्त वेदो के ज्ञाता, महापंडित रावण से राजनीति और शक्ति का ज्ञान प्राप्त करने को कहते हैं। और तब रावण लक्ष्मण को ज्ञान देते है कि- अच्छे कार्य में कभी विलंब नहीं करना चाहिए। और अशुभ कार्य को मोह वश करना ही पड़े तो उसे जितना हो सके उतना टालने का प्रयास करनी चाहिए। शक्ति और पराक्रम के मद में इतना अँधा नहीं हो जाना चाहिए की हर शत्रु तुच्छ और निम्न लगने लगे। मुझे ब्रह्मा जी से वर मिला था की वानर और मानव के अलावा कोई मुझे मार नहीं सकता। फिर भी मै उन्हे तुच्छ और निम्न समझ कर अहम में लिप्त रहा। जिस कारण मेरा समूल विनाश हुआ। तीसरी और अंतिम बात रावण नें यह कही कि, अपनें जीवन के गूढ रहस्य स्वजन को भी नहीं बताने चाहिए। चूँकि रिश्ते और नाते बदलते रहते हैं। जैसे की विभीषण जब लंका में था तब मेरा हितेच्छु था। पर श्री राम की शरण में आने के बाद मेरे विनाश का माध्यम बना। सार- अपनें गूढ़ रहस्य अपनें तक रखना, शुभ कर्म में देरी ना करना, गलत काम से परहेज़ करना, और किसी भी शत्रु को कमज़ोर ना समझना , यह अमूल्य पाठ हर एक इंसान को अपनें जीवन में उतारना चाहिए।

अच्छी तरह से ध्यान दें: कुछ कहानियां मनोरंजन और नीति ज्ञान के लिए बस काल्पनिक और मन गढ़न होता है । कुछ कहानियों में कुछ सच्चाई होसकता है लेकिन कुछ धूर्त लेखक उस को ज्यादा ही कुछ बढ़ा चढ़ा के अपने बुरा इरादों को हासिल करने के लिए इस्तेमाल करते हैं । अगर किसी कहानी में वैज्ञानिक आधार और यौक्तिकता नहीं है तो इसे सत्य मानना या नैतिक ज्ञान समझना मूर्खता है । हालांकि कुछ कहानियाँ मनोरंजन और नीति ज्ञान के लिए क्यों न लिखा गया हो लेकिन ये ज्यादातर वर्ण व्यवस्था यानि जात पात, अंध विश्वास, तर्क हीनता, अज्ञानता, नफरत, धर्म, हिंसा और व्यक्ति विशेष के प्रचार और प्रसार के  उद्देश्य से लिखागया धूर्त कहानियां है इसलिए ये कहानियाँ आपको पढ़ के उसके सच्चाई भी आप को जान ने की जरूरत है । कुछ कहानियाँ अच्छे बिचारोंसे क्यों न लिखा गया हो लेकिन कुछ धूर्त समय के साथ साथ उसमे बदलाव डाल के अपनी धर्म, वर्ग या  व्यक्ति विशेष नाम से अपना प्रचार और प्रसार के लिए इस्तेमाल करते आ रहे हैं । ये सब बातों को आप अपनी साधारण ज्ञान और तार्किक आधार पर परखें और सच्चाई को अपने दिमाग का हिस्सा बनाये । जैसे अच्छा खाना एक अच्छा स्वास्थ्य बनता है, वैसे ही अच्छी ज्ञान अच्छी दिमाग बनाते हैं । अगर किसी व्यक्ति का काल्पनिक और मानसिक स्तर अगर वास्तविकता के साथ समानता नहीं है और अंध विश्वास के अधीन होकर अज्ञानता का अधिकारी बन जाये तो उस को मानसिक विकृति कहते हैं ।

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