कबीर के दोहे (अर्थ सहित) – 500 + Kabir ke Dohe (with meaning ) in Hindi & English

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कबीर महान क्रांतिकारी संत थें । उन्होंने अपने लगभग 800 दोहों में जीवन के अनेक पक्षों पर अपने अनुभवों का जीवंत वर्णन किया है। सभी धर्मों , पंथों , वर्गों में प्रचलित कुरीतियों पर उन्होंने मर्मस्पर्शी प्रहार किया है तथा धर्म के वास्तविक स्वरुप को उजागर किया हैं ।  इसी कारण उनके दोहे आज भी जीवंत एवं प्रभावोत्पादक हैं ।

कबीर के 500+ दोहे निम्नांकित 29 खंडों में पठनीय हैं।

Kabir was a great revolutionary saint. He has given a lively description of his personal experiences on many aspects of life in about 800 couplets or dohas.

In his dohas, Kabir challenged the ongoing practices of all religions, sects and castes. His dohas provide a clear and true vision of spirituality. Even after centuries, his couplets are read by the seekers from across the globe.

Presented below is a list of more than 500 dohas by Kabir, grouped in the following 29 categories.

कबीर के दोहे – अनुभव/experience
कबीर के दोहे  – काल/Death
कबीर के दोहे  – माया/Illusion
कबीर के दोहे  – नारी/Women
कबीर के दोहे  – सेवक/Servant
कबीर के दोहे  – भिक्षा/Alms
कबीर के दोहे  – वेश/garb
कबीर के दोहे  – बन्धन/Chain
कबीर के दोहे  – चेतावनी/Warning
कबीर के दोहे  – वाणी/Speech
कबीर के दोहे  – परमार्थ/Giving
कबीर के दोहे  – वीरता/Bravery
कबीर के दोहे  – भक्त/Devotee
कबीर के दोहे  – संगति/Company
कबीर के दोहे  – सलाह/Advice
कबीर के दोहे  – मन/Mind
कबीर के दोहे  – मोह/Delusion
कबीर के दोहे  – लोभ/Greed
कबीर के दोहे  – पारखी/Examiner
कबीर के दोहे  – विरह/Separation
कबीर के दोहे  – प्रेम/Love
कबीर के दोहे  – ज्ञानी/Scholar
कबीर के दोहे  – विश्वास/Faith
कबीर के दोहे  – सर्वव्यापक ईश्वर/Omnipotent God
कबीर के दोहे  – ईश्वर स्मरण/Remembrance
कबीर के दोहे  – तलाश/Search
कबीर के दोहे  – क्रोध/Anger
कबीर के दोहे  – बुद्धि/Wisdom
कबीर के दोहे  – संतजन/Saints

कृपया ध्यान दें : कबीर के मूल रचनाओं में कुछ धूर्त “हरी” शब्द को “राम” की नाम में बदल दिए हैं; अगर आप को कोई संस्करण में हरी के बदले राम की शब्द का उपयोग देखें तो समझ लेना उस को अपभ्रंस किया गया है और करनेवाला कौन है आप अच्छी तरह जानते हैं । वैदिक ब्राह्मणवाद ने हमारे देश की कई असली ज्ञान सम्पदा जो उनके अनुकूल नहीं थे उन को इतना अपभ्रंश किया है की कोई भी सज़ा उनकेलिए कम है । राम न हिन्दू थे ना वैदिक भगवान; कोई भी वेद में आपको उनकी नाम नहीं मिलेगा । रामायण एक लोकप्रिय काल्पनिक रचना थी जो रत्नाकर ने रचना किया था । वैदिक धर्म प्रचार और प्रसार करनेवाले पुजारी बनाम ब्राह्मण राम की चरित्र को विष्णु का अवतार बता कर उनकी पहचान की चोरी यानी पहचान फ्रॉड(Identity theft/Identity fraud) करके उनकी आइडेंटिटी को अपने स्वार्थ के लिए इस्तेमाल करते आ रहे हैं । रामायण को समय के साथ तरह तरह की अपभ्रंश की गयी; कहानी के चरित्र को विष्णु का अवतार बताया गया और उनको क्षत्रिय बना के वैदिक वर्णवाद को भी इसके जरिये प्रचार किया गया । समय के साथ इसके कई वर्शन बने और राम का चरित्र भगवान की नाम पर पुजारियों का व्यापार का सामान हो गया । संत कबीर के हिसाब से ब्राह्मण से अच्छा गधा है जो अपना मेहनत का घास खाता है ना कि किसी को भगवान की दर्जा देकर उनके निर्जीव मूर्ति दिखाकर चढ़वा और दान की नाम पे भिक मांग कर अपना गुजारा करता है ।

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