चाणक्य नीति : सोलहवां अध्याय

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1. स्त्री (यहाँ लम्पट स्त्री या पुरुष अभिप्रेत है) का ह्रदय पूर्ण नहीं है वह बटा हुआ है. जब वह एक आदमी से बात करती है तो दुसरे की ओर वासना से देखती है और मन में तीसरे को चाहती है.

2. मुर्ख को लगता है की वह हसीन लड़की उसे प्यार करती है. वह उसका गुलाम बन जाता है और उसके इशारो पर नाचता है.

3. ऐसा यहाँ कौन नहीं है जिसमे दौलत पाने के बाद गर्व नहीं आई. क्या कोई बेलगाम आदमी अपने संकटों पर रोक लगा पाया? इस दुनिया में किस आदमी को औरत ने कब्जे में नहीं किया? किस के ऊपर राजा की हरदम मेहेरबानी रही? किसके ऊपर समय के प्रकोप नहीं हुए? किस भिखारी को यहाँ शोहरत मिली? किस आदमी ने दुष्ट के दुर्गुण पाकर सुख को प्राप्त किया?

4. एक आदमी अपने गुणों से महानता प्राप्त करता है, न केवल एक ऊंची सीट पर कब्जा कर. क्या आप एक कौवे को गरुड़ कहेंगे यदि वह एक ऊँची ईमारत के छत पर जाकर बैठता है?

5. जिस व्यक्ति को दूसरों के द्वारा प्रशंसा की जाती है उसे योग्य माना जाता है, हालांकि वह वास्तव में अयोग्य हो. लेकिन जो सही में योग्य है और सभी उत्कृष्टताओं का मालिक है अगर अपनी प्रशंसा खुद गान करता है वह दूसरों के अनुमान में खुद को कम करता है.

6. यदि एक विवेक संपन्न व्यक्ति अच्छे गुणों का परिचय देता है तो उसके गुणों की आभा को रत्न जैसी मान्यता मिलती है. एक ऐसा रत्न जो प्रज्वलित है और सोने के अलंकार में मढने पर और चमकता है.

7. वह व्यक्ति जो सर्व गुण संपन्न है अपने आप को सिद्ध नहीं कर सकता है जबतक उसे समुचित संरक्षण नहीं मिल जाता. उसी प्रकार जैसे एक मणि तब तक नहीं निखरता जब तक उसे आभूषण में सजाया ना जाए.

8. मुझे वह दौलत नहीं चाहिए जिसके लिए कठोर यातना सहनी पड़े, या सदाचार का त्याग करना पड़े या अपने शत्रु की चापलूसी करनी पड़े.

9. जो अपनी दौलत, पकवान और औरते भोगकर संतुष्ट नहीं हुए ऐसे बहोत लोग पहले मर चुके है. अभी भी मर रहे है और भविष्य में भी मरेंगे.

10. सभी परोपकार और तप तात्कालिक लाभ देते है. लेकिन सुपात्र को जो दान दिया जाता है और सभी जीवो को जो संरक्षण प्रदान किया जाता है उसका पुण्य कभी नष्ट नहीं होता.

11. घास का तिनका हल्का है. कपास उससे भी हल्का है. भिखारी तो अनंत गुना हल्का है. फिर हवा का झोका उसे उड़ाके क्यों नहीं ले जाता. क्योकि वह डरता है कही वह भीख न मांग ले.

12. बेइज्जत होकर जीने से अच्छा है की मर जाए. मरने में एक क्षण का दुःख होता है पर बेइज्जत होकर जीने में हर रोज दुःख उठाना पड़ता है.

13. सभी जीव मीठे वचनों से आनंदित होते है. इसीलिए हम सबसे मीठे वचन कहे. मीठे वचन की कोई कमी नहीं है.

14. इस दुनिया के वृक्ष को दो मीठे फल लगे है. मधुर वचन और सत्संग.

15. जिसका ज्ञान किताबो में सिमट गया है और जिसने अपनी दौलत दुसरो के सुपुर्द कर दी है, वह जरुरत आने पर ज्ञान या दौलत कुछ भी इस्तमाल नहीं कर सकता.

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