अल्बर्ट आइंस्टीन के अनमोल विचार

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  1. भेड़ के किसी झुण्ड का बेदाग़ सदस्य बनने के लिए सबसे पहले आपको एक भेड़ होना चाहिए.
  1. रचनात्मकता का रहस्य ये जानना है कि अपने स्रोतों को कैसे छिपाया जाए.
  1. हम समस्याओं को उसी तरह की सोच इस्तेमाल कर के नहीं सुलझा सकते जिसका प्रयोग हमने समस्या पैदा करते वक़्त किया था.
  1. मैं कभी भविष्य के बारे में नहीं सोचता. ये जल्द ही आ जाता है.
  1. किसी इंसान का मूल्य इससे देखा जाना चाहिए कि वो क्या दे सकता है, इससे नहीं कि वो वो क्या ले पा रहा है.
  1. ज्यादातर शिक्षक अपना समय ऐसे प्रश्न पूछने में बर्बाद करते हैं जिनका मकसद ये जानना होता है कि छात्र क्या नहीं जानता है, जबकि प्रश्न पूछने की सच्ची कला ये पता लगाना है कि छात्र क्या जानता है या क्या जानने में सक्षम है.
  1. एक बार जब हम अपनी सीमाएं स्वीकार कर लेते हैं, तो हम उनके पार चले जाते हैं.
  1. मैं शायद ही कभी शब्दों में सोचता हूँ. एक विचार आता है, और मैं बाद में उसे शब्दों में वयक्त करने का प्रयास कर सकता हूँ.
  1. याददाश्त धोखेबाज है क्योंकि ये आज की घटनाओं से रंगी होती है.
  1. जो छोटे-छोटे मामलों में सत्य को लेकर लापरवाह होता है उसपर गंभीर मामलों में भी यकीन नहीं किया जा सकता.
  1. यदि आप चाहते हैं कि आपके बच्चे बुद्धिमान हों तो उन्हें परियों की कहानियां सुनाएं. यदि आप चाहते हैं कि वे और भी बुद्धिमान हों तो उन्हें और भी परियों की कहानियां सुनाएं.
  1. तर्क आपको ए से जेड तक ले जायेगा; कल्पना आपको कहीं भी ले जायेगी.
  1. मैं सभी से एक जैसे ही बात करता हूँ, चाहे वो कूड़ा उठाने वाला हो या विश्वविद्यालय का अध्यक्ष.
  1. कभी भी उस चीज को याद मत करो जिसे तुम देख सकते हो.
  1. एक चतुर व्यक्ति समस्या को हल कर देता है. एक बुद्धिमान व्यक्ति उससे बच जाता है.
  1. धर्म के बिना विज्ञान लंगड़ा है, विज्ञान के बिना धर्म अंधा है।
  1. वास्तविकता केवल एक भ्रम है, यद्यपि यह बहुत ही निरंतर है.
  1. अगर हमें पता होता कि हम जो कर रहे हैं वो क्या है, तो इसे रिसर्च नहीं कहते, कहते क्या?
  1. कोई भी मूर्ख जान सकता है. ज़रूरी है समझना.
  1. बूढ़े आदमी की जवान आदमी को सलाह: ‘कभी भी अपनी पवित्र जिज्ञासा को मत खो .’
किसी भी विज्ञापन को विश्वास करने से पहले जांच करें ।
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