अख़बार केवल सामूहिक प्रचारक और सामूहिक आन्दोलनकर्ता ही नहीं बल्कि सामूहिक संगठनकर्ता का भी काम करता है – वी.आई. लेनिन

हमारी राय में, हमारे कामों की शुरुआत, जिस संगठन को हम बनाना चाहते हैं उसके निर्माण की दिशा में हमारा पहला कदम, एक अखिल रूसी राजनीतिक अख़बार की स्थापना होना चाहिए। हम कह सकते हैं कि वही वह मुख्य सूत्र है जिसे पकड़ कर हम संगठन का लगातार विकास कर सकेंगे और उसे गहरा और विस्तृत बना सकेंगे। हमें सबसे ज्यादा ज़रूरत एक अख़बार की ही है; उसके बिना...

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चन्दन का बाग

एक राजा जो बहुत परोपकारी थे, उनके पास बहुत ही सुन्दर और विशाल चन्दन का बाग था जिससे हर वर्ष उनको सहस्त्रों रूपये का चन्दन अन्य  देशावरों को जाता जिससे तेल और इत्र तैयार किये जाते थे.. एक रोज, राजा उनके सैनिकों के साथ घोड़ों पर सवार होकर अपने प्रजाजन का हाल जानने के उद्देश्य से अपने महल से निकले. लौटते समय बहुत अँधेरे होने के कारण वो मार्ग से भटक...

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हिंदी क्या है?

हिंदी क्या है? कभी इसकी खोज की है? हिंदी या हिन्दू शब्द का उत्पत्ति कहाँ से हुई है कभी आपने इसको जानने की कोशिश की है? चलिए इस लेख में इसकी खोज करते हैं और जानते है ये हिंदी या हिन्दू है क्या? दोस्तों, हमेशा याद रखना कोई भी तथ्य अगर विवादास्पद लगे उसके पीछे कुछ न कुछ साजिश होता है। इसको आप को तर्क से ढूंढना पड़ेगा ना की यूँही विश्वास कर लेना चाहिए...

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दरजी की जबानी नाई की कहानी – अलिफ लैला

खलीफा हारूँ रशीद के काल में बगदाद के आसपास दस कुख्यात डाकू थे जो राहगीरों को लूटते ओर मार डालते थे। खलीफा ने प्रजा के कष्ट का विचार कर के कोतवाल से कहा कि उन डाकुओं को पकड़ कर लाओ वरना मैं तुम्हें प्राणदंड दूँगा। कोतवाल ने बड़ी दौड़-धूप की और निश्चित अवधि में उन्हें पकड़ लिया। वे नदी पार पकड़े गए थे इसलिए उन्हें नाव पर बिठा कर लाया गया। मैं ने, जो...

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सांप की सवारी करने वाले मेढकों की कथा ~ पंचतंत्र

किसी पर्वत प्रदेश में मन्दविष नाम का एक वृद्ध सर्प रहा करता था। एक दिन वह विचार करने लगा कि ऐसा क्या उपाय हो सकता है, जिससे बिना परिश्रम किए ही उसकी आजीविका चलती रहे। उसके मन में तब एक विचार आया। वह समीप के मेढकों से भरे तालाब के पास चला गया। वहां पहुँचकर वह बड़ी बेचैनी से इधर-उधर घूमने लगा। उसे इस प्रकार घूमते देखकर तालाब के किनारे एक पत्थर पर...

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प्रेरणा का स्रोत

दोस्तों ,जिंदगी है तो संघर्ष हैं,तनाव है,काम का दबाव है, ख़ुशी है,डर है !लेकिन अच्छी बात यह है कि ये सभी स्थायी नहीं हैं!समय रूपी नदी के प्रवाह में से सब प्रवाहमान हैं!कोई भी परिस्थिति चाहे ख़ुशी की हो या ग़म की, कभी स्थाई नहीं होती ,समय के अविरल प्रवाह में विलीन हो जाती है! प्रेरणा का स्रोत ऐसा अधिकतर होता है की जीवन की यात्रा के दौरान हम अपने आप...

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ग्लास को नीचे रख दीजिये

एक प्रोफ़ेसर ने अपने हाथ में पानी से भरा एक glass पकड़ते  हुए class शुरू की . उन्होंने उसे ऊपर उठा कर सभी students को दिखाया और पूछा , ” आपके हिसाब से glass का वज़न कितना होगा?” ’50gm….100gm…125gm’…छात्रों ने उत्तर दिया. ” जब तक मैं इसका वज़न ना कर लूँ  मुझे इसका सही वज़न नहीं बता सकता”. प्रोफ़ेसर ने कहा. ” पर मेरा सवाल है: यदि मैं इस ग्लास को...

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शेर और लकड़बग्घे

शेरा नाम का एक शेर बहुत परेशान था । वो एक नौजवान शेर था जिसने अभी -अभी शिकार करना शुरू किया था । पर अनुभव न होने के कारण वो अभी तक एक भी शिकार नहीं कर पाया था । हर एक असफल प्रयास के बाद वो उदास हो जाता , और ऊपर से आस -पास घूम रहे लकड़बघ्घे भी उसकी खिल्ली उड़ा कर खूब मजे लेते । शेरा गुस्से में उनपर दहाड़ता पर वे ढीठ कहाँ डरने वाले थे , ऐसा करने पर वे...

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वह लड़का – मैक्सिम गोर्की

यह छोटी-सी कहानी सुनाना काफी कठिन होगा-इतनी सीधी-सादी है यह! जब मैं अभी छोटा ही था, तो गरमियों और वसन्त के दिनों में रविवार को, अपनी गली के बच्चों को इकट्ठा कर लेता था और उन्हें खेतों के पार, जंगल में ले जाता था। इन पंछियों की तरह चहकते, छोटे बच्चों के साथ दोस्तों की तरह रहना मुझे अच्छा लगता था। बच्चों को भी नगर की धूल और भीड़ भरी गलियों से दूर...

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साधू की झोपड़ी

किसी गाँव में दो साधू रहते थे. वे दिन भर भीख मांगते और मंदिर में पूजा करते थे। एक दिन गाँव में आंधी आ गयी और बहुत जोरों की बारिश होने लगी; दोनों साधू गाँव की सीमा से लगी एक झोपडी में निवास करते थे, शाम को जब दोनों वापस पहुंचे तो देखा कि आंधी-तूफ़ान के कारण उनकी आधी झोपडी टूट गई है। यह देखकर पहला साधू क्रोधित हो उठता है और बुदबुदाने लगता है ,”...

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मूर्ख राजा और चतुर मंत्री

एक समय की बात है दियत्स नाम की नगरी एक नदी किनारे बसी हुई थी। वहां का राजा बहुत ही मूर्ख और सनकी था। एक दिन राजा अपने मंत्री के साथ संध्या के समय नदी के किनारे टहल रहा था। तभी उसने मंत्री से पूछा, “मंत्री बताओ यह नदी किस दिशा की ओर और कहाँ बहकर जाती है?” “महाराज, यह पूर्व दिशा की ओर बहती है और पूर्व की ओर स्तिथ देशो में बहकर समुन्द्र में मिल जाती...

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बन्दर और मगरमच्छ

एक नदी के किनारे एक जामुन के पेड़ पर एक बन्दर रहता था जिसकी मित्रता उस नदी में रहने वाले मगरमच्छ के साथ हो गयी।वह बन्दर उस मगरमच्छ को भी खाने के लिए जामुन देता रहता था।एकदिन उस मगरमच्छ ने कुछ जामुन अपनी पत्नी को भी खिलाये। स्वादिष्ट जामुन खाने के बाद उसने यह सोचकर कि रोज़ाना ऐसे मीठे फल खाने वाले का दिल भी खूब मीठा होगा ;अपने पति से उस बन्दर का दिल...

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ककुसन्ध बुद्ध -जातक कथा

पालि-परम्परा में ककुसन्ध बाईसवें बुद्ध हैं । ये खेमा वन में जन्मे थे। इनकी माता का नाम विशाखा था। इनकी पत्नी का नाम विरोचमना और पुत्र का नाम उत्तर था। शिरीष-वृक्ष के नीचे इन्हें ज्ञान-प्राप्ति हुई और अपना प्रथम उपदेश इन्होंने मकिला के निकट एक उद्यान में, चौरासी हज़ार भिक्षुओं को दिया। भिक्षुओं में विधुर एवं संजीव इनके पट्टशिष्य थे और भिक्षुणियों...

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सत्रहवीं पुतली – विद्यावती ~ विक्रमादित्य की परोपकार तथा त्याग की भावना!

सत्रहवीं पुतली – विद्यावती नामक ने जो कथा कही वह इस प्रकार है- महाराजा विक्रमादित्य की प्रजा को कोई कमी नहीं थीं। सभी लोग संतुष्ट तथा प्रसन्न रहते थे। कभी कोई समस्या लेकर यदि कोई दरबार आता था उसकी समस्या को तत्काल हल कर दिया जाता था। प्रजा को किसी प्रकार का कष्ट देने वाले अधिकारी को दण्डित किया जाता था। इसलिए कहीं से भी किसी तरह की शिकायत...

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सबसे मुश्किल काम

एक दिन बीरबल दरबार में देर से पहुँचे । अकबर ने पूछा क्या बात है ? बीरबल आज देर से क्यों आये? बीरबल ने कहा- जहांपनाह, आज मुझे बच्चों को संभालना पडा। बादशाह को यह सुनकर बहुत आश्चर्य हुआ, बोले यह भी कोई काम हुआ? जहांपनाह बच्चों को संभालने का काम सबसे कठिन है। जब यह काम सिर पर आ पडता है तो कोई भी काम समय पर नहीं हो पाता । बादशाह बाले- बीरबल बच्चों को...

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निग्रोध मृग -जातक कथा

वाराणसी के वनों में कभी एक सुवर्ण मृग रहता था । उसकी आँखों रत्न-सी चमकीली ; सींग रजत की कांति लिए हुए तथा उसका शरीर अन्य हिरणों से अधिक बड़ा और सुंदर था। वह पाँच सौ मृगों का राजा था और उसे निग्रोधराज के नाम से पुकारा जाता था। उसी वन में उसी के सदृश एक और हिरण रहता था। वह भी पाँच सौ मृगों का राजा था। उसका नाम साखा था। उन दिनों वाराणसी-नरेश को हिरण...

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सुरा-कुंभ -जातक कथा

एक बार शक्र जब पृथ्वी लोक का अवलोकन कर रहे थे तो उनहोंने सब्बमित्र नामक एक राजा को देखा जो हर प्रकार की योग्यताएँ रखता था किन्तु वह कुसंगत में एक शराबी बन गया था। शक्र ने तभी यह बात ठान ली कि वे उसकी बुरी आदत को छुड़ा कर रहेंगे । अत: धरती पर वे एक अति सुंदर सुरा कुंभ के साथ पहुँचे और सब्बमित्र के पास पहुँच कर कहा कि उनके पास उस कुंभ में ऐसी मदिरा...

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अनाज के व्यापारी की कहानी – अलिफ लैला

अनाज का व्यापारी बोला कि कल मैं एक धनी व्यक्ति की पुत्री के विवाह में गया था। नगर के बहुत-से प्रतिष्ठित व्यक्ति उसमें शामिल थे। शादी की रस्में पूरी होने पर दावत हुई और नाना प्रकार के व्यंजन परोसे गए। एक थाल में एक मसालेदार स्वादिष्ट लहसुन का व्यंजन रखा था जिन्हें उठा-उठा कर हर आदमी रुचिपूर्वक खा रहा था। किंतु एक आदमी उसे नहीं खाता था। पूछने पर उस...

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मैं ऐसा क्यों हूँ ?

पट्टू तोता बड़ा उदास बैठा था . माँ ने पुछा , ” क्या हुआ बेटा तुम इतने  उदास क्यों हो ?” ” मैं अपनी इस अटपटी चोंच से नफरत करता हूँ !!”, पट्टू लगभग रोते हुए बोला . “तुम अपनी चोंच से नफरत क्यों करते हो ?? इतनी सुन्दर तो है !”, माँ ने समझाने की कोशिश की . “नहीं , बाकी सभी पक्षियों की चोंच कहीं अच्छी है …. बिरजू बाज , कालू कौवा , कल्कि कोयल … सभी की...

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हथोड़ा और चाबी

शहर की तंग गलियों के बीच एक पुरानी ताले की दूकान थी। लोग वहां से ताला-चाबी खरीदते और कभी-कभी चाबी खोने पर डुप्लीकेट चाबी बनवाने भी आते। ताले वाले की दुकान में एक भारी-भरकम हथौड़ा भी था जो कभी-कभार ताले तोड़ने के काम आता था। हथौड़ा अक्सर सोचा करता कि आखिर इन छोटी-छोटी चाबियों में कौन सी खूबी है जो इतने मजबूत तालों को भी चुटकियों में खोल देती हैं जबकि...

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किसी भी विज्ञापन को विश्वास करने से पहले जांच करें ।

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