विश्वास करना सीखो!

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“मॉम .!!… “मैं सोच रही थी! कि आज रात को मैं शिखा के घर पर ही रुक जाऊंगी…थोडी़ कम्बाइन्ड स्टडी करनी है, वो परसों मैथ्स का टेस्ट है ना उसी की तैयारी करनी है”। किताबें समेंटते हुए चारू बोलती जा रही थी! “पर बेटा ..रात को ..किसी के घर रुकना मुझे तो ठीक नहीं लगता।” “मॉम!!”, नाराज होती हुई चारू ने कहा, “देखो ना पापा मां जाने नहीं दे रहीं।। पापा माँ पर नाराज़ होते हुए बोले, “अरे रुक जाने दो ना चारू को उसकी सहेली के घर, एक रात की ही तो बात है। अपने बच्चों पर विश्वास करना सीखो!, जाओ बेटा”! जाओ!” चारू ने पापा को थैंक्स कहा और अपनी स्कूटी से निकल गयी। रात का एक बजा था, फोन की घनघनाहट सुन कर वर्मा जी घबरा कर उठे, फोन पर आवाज आयी, “मि. वर्मा आप तुरन्त थाना गांधी नगर आने का कष्ट करें।” यह सुनकर वर्मा जी की सांसें गले में अटक गयीं, डर रहे थे की कहीं कोई अनहोनी ना हुई हो…कहीं बेटी को तो कुछ……. बदहवास थाने पहुंचे,देखा दस-पंद्रह लड़के लड़कियां मुंह छिपाये बैठे थे उनमें अपनी चारू को पहचानने में जरा भी देर नहीं लगी। “देखिये वर्मा जी!!! ये बच्चे दिल्ली के बाहर एक फार्म हाउस में ड्रग्स के साथ रेव पार्टी करते हुए पकडे़ गये हैं! आप लोग ना जाने अपने बच्चों को कैसे संस्कार देते हैं….ना जाने इतनी रात गए घर से बाहर निकलने की परमिशन कैसे दे देते हैं आप लोग….शर्म आनी चाहिए! वर्मा जी शर्म का सिर शर्म से झुका जा रहा था, वो बस एक ही बात सोच रहे थे….जब उन्होंने अपनी बेटी पर इतना विश्वास किया तो आखिर क्यों उनकी बेटी ने उनके साथ विश्वासघात कर दिया! दोस्तों, इस दुनिया में कोई है जो आपका सबसे अधिक ध्यान रखता है, सबसे अधिक आपका भला चाहता है…. तो वो आपके parents हैं। वो आपको ऊपर से सख्त लग सकते हैं पर उनके भीतर आपके लिए आपार प्रेम होता है और कभी भी आपको उस प्रेम का नाजायज़ फायदा नहीं उठाना चाहिए…कभी भी आपको उनके विश्वास के साथ विश्वासघात नहीं करना चाहिए! धन्यवाद!

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क्रमरहित सूची

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