हर काम अपने समय पर ही होता है

एकबार एक व्यक्ति भगवान् के दर्शन करने पर्वतों पर गया| जब पर्वत के शिखर पर पहुंचा तो उसे भगवान् के दर्शन हुए | वह व्यक्ति बड़ा खुश हुआ | उसने भगवान से कहा – भगवान् लाखों साल आपके लिए कितने के बराबर हैं ? भगवान ने कहा – केवल 1 मिनट के बराबर फिर व्यक्ति ने कहा – भगवान् लाखों रुपये आपके लिए कितने के बराबर हैं ? भगवान ने कहा – केवल 1 रुपये के बराबर तो...

Read More

मूंछें

एक दिन सम्राट अकबर ने एक प्रश्न के साथ अपने दरबारियों को चौंका दिया। “अगर किसी ने मेरी मूंछ को खींच लिया तो उसे किस तरह की सजा दी जानी चाहिए?” ।  “उसे कोडे मारने चाहिए!” एक दरबारी ने कहा “उसे फांसी दी जानी चाहिए!” एक तिहाई ने कहा “उसका सिर काट लिया जाना चाहिए!”। “और तुम बीरबल?” सम्राट ने पूछा; बीरबल ने कहा, “उन्हें मिठाई दी जानी चाहिए।” “मिठाइयाँ...

Read More

तीसवीं पुतली ~ जयलक्ष्मी ~ मृग रूप से मुक्ति

तीसवीं पुतली – जयलक्ष्मी ने जो कथा कही वह इस प्रकार है- राजा विक्रमादित्य जितने बड़े राजा थे उतने ही बड़े तपस्वी। उन्होंने अपने तप से जान लिया कि वे अब अधिक से अधिक छ: महीने जी सकते हैं। अपनी मृत्यु को आसन्न समझकर उन्होंने वन में एक कुटिया बनवा ली तथा राज-काज से बचा हुआ समय साधना में बिताने लगे। एक दिन राजमहल से कुटिया की तरफ आ रहे थे कि उनकी...

Read More

दरियाबार की शहजादी की कहानी – अलिफ लैला

उस सुंदरी ने कहा कि काहिरा के निकट दरियाबार नाम एक द्वीप है। उस का बादशाह सब प्रकार से सुखी था किंतु उसे संतान न होने का बड़ा दुख था। वर्षों की प्रार्थनाओं और सिद्धों के आशीर्वादों से उस के यहाँ एक पुत्री जन्मी। मैं ही वह अभागी हूँ। मेरे जन्म पर मेरे पिता ने बड़ा समारोह किया। मैं बड़ी हुई तो उस ने मुझे सारी विद्याओं और कलाओं की शिक्षा दिलवाई। उस...

Read More

विद्यार्थी और राजनीति – भगत सिंह (1928)

इस महत्वपूर्ण राजनीतिक मसले पर यह लेख जुलाई, 1928 में ‘किरती’ में छपा था। उन दिनों अनेक नेता विद्यार्थियों को राजनीति में हिस्सा न लेने की सलाहें देते थे, जिनके जवाब में यह लेख बहुत महत्वपूर्ण है। यह लेख सम्पादकीय विचारों में छपा था, और सम्भवतः भगतसिंह का लिखा हुआ है।- सं. इस बात का बड़ा भारी शोर सुना जा रहा है कि पढ़ने वाले नौजवान(विद्यार्थी)...

Read More

वेश्या और ऋषि

ऋषि मुनि एवं शास्त्र से यह ज्ञात होता है की अगर जाने अनजाने में किसी से पाप कर्म हो जाए, तो उसका प्रायश्चित करने से पाप कम हो जाते हैं. प्रायश्चित, अर्थात पश्यताप. इसी सन्दर्भ में एक विद्वान ने एक कथा का विवेचन करते हुए बताया था की एक कस्बें में एक महात्मा रहते थे. उसी कसबे में एक वेश्या रहती थी. महात्माजी अपना कार्य करते थे और वह वेश्या अपना...

Read More

कौवों की कहानी -जातक कथा

वर्षों पहले एक समुद्र में एक नर और एक मादा कौवा मदमस्त हो कर जल-क्रीड़ा कर रहे थे। तभी समुद्र की एक लौटती लहर में कौवी बह गयी, जिसे समुद्र की किसी मछली ने निगल लिया। नर कौवे को इससे बहुत दु:ख हुआ। वह चिल्ला-चिल्ला कर विलाप करने लगा। पल भर में र्तृकड़ों कौवे भी वहाँ आ पहुँचे। जब अन्य कौवों ने उस दु:खद घटना को सुना तो वे भी जोर-जोर से काँव-काँव करने...

Read More

संगीतमय गधा ~ पंचतंत्र

एक धोबी का गधा था । वह दिन भर कपडों के गट्ठर इधर से उधर ढोने में लगा रहता । धोबी स्वयं कंजूस और निर्दयी था। अपने गधे के लिए चारे का प्रबंध नहीं करता था। बस रात को चरने के लिए खुला छोड देता । निकट में कोई चरागाह भी नहीं थी। शरीर से गधा बहुत दुर्बल हो गया था। एक रात उस गधे की मुलाकात एक गीदड़ से हुई । गीदड़ ने उससे पूछा ‘कहिए महाशय, आप इतने...

Read More

बेईमानी का अंजाम बेईमानी

एक़ बार क़ी बात है किसी गांव में एक़ किसान था जो क़ी दुध से दही और मख्खन बना-क़र उसे बेचकर घर चलाता था एक़ दिन उसकी पत्नी ने उसे मख्खन तैय्यार क़र के दिया वो उसे बेचने के लिये अपने गांव से शहर क़ी तरफ़ रवाना हो गया.. वो मख्खन गोल-मोल पेढ़ो क़ी शकल् में बना हुआ था और हर पेढ़े का वजन एक़ Kilogram था | शहर में किसान ने उस मख्खन क़ो रोज़ क़ी तरह एक़ दूकानदार क़ो बैच...

Read More

स्वर्ग की सुरंग

एक बार बीरबल से जलने वालों दरबारियों ने शाही नाई का सहारा लिया। नाई ने एक दिन अकबर से कहा, “महाराज, आप सबका ख्याल रखते हैं पर अपने पूर्वजों के बारे में कयों नहीं सोचते?” “मैं उनके लिये क्या कर सकता हूँ ?” अकबर ने पूछा। “आप उनके लिए एक चतुर आदमी भेज दिजिए, बीरबल इस काम के लिए ठीक रहेगा” अकबर को नाई की बात जँच गई. अकबर ने बीरबल को अपने पूर्वजों के...

Read More

बोले हुए शब्द वापस नहीं आते

एक बार एक किसान ने अपने पडोसी को भला बुरा कह दिया, पर जब बाद में उसे अपनी गलती का एहसास हुआ तो वह एक संत के पास गया. उसने संत से अपने शब्द वापस लेने का उपाय पूछा. संत ने किसान से कहा , ” तुम खूब सारे पंख इकठ्ठा कर लो , और उन्हें शहर  के बीचो-बीच जाकर रख दो .” किसान ने ऐसा ही किया और फिर संत के पास पहुंच गया. तब संत ने कहा , ” अब जाओ और उन पंखों को...

Read More

शब्दों और सही लहजे का चुनाव

एक दिन गुरुकुल के शिष्यों में इस बात पर बहस छिड़ गयी कि आखिर इस संसार की सबसे शक्तिशाली वस्तु क्या है ? कोई कुछ कहता, तो कोई कुछ…जब पारस्परिक विवाद का कोई निर्णय ना निकला तो फिर सभी शिष्य गुरुजी के पास पहुँचे। सबसे पहले गुरूजी ने उन सभी शिष्यों की बातों को सुना और कुछ सोचने के बाद बोले- तुम सबों की बुद्धि ख़राब हो गयी है! क्या ये अनाप-शनाप निरर्थक...

Read More

ग्यारहवीं पुतली – त्रिलोचनी ~ राजा विक्रमादित्य और देवताओं का आवाहन!

ग्यारहवीं पुतली – त्रिलोचनी ने जो कथा कही वह इस प्रकार है- राजा विक्रमादित्य बहुत बड़े प्रजापालक थे। उन्हें हमेंशा अपनी प्रजा की सुख-समृद्धि की ही चिन्ता सताती रहती थी। एक बार उन्होंने एक महायज्ञ करने की ठानी। असंख्य राजा-महाराजाओं, पण्डितों और ॠषियों को आमन्त्रित किया। यहाँ तक कि देवताओं को भी उन्होंने नहीं छोड़ा। पवन देवता को उन्होंने खुद...

Read More

कबीर के दोहे – संतजन/Saints

कहे कबीर हम ब्याहि चले हैं, पुरुख एक अबिनासी। कबीर एक अमर अविनासी पुरुष को अपना पति मानते हैं। यहॉं कबीर का ईश्वर के साथ दाम्पत्य प्रेम दिखाया हैं। Kahe kabir hum byahi chale hain, purakh ek abinaashi. Kabir says he has been married to the immortal. भग भोगे भग उपजे,भग से बचे ना कोइ कहे कबीर भग ते बचे भक्त कहाबै सोऐ। भग भोग उत्पन्न करता है। इससे...

Read More

कार्टूनिस्ट आर के लक्ष्मण के प्रेरक कथन

Quote 1: A cartoonist enjoys not a great man but a ridiculous man. In Hindi: एक कार्टूनिस्ट को एक महान आदमी में नहीं एक हास्यास्पद आदमी में आनंद मिलता है . Quote 2: Britishers who came to India missed Indian humor since they couldn’t understand our sense of domestic humor. They thought Indians have no sense of humor! In Hindi: जो अंग्रेज इंडिया...

Read More

विजेता मेंढक

एक  दिन  मेंढकों  के  दिमाग  में  आया  कि  क्यों  ना  एक  रेस  करवाई  जाए . रेस  में  भाग  लेने  वाली  प्रतियोगीयों  को  खम्भे  पर  चढ़ना  होगा , और  जो  सबसे  पहले  एक  ऊपर  पहुच  जाएगा  वही  विजेता  माना  जाएगा . रेस  का  दिन  आ   पंहुचा , चारो  तरफ   बहुत  भीड़  थी ; आस -पास  के  इलाकों  से  भी  कई  मेंढक  इस  रेस  में  हिस्सा   लेने  पहुचे...

Read More

सहिष्णुता का व्रत -जातक कथा

कुण्डक कुमार नाम का एक संयासी एक बार ठंड के दिनों में हिमालय से उत्तर वाराणसी पहुँचा । वहाँ उसके बचपन का मित्र एक सेनापति था । उसने संयासी को राज-उद्यान में स्वच्छन्द भ्रमण की अनुमति दी । एक दिन कुण्डक कुमार उद्यान में बैठा तप कर रहा था कि तभी वाराणसी का एक दुराचारी राजा अपनी प्रेमिकाओं के साथ वहाँ प्रविष्ट हुआ । वहाँ वह उन सुन्दरियों के साथ आमोद...

Read More

शेख चिल्ली की चिट्ठी

शेख चिल्ली की “चिट्ठी” एक बार मियां शेख चिल्ली के भाई बीमार पड़ गए। इस बात की खबर पाते ही मियां शेख चिल्ली नें अपनें भाई की खैरियत पूछने के लिए चिट्ठी लिखने की सोची। पूर्व काल में डाक व्यवस्था और फोन जैसी आधुनिक सुविधाएं थी नहीं तो खत और चिट्ठियाँ मुसाफिर (लोगों) के हाथों ही भिजवाई जाती थीं। मियां शेख चिल्ली नें अपनें गाँव में नाई से चिट्ठी...

Read More

मेहमान और बीरबल का किस्सा

मेहमान को पहचानना बीरबल को एक अमीर आदमी द्वारा दोपहर के भोजन के लिए आमंत्रित किया गया था। बीरबल उस आदमी के घर गया और उसे लोगों से भरे हुए एक हॉल में मिला। उसके मेजबान ने बीरबल का गर्मजोशी से स्वागत किया “मुझे नहीं पता था कि इतने सारे मेहमान होंगे,” बीरबल ने कहा कि वह बडी सभाओं से नफरत करता है। आदमी ने कहा, “वे मेहमान नहीं हैं” “वे मेरे कर्मचारी...

Read More

पंडित जी और नाविक

आज गंगा पार होने के लिए कई लोग एक नौकामें बैठे, धीरे-धीरे नौका सवारियों के साथ सामने वाले किनारे की ओर बढ़ रही थी,एक पंडित जी भी उसमें सवार थे। पंडित जी ने नाविक से पूछा “क्या तुमने भूगोल पढ़ी है ?” पंडित जी और नाविक की कहानी भोला- भाला नाविक बोला “भूगोल क्या है इसका मुझे कुछ पता नहीं।” पंडितजी ने पंडिताई का प्रदर्शन करते कहा, “तुम्हारी पाव भर...

Read More

किसी भी विज्ञापन को विश्वास करने से पहले जांच करें ।

loading...

क्रमरहित सूची

Recent Posts

ज्ञान, आजाद है; और किसी को भी बिना किसी प्रतिबंध के ज्ञान का आनंद लेने का अधिकार है. इस में प्रकाशित कोई भी कहानी या लेख को आप बिना प्रतिबन्ध के उपयोग कर सकते हो. आप अपने ब्लॉग में यहाँ से कॉपी करके पेस्ट कर सकते हो लेकिन कोई भी फेब्रिकेशन या फाल्सीफिकेशन की जिम्मेदारी आप की होगी. वेबसाइट का सिद्धांत नैतिक ज्ञान फैलाना है, ना कि ज्ञान पर हक़ जताना. ज्ञान की स्वतंत्रता वेबसाइट का आदर्श है; आप जितना चाहते हैं उतना उसकी प्रतिलिपि(Copy) बनाकर बिना प्रतिबन्ध के ज्यादा से ज्यादा लोगों तक फैला सकते हो.