एक दिन चतुर बीरबल और तानसेन में कुछ विवाद छिड गया वे दोनों अपने आप को एक-दूसरे से गुणी बता रहे थे. बादशाह अकबर ने कहा- इस तरह तुम लोगों का विवाद नहीं मिट सकता इसके लिए किसी को मुखिया बनाकर अपना न्याय कर लो. महाराज! आपकी बातें शिरोधार्य हैं, हम दोनों इस बात पर सहमत हैं लेकिन हमारी समझ में यह नहीं आ रहा हैं कि किसको अपना मुखिया बनायें, कृपया आप ही...
महाराज कृष्णदेव राय के दरबार में एक दिन एक अरब प्रदेश का व्यापारी घोड़े बेचने आता है। वह अपने घोड़ो का बखान कर के महाराज कृष्णदेव राय को सारे घोड़े खरीदने के लिए राजी कर लेता है तथा अपने घोड़े बेच जाता है। अब महाराज के घुड़साल इतने अधिक घोड़े हो जाते हैं कि उन्हें रखने की जगह नहीं बचती, इसलिए महाराज के आदेश पर बहुत से घोड़ों को विजयनगर के आम नागरिकों और...
एक बार की बात है कि एक समृद्ध व्यापारी , जो सदैव अपने गुरू से परामर्श करके कुछ न कुछ सुकर्म किया करता था, गुरु से बोला-“गुरुदेव, धनार्जन हेतु मैं अपना गाँव पीछे ज़रूर छोड़ आया हूँ, पर हर समय मुझे लगता रहता है कि वहाँ पर एक ऐसा देवालय (मंदिर, मस्जिद, चर्च इत्यादि …) बनाया जाये जिसमें पूजन के साथ-साथ भोजन की भी व्यवस्था हो,अच्छे संस्कारों से...
जुलाई, 1928 के ‘किरती’ में छपे इस लेख में भगतसिंह ने सुभाषचन्द्र बोस और जवाहरलाल नेहरू के विचारों की तुलना की है। असहयोग आन्दोलन की असफलता के बाद जनता में बहुत निराशा और मायूसी फैली। हिन्दू-मुस्लिम झगड़ों ने बचा-खुचा साहस भी खत्म कर डाला। लेकिन देश में जब एक बार जागृति फैल जाए तब देश ज्यादा दिन तक सोया नहीं रह सकता। कुछ ही दिनों बाद जनता बहुत जोश...
एक बौद्ध भिक्षुक भोजन बनाने के लिए जंगल से लकड़ियाँ चुन रहा था कि तभी उसने कुछ अनोखा देखा , “कितना अजीब है ये !”, उसने बिना पैरों की लोमड़ी को देखते हुए मन ही मन सोचा . “ आखिर इस हालत में ये जिंदा कैसे है ?” उसे आशचर्य हुआ , “ और ऊपर से ये बिलकुल स्वस्थ है ” वह अपने ख़यालों में खोया हुआ था की ...
प्राचीन काल में एक अत्यंत धनी व्यापारी बहुत-सी वस्तुओं का कारोबार किया करता था। यद्यपि प्रत्येक स्थान पर उसकी कोठियाँ, गुमाश्ते और नौकर-चाकर रहते थे तथापि वह स्वयं भी व्यापार के लिए देश-विदेश की यात्रा किया करता था। एक बार उसे किसी विशेष कार्य के लिए अन्य स्थान पर जाना पड़ा। वह अकेला घोड़े पर बैठ कर चल दिया। गंतव्य स्थान पर खाने-पीने को कुछ नहीं...
सम्राट अकबर के राज्य में आश्रम में एक संत रहते थे वह सही भविष्यवाणी करने के लिए जाना जाता था एक बार एक आगंतुक जो अपनी भतीजी का इलाज कराने के लिए आया था। बच्चे के माता-पिता लड़की की आँखों के सामने मारे गए थे। उसने संत को देखा, तो उसने जोर से चीखना शुरू कर दिया कि वह संत ही अपराधी था। लड़की के शब्दों से नाराज होकर, संत ने इस जोड़े को अपने बच्चे के...
अकबर बीरबल से तरह-तरह के अजीबो-गरीब प्रश्न पूछा करते थे. कुछ प्रश्न ऐसे भी होते थे जो वह बीरबल की बुद्धि की परीक्षा लेने के लिए पुछते थे. एक बार बादशाह अकबर बीरबल से बोले – बीरबल इस दुनिया में कोई अमीर है कोई गरीब हैं ऐसा क्यों होता है ? सब लोग ईश्वर को परमपिता कहते हैं इस नाते सभी आदमी उनके पुत्र ही हुए. पिता अपने बच्चों को सदा खुशाल देखना चाहता...
एक समय की बात है जब श्रावस्ती नगर के एक छोटे से गाँव में अमरसेन नामक व्यक्ति रहता था। अमरसेन बड़ा होशियार था, उसके चार पुत्र थे जिनके विवाह हो चुके थे और सब अपना जीवन जैसे-तैसे निर्वाह कर रहे थे परन्तु समय के साथ-साथ अब अमरसेन वृद्ध हो चला था ! पत्नी के स्वर्गवास के बाद उसने सोचा कि अब तक के संग्रहित धन और बची हुई संपत्ती का उत्तराधिकारी किसे बनाया...
गोलू एक गरीब लडका था। उसके घर में सिर्फ उसकी माँ और वह खुद दो ही सदस्य थे। गोलू स्कूल जाता और आकर मेहनत मजदूरी का काम करता। उसकी पढाई भी एक दिन छूट गई। गोलू की माँ हमेशा गोलू को अच्छी अच्छी कहानियाँ सुनाती । वह कहती थी कि भगवान अच्छाई और सच्चाई के रास्ते पर चलने वालों की जरूर सुनता है। गोलू भी माँ की बताई हर बात पर अमल करता । गोलू एक सेठ के यहां...
एक दिन एम्प्लाइज जब ऑफिस पहुंचे तो उन्हें गेट पर एक बड़ा सा नोटिस लगा दिखा :” इस कंपनी में जो व्यक्ति आपको आगे बढ़ने से रोक रहा था कल उसकी मृत्यु हो गयी . हम आपको उसे आखिरी बार देखने का मौका दे रहे हैं , कृपया बारी-बारी से मीटिंग हॉल में जाएं और उसे देखने का कष्ट करें .” जो भी नोटिस पढता उसे पहले तो दुःख होता लेकिन फिर जिज्ञासा हो जाती की आखिर वो...
कोनगमन तेईसवें बुद्ध माने जाते हैं। ये भद्वकप्र (भद्र कल्प) के दूसरे बुद्ध हैं । सोभावती के समगवती उद्यान में जन्मे कोनगमन की धर्मपत्नी का नाम रुचिगत्ता था; और उनके पुत्र का नाम सत्तवाहा । सुदस्मन नगर के उद्यान में उनहोंने अपना पहला उपदेश दिया । भिथ्य व उत्तर उनके प्रमुख शिष्य थे और समुद्दा व उत्तरा उनकी प्रमुख शिष्याएँ । कोपगमन का नाम कनकगमन से...
गुरु द्रोणाचार्य, पाण्डवोँ और कौरवोँ के गुरु थे, उन्हेँ धनुर्विद्या का ज्ञान देते थे। एक दिन एकलव्य जो कि एक गरीब शुद्र परिवार से थे । द्रोणाचार्य के पास गये और बोले कि गुरुदेव मुझे भी धनुर्विद्या का ज्ञान प्राप्त करना है आपसे अनुरोध है कि मुझे भी आपका शिष्य बनाकर धनुर्विद्या का ज्ञान प्रदान करेँ। किन्तु द्रोणाचार्य नेँ एकलव्य को अपनी विवशता बतायी...
शहर की तंग गलियों के बीच एक पुरानी ताले की दूकान थी। लोग वहां से ताला-चाबी खरीदते और कभी-कभी चाबी खोने पर डुप्लीकेट चाबी बनवाने भी आते। ताले वाले की दुकान में एक भारी-भरकम हथौड़ा भी था जो कभी-कभार ताले तोड़ने के काम आता था। हथौड़ा अक्सर सोचा करता कि आखिर इन छोटी-छोटी चाबियों में कौन सी खूबी है जो इतने मजबूत तालों को भी चुटकियों में खोल देती हैं जबकि...
मियां शेख चिल्ली चले चोरों के संग “चोरी करने” एक बार अंधेरी रात में मियां शेख चिल्ली अपने घर की ओर चले जा रहे थे। तभी अचानक उनके पास से चार चोर गुज़रे। चुप-चाप दबे पाँव आगे बढ़ रहे चोरों के पास जा कर मियां शेख चिल्ली नें उनसे पूछा कि आप सब इस वक्त कहाँ जा रहे हैं। चोरों नें सोचा कि मियां शेख चिल्ली भी उन्ही की तरह कोई चोर है और साफ-साफ बता दिया कि...
किसी पेड़ पर एक गौरैया अपने पति के साथ रहती थी। वह अपने घोंसले में अंडों से चूजों के निकलने का बेसब्री से इंतज़ार कर रही थी। एक दिन की बात है गौरैया अपने अंडों को से रही थी और उसका पति भी रोज की तरह खाने के इन्तेजाम के लिए बाहर गया हुआ था। तभी वहां एक गुस्सैल हाथी आया और आस-पास के पेड़ पौधों को रौंदते हुए तोड़-फोड़ करने लगा। उसी तोड़ फोड़ के दौरान वह...
एक समय की बात है , एक गाँव में एक आदमी आया और उसने गाँव वालों से कहा कि वो बन्दर खरीदने आया है , और वो एक बन्दर के 10 रुपये देगा । चूँकि गाँव में बहुत सारे बन्दर थे इसलिए गाँव वाले तुरंत ही इस काम में लग गए । उस आदमी ने 10 रूपये की rate से 1000 बन्दर खरीद लिए अब बंदरों की supply काफी घट गयी और धीरे धीरे गाँव वालों ने बन्दर पकड़ने का प्रयास बंद...
शहरजाद ने कहा कि खलीफा हारूँ रशीद के जमाने में बगदाद में एक धनी व्यापारी था। उस का एक ही पुत्र था जिसका नाम अबुल हसन था। व्यापारी बड़ा कंजूस था। वह धन एकत्र ही करता था, खर्च बहुत कम करता था। इसलिए जब वह मरा तो उस ने बेहद धन-दौलत छोड़ी। अबुल हसन का स्वभाव इस से उलटा था। उस ने जब पिता का धन पाया तो दोनों हाथों से खर्च करने लगा। उस ने अपने मित्रों को...
भगत सिंह और बुटकेश्वर दत्त की ओर से जेल से भेजा गया यह पत्र 19अक्तूबर, 1929 को पंजाब छात्र संघ, लाहौर के दूसरे अधिवेशन में पढ़कर सुनाया गया था। अधिवेशन के सभापित थे सुभाषचंद्र बोस।- सं. इस समय हम नौजवानों से यह नहीं कह सकते कि वे बम और पिस्तौल उठाएँ। आज विद्यार्थियों के सामने इससे भी अधिक महत्वपूर्ण काम है। आनेवाले लाहौर अधिवेशन में कांग्रे़स देश...
एंक गांव में सुबह एक यात्री आया उसने अपने घोडे को रोका , गांव के दरवाजे पर बैठे हुए एक बुढे आदमी से उसने पुछा- इस गांव के लोग कैंसे है ? मैं इस गांव में ठहरना चाहता हूं, इसी गांव में निवास करना चाहता हूं। उस बुढे आदमी ने कहा- मेरे मित्र पहले मेैं तुमसे यह पुछूंगा कि तुम जिस गांव को छोडकर आ रहे हो उस गांव के लोग कैंसे थे ? उसने कहा उस गांव के लोगों...