लक्खण मृग की -जातक कथा

हजारों साल पहले मगध जनपद के एक निकटवर्ती वन में हजार हिरणों का एक समूह रहता था जिसके राजा के दो पुत्र थे- लक्खण और काल। जब मृगराज वृद्ध होने लगा तो उसने अपने दोनों पुत्रों को उत्तराधिकारी घोषित किया और प्रत्येक के संरक्षण में पाँच-पाँच सौ मृग प्रदान किए ताकि वे सुरक्षित आहार-विहार का आनंद प्राप्त कर सकें। उन्हीं दिनों फसल काटने का समय भी निकट था...

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कबीर के दोहे – सर्वव्यापक ईश्वर/Omnipotent God

मैं जानू हरि दूर है हरि हृदय भरपूर मानुस ढुढंहै बाहिरा नियरै होकर दूर। लोग ईश्वर को बहुत दूर मानते हैं पर परमात्मा हृदय में पूर्णतः विराजमान है। मनुष्य उसे बाहर खोजता है परंतु वह निकट होकर भी दूर लगता है। Mai janu Hari door hai Hari hirday bharpoor Manush dhudhai bahira niaray hokar door . I know the God is far away but God is fully in heart...

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साम्प्रदायिक दंगे और उनका इलाज – भगत सिंह (1928)

1919 के जालियँवाला बाग हत्याकाण्ड के बाद ब्रिटिष सरकार ने साम्प्रदायिक दंगों का खूब प्रचार शुरु किया। इसके असर से 1924 में कोहाट में बहुत ही अमानवीय ढंग से हिन्दू-मुस्लिम दंगे हुए। इसके बाद राष्ट्रीय राजनीतिक चेतना में साम्प्रदायिक दंगों पर लम्बी बहस चली। इन्हें समाप्त करने की जरूरत तो सबने महसूस की, लेकिन कांग्रेसी नेताओं ने हिन्दू-मुस्लिम नेताओं...

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किस्सा वजीर का – अलिफ लैला

प्राचीन समय में एक राजा था उसके राजकुमार को मृगया का बड़ा शौक था। राजा उसे बहुत चाहता था, राजकुमार की किसी इच्छा को अस्वीकार नहीं करता था। एक दिन राजकुमार ने शिकार पर जाना चाहा। राजा ने अपने एक अमात्य को बुलाकर कहा कि राजकुमार के साथ चले जाओ; तुम्हें सब रास्ते मालूम हैं, राजकुमार को नहीं मालूम, इसलिए एक क्षण के लिए भी राजकुमार का साथ न छोड़ना।...

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बंदर का कलेजा और मगरमच्छ ~ पंचतंत्र

किसी नदी के किनारे एक बहुत बड़ा पेड़ था । उस पर एक बंदर रहता था। उस पेड़ पर बड़े मीठे-रसीले फल लगते थे । बंदर उन्हें भरपेट खाता और मौज उड़ाता । वह अकेला ही मजे में दिन गुजार रहा था। एक दिन एक मगर कहीं से निकलकर उस पेड़ के तले आया, जिस पर बंदर रहता था। पेड़ पर से बंदर ने पूछा, ‘तू कौन है भाई?’ मगर ने बंदर की ऒर देखकर कहा, ‘मैं मगर...

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चाणक्य नीति : सत्रहवां अध्याय

1. वह विद्वान जिसने असंख्य किताबो का अध्ययन बिना सदगुरु के कर लिया वह विद्वानों की सभा में एक सच्चे विद्वान के रूप में सम्मानित नहीं होता, जिस प्रकार एक नाजायज औलाद को दुनिया में कोई प्रतिष्ठा हासिल नहीं होती. 2. हमें दुसरो से जो मदद प्राप्त हुई है उसे हमें लौटना चाहिए. उसी प्रकार यदि किसीने हमसे यदि दुष्टता की है तो हमें भी उससे दुष्टता करनी...

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मेहनतकश वर्ग के चेतना की दुनिया में प्रवेश करने का जश्न – लेनिन

”मेहनतकश साथियो! ”मेहनतकश साथियो! मई दिवस आ रहा है। वह दिन, जब तमाम देशों के मेहनतकश वर्ग चेतना की दुनिया में प्रवेश करने का जश्न मनाते हैं, इन्सान के हाथों इन्सान के शोषण और दमन के ख़िलाफ अपनी संघर्षशील एकजुटता का इज़हार करते हैं, करोड़ों मेहनतकशों को भूख, ग़रीबी और ज़िल्लत की ज़िन्दगी से आज़ाद कराने की प्रतिज्ञा करते हैं। इस महान संघर्ष में दो...

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पडोसी

इमाम अबू हनीफ के पड़ोस में एक मोची रहता था. वह दिन भर तो अपनी झोंपड़ी के दरवाज़े पर सुकून से बैठकर जूते गांठता रहता मगर शाम को शराब पीकर उधम मचाता और जोर-जोर से गाने गाता. इमाम अपने मकान के किसी कोने में रात भर हर चीज़ से बेपरवा इबादत में मशगूल रहते. पडोसी का शोर उनके कानो तक पहुँचता मगर उन्हें कभी गुस्सा नहीं आता. एक रात उन्हें उस मोची का शोर...

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तीन मुर्तिया

एक बुजुर्ग शिल्पी ने तीन मूर्तिया बनायी थी, तीनों मूर्तिया देखने में एक जैसी ही थी पर मूर्तियोे की आतंरिक रचनाओं मे फर्क था। शिल्पी इन तीनों मूर्तियों को लेकर बादशाह अकबर के दरबार में आया और बोला हूजूर यह तीनों मूर्तिंयां देखनें में तो एक जैसी हैं, लेकिन इनमें से एक र्मूिंर्त दो से श्रेष्ठ है। आप बीरबल से कहिये की वह श्रेष्ठ मूर्तिं की पहचान करें...

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बुढ़िया की सुई

एक बार किसी गाँव में एक बुढ़िया रात के अँधेरे में अपनी झोपडी के बहार कुछ खोज रही थी .तभी गाँव के ही एक व्यक्ति की नजर उस पर पड़ी , “अम्मा इतनी रात में रोड लाइट के नीचे क्या ढूंढ रही हो ?” , व्यक्ति ने पूछा. ” कुछ नहीं मेरी सुई गम हो गयी है बस वही खोज रही हूँ .”, बुढ़िया ने उत्तर दिया. फिर क्या था, वो व्यक्ति भी महिला की मदद करने के लिए रुक गया और...

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उधारी के पैसे

एक दिन किसी गरीब ने रात में सपना देखा कि उसे अपने मित्र से 100 रुपये उधार मिले है। सवेरे जब नींद खुली तो उसका अच्छा या बूरा फल जानने की इच्छा हुई, उसने अपने मित्रों में बैठकर इस बात की चर्चा की । धीरे-धीरे यह खबर बिजली की तरह फेल गयी यहां तक कि उस मित्र ने भी इस बात को सुना जिससे कि गरीब ने सपने में 100 रुपये लिये थे। उसे लालच आ गया, उसने सोचा कि...

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पहली पुतली रत्नमंजरी~राजा विक्रम के जन्म तथा सिंहासन प्राप्ति की कथा!

पहली पुतली रत्नमंजरी राजा विक्रम के जन्म तथा इस सिंहासन प्राप्ति की कथा बताती है। वह इस प्रकार है: आर्यावर्त में एक राज्य था जिसका नाम था अम्बावती। वहाँ के राजा गंधर्वसेन ने चारों वर्णों की स्त्रीयों से चार विवाह किये थे। ब्राह्मणी के पुत्र का नाम ब्रह्मवीत था। क्षत्राणी के तीन पुत्र हुए- शंख, विक्रम तथा भर्तृहरि। वैश्य पत्नी ने चन्द्र नामक पुत्र...

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सबसे बड़ा काम किसने किया? – बेताल पच्चीसी सोलहवीं कहानी!

हिमाचल पर्वत पर गंधर्वों का एक नगर था, जिसमें जीमूतकेतु नामक राजा राज करता था। उसके एक लड़का था, जिसका नाम जीमूतवाहन था। बाप-बेटे दोनों भले थे। धर्म-कर्म मे लगे रहते थे। इससे प्रजा के लोग बहुत स्वच्छन्द हो गये और एक दिन उन्होंने राजा के महल को घेर लिया। राजकुमार ने यह देखा तो पिता से कहा कि आप चिन्ता न करें। मैं सबको मार भगाऊँगा। राजा बोला...

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मूर्ख मित्र ~ पंचतंत्र

किसी राजा के राजमहल में एक बन्दर सेवक के रुप में रहता था । वह राजा का बहुत विश्वास-पात्र और भक्त था । अन्तःपुर में भी वह बेरोक-टोक जा सकता था । एक दिन जब राजा सो रहा था और बन्दर पङखा झल रहा था तो बन्दर ने देखा, एक मक्खी बार-बार राजा की छाती पर बैठ जाती थी । पंखे से बार-बार हटाने पर भी वह मानती नहीं थी, उड़कर फिर वहीं बैठी जाती थी । बन्दर को क्रोध...

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चाणक्य नीति : दसवां अध्याय

1. जिसके पास धन नहीं है पर ज्ञान और बुद्धि है उस को निर्धन और गरीब कहा नहीं जा सकता, लेकिन जिसके पास विद्या और बुद्धि नहीं है वह तो सब प्रकार से निर्धन है. 2. हम अपना हर कदम फूक फूक कर रखे. हम छाना हुआ जल पिए. हम वही बात बोले जो तार्किक है. हम वही काम करे जिसके बारे हम सावधानीपुर्वक सोच चुके है. 3. जिसे अपने इन्द्रियों की तुष्टि चाहिए, वह विद्या...

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गधे का रास्ता

एक छोटे से गाँव में भोलू नाम का एक गधा रहता था। वह गाँव बाकी दुनिया से बिलकुल कटा हुआ था, न वहां कोई आता था और न वहां से कोई कहीं जाता था। एक बार गधे ने सोचा क्यों ना जंगल के उस पार जाकर देखा जाए कि आखिर उस तरफ है क्या? अगले दिन भोर में ही वह जंगल की ओर बढ़ चला। जंगल घना था और गधा मूर्ख। बिना सोचे समझे उसे जिधर मन करता उधर चल पड़ता। जैसे-तैसे करके...

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शिवजी के नंदी

शिव के गण नंदी की कहानी पौराणिक दंत कथा अनुसार, एक बार शिवजी के निवास स्थान पर कुछ दुष्ट व्यक्ति प्रवेश कर जाते हैं। इस बात का बोध होते ही शिवजी नंदी को कुछ निर्देश देना के लिए बुलाते हैं लेकिन अतिउत्साही नंदी शिवजी को अनसुना कर के उन दुष्टों के पीछे भाग पड़ता है। नंदी के इस अबोध आचरण से क्रोधित हो कर भगवान शिव नंदी को आज्ञा देते हैं- आज से...

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छठी पुतली रविभामा ~ विक्रमादित्य की परीक्षा!

छठी पुतली रविभामा ने जो कथा सुनाई वह इस प्रकार है: एक दिन विक्रमादित्य नदी के तट पर बने हुए अपने महल से प्राकृतिक सौन्दर्य को निहार रहे थे। बरसात का महीना था, इसलिए नदी उफन रही थी और अत्यन्त तेज़ी से बह रही थी। इतने में उनकी नज़र एक पुरुष, एक स्री और एक बच्चे पर पड़ी। उनके वस्र तार-तार थे और चेहरे पीले। राजा देखते ही समझ गए ये बहुत ही निर्धन हैं।...

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अडोल्फ़ हिटलर के अनमोल विचार

विजेता से कभी नहीं पूछा जायेगा कि क्या उसने सच कहा था. सभी महान आन्दोलन लोक्रप्रिय आन्दोलन होते हैं।  वे मानवीय जूनून और भावनाओं का विस्फोट होते हैं , जो कि विनाश की देवी या  लोगों के बीच बोले गए शब्दों की मशाल के द्वारा क्रियान्वित किये जाते हैं . सभी प्रचार लोकप्रिय होने चाहिए और इन्हें  जिन तक पहुचाना है उनमे से सबसे कम बुद्धिमान व्यक्ति के भी...

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लालची नाग और मेढकों का राजा ~ पंचतंत्र

एक कुएं में बहुत से मेंढक रहते थे। उनके राजा का नाम था गंगदत्त। गंगदत्त बहुत झगडालू स्वभाव का था। आसपास दो तीन और भी कुएं थे। उनमें भी मेंढक रहते थे। हर कुएं के मेंढकों का अपना राजा था। हर राजा से किसी न किसी बात पर गंगदत्त का झगडा चलता ही रहता था। वह अपनी मूर्खता से कोई ग़लत काम करने लगता और बुद्धिमान मेंढक रोकने की कोशिश करता तो मौक़ा मिलते ही...

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किसी भी विज्ञापन को विश्वास करने से पहले जांच करें ।

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