महात्मा बुद्ध के समय की बात है। उन दिनों मृत्यु के पश्चात आत्मा को स्वर्ग में प्रवेश कराने के लिए कुछ विशेष कर्मकांड कराये जाते थे। होता ये था कि एक घड़े में कुछ छोटे-छोटे पत्थर डाल दिए जाते और पूजा-हवन इत्यादि करने के बाद उस पर किसी धातु से चोट की जाती, अगर घड़ा फूट जाता और पत्थर निकल जाते तो उसे इस...
Category - मनोहर कहानियाँ
एक दस वर्षीय लड़का रोज अपने पिता के साथ पास की पहाड़ी पर सैर को जाता था। एक दिन लड़के ने कहा, “पिताजी चलिए आज हम दौड़ लगाते हैं, जो पहले चोटी पे लगी उस झंडी को छू लेगा वो रेस जीत जाएगा!” पिताजी तैयार हो गए। दूरी काफी थी, दोनों ने धीरे-धीरे दौड़ना शुरू किया। कुछ देर दौड़ने के बाद पिताजी अचानक ही रुक गए।...
बहुत पुरानी बात है मगध राज्य में एक सोनापुर नाम का गाँव था। उस गाँव के लोग शाम होते ही अपने घरों में आ जाते थे। और सुबह होने से पहले कोई कोई भी घर के बाहर कदम भी नहीं रखता था।इसका कारण डाकू अंगुलीमाल था। डाकू अंगुलीमाल मगध के जंगलों की गुफा में रहता था। वह लोगों को लूटता था और जान से भी मार देता...
एक दार्शनिक अपने एक शिष्य के साथ कहीं से गुजर रहा था। चलते-चलते वे एक खेत के पास पहुंचे। खेत अच्छी जगह स्थित था लेकिन उसकी हालत देखकर लगता था मानो उसका मालिक उस पर जरा भी ध्यान नहीं देता है। खैर, दोनों को प्यास लगी थी सो वे खेत के बीचो-बीच बने एक टूटे-फूटे घर के सामने पहुंचे और दरवाज़ा खटखटाया।...
राजा महेन्द्रनाथ हर वर्ष अपने राज्य में एक प्रतियोगिता का आयोजन करते थे, जिसमें हजारों की संख्या में प्रतियोगी भाग लिया करते थे और विजेता को पुरुस्कार से सम्मानित किया जाता है। एक दिन राजा ने सोचा कि प्रजा की सेवा को बढ़ाने के लिए उन्हें एक राजपुरूष की आवश्यकता है जो बुद्धिमान हो और समाज के कार्य...
एक दिन एक बौद्ध सन्यासी अपने शिष्यों के साथ एकदम शांत बैठे हुए थे। उन्हें इस प्रकार बैठे हुए देख उनके शिष्य चिंतित हुए कि कहीं वे अस्वस्थ तो नहीं हैं। एक शिष्य ने उनसे पूछा कि आज वह मौन क्यों बैठे हैं। क्या शिष्यों से कोई गलती हो गई है ? इसी बीच एक अन्य शिष्य ने पूछा कि क्या वह अस्वस्थ हैं ? पर...
किसी गांव में बरगद का एक पेड़ बहुत वर्षों से खड़ा था। गांव के सभी लोग उसकी छाया में बैठते थे, गांव की महिलाएं त्यौहारों पर उस वृक्ष की पूजा किया करती थीं। ऐसे ही समय बीतता गया। और कई वर्षों बाद वृक्ष सूखने लगा। उसकी शाखाएं टूटकर गिरने लगीं और उसकी जड़ें भी अब कमजोर हो चुकी थीं। गांववालों ने विचार किया...
आदरणीय मास्टर जी, मैं भोला हूँ, आपका पुराना छात्र. शायद आपको मेरा नाम भी याद ना हो, कोई बात नहीं, हम जैसों को कोई क्या याद रखेगा. मुझे आज आपसे कुछ कहना है सो ये चिट्ठी डाक बाबु से लिखवा रहा हूँ. मास्टर जी मैं 6 साल का था जब मेरे पिताजी ने आपके स्कूल में मेरा दाखिला कराया था. उनका कहना था कि सरकारी...
एक छोटे से गाँव में भोलू नाम का एक गधा रहता था। वह गाँव बाकी दुनिया से बिलकुल कटा हुआ था, न वहां कोई आता था और न वहां से कोई कहीं जाता था। एक बार गधे ने सोचा क्यों ना जंगल के उस पार जाकर देखा जाए कि आखिर उस तरफ है क्या? अगले दिन भोर में ही वह जंगल की ओर बढ़ चला। जंगल घना था और गधा मूर्ख। बिना सोचे...
एक छोटे से कसबे में समीर नाम का एक लड़का रहता था। बचपन में ही पिता की मृत्यु हो जाने के कारण परिवार की आर्थिक स्थिति बड़ी दयनीय थी, समीर की माँ कुछ पढ़ी-लिखी ज़रुर थीं लेकिन उतनी पढाई से नौकरी कहाँ मिलने वाली थी सो घर-घर बर्तन मांज कर और सिलाई-बुनाई का काम करके किसी तरह अपने बच्चे को पढ़ा-लिखा रही थीं।...