Category - मनोहर कहानियाँ

नन्दीविसाल -जातक कथा

दान में प्राप्त बछड़े को एक ब्राह्मण ने बड़े ही ममत्व के साथ पाला-पोसा और उसका नाम नन्दीविसाल रखा । कुछ ही दिनों में वह बछड़ा एक बलिष्ठ बैल बन गया । नन्दीविसाल बलिष्ठ ही नहीं एक बुद्धिमान और स्वामिभक्त बैल था । उसने एक दिन ब्राह्मण के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करते हुए कहा, ” हे ब्राह्मण ! आपने...

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उल्लू का राज्याभिषेक -जातक कथा

कौवों और उल्लुओं की शत्रुता बड़ी पुरानी है । जैसे मनुष्यों ने एक सर्वगुण-सम्पन्न पुरुष को अपना अधिपति बनाते हैं; जानवरों ने सिंह को ; तथा मछलियों ने एक विशाल मत्स्य को । इससे प्रेरित हो कर पंछियों ने भी एक सभा की और उल्लू को भारी मत से राजा बनाने का प्रस्ताव रखा । राज्याभिषेक के ठीक पूर्व पंछियों ने...

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श्राद्ध-संभोजन -जातक कथा

श्राद्ध-भोज के लिए किसी ब्राह्मण ने एक बार एक बकरे की बलि चढ़ाने की तैयारी आरंभ की । उसके शिष्य बकरे को नदी में स्नान कराने ले गये । नहाने के समय बकरा एकाएक बडी जोर से हँसने लगा ; फिर तत्काल दु:ख के आँसू बहाने लगा । उसके विचित्र व्यवहार से चकित हो कर शिष्यों ने उससे जब ऐसा करने का कारण जानना चाहा...

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बंदर का हृदय -जातक कथा

किसी नदी के तट पर एक वन था। उस वन में एक बंदर निवास करता था, जो वन के फल आदि खा कर अपना निर्वाह करता था। नदी में एक टापू भी था और टापू और तट के बीच में एक बड़ी सी चट्टान भी थी। जब कभी बंदर को टापू के फल खाने की इच्छा होती वह उस चट्टान पर उस टापू पर पहुँच जाता और जी भर अपने मनचाहे फलों का आनंद उठाता।...

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बुद्धिमान् मुर्गा -जातक कथा

अपने सैकड़ों रिश्तेदारों के साथ किसी वन में एक मुर्गा रहता था । अन्य मुर्गों से वह कहीं ज्यादा बड़ा और हृष्ट-पुष्ट भी था । उसी वन में एक जंगली बिल्ली रहती थी । उसने मुर्गे के कई रिश्तेदारों को मार कर चट कर लिया था । उसकी नज़र अब उस मोटे मुर्गे पर थी । अनेक यत्न करने पर भी वह उसे पकड़ नहीं पाती थी ।...

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व्याघ्री-कथा -जातक कथा

कुलीन वंश में पैदा हो कर एक बार एक ज्ञानी संसार से वितृष्ण हो संन्यासी का जीवन-यापन करने लगा । उसके आध्यात्मिक विकास और संवाद से प्रभावित हो कुछ ही दिनों में अनेक सन्यासी उसके अनुयायी हो गये। एक दिन अपने प्रिय शिष्य अजित के साथ जब वह एक वन में घूम रहा था तब उसकी दृष्टि वन के एक खड्ड पर पड़ी जहाँ भूख...

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कबूतर और कौवा -जातक कथा

प्राचीन इंडिया में कई बार लोग पक्षियों के आवागमन के लिए घर के आस-पास दानों से भर कर टोकरियाँ लटका रखते थे। राजा के कोषाध्यक्ष के रसोइयों ने भी ऐसा कर रखा था। उन्हीं टोकरियों में से एक में एक कबूतर ने डेरा जमा रखा था जो रात भर तो उसमें रहता फिर शाम ढलते ही वापस अपनी टोकरी में लौट आता। एक दिन एक कौवा...

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रोमक कबूतर -जातक कथा

हिमालय पर्वत की किसी कंदरा में कभी रोमक नाम का एक कपोत रहता था। शीलवान्, गुणवान् और अतिमान वह सैकडों कपोतों का राजा भी था। उस पहाड़ के निकट ही एक सँयासी की कुटिया थी। रोमक प्राय: उस सँयासी के पास जाता और उसके प्रवचन का आनन्द उठाया करता था । एक दिन वह सँयासी अपनी उस कुटिया को छोड़ किसी दूसरी जगह चला...

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रुरदीय हिरण -जातक कथा

एक वन में एक हिरण रहता था जो हिरणों के गुर(Tricks) और कलाबाजियों में अत्यंत पटु था । एक दिन उसकी बहन अपने एक नन्हे हिरण खरदीय को लेकर उसके पास आई और उससे कहा, “भाई! तुम्हारा भाँजा निठल्ला है; और हिरणों के गुर से भी अनभिज्ञ। अच्छा हो यदि तुम इसे अपने सारे गुर सिखला दो।” हिरण ने अपने...

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कृतघ्न वानर -जातक कथा

वाराणसी के निकट कभी एक शीलवान गृहस्थ रहता था, जिसके घर के सामने का मार्ग वाराणसी को जाता था। उस मार्ग के किनारे एक गहरा कुआँ था जिसके निकट लोगों ने पुण्य-लाभ हेतु जानवरों को पानी पिलाने के लिए एक द्रोणि बाँध रखी थी । अनेक आते-जाते राहगीर जब कुएँ से पानी खींचते तो जानवरों के लिए भी द्रोणि में पानी...

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