रहीम जी मध्यकालीन सामंतवादी संस्कृति के कवि थे। रहीम का व्यक्तित्व बहुमुखी प्रतिभा-संपन्न था। वे एक ही साथ सेनापति, प्रशासक, आश्रयदाता, दानवीर, कूटनीतिज्ञ, बहुभाषाविद, कलाप्रेमी, कवि एवं विद्वान थे। रहीम सांप्रदायिक सदभाव तथा सभी संप्रदायों के प्रति समादर भाव के सत्यनिष्ठ साधक थे। वे इंडियन सामासिक संस्कृति के अनन्य आराधक थे। रहीम कलम और तलवार के धनी थे और मानव प्रेम के सूत्रधार थे। और पढ़िए: रहीम – विकिपीडिया
रहीम जी ने अपने दोहों में महान क्रांतिकारी अनुभवों का वर्णन किया है । सभी धर्मों , पंथों , वर्गों में प्रचलित कुरीतियों पर उन्होंने मर्मस्पर्शी प्रहार किया है तथा धर्म के वास्तविक स्वरुप को उजागर किया हैं । इसी कारण उनके दोहे आज भी जीवंत एवं प्रभावोत्पादक हैं।
रहीम जी के 300+ दोहे निम्नांकित 10 खंडों में पठनीय हैं।
नियंत्रण/Self control
चेतावनी/warning
दान/Charity
मित्रता/Friendship
मदद/Help
प्रेम/Love
समय/Time
बड़प्पन/Greatness
संगति/Company
भक्ति/Devotion