किसी शहर में मोहन नाम का एक व्यक्ति रहता था। वह बहुत ही मेहनती और ईमानदार था , साथ ही वह लोगों की मदद के लिए भी हमेशा तैयार रहता था। पर बावजूद इन गुणों के उसे जीवन में सफलता नहीं मिल पा रही थी। वह जो सपनो का घर भी पाना चाहता उसके लिए खूब मेहनत करता , पर अंततः उसे नहीं पा पाता। जीवन यूँही बीतता गया और अंत में एक दिन उसकी मृत्यु हो गयी।
चूँकि मोहन ने अच्छे कर्म किये थे ,इसलिए मृत्यु के बाद देवदूत उसे स्वर्ग ले गए।
स्वर्ग पहुँचते ही मोहन की आँखें खुली की खुली रह गयी , उसने कभी इतनी सुन्दर और भव्य जगह की कल्पना भी नहीं की थी। उसने कौतूहलवश पुछा , ” क्या अब मुझे इसी जगह रहने को मिलेगा। “
“हाँ “, देवदूत ने जवाब दिया।
यह सुनकर मोहन गदगद हो गया।
” चलिए मैं आपको आपके निवास तक ले चलता हूँ !” , देवदूत ने अपने पीछे आने का इशारा करते हुए कहा।
थोड़ी दूर चलने पर एक शानदार घर आया , जिसके बाहर मोहन का नाम लिखा था।
देवदूत मोहन को घर दिखाने लगा, ” ये आपका शयन कक्ष है , यह दूसरा कक्ष आपके मनोरंजन के लिए है , और ऐसा करते-करते वे एक ऐसे कक्ष के सामने पहुंचे जिसके द्वार पर ” स्वप्न कक्ष ” लिखा था।
अंदर प्रवेश करते ही मोहन स्तब्ध रह गया , वहां ढेर सारी चीजों के छोटे-छोटे प्रतिरूप रखे थे। और ये वही चीजें थी जिन्हे पाने की कभी उसने कल्पना की थी।
मोहन ने उन चीजों की तरफ इशारा करते हुए कहा , ” हे देवदूत ! ये तमाम वस्तुएं , ये कार , ये घर , ये आईएएस अधिकारी का पद , इत्यादि। …ये तो वही हैं जिन्हे मैंने पाने की ना सिर्फ कल्पना की थी बल्कि इनके लिए खूब मेहनत भी की थी। तो भला ये सब मुझे वहां धरती पर क्यों नहीं मिलीं ? और यहाँ पर इनके इन छोटे-छोटे प्रतिरूपों के रखे होना का क्या अर्थ है ?”
देवदूत बोला , ” हर व्यक्ति अपने जीवन में ढेर सारी इच्छाएं रखता है। पर वह कुछ ही इच्छाओं को पूर्ण करने के बारे में गंभीरता से सोचता है और फिर उसके लिए मेहनत करता है। ईश्वर और ये सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड उन सपनो को पूरा करने में उसकी मदद भी करते हैं , पर कई बार इंसान सपनो के पूर्ण होने से ठीक पहले ही अपना प्रयास बंद कर देता है। यहाँ रखी वस्तुएं उन्ही इच्छाओं को दर्शाती हैं जिनके लिए तुमने खूब मेहनत की और जब वे तुम्हे दी जाने वाली ही थीं कि तभी तुम हिम्मत हार गए और वे यहीं रखी रह गयीं। “
Friends, सफल व्यक्तियों का एक बहुत बड़ा गुण होता है persistence या दृढ़ता। वे जो पाना चाहते हैं उसके लिए दृढ होते हैं , वे भले ही उसे पाने के प्रयास में बार-बार विफल होते रहें पर वे तब तक नहीं रुकते जबतक की उसे पा नहीं लेते। इसलिए अगर आपने भी अपने लिए कोई लक्ष्य बना रखे हुए हैं तो तमाम मुश्किलों के बावजूद उन लक्ष्यों को अधूरा मत छोड़िये। … याद रखिये कहीं न कहीं आपके सपनो के प्रतिरूप भी तैयार किये जा रहे हैं …..उन्हें सपना ही मत रहने दीजिये ….अपने सपनो का पीछा करते रहिये … और उन्हें अपने जीवन की हक़ीक़त बनाकर ही दम लीजिये।