एक बार अकबर बादशाह ने एक कारीगर को बख्तर बंद लोहे का वस्त्र, जिसे फौजी युद्ध के अवसर पर धारण करते हैं बनाने का आदेश दिया। राजा के आदेशनुसार कुछ दिन के बाद कारीगर ने बख्तर बंद तैयार करके बादशाह के सामने हाजिर कर दिया।
इसे बनाने में कारीगर ने कोई कसर बाकी नहीं रखी थी। अकबर बादशाह को वह लोहे का वस्त्र बहुत पंसद आया, लेकिन दूसरे ही क्षण उन्हें उसकी मजबूती पर शक होने लगा। उन्होेन वह वस्त्र एक टाट के पुतले को पहनाने की आज्ञा दी और तलवार लेकर स्वयं उसकी मजबूती की परीक्षा के लिए आगे बडे। जैसे ही अकबर ने उस बखतर बंद पर वार किया वह एक वार में ही फट गया।
यह देख बादशाह क्रोधित हो उठे और बोले इतना कमजोर बख्तर….. अरे मूर्ख इसे हम बिना परखे किसी युद्ध में ले जाते तो इससे क्या बचाव होता ? जाओं दूसरा मजबूत बख्तर बनाकर लाओं मगर याद रहे वह भी इसकी तरह कमजोर हुआ तो तुम्हारी गरदन उडा दी जायेगीं |
अकबर बादशाह का क्रोध पूर्ण हुक्म सुनकर कारीगर भयभीत हो गया लेकिन वह करता भी क्या, वह अकबर बादशाह को अदब से सलाम करके अपने घर वापस लौट आया। उसका उतरा चेहरा देखकर उसकी पत्नी ने कारण पूछा, तब कारीगर ने अकबर बादशाह की आज्ञा की बात बताते हुए कहा अब मेरी जान बचनी कठिन है। उसकी पत्नी बहुत चतुर थी, कहने लगी क्यो जरा सी बात पर भयभीत होते हो, बीरबल के पास जाकर बचने का कोई उपाय क्यों नही पूछते ? पत्नी की बात से प्रोत्साहित होकर कारीगर बीरबल के पास गया और सारी बातें बताकर प्राणदान की प्रार्थना की।
बीरबल ने उसे ढांढस बनाते हुए कहा तुम अकबर बादशाह के यहाँ वह लोहे का बख्तर बनाकर ले जाना जब अकबर बादशाह काठ के पुतले को बख्तर पहनाने की आज्ञा दे तो उनसे कहना इसकी परीक्षा काठ के पुतले पर नहीं हो सकती मैं स्वयं इसको धारण कर लेता हूं, तब अकबर बादशाह अवश्य तुम्हारी प्रार्थना स्वीकार कर लेंगे किन्तु ध्यान रखना जैसे ही बख्तर पर तलवार चलाने के लिए वे या कोई और झपटे वैसे ही तुम एकाएक चिल्लाकर बडी भंयकर स्थिति उत्पन्न कर देना।
ताकि उसका हाथ कांप जायें और वह व्याकुल होकर दूर खडा हो जाए, यदि उपयुक्त कार्य भली भांति कर सके तो निष्चित ही तुमहारे प्राण बच जायेंगे । अकबर बादशाह के पूछने पर कारण यह बताना कि मेरे इस बख्तर को पहनने वाला काठ का पुतला तो होगा नहीं कुछ न कुछ शक्ति तो अवष्य रखता होगा फिर वह अपने प्रतिद्वंदी को अपने आस-पास ही क्यो फटकने देगा?
और यदि कोई दुश्मन पास आ भी जाये तो बख्तरबंद पहनने वाले की शकी का कुछ न कुछ खौफ तो होगा ही और वह इस तरह आसानी से बख्तर तोड नही पायेगा। बीरबल की बताई हुई युक्ति कारीगर को समझ में आ गई। दो-तीन दिन बाद लोहे का दूसरा बख्तर बनाकर वह अकबर बादशाह के दरबार में गया। अकबर बादशाह ने बख्तर पुनः काठ के पुतले को पहनाने की आज्ञा दी। कारीगर ने बीरबल की बताई बात को देाहराकर अकबर से प्रार्थना की कि उसी के शारीर पर बख्तर की परीक्षा हो अकबर बादशाह ने उसकी प्रार्थना स्वीकार कर ली और एक चतुर सिपाही को होशियारी से लतवार चलाकर बख्तर की परीक्षा लेने की आज्ञा दी । सिपाही ने जैसे ही तलवार चलाने को उठाई वैसे ही बडे जोर से कडक कर कारीगर सिपाही की तरफ लपका सिपाही की तलवार उठी की उठी रह गई और वह भयभीत होकर दूर जाकर खडा हुआं अकबर बादशाह ने कारीगर से ऐसा करने का कारण पूछा कारीगर ने बीरबल के सिखाये अनुसार अकबर को जवाब दे दिया। अकबर बादशाह यह सुनकर बोले, कारीगर तुम्हारी बात तो ठीक हैं परन्तु सच सच बताओं तुम्हें यह सलाह किसने दी ? करीगर ने सच्ची बात भरे दरबार मे कह दी। बीरबल की चतुराई से अकबर बादशाह ओर सभी दरबारी अत्यधिक प्रसन्न हुए।