चाणक्य नीति : बारहवां अध्याय

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1. वह एक धन्य गृहस्थ है जिसके घर में एक आनंदमय माहौल है. जिसके बच्चे गुणी है. जिसकी पत्नी मधुर वाणी बोलती है. जिसके पास अपनी जरूरते पूरा करने के लिए पर्याप्त धन है. जो अपनी पत्नी से सुखपूर्ण सम्बन्ध रखता है. जिसके नौकर उसका कहा मानते है. जिसके घर में मेहमान का स्वागत किया जाता है.

2. वे लोग जो इस दुनिया में सुखी है, जो अपने संबंधियों के प्रति उदार है, अनजाने लोगो के प्रति सह्रदय है, अच्छे लोगो के प्रति प्रेम भाव रखते है, दुष्टों से दूर रहते हैं, विद्वानों से कुछ नहीं छुपाते, दुश्मनों के सामने साहस दिखाते है, बड़ो के प्रति विनम्र और पत्नी के प्रति सख्त है.

3. अरे लोमड़ी !!! उस व्यक्ति के शरीर को तुरंत छोड़ दे. जिसके हाथो ने कोई दान नहीं दिया. जिसके कानो ने कोई विद्या ग्रहण नहीं की. जिसके आँखों ने सच्चा प्रेम नहीं देखा. जिसके पाँव कभी ज्ञान विहार में नहीं गए. जिसने असत कर्म के मार्ग से कमाए हुए धन से अपना पेट भरा. और जिसने बिना मतलब ही अपना सर ऊँचा उठा रखा है. अरे लोमड़ी !! उसे मत खा. नहीं तो तू दूषित हो जाएगा.

4. बसंत ऋतू क्या करेगी यदि बाँस पर पत्ते नहीं आते. सूर्य का क्या दोष यदि उल्लू दिन में देख नहीं सकता. बादलो का क्या दोष यदि बारिश की बूंदे चातक पक्षी की चोच में नहीं गिरती. उसे कोई कैसे बदल सकता है जो किसी के मूल में है.

5. सत्य मेरी माता है. ज्ञान मेरा पिता है. सत कर्म आचरण मेरा भाई है. दया मेरा मित्र है. मन की शांति मेरी पत्नी है. क्षमा मेरा पुत्र है. मेरे परिवार में ये छह लोग है.

6. हमारे शरीर विनाशकारी हैं. धन स्थायी नहीं है और मृत्यु हमेशा पास है. इसीलिए हमें सत कर्म करने चाहिए.

7. जो दुसरे के पत्नी को अपनी माता मानता है, दुसरे के धन को मिटटी का ढेला, दुसरे के सुख दुःख को अपने सुख दुःख. उसी को सही दृष्टी प्राप्त है.

8. विद्या सफ़र में हमारा मित्र है. पत्नी घर पर मित्र है. औषधि रुग्ण व्यक्ति की मित्र है. मरते वक्त तो पुण्य कर्म ही मित्र है.

9. राजकुमारों से सौजन्य सीखा जाना चाहिए. ज्ञानियों से बोलने की कला सीखे. जुआरियो से झूट बोलना सीखे. एक औरत से छल सीखे.

10. बिना सोचे समझे खर्च करने वाला, अस्थिर दिमाग वाला बेघर इंसान, झगड़ालू , और वह व्यक्ति जो अपनी पत्नी की उपेक्षा करता है और अपने कार्यों में ध्यानहीन है – ये सब जल्द ही बर्बाद हो जाएंगे.

11. बूंद बूंद से सागर बनता है. इसी तरह बूंद बूंद से ज्ञान, गुण और संपत्ति प्राप्त होते है.

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