गरीबी और अमीरी

अकबर बीरबल से तरह-तरह के अजीबो-गरीब प्रश्न पूछा करते थे. कुछ प्रश्न ऐसे भी होते थे जो वह बीरबल की बुद्धि की परीक्षा लेने के लिए पुछते थे. एक बार बादशाह अकबर बीरबल से बोले – बीरबल इस दुनिया में कोई अमीर है कोई गरीब हैं ऐसा क्यों होता है ? सब लोग ईश्वर को परमपिता कहते हैं इस नाते सभी आदमी उनके पुत्र ही हुए. पिता अपने बच्चों को सदा खुशाल देखना चाहता...

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रहीम जी के प्रसिद्द दोहे – नियंत्रण

रहिमन निज मन की ब्यथा मन ही रारवो गोय सुनि इठि लहै लोग सब बंटि न लहै कोय । अपने मन के दुख को अपने तन में हीं रखना चाहिये। दूसरे लोग आपके दुख को सुनकर हॅसी मजाक करेंगें लेकिन कोई भी उस दुख को बाॅटेंगें नही। अपने दुख का मुकाबला स्वयं करना चाहिये । एकै साधै सब सधै सब साधे सब जाय रहिमन मूलहिं संचिबो फूलै फलै अघाय । किसी काम को पूरे मनोयोग से करने से...

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आपका जैसे चाहें है, आप की जीवन वैसा हो जायेगा

एंक गांव में सुबह एक यात्री आया उसने अपने घोडे को रोका , गांव के दरवाजे पर बैठे हुए एक बुढे आदमी से उसने पुछा- इस गांव के लोग कैंसे है ? मैं इस गांव में ठहरना चाहता हूं, इसी गांव में निवास करना चाहता हूं। उस बुढे आदमी ने कहा- मेरे मित्र पहले मेैं तुमसे यह पुछूंगा कि तुम जिस गांव को छोडकर आ रहे हो उस गांव के लोग कैंसे थे ? उसने कहा उस गांव के लोगों...

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शिकंजी का स्वाद

एक कालेज स्टूडेंट था जिसका नाम था रवि। वह बहुत चुपचाप सा रहता था। किसी से ज्यादा बात नहीं करता था इसलिए उसका कोई दोस्त भी नहीं था। वह हमेशा कुछ परेशान सा रहता था। पर लोग उस पर ज्यादा ध्यान नहीं देते थे। एक दिन वह क्लास में पढ़ रहा था। उसे गुमसुम बैठे देख कर सर उसके पास आये और क्लास के बाद मिलने को कहा। क्लास खत्म होते ही रवि सर के रूम में पहुंचा।...

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तेइसवीं पुतली – धर्मवती ~ मनुष्य जन्म से बड़ा होता है या कर्म से

तेइसवीं पुतली – धर्मवती ने इस प्रकार कथा कही- एक बार राजा विक्रमादित्य दरबार में बैठे थे और दरबारियों से बातचीत कर रहे थे। बातचीत के क्रम में दरबारीयों में इस बात पर बहस छिड़ गई कि मनुष्य जन्म से बड़ा होता है या कर्म से। बहस का अन्त नहीं हो रहा था, क्योंकि दरबारियों के दो गुट हो चुके थे। एक कहता था कि मनुष्य जन्म से बड़ा होता है क्योंकि मनुष्य...

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संगति का असर

एक बार एक राजा शिकार के उद्देश्य से अपने काफिले के साथ किसी जंगल से गुजर रहा था. दूर-दूर तक शिकार नजर नहीं आ रहा था, वे धीरे धीरे घनघोर जंगल में प्रवेश करते गए. अभी कुछ ही दूर गए थे की उन्हें कुछ डाकुओं के छिपने की जगह दिखाई दी. जैसे ही वे उसके पास पहुचें कि पास के पेड़ पर बैठा तोता बोल पड़ा – पकड़ो पकड़ो एक राजा आ रहा है इसके पास बहुत सारा सामान...

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डाकू अंगुलिमाल और महात्मा बुद्ध

बहुत पुरानी बात है मगध राज्य में एक सोनापुर नाम का गाँव था। उस गाँव के लोग शाम होते ही अपने घरों में आ जाते थे। और सुबह होने से पहले कोई कोई भी घर के बाहर कदम भी नहीं रखता था।इसका कारण डाकू अंगुलीमाल था। डाकू अंगुलीमाल मगध के जंगलों की गुफा में रहता था। वह लोगों को लूटता था और जान से भी मार देता था। लोगों को डराने के लिए वह जिसे भी मारता उसकी एक...

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तेरहवीं पुतली – कीर्तिमती~ विक्रमादित्य और सर्वश्रेष्ठ दानवीर!

तेरहवीं पुतली – कीर्तिमती ने इस प्रकार कथा कही- एक बार राजा विक्रमादित्य ने एक महाभोज का आयोजन किया। उस भोज में असंख्य विद्धान, ब्राह्मण, व्यापारी तथा दरबारी आमन्त्रित थे। भोज के मध्य में इस बात पर चर्चा चली कि संसार में सबसे बड़ा दानी कौन है। सभी ने एक स्वर से विक्रमादित्य को दुनिया का सर्वश्रेष्ठ दानवीर घोषित किया। राजा विक्रमादित्य लोगों...

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कृतघ्न वानर -जातक कथा

वाराणसी के निकट कभी एक शीलवान गृहस्थ रहता था, जिसके घर के सामने का मार्ग वाराणसी को जाता था। उस मार्ग के किनारे एक गहरा कुआँ था जिसके निकट लोगों ने पुण्य-लाभ हेतु जानवरों को पानी पिलाने के लिए एक द्रोणि बाँध रखी थी । अनेक आते-जाते राहगीर जब कुएँ से पानी खींचते तो जानवरों के लिए भी द्रोणि में पानी भर जाते । एक दिन वह गृहस्थ भी उस राह से गुजरा । उसे...

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चाणक्य नीति : बारहवां अध्याय

1. वह एक धन्य गृहस्थ है जिसके घर में एक आनंदमय माहौल है. जिसके बच्चे गुणी है. जिसकी पत्नी मधुर वाणी बोलती है. जिसके पास अपनी जरूरते पूरा करने के लिए पर्याप्त धन है. जो अपनी पत्नी से सुखपूर्ण सम्बन्ध रखता है. जिसके नौकर उसका कहा मानते है. जिसके घर में मेहमान का स्वागत किया जाता है. 2. वे लोग जो इस दुनिया में सुखी है, जो अपने संबंधियों के प्रति उदार...

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मजदूर की कहानी – अलिफ लैला

मजदूर बोला, ‘हे सुंदरी, मैं तुम्हारी आज्ञानुसार ही अपना हाल कहूँगा और यह बताऊँगा कि मैं यहाँ क्यों आया। आज सवेरे मैं अपना टोकरा लिए काम की तलाश में बाजार में खड़ा था। तभी तुम्हारी बहन ने मुझे बुलाया। मुझे लेकर पहले वह शराब बेचने वाले के यहाँ गई। फिर कुँजड़े की दुकान पर उसने ढेर-सी तरकारियाँ खरीदीं और फल वाले के यहाँ से बहुत-से फल लिए। गोश्त...

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राजा भोज और व्यापारी

यह एक मनोवैज्ञानिक सत्य है कि जैसा भाव हमारे मन मेे होता है वैसा ही भाव सामने वाले के मन में आता है। इस सबंध में एक ऐतिहासिक घटना सुनी जाती है जो इस प्रकार है- राजा भोज की कहानी कहते हैं कि एक बार राजा भोज की सभा में एक व्यापारी ने प्रवेश किया। राजा ने उसे देखा तो देखते ही उनके मन में आया कि इस व्यापारी का सबकुछ छीन लिया जाना चाहिए। व्यापारी के...

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पच्चीसवीं पुतली – त्रिनेत्री ~ ईश्वर से आस

पच्चीसवीं पुतली – त्रिनेत्री नामक पच्चीसवीं पुतली की कथा इस प्रकार है: राजा विक्रमादित्य अपनी प्रजा के सुख दुख का पता लगाने के लिए कभी-कभी वेश बदलकर घूमा करते थे तथा खुद सारी समस्या का पता लगाकर निदान करते थे। उनके राज्य में एक दरिद्र ब्राह्मण और भाट रहते थे। वे दोनों अपना कष्ट अपने तक ही सीमित रखते हुए जीवन-यापन कर रहे थे तथा कभी किसी के...

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संत महिष -जातक कथा

हिमवंत के वन में कभी एक जंगली महिष रहता था। कीचड़ से सना, काला और बदबूदार। किंतु वह एक शीलवान महिष था। उसी वन में एक नटखट बंदर भी रहा करता था। शरारत करने में उसे बहुत आनंद आता था। मगर उससे भी अधिक आनंद उसे दूसरों को चिढ़ाने और परेशान करने में आता था। अत: स्वभावत: वह महिष को भी परेशान करता रहता था। कभी वह सोते में उसके ऊपर कूद पड़ता; कभी उसे घास चरने...

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अपराधी कौन? – बेताल पच्चीसी – तेरहवीं कहानी!

बनारस में देवस्वामी नाम का एक ब्राह्मण रहता था। उसके हरिदास नाम का पुत्र था। हरिदास की बड़ी सुन्दर पत्नी थी। नाम था लावण्यवती। एक दिन वे महल के ऊपर छत पर सो रहे थे कि आधी रात के समय एक गंधर्व-कुमार आकाश में घूमता हुआ उधर से निकला। वह लावण्यवती के रूप पर मुग्ध होकर उसे उड़ाकर ले गया। जागने पर हरिदास ने देखा कि उसकी स्त्री नही है तो उसे बड़ा दुख हुआ...

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मज़दूरों का राजनीतिक अख़बार एक क्रान्तिकारी पार्टी खड़ी करने के लिए ज़रूरी है – लेनिन

…यदि स्थानीय पैमाने पर मज़बूत राजनीतिक संगठन प्रशिक्षित नहीं किये जाते, तो एक अखिल रूसी अख़बार का बहुत बढ़िया संगठन करने से भी कोई लाभ न होगा। बिल्कुल सही है। लेकिन यही तो असल बात है कि मज़बूत राजनीतिक संगठनों को प्रशिक्षित करने का एक अखिल रूसी अखबार के अलावा और कोई तरीक़ा नहीं है। ईस्क्रा ने अपनी ‘‘योजना’’ पेश करने से पहले जो महत्वपूर्ण बातें कही थी...

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असेम्बली हॉल में फेंका गया पर्चा – भगत सिंह (1929)

8 अप्रैल, सन् 1929 को असेम्बली में बम फेंकने के बाद भगतसिंह और बटुकेश्वर दत्त द्वारा बाँटे गए अंग्रेजी पर्चे का हिन्दी अनुवाद।- सं. ‘हिन्दुस्तान समाजवादी प्रजातान्त्रिक सेना’ सूचना “बहरों को सुनाने के लिए बहुत ऊँची आवाज की आवश्यकता होती है,” प्रसिद्ध फ्रांसीसी अराजकतावादी शहीद वैलियाँ के यह अमर शब्द हमारे काम के औचित्य के साक्षी हैं। पिछले दस...

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आठवीं पुतली पुष्पवती ~ विक्रमादित्य और काठ का घोड़ा!

आठवीं पुतली पुष्पवती की कथा इस प्रकार है- राजा विक्रमादित्य अद्भुत कला-पारखी थे। उन्हें श्रेष्ठ कलाकृतियों से अपने महल को सजाने का शौक था। वे कलाकृतियों का मूल्य आँककर बेचनेवाले को मुँह माँगा दाम देते थे। एक दिन वे अपने दरबारियों के बीच बैठे थे कि किसी ने खबर दी कि एक आदमी काठ का घोड़ा बेचना चाहता है। राजा ने देखना चाहा कि उस काठ के घोड़े की विशेषता...

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साम्प्रदायिक दंगे और उनका इलाज – भगत सिंह (1928)

1919 के जालियँवाला बाग हत्याकाण्ड के बाद ब्रिटिष सरकार ने साम्प्रदायिक दंगों का खूब प्रचार शुरु किया। इसके असर से 1924 में कोहाट में बहुत ही अमानवीय ढंग से हिन्दू-मुस्लिम दंगे हुए। इसके बाद राष्ट्रीय राजनीतिक चेतना में साम्प्रदायिक दंगों पर लम्बी बहस चली। इन्हें समाप्त करने की जरूरत तो सबने महसूस की, लेकिन कांग्रेसी नेताओं ने हिन्दू-मुस्लिम नेताओं...

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चाणक्य नीति : चौदहवां अध्याय

1. गरीबी, दुःख और एक बंदी का जीवन यह सब व्यक्ति के किए हुए कर्म का ही फल है. 2. आप दौलत, मित्र, पत्नी और राज्य गवाकर वापस पा सकते है लेकिन यदि आप अपनी काया गवा देते है तो वापस नहीं मिलेगी. 3. यदि हम बड़ी संख्या में एकत्र हो जाए तो दुश्मन को हरा सकते है. उसी प्रकार जैसे घास के तिनके एक दुसरे के साथ रहने के कारण भारी बारिश में भी क्षय नहीं होते. 4...

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