‘उजरती श्रम और पूँजी’ की भूमिका – फ्रेडरिक एंगेल्स (1847)

आज हम पूँजीवादी उत्पादन के आधिपत्य में रहते हैं, जिसमें आबादी का एक बड़ा और संख्या में दिनोंदिन बढ़नेवाला वर्ग ऐसा है, जो केवल उसी हालत में ज़िन्दा रह सकता है, जबकि वह उत्पादन के साधनों–यानी औज़ारों, मशीनों, कच्चे माल और जीवन-निर्वाह के साधनों–के मालिकों के लिए मज़दूरी के बदले काम करे। उत्पादन की इस प्रणाली के आधार पर मज़दूर के उत्पादन का ख़र्च...

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विंस्टन चर्चिल के विचार

Quote 1: A fanatic is one who can’t change his mind and won’t change the subject. In Hindi : कट्टरपंथी वो होता है जो अपना दिमाग बदल नहीं सकता और विषय वो बदलता नहीं है . Quote 2: A joke is a very serious thing. In Hindi : मज़ाक एक बहुत ही गंभीर चीज होती है . Quote 3: A pessimist sees the difficulty in every opportunity; an optimist sees the...

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काले द्वीपों के बादशाह की कहानी – अलिफ लैला

उस जवान ने अपना वृत्तांत कहना आरंभ किया। उसने कहा ‘मेरे पिता का नाम महमूद शाह था। वह काले द्वीपों का अधिपति था, वे काले द्वीप चार विख्यात पर्वत हैं। उसकी राजधानी उसी स्थान पर थी जहाँ वह रंगीन मछलियों वाला तालाब है। मैं आपको ब्योरेवार सारी कहानी बता रहा हूँ जिससे आपको सारा हाल मालूम हो जाएगा। जब मेरा पिता सत्तर वर्ष का हुआ तो उसका देहांत हो...

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ब्रुकलिन ब्रिज

वर्ष 1883 इंजीनियर John Roebling के जीवन में एक महत्वपूर्ण वर्ष था, इस वर्ष वह न्यूयॉर्क से लांग आईलैंड  को जोड़ने  के लिए एक शानदार पुल का निर्माण करने के लिए अपने विचार के साथ आया था. इसकी भयावहता का कोई अन्य पुल समय के उस बिंदु पर वहाँ नहीं था.बाद मे विशेषज्ञों  ने इसे एक असम्भव उपलब्धि कह कर उनके इस विचार को खारिज कर दिया. पूरी दुनिया उनके...

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ज़िन्दगी के पत्थर, कंकड़ और रेत

Philosophy के एक professor ने कुछ चीजों के साथ class में प्रवेश किया. जब class शुरू हुई तो उन्होंने एक बड़ा सा खाली शीशे का जार लिया और उसमे पत्थर के बड़े-बड़े टुकड़े भरने लगे. फिर उन्होंने students से पूछा कि क्या जार भर गया है ? और सभी ने कहा “हाँ”. तब प्रोफ़ेसर ने छोटे-छोटे कंकडों से भरा एक box लिया और उन्हें जार में भरने लगे. जार को थोडा...

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हमारी बेहोश जिंदगी, इंसान सभी पक्षियों से ज्यादा सो गया है

एक शिक्षक था, जवान लडको को पेंड़ो पर चढना सिखाता था। एक लडके को सिखा रहा था। वहां एक राजकुमार सीखने के लिए आया हुआ था। राजकुमार ऊपर की चोंटी तक चढ गया था, वृक्ष की ऊपर की शाखाओं तक। फिर उतर रहा था, वह बूढा (teacher) चुपचाप पेड़ के नीचे बैठा हुआ देख रहा था। कोई दस फ़ीट नीचे रह गया होगा वह लड़का, तब वह बूढा खडा हुआ और चिल्लाया, सावधान! बेटे सावधान होकर...

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ईर्ष्यालु बहनों की कहानी – अलिफ लैला

पुराने जमाने में फारस में खुसरो शाह नामी शहजादा था। वह रातों को अक्सर भेस बदल कर सिर्फ एक सेवक को अपने साथ रख कर नगर की सैर किया करता था और संसार की विचित्र बातें देख कर अपना ज्ञान बढ़ाया करता था। जब अपने वृद्ध पिता की मृत्यु होने पर वह राजगद्दी का मालिक हुआ तो उसने अपना नाम कैखुसरो रखा। किंतु उसने भेस बदल कर नगर का घूमना तब भी जारी रखा। हाँ, उसके...

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धर्म मुर्दाबाद और नास्तिकवाद ज़ि‍न्दाबाद – व्ला.इ. लेनिन

…“मार्क्सवाद भौतिकवाद है। इस कारण यह धर्म का उतना ही निर्मम शत्रु है जितना कि अठारहवीं सदी के विश्वकोषवादी पण्डितों का भौतिकवाद या फ़ायरबाख का भौतिकवाद था, इसमें सन्देह की गुंजाइश नहीं है। लेकिन मार्क्स और एंगेल्स का द्वंद्वात्मक भौतिकवाद विश्व कोषवादियों और फ़ायरबाख से आगे निकल जाता है, क्योंकि यह भौतिकवादी दर्शन को इतिहास के क्षेत्र में, सामाजिक...

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शेख चिल्ली की चिट्ठी

शेख चिल्ली की “चिट्ठी” एक बार मियां शेख चिल्ली के भाई बीमार पड़ गए। इस बात की खबर पाते ही मियां शेख चिल्ली नें अपनें भाई की खैरियत पूछने के लिए चिट्ठी लिखने की सोची। पूर्व काल में डाक व्यवस्था और फोन जैसी आधुनिक सुविधाएं थी नहीं तो खत और चिट्ठियाँ मुसाफिर (लोगों) के हाथों ही भिजवाई जाती थीं। मियां शेख चिल्ली नें अपनें गाँव में नाई से चिट्ठी...

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नये नेताओं के अलग-अलग विचार – भगत सिंह (1928)

जुलाई, 1928 के ‘किरती’ में छपे इस लेख में भगतसिंह ने सुभाषचन्द्र बोस और जवाहरलाल नेहरू के विचारों की तुलना की है। असहयोग आन्दोलन की असफलता के बाद जनता में बहुत निराशा और मायूसी फैली। हिन्दू-मुस्लिम झगड़ों ने बचा-खुचा साहस भी खत्म कर डाला। लेकिन देश में जब एक बार जागृति फैल जाए तब देश ज्यादा दिन तक सोया नहीं रह सकता। कुछ ही दिनों बाद जनता बहुत जोश...

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महाजनक का संयास -जातक कथा

मिथिला के एक राजा की मृत्यु के पश्चात् उसके दो बेटों में भयंकर युद्ध हुआ । अंतत: बड़ा भाई मारा गया और छोटा भाई राजा बना । बड़े भाई की पत्नी अपने पुत्र को लेकर एक वन में किसी संयासी की शरण में रहने लगी । वहीं उसने अपने बढ़ते पुत्र को अपने दादा और पिता के राज्य को पुन: प्राप्त करने के लिए उत्प्रेरित किया। सोलह वर्ष की अवस्था में पुत्र ने पैतृक राज्य...

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कुएं का मेंढक

दो टैडपोल एक कुएं में बड़ी मस्ती से घूम रहे थे। दोनों अपनी पूंछ हिलाते और बाकी मेंढकों को अपना खेल दिखाते। उनकी शैतानियाँ देखकर एक वयस्क मेंढक बोला, “जितनी पूंछ हिलानी है हिला लो, कुछ दिन बाद ये गायब हो जायेगी।” “हा-हा-हा…”, ये सुनकर बाकी मेंढक हंसने लगे। दोनों टैडपोल फ़ौरन अपनी माँ के पास गए और उस मेंढक की बात बताते हुए बोले, “माँ, क्या सचमुच हमारी...

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लालची नाग और मेढकों का राजा ~ पंचतंत्र

एक कुएं में बहुत से मेंढक रहते थे। उनके राजा का नाम था गंगदत्त। गंगदत्त बहुत झगडालू स्वभाव का था। आसपास दो तीन और भी कुएं थे। उनमें भी मेंढक रहते थे। हर कुएं के मेंढकों का अपना राजा था। हर राजा से किसी न किसी बात पर गंगदत्त का झगडा चलता ही रहता था। वह अपनी मूर्खता से कोई ग़लत काम करने लगता और बुद्धिमान मेंढक रोकने की कोशिश करता तो मौक़ा मिलते ही...

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किस्सा वजीर का – अलिफ लैला

प्राचीन समय में एक राजा था उसके राजकुमार को मृगया का बड़ा शौक था। राजा उसे बहुत चाहता था, राजकुमार की किसी इच्छा को अस्वीकार नहीं करता था। एक दिन राजकुमार ने शिकार पर जाना चाहा। राजा ने अपने एक अमात्य को बुलाकर कहा कि राजकुमार के साथ चले जाओ; तुम्हें सब रास्ते मालूम हैं, राजकुमार को नहीं मालूम, इसलिए एक क्षण के लिए भी राजकुमार का साथ न छोड़ना।...

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सफलता से सिख

एक आठ साल का लड़का गर्मी की छुट्टियों में अपने दादा जी के पास गाँव घूमने आया। एक दिन वो बड़ा खुश था, उछलते-कूदते वो दादाजी के पास पहुंचा और बड़े गर्व से बोला, ” जब मैं बड़ा होऊंगा तब मैं बहुत सफल आसमी बनूँगा। क्या आप मुझे सफल होने के कुछ टिप्स दे सकते हैं?” दादा जी ने ‘हाँ’ में सिर हिला दिया, और बिना कुछ कहे लड़के का हाथ पकड़ा और उसे करीब की पौधशाला में...

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अनाज के व्यापारी की कहानी – अलिफ लैला

अनाज का व्यापारी बोला कि कल मैं एक धनी व्यक्ति की पुत्री के विवाह में गया था। नगर के बहुत-से प्रतिष्ठित व्यक्ति उसमें शामिल थे। शादी की रस्में पूरी होने पर दावत हुई और नाना प्रकार के व्यंजन परोसे गए। एक थाल में एक मसालेदार स्वादिष्ट लहसुन का व्यंजन रखा था जिन्हें उठा-उठा कर हर आदमी रुचिपूर्वक खा रहा था। किंतु एक आदमी उसे नहीं खाता था। पूछने पर उस...

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कबीर के दोहे – वीरता/Bravery

सिर राखे सिर जात है, सिर कटाये सिर होये जैसे बाती दीप की कटि उजियारा होये। सिर अंहकार का प्रतीक है । सिर बचाने से सिर चला जाता है-परमात्मा दूर हो जाता हैं। सिर कटाने से सिर हो जाता है। प्रभु मिल जाते हैं जैसे दीपक की बत्ती का सिर काटने से प्रकाश बढ़ जाता है। Sir rakhai sir jat hai,sir katai sir hoye Jaise bati deep ki,kati ujiara hoye. If you save...

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किसी भी विज्ञापन को विश्वास करने से पहले जांच करें ।

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