जब खूबसूरती बंट रही थी

आपने बीरबल के बहुत से किस्से पड़े होंगे, लेकिन एक भी किस्सा ऐसा नही पड़ा होगा जिसमे बीरबल ने कभी मात खाई हो. क्योंकि बीरबल से चतुर और चालक व्यक्तित्व शायद ही कभी हुआ हो. बीरबल की बदसूरती पर राज्य सभा के सभी मंत्री मजाक बना रहे थे तभी चतुर बीरबल कुछ ऐसा कहते है, जिसे सुनकर सभी दरबारी अपना सर शर्म से निचे कर के बैठ जाते हैं. चलिए आगे पूरी कहानी पड़ते...

Read More

नाविक सुप्पारक -जातक कथा

सुप्पारक नाम के एक कुशल नाविक ने अचानक अपनी आँखों की रोशनी खो दी। इस कारण उसे कुछ दिनों तक एक राजा के यहाँ नौकरी करनी पड़ी। राजा ने उसकी कद्र नहीं की। अत: वह वहाँ से इस्तीफा देकर अपने घर बैठ गया। एक दिन उसकी योग्यताओं को सुन कुछ समुद्री व्यापारी उसके पास पहुँचे। उन्होंने उसे एक जहाज का कप्तान बना दिया। फिर सुप्पारक की कप्तानी में वे अपने जहाज का...

Read More

तीसरे बूढ़े और उसके खच्चर की कहानी – अलिफ लैला

तीसरे बूढ़े ने कहना शुरू किया : ‘हे दैत्य सम्राट, यह खच्चर मेरी पत्नी है। मैं व्यापारी था। एक बार मैं व्यापार के लिए परदेश गया। जब मैं एक वर्ष बाद घर लौटकर आया तो मैंने देखा कि मेरी पत्नी एक हब्शी गुलाम के पास बैठी हास-विलास और प्रेमालाप कर रही है। यह देखकर मुझे अत्यंत आश्चर्य और क्रोध हुआ और मैंने चाहा कि उन दोनों को दंड दूँ। तभी मेरी पत्नी...

Read More

तेइसवीं पुतली – धर्मवती ~ मनुष्य जन्म से बड़ा होता है या कर्म से

तेइसवीं पुतली – धर्मवती ने इस प्रकार कथा कही- एक बार राजा विक्रमादित्य दरबार में बैठे थे और दरबारियों से बातचीत कर रहे थे। बातचीत के क्रम में दरबारीयों में इस बात पर बहस छिड़ गई कि मनुष्य जन्म से बड़ा होता है या कर्म से। बहस का अन्त नहीं हो रहा था, क्योंकि दरबारियों के दो गुट हो चुके थे। एक कहता था कि मनुष्य जन्म से बड़ा होता है क्योंकि मनुष्य...

Read More

पछतावा

एक मेहनती और ईमानदार नौजवान बहुत पैसे कमाना चाहता था क्योंकि वह गरीब था और बदहाली में जी रहा था। उसका सपना था कि वह मेहनत करके खूब पैसे कमाये और एक दिन अपने पैसे से एक कार खरीदे। जब भी वह कोई कार देखता तो उसे अपनी कार खरीदने का मन करता। कुछ साल बाद उसकी अच्छी नौकरी लग गयी। उसकी शादी भी हो गयी और कुछ ही वर्षों में वह एक बेटे का पिता भी बन गया। सब...

Read More

शिवाजी और चीते

तब पुणे के करीब नचनी गाँव में एक भयानक चीते का आतंक छाया हुआ था . वह अचानक ही कहीं से हमला करता था और जंगल में ओझल हो जाता. डरे हुए गाँव वाले अपनी समस्या लेकर शिवाजी के पास पहुंचे . ” हमें उस भयानक चीते से बचाइए . वह ना जाने कितने बच्चों को मार चुका है , ज्यादातर वह तब हमला करता है जब हम सब सो रहे होते हैं.” शिवाजी ने धैर्यपूर्वक ग्रामीणों को सुना...

Read More

मूर्ख साधू और ठग ~ पंचतंत्र

एक बार की बात है, किसी गाँव के मंदिर में एक प्रतिष्ठित साधू रहता था। गाँव में सभी उसका सम्मान करते थे। उसे अपने भक्तों से दान में तरह तरह के वस्त्र, उपहार, खाद्य सामग्री और पैसे मिलते थे। उन वस्त्रों को बेचकर साधू ने काफी धन जमा कर लिया था। साधू कभी किसी पर विश्वास नहीं करता था और हमेशा अपने धन की सुरक्षा के लिए चिंतित रहता था। वह अपने धन को एक...

Read More

सवा सेर गेहुँ

प्रेमचंद हिंदी के प्रसिद्ध और महान कहानीकार हैं। आपका जन्म 31 जुलाई 1880 को बनारस के पास लमही नामक गॉव में हुआ था। आपने अपनी कहानियों के माध्यम से उस समय की सामाजिक अव्यवस्था का चरित्र-चित्रण बहुत यर्थात तरीके से किया है। प्रेमचंद जी ने शोषित-वंचित किसान की दयनीय स्थिति  को अपनी कहानी सवा सेर गेहुँ में व्यक्त किया है। सवा सेर गेहुँ शंकर नामक एक...

Read More

छब्बीसवीं पुतली – मृगनयनी ~ रानी का विश्वासघात

छब्बीसवीं पुतली – मृगनयनी नामक छब्बीसवीं पुतली ने जो कथा सुनाई वह इस प्रकार है: राजा विक्रमादित्य न सिर्फ अपना राजकाज पूरे मनोयोग से चलाते थे, बल्कि त्याग, दानवीरता, दया, वीरता इत्यादि अनेक श्रेष्ठ गुणों के धनी थे। वे किसी तपस्वी की भाँति अन्न-जल का त्याग कर लम्बे समय तक तपस्या में लीन रहे सकते थे। ऐसा कठोर तप कर सकते थे कि इन्द्रासन डोल...

Read More

धक्का

एक बार की बात है , किसी शहर में एक बहुत अमीर आदमी रहता था. उसे एक अजीब शौक था , वो अपने घर के अन्दर बने एक बड़े से स्विमिंग पूल में बड़े-बड़े रेप्टाइल्स पाले हुए था  ; जिसमे एक से बढ़कर एक सांप, मगरमच्छ ,घड़ियाल ,आदि शामिल थे  . एक बार वो अपने घर पर एक पार्टी देता है .बहुत से लोग उस पार्टी में आते हैं. खाने-पीने के बाद वो सभी मेहमानों को स्विमिंग...

Read More

ज्यादा पापी कौन ? – बेताल पच्चीसी – चौथी कहानी!

भोगवती नाम की एक नगरी थी। उसमें राजा रूपसेन राज करता था। उसके पास चिन्तामणि नाम का एक तोता था। एक दिन राजा ने उससे पूछा, “हमारा ब्याह किसके साथ होगा?” तोते ने कहा, “मगध देश के राजा की बेटी चन्द्रावती के साथ होगा।” राजा ने ज्योतिषी को बुलाकर पूछा तो उसने भी यही कहा। उधर मगध देश की राज-कन्या के पास एक मैना थी। उसका नाम था मदन मञ्जरी। एक दिन राज...

Read More

ए.पी.जे अब्दुल कलाम के अनमोल विचार

Quote 1: Climbing to the top demands strength, whether it is to the top of Mount Everest or to the top of your career. शिखर तक पहुँचने के लिए ताकत चाहिए होती है, चाहे वो माउन्ट एवरेस्ट का शिखर हो या आपके पेशे का। Quote 2: Do we not realize that self respect comes with self reliance? क्या हम यह नहीं जानते कि आत्म सम्मान आत्म निर्भरता के साथ आता है...

Read More

पिताजी के नाम पत्र – भगत सिंह (1930)

30 सितम्बर, 1930 को भगतसिंह के पिता सरदार किशन सिंह ने ट्रिब्यूनल को एक अर्जी देकर बचाव पेश करने के लिए अवसर की माँग की। सरदार किशनसिंह स्वयं देशभक्त थे और राष्ट्रीय आन्दोलन में जेल जाते रहते थे। उन्हें व कुछ अन्य देशभक्तों को लगता था कि शायद बचाव-पक्ष पेश कर भगतसिंह को फाँसी के फन्दे से बचाया जा सकता है, लेकिन भगतसिंह और उनके साथी बिल्कुल अलग...

Read More

उसका प्रेमी – मैक्सिम गोर्की

मुझे एक बार मेरी जान-पहचान वाले एक व्यहक्ति ने यह घटना बताई थी। उन दिनों मैं मास्को में पढ़ता था। मेरे पड़ोस में एक ऐसी महिला रहती थी,जिसकी प्रतिष्ठाम को वहां सन्दिग्ध माना जाना था। वह पोलैंड की रहने वाली थी और उसका नाम टेरेसा था। मर्दों की तरह लम्बा कद, गठीला डील-डौल,काली घनी भौंहे, जानवरों जैसी चमकती काली आंखें, भारी आवाज,कोचवान जैसी चाल, बेहद...

Read More

चाणक्य नीति : सत्रहवां अध्याय

1. वह विद्वान जिसने असंख्य किताबो का अध्ययन बिना सदगुरु के कर लिया वह विद्वानों की सभा में एक सच्चे विद्वान के रूप में सम्मानित नहीं होता, जिस प्रकार एक नाजायज औलाद को दुनिया में कोई प्रतिष्ठा हासिल नहीं होती. 2. हमें दुसरो से जो मदद प्राप्त हुई है उसे हमें लौटना चाहिए. उसी प्रकार यदि किसीने हमसे यदि दुष्टता की है तो हमें भी उससे दुष्टता करनी...

Read More

विजेता मेंढक

एक  दिन  मेंढकों  के  दिमाग  में  आया  कि  क्यों  ना  एक  रेस  करवाई  जाए . रेस  में  भाग  लेने  वाली  प्रतियोगीयों  को  खम्भे  पर  चढ़ना  होगा , और  जो  सबसे  पहले  एक  ऊपर  पहुच  जाएगा  वही  विजेता  माना  जाएगा . रेस  का  दिन  आ   पंहुचा , चारो  तरफ   बहुत  भीड़  थी ; आस -पास  के  इलाकों  से  भी  कई  मेंढक  इस  रेस  में  हिस्सा   लेने  पहुचे...

Read More

तीन छन्नी परीक्षण

राचीन यूनान में सुकरात को महाज्ञानी माना जाता था. एक दिन उनकी जान पहचान का एक व्यक्ति उनसे मिला और बोला, ” क्या आप जानते हैं मैंने आपके एक दोस्त के बारे में क्या सुना ?” “एक मिनट रुको,” सुकरात ने कहा, ” तुम्हारे कुछ बताने से पहले मैं चाहता हूँ कि तुम एक छोटा सा टेस्ट पास करो. इसे ट्रिपल फ़िल्टर टेस्ट कहते हैं.” “ट्रिपल फ़िल्टर ?” ” हाँ, सही सुना...

Read More

दरजी की जबानी नाई की कहानी – अलिफ लैला

खलीफा हारूँ रशीद के काल में बगदाद के आसपास दस कुख्यात डाकू थे जो राहगीरों को लूटते ओर मार डालते थे। खलीफा ने प्रजा के कष्ट का विचार कर के कोतवाल से कहा कि उन डाकुओं को पकड़ कर लाओ वरना मैं तुम्हें प्राणदंड दूँगा। कोतवाल ने बड़ी दौड़-धूप की और निश्चित अवधि में उन्हें पकड़ लिया। वे नदी पार पकड़े गए थे इसलिए उन्हें नाव पर बिठा कर लाया गया। मैं ने, जो...

Read More

दृष्टिकोण

एक बार दो भाई, रोहित और मोहित थे। वे 9 वीं कक्षा के छात्र थे और एक ही स्कूल में पढ़ते थे। उनकी ही कक्षा में अमित नाम का भी एक छात्र था जो बहुत अमीर परीवार से था। एक दिन अमित अपने जन्मदिन पर बहुत महंगी घड़ी पहन कर स्कूल आया, सभी उसे देख कर बहुत चकित थे। हर कोई उस घड़ी के बारे में बातें कर रहा था ,कि तभी किसी ने अमित से पुछा , “यार , ये घड़ी कहाँ से ली ...

Read More

भेड़ की खाल में भेड़िया

बहुत समय पहले की बात है, एक चरवाहा था जिसके पास 10 भेड़े थीं। वह रोज उन्हें चराने ले जाता और शाम को बाड़े में डाल देता। सबकुछ ठीक चल रहा था कि एक सुबह जब चरवाहा भेडें निकाल रहा था तब उसने देखा कि बाड़े से एक भेड़ गायब है। चरवाहा इधर-उधर देखने लगा, बाड़ा कहीं से टूटा नहीं था और कंटीले तारों की वजह से इस बात की भी कोई सम्भावना न थी कि बहार से कोई जंगली...

Read More

किसी भी विज्ञापन को विश्वास करने से पहले जांच करें ।

loading...

क्रमरहित सूची

Recent Posts

ज्ञान, आजाद है; और किसी को भी बिना किसी प्रतिबंध के ज्ञान का आनंद लेने का अधिकार है. इस में प्रकाशित कोई भी कहानी या लेख को आप बिना प्रतिबन्ध के उपयोग कर सकते हो. आप अपने ब्लॉग में यहाँ से कॉपी करके पेस्ट कर सकते हो लेकिन कोई भी फेब्रिकेशन या फाल्सीफिकेशन की जिम्मेदारी आप की होगी. वेबसाइट का सिद्धांत नैतिक ज्ञान फैलाना है, ना कि ज्ञान पर हक़ जताना. ज्ञान की स्वतंत्रता वेबसाइट का आदर्श है; आप जितना चाहते हैं उतना उसकी प्रतिलिपि(Copy) बनाकर बिना प्रतिबन्ध के ज्यादा से ज्यादा लोगों तक फैला सकते हो.