जेा रहीम उत्तम प्रकृति का करि सकत कुसंग चंदन विश ब्यापत नहीं लिपटे रहत भुजंग । अच्छे चरित्र के स्वभाव बालों पर बुरे लोगो के साथ का कोई असर नहीं होता। चंदन के बृक्ष पर साॅप लिपटा रहने से विश का कोई प्रभाव नही होता है । यद्पि अवनि अनेक हैैं कूपवंत सरताल रहिमन मान सरोवर हिं मनसा करत मराल । संसार में अनेकानेक तालाब जलाशय कुॅआ आदि हैं किंतु हंस को केवल...
पिताजी कोई किताब पढने में व्यस्त थे , पर उनका बेटा बार-बार आता और उल्टे-सीधे सवाल पूछ कर उन्हें डिस्टर्ब कर देता । पिता के समझाने और डांटने का भी उस पर कोई असर नहीं पड़ता. समस्या का दूसरा पहलु तब उन्होंने सोचा कि अगर बच्चे को किसी और काम में उलझा दिया जाए तो बात बन सकती है. उन्होंने पास ही पड़ी एक पुरानी किताब उठाई और उसके पन्ने पलटने लगे. तभी...
ईसाई और इस्लाम परम्पराओं की तरह बोद्धों में भी शैतान-तुल्य एक धारणा है, जिसे मार की संज्ञा दी गयी है; क्यों के ईसाई धर्म 33AD के वाद बना और इस्लाम धर्म 610AD के वाद ये कन्सेप्ट इंडिया की 450BC के बुद्धिस्ट दर्शन का अपभ्रंस सोच हो सकता है । मार को ‘नमुचि’ के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि “नमुचीति मारो”, अर्थात् जिससे कोई...
एक बार की बात है , मगध साम्राज्य के सेनापति किसी व्यक्तिगत काम से चाणक्य से मिलने पाटलिपुत्र पहुंचे । शाम ढल चुकी थी , चाणक्य गंगा तट पर अपनी कुटिया में, दीपक के प्रकाश में कुछ लिख रहे थे। कुछ देर बाद जब सेनापति भीतर दाखिल हुए, उनके प्रवेश करते ही चाणक्य ने सेवक को आवाज़ लगायी और कहा , ” आप कृपया इस दीपक को ले जाइए और दूसरा दीपक जला कर रख दीजिये।”...
क्या वजह है कि जापान-विरोधी सैनिक और राजनीतिक कालेज देशभर में मशहूर हो गया है और विदेशों में भी इसने कुछ प्रतिष्ठा अर्जित की है? क्योंकि जापान-विरोधी सभी संस्थानों में यह सबसे क्रांतिकारी, सबसे प्रगतिशील और राष्ट्रीय मुक्ति तथा सामाजिक स्वतंत्रता के लिए सबसे अच्छा योद्धा है। मेरे खयाल से, यही वह वजह है कि येनान आने पाले लोग इसे देखने के लिए इतने...
पहली पुतली रत्नमंजरी राजा विक्रम के जन्म तथा इस सिंहासन प्राप्ति की कथा बताती है। वह इस प्रकार है: आर्यावर्त में एक राज्य था जिसका नाम था अम्बावती। वहाँ के राजा गंधर्वसेन ने चारों वर्णों की स्त्रीयों से चार विवाह किये थे। ब्राह्मणी के पुत्र का नाम ब्रह्मवीत था। क्षत्राणी के तीन पुत्र हुए- शंख, विक्रम तथा भर्तृहरि। वैश्य पत्नी ने चन्द्र नामक पुत्र...
बत्तीसवीं पुतली रानी रूपवती ने राजा भोज को सिंहासन पर बैठने की कोई रुचि नहीं दिखाते देखा तो उसे अचरज हुआ। उसने जानना चाहा कि राजा भोज में आज पहले वाली व्यग्रता क्यों नहीं है। राजा भोज ने कहा कि राजा विक्रमादित्य के देवताओं वाले गुणों की कथाएँ सुनकर उन्हें ऐसा लगा कि इतनी विशेषताएँ एक मनुष्य में असम्भव हैं और मानते हैं कि उनमें बहुत सारी कमियाँ है।...
किसी पर्वत प्रदेश में मन्दविष नाम का एक वृद्ध सर्प रहा करता था। एक दिन वह विचार करने लगा कि ऐसा क्या उपाय हो सकता है, जिससे बिना परिश्रम किए ही उसकी आजीविका चलती रहे। उसके मन में तब एक विचार आया। वह समीप के मेढकों से भरे तालाब के पास चला गया। वहां पहुँचकर वह बड़ी बेचैनी से इधर-उधर घूमने लगा। उसे इस प्रकार घूमते देखकर तालाब के किनारे एक पत्थर पर...
वेस्सभू बुद्ध पालि परम्परा में इक्कीसवें बुद्ध के रुप में मान्य हैं । उनके पिता का नाम सुप्पतित्त तथ माता का नाम यसवती था। उनका जन्म अनोम नगर में हुआ था तथा उनका नाम वेस्सभू रखा गया । उनकी पत्नी का नाम सुचित्रा तथा पुत्र का नाम सुप्पबुद्ध था। उन्होंने अपने प्रथम उपदेश अपने दो भाई सोन और उत्तर को दिये थे, जो कि उनके दो प्रमुख शिष्यों के रुप में...
फारस देश में बीस दिन की राह पर एक देश खलदान है। उस देश में कई टापू भी शामिल हैं। बहुत दिन पहले वहाँ का बादशाह शाहजमाँ था। उसके चार पत्नियाँ थीं और सात विशेष दासियाँ। वह बड़ा प्रतापी राजा था, उसके देश में समृद्धि और शांति का राज्य था। कोई शत्रु उसके देश पर निगाह नहीं लगाए था किंतु उसे एक बड़ा दुख था कि उसके कोई संतान नहीं थी। एक दिन उसने अपने...
जातक या जातक पालि या जातक कथाएँ बौद्ध ग्रंथ त्रिपिटक का भाग है । जातक कथाओं को विश्व की प्राचीनतम लिखित कहानियों में गिना जाता है जिसमे लगभग 600 कहानियाँ संग्रह की गयी है। इन कथाओं मे मनोरंजन के माध्यम से नीति और धर्म को समझाने का प्रयास किया गया है। चूंकि ‘जातक कथाएँ’ बुद्ध के सम्बन्धी कथाएँ है इसलिए अधिकतर कहानियों में वे ही प्रधान पात्र के रूप...
मध्य पूर्वी देश से एक ईरानी शेख व्यापारी महाराज कृष्णदेव राय का अतिथि बन कर आता है। महाराज अपने अतिथि का सत्कार बड़े भव्य तरीके से करते हैं और उसके अच्छे खाने और रहने का प्रबंध करते हैं, और साथ ही कई अन्य सुविधाएं भी प्रदान करते हैं। एक दिन भोजन पर महाराज का रसोइया शेख व्यापारी के लिए रसगुल्ले बना कर लता है। व्यापारी कहता है कि उसे रसगुल्ले नहीं...
किसी गांव में एक धुनिया रूई बुनने वाला रहता था वह बडा मेहनती था और हमेशा खुश रहता था. लोग उसके भाग्य से ईष्या करते थे और अक्सर उसे सफेद भूत कहकर चिढाते थे क्योंकि काम करते समय उसे बहुत पसीना आता था और रूई धुनते समय रूई के छोटे-छोटे फोंहे उसके बदन से चिपक जाते थे. इसलिए उसका नाम सफेद भूत पड गया था. बच्चे भी उसे सफेद भूत कहकर चिढाते थे. जब भी ऐसा...
हिमालय की तराई में कभी एक बौद्ध साधु रहता था, जिसके उपदेश सुनने एक दबंग दुष्ट (दैत्य) भी आता था। किन्तु दबंग दुष्ट अपनी दानवी(दमन करने की वृत्ति) प्रवृत्ति के कारण राहगीरों को लूटता था और उन्हें मारता था । एक बार उसने काशी के एक धनी सेठ की पुत्री और उसके अनुचरों की सवारी पर आक्रमण किया । दैत्य को देखते ही उस कन्या के सारे अनुचर अपने अस्र-शस्र छोड़...
आरत कैय हरि भक्ति करु, सब कारज सिध होये करम जाल भव जाल मे, भक्त फंसे नहि कोये। प्रभु की भक्ति आर्त स्वर में करने से आप के सभी कार्य सफल होंगे। सांसारिक कर्मों के सभी जाल भक्तों को कमी फाॅंस नहीं सकते हैं। प्रभु भक्तों की सब प्रकार से रक्षा करते है। Aarat kai Hari bhakti karu,sab karaj sidh hoye Karam jal bhav jal me,bhakt fase nahi koye. If one...
कथा है कि चीन के सम्राट ने बोधिधर्म से पूछाः ‘मेरा चित्त अशांत है, बेचैन है। मेरे भीतर निरंतर अशांति मची रहती है । मुझे थोड़ी शांति दें या मुझे कोई गुप्त मंत्र बताएं कि कैसे मैं आंतरिक मौन को उपलब्ध होऊं।’’ बोधिधर्म ने सम्राट से कहाः ‘आप सुबह ब्रह्यमुहुर्त में यहां आ जाएं, चार बजे सुबह आ जाएं। जब यहां कोई भी न हो, जब मैं यहां अपने झोपड़े में अकेला...
जब नन्द के प्रत्यावर्तन की सभी आशाएँ विफल हो गईं, तो शनै:-शनै: जनपद कल्याणी इस दु:ख से उबरने लगीं। थोड़े समय बाद, उन्हें लगा कि उनका सम्पूर्ण जीवन व्यर्थ और उद्देश्यहीन हो चुका है, सो उन्होंने संघ में शरण लेने का विचार बनाया। प्रजापति के निर्देशन में उन्होंने सांसारिक जीवन का परित्याग कर दिया और संघ में शरण ले ली। तब तक बुद्ध ने संघ में भिक्षुणियों...
बहुत समय पहले की बात है , आइस्लैंड के उत्तरी छोर पर एक किसान रहता था . उसे अपने खेत में काम करने वालों की बड़ी ज़रुरत रहती थी लेकिन ऐसी खतरनाक जगह , जहाँ आये दिन आंधी –तूफ़ान आते रहते हों , कोई काम करने को तैयार नहीं होता था . किसान ने एक दिन शहर के अखबार में इश्तहार दिया कि उसे खेत में काम ...
सोलहवीं पुतली – सत्यवती ने जो कथा कही वह इस प्रकार है- राजा विक्रमादित्य के शासन काल में उज्जैन नगरी का यश चारों ओर फैला हुआ था। एक से बढ़कर एक विद्वान उनके दरबार की शोभा बढ़ाते थे और उनकी नौ जानकारों की एक समिति थी जो हर विषय पर राजा को परामर्श देते थे, तथा राजा उनके परामर्श के अनुसार ही राज-काज सम्बन्धी निर्णय लिया करते थे। एक बार ऐश्वर्य...
सम्राट अकबर के राज्य में आश्रम में एक संत रहते थे वह सही भविष्यवाणी करने के लिए जाना जाता था एक बार एक आगंतुक जो अपनी भतीजी का इलाज कराने के लिए आया था। बच्चे के माता-पिता लड़की की आँखों के सामने मारे गए थे। उसने संत को देखा, तो उसने जोर से चीखना शुरू कर दिया कि वह संत ही अपराधी था। लड़की के शब्दों से नाराज होकर, संत ने इस जोड़े को अपने बच्चे के...