कबीर के दोहे – विरह/Separation

अंखियाॅ तो झैन परि, पंथ निहार निहार जीव्या तो छाला पारया, हरि पुकार पुकार। प्रभु की राह देखते-देखते आॅंखें में काला झम्ई पड़ गया है और हरि का नाम पुकारते-पुकारते जीव मे छाला पड़ गया है। प्रभु तुम कब आओगे। Aakhiyan to jhain pari , panth nihar nihar Jivya to chhala parya , Hari pukar pukar . There has been darkness around my eyes continuously seeing...

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गौतम की बुद्धत्व प्राप्ति -जातक कथा

कपिलवस्तु के शाक्यवंशीय सुद्धोदन और महामाया के पुत्र सिद्धार्थ गौतम का जन्म ५६३ ई.पू./४८० ई.पू. में वैशाख-पूर्णिमा के दिन लुम्बिनी के उपवन में स्थित एक साल-वृक्ष के नीचे हुआ था जब उनकी माता अपने माता-पिता से मिलने अपने मायके देवदह जा रही थी। पुत्र-जन्म के तत्काल बाद महामाया वापिस कपिलवस्तु लौट आयी थी। शिशु के जन्म की सूचना पाते ही शिशु के दादा...

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असली वर कौन? – बेताल पच्चीसी – पाँचवीं कहानी!

उज्जैन में महाबल नाम का एक राजा रहता था। उसके हरिदास नाम का एक दूत था जिसके महादेवी नाम की बड़ी सुन्दर कन्या थी। जब वह विवाह योग्य हुई तो हरिदास को बहुत चिन्ता होने लगी। इसी बीच राजा ने उसे एक दूसरे राजा के पास भेजा। कई दिन चलकर हरिदास वहाँ पहुँचा। राजा ने उसे बड़ी अच्छी तरह से रखा। एक दिन एक ब्राह्मण हरिदास के पास आया। बोला, “तुम अपनी लड़की मुझे...

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विपस्सी बुद्ध -जातक कथा

पालि परम्परा में विपस्सी उन्नीसवें बुद्ध माने जाते हैं। उनका जन्म बन्धुमती के खेम-उद्यान में हुआ था । उनकी माता का नान भी बन्धुमती था । उनके पिता का नाम बन्धुम था । उनका विवाह सूतना के साथ हुआ था जिससे उन्हें समवत्तसंघ नामक पुत्र की प्राप्ति हुई थी। एक रथ पर सवार हो उन्होंने अपने गृहस्थ-जीवन का परित्याग किया था। तत: आठ महीने के तप के बाद उन्होंने...

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जब मेरी बढ़ती हुई बेटी ने पूछा कि क्या भगवान सिर्फ एक कहानी है, तो मैंने क्यों कहा हाँ…(एक नैतिक तर्कवादी माँ की कहानी )

मेरी बेटी ने एक दिन दोपहर को जो की प्रीस्कूली छात्रा थी घर जाने के रास्ते में कहा; “माँ मुझे भगवान के बारे में बताओ,” एक मिनट पहले हम FM रेडियो से जो गाना आता है कार में बैठे वह गुन गुनाने में लगे हुए थे, अचानक उसकी जिज्ञासा जाग उठा । “ठीक है,” मैंने कहा, जैसा कि मैंने अपने विचार इकट्ठा किए थे कहना सुरु किया, और रेडियो को...

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रोमक कबूतर -जातक कथा

हिमालय पर्वत की किसी कंदरा में कभी रोमक नाम का एक कपोत रहता था। शीलवान्, गुणवान् और अतिमान वह सैकडों कपोतों का राजा भी था। उस पहाड़ के निकट ही एक सँयासी की कुटिया थी। रोमक प्राय: उस सँयासी के पास जाता और उसके प्रवचन का आनन्द उठाया करता था । एक दिन वह सँयासी अपनी उस कुटिया को छोड़ किसी दूसरी जगह चला गया । कुछ दिनों के बाद उसी कुटिया में एक पाखण्डी...

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पत्नी किसकी ? – बेताल पच्चीसी – छठी कहानी!

धर्मपुर नाम की एक नगरी थी। उसमें धर्मशील नाम का राजा राज करता था। उसके अन्धक नाम का दीवान था। एक दिन दीवान ने कहा, “महाराज, एक मन्दिर बनवाकर देवी को बिठाकर पूजा की जाए तो बड़ा पुण्य मिलेगा।” राजा ने ऐसा ही किया। एक दिन देवी ने प्रसन्न होकर उससे वर माँगने को कहा। राजा के कोई सन्तान नहीं थी। उसने देवी से पुत्र माँगा। देवी बोली, “अच्छी...

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कमरुज्जमाँ और बदौरा की कहानी – अलिफ लैला

फारस देश में बीस दिन की राह पर एक देश खलदान है। उस देश में कई टापू भी शामिल हैं। बहुत दिन पहले वहाँ का बादशाह शाहजमाँ था। उसके चार पत्नियाँ थीं और सात विशेष दासियाँ। वह बड़ा प्रतापी राजा था, उसके देश में समृद्धि और शांति का राज्य था। कोई शत्रु उसके देश पर निगाह नहीं लगाए था किंतु उसे एक बड़ा दुख था कि उसके कोई संतान नहीं थी। एक दिन उसने अपने...

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महात्मा जी की बिल्ली

एक बार एक महात्माजी अपने कुछ शिष्यों के साथ जंगल में आश्रम बनाकर रहते थें, एक दिन कहीं से एक बिल्ली का बच्चा रास्ता भटककर आश्रम में आ गया । महात्माजी ने उस भूखे प्यासे बिल्ली के बच्चे को दूध-रोटी खिलाया । वह बच्चा वहीं आश्रम में रहकर पलने लगा। लेकिन उसके आने के बाद महात्माजी को एक समस्या उत्पन्न हो गयी कि जब वे सायं ध्यान में बैठते तो वह बच्चा कभी...

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अभागा बुनकर ~ पंचतंत्र

एक नगर में सोमिलक नाम का जुलाहा रहता था । विविध प्रकार के रंगीन और सुन्दर वस्त्र बनाने के बाद भी उसे भोजन-वस्त्र मात्र से अधिक धन कभी प्राप्त नहीं होता था । अन्य जुलाहे मोटा-सादा कपड़ा बुनते हुए धनी हो गये थे । उन्हें देखकर एक दिन सोमलिक ने अपनी पत्‍नी से कहा-“प्रिये ! देखो, मामूली कपड़ा बुनने वाले जुलाहों ने भी कितना धन-वैभव संचित कर लिया है...

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किस्सा वजीर का – अलिफ लैला

प्राचीन समय में एक राजा था उसके राजकुमार को मृगया का बड़ा शौक था। राजा उसे बहुत चाहता था, राजकुमार की किसी इच्छा को अस्वीकार नहीं करता था। एक दिन राजकुमार ने शिकार पर जाना चाहा। राजा ने अपने एक अमात्य को बुलाकर कहा कि राजकुमार के साथ चले जाओ; तुम्हें सब रास्ते मालूम हैं, राजकुमार को नहीं मालूम, इसलिए एक क्षण के लिए भी राजकुमार का साथ न छोड़ना।...

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गन्दा तालाब

फ्रेडी मेंढक एक तालाब के पास से गुजर रहा था , तभी उसे किसी की दर्द भरी आवाज़ सुनाई दी . उसने रुक के देखा तो फ्रैंक नाम का एक मेंढक उदास बैठा हुआ था . ” क्या हुआ , तुम इतने उदास क्यों हो ?” , फ्रेडी ने पुछा . ” देखते नहीं ये तालाब कितना गन्दा है …यहाँ ज़िन्दगी कितनी कठिन है ,” फ्रैंक ने बोलना शुरू किया , “पहले यहाँ इतने सारे कीड़े-मकौड़े हुआ करते थे...

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हैबिट्स जो बना सकतीं हैं आपको सक्सेसफुल

आपकी ज़िन्दगी बस यूँ ही नहीं घट जाती. चाहे आप जानते हों या नहीं, ये आप ही के द्वारा डिजाईन की जाती है. आखिरकार आप ही अपने विकल्प चुनते हैं. आप खुशियाँ चुनते हैं. आप दुःख चुनते हैं. आप निश्चितता चुनते हैं. आप अपनी अनिश्चितता चुनते हैं. आप अपनी सफलता चुनते हैं. आप अपनी असफलता चुनते हैं. आप साहस चुनते हैं. आप डर चुनते हैं. इतना याद रखिये कि हर एक...

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चाणक्य नीति : द्वितीय अध्याय

1.  झूठ बोलना, कठोरता, छल करना, बेवकूफी करना, लालच, अपवित्रता  और निर्दयता ये औरतो के कुछ नैसर्गिक दुर्गुण है। 2. भोजन के योग्य पदार्थ और भोजन करने की क्षमता, सुन्दर स्त्री और उसे भोगने के लिए काम शक्ति, पर्याप्त धनराशी तथा दान देने की भावना – ऐसे संयोगों का होना सामान्य तप का फल नहीं है। 3. उस व्यक्ति ने धरती पर ही स्वर्ग को पा लिया : १...

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चाणक्य नीति : सत्रहवां अध्याय

1. वह विद्वान जिसने असंख्य किताबो का अध्ययन बिना सदगुरु के कर लिया वह विद्वानों की सभा में एक सच्चे विद्वान के रूप में सम्मानित नहीं होता, जिस प्रकार एक नाजायज औलाद को दुनिया में कोई प्रतिष्ठा हासिल नहीं होती. 2. हमें दुसरो से जो मदद प्राप्त हुई है उसे हमें लौटना चाहिए. उसी प्रकार यदि किसीने हमसे यदि दुष्टता की है तो हमें भी उससे दुष्टता करनी...

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काला या सफ़ेद

मास्टर जी क्लास में पढ़ा रहे थे , तभी पीछे से दो बच्चों के आपस में झगड़ा करने की आवाज़ आने लगी। “क्या हुआ तुम लोग इस तरह झगड़ क्यों रहे हो ? ” , मास्टर जी ने पूछा। राहुल : सर , अमित अपनी बात को लेकर अड़ा है और मेरी सुनने को तैयार ही नहीं है। अमित : नहीं सर , राहुल जो कह रहा है वो बिलकुल गलत है इसलिए उसकी बात सुनने से कोई फायदा नही। और ऐसा कह कर वे फिर...

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पुराना कुंवा

दो छोटे लड़के घर से कुछ दूर खेल रहे थे । खेलने में वे इतने मस्त थे कि उन्हें पता ही नहीं चला कि वे भागते-भागते कब एक सुनसान जगह पहुँच गए । उस जगह एक पुराना कुंवा था , और उनमे से एक लड़का गलती से उस कुवें में जा गिरा । “बचाओ-बचाओ”, वो चीखने लगा। दूसरा लड़का एकदम से डर गया और मदद के लिए चिल्लाने लगा , पर उस सुनसान जगह कहाँ कोई मदद को आने वाला था। फिर...

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कबीर के दोहे – मन/Mind

कबहुुक मन गगनहि चढ़ै, कबहु गिरै पाताल कबहु मन अनमुनै लगै, कबहु जाबै चाल। कभी तो मन मगन में बिहार करता है। और कभी पाताल लोक में गिर जाता है। कभी मन ईश्वर के गहन चिंतन में रहता है और कभी सांसारिक बिषयों में भटकता रहता है।यह मन अत्यंत चंचल है। Kabahuk Mann gaganahi chadhai,kabahu giray patal Kabahu Mann unmuni lagai,kabahu jabai chal. Sometimes the...

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पुरानी पेंटिंग

बहुत समय पहले की बात है ,उन्नीसवीं सदी के मशहूर पेंटर दांते गेब्रियल रोजेटी के पास एक अधेड़ उम्र का व्यक्ति पहुंचा. उसके पास कुछ स्केच और  ड्राइंगस  थीं जो वो रोजेटी को दिखा कर उनकी राय जानना चाहता था की वे अच्छी हैं , या कम से कम उन्हें देखकर कलाकार में कुछ टैलेंट जान पड़ता है . रोजेटी ने ध्यान से उन  ड्राइंगस को देखा . वह जल्द ही समझा गए कि वे...

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मूंछें

एक दिन सम्राट अकबर ने एक प्रश्न के साथ अपने दरबारियों को चौंका दिया। “अगर किसी ने मेरी मूंछ को खींच लिया तो उसे किस तरह की सजा दी जानी चाहिए?” ।  “उसे कोडे मारने चाहिए!” एक दरबारी ने कहा “उसे फांसी दी जानी चाहिए!” एक तिहाई ने कहा “उसका सिर काट लिया जाना चाहिए!”। “और तुम बीरबल?” सम्राट ने पूछा; बीरबल ने कहा, “उन्हें मिठाई दी जानी चाहिए।” “मिठाइयाँ...

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किसी भी विज्ञापन को विश्वास करने से पहले जांच करें ।

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