एक नगर में चार ब्राह्मण(वैदिक वर्ण व्यवस्था के ऊँची सामाजिक पहचान; जो की पुजारी वृत्ति करते हैं; निर्जीव मूर्तियों को संस्कृत की मंत्र यानी गाना सुनाते हैं और उन निर्जीव मूर्तियों के आगे जीवित प्राणी के हत्या करवाते हैं) पुत्र रहते थे । चारों में गहरी मैत्री थी । चारों ही निर्धन थे । निर्धनता को दूर करने के लिए चारों चिन्तित थे । उन्होंने अनुभव कर...
उदर समाता मांगि लै, ताको नाहि दोश कहि कबीर अधिका गहै, ताको गति ना मोश। पेट भरने योग्य भिक्षा माॅंगने में कोई बुराई नहीं है। परंतु जो जमा करने के लिये अधिक भीख मांगता है- कबीर कहते है की उसकी मुक्ति मोक्ष कतई संभव नहीं है। Udar samata mangi lai,tako nahi dosh Kahai Kabir adhika gahai,tako gati na mosh. There is no defect in demanding to fill the...
सवे रहीम नर धन्य हैं पर उपकारी अंग बाॅटन बारे को लगे ज्यों मेंहदी को रंग । वह मनुश्य धन्य है जिसका शरीर परोपकार में लगा है जैसे मेंहदी पीसने बाले को हाथ में लग कर उसे सुन्दर बना देती है। संतत संपति जानि कै सबको सब कुछ देत दीनबंधु बिन दीन की को रहीम सुधि लेत । धनी लोगों की मदद सब करता है कयोंकि जरूरत के समय वे उनकी मदद कर सकते हैं । किंतु गरीब की...
लोमड़ी और अंगूर – एक लोमडी भूखी-प्यासी जंगल में इधर-उधर भटक रही थी लेकिन उसे कहीं कुछ खाने को न मिला. बेचारी पानी पीकर पेट भरतीं और आगे बढ जाती. घुमती-घुमती वह अंगूरों के एक बगीचे में पहुची वहां बैलों पर पके अगूरों के लटकते गुच्छे को देखते ही भूखी लोमडी के मूंह में पानी भर गया. वह अपने पिछले पैरों पर उछल-उछल कर अंगूर के गुच्छों तक पहूंचने की चेष्ठा...
मियां शेख चिल्ली चले चोरों के संग “चोरी करने” एक बार अंधेरी रात में मियां शेख चिल्ली अपने घर की ओर चले जा रहे थे। तभी अचानक उनके पास से चार चोर गुज़रे। चुप-चाप दबे पाँव आगे बढ़ रहे चोरों के पास जा कर मियां शेख चिल्ली नें उनसे पूछा कि आप सब इस वक्त कहाँ जा रहे हैं। चोरों नें सोचा कि मियां शेख चिल्ली भी उन्ही की तरह कोई चोर है और साफ-साफ बता दिया कि...
कपिलवस्तु के शाक्यवंशीय सुद्धोदन और महामाया के पुत्र सिद्धार्थ गौतम का जन्म ५६३ ई.पू./४८० ई.पू. में वैशाख-पूर्णिमा के दिन लुम्बिनी के उपवन में स्थित एक साल-वृक्ष के नीचे हुआ था जब उनकी माता अपने माता-पिता से मिलने अपने मायके देवदह जा रही थी। पुत्र-जन्म के तत्काल बाद महामाया वापिस कपिलवस्तु लौट आयी थी। शिशु के जन्म की सूचना पाते ही शिशु के दादा...
सिंहासन बत्तीसी/सिंघासन बत्तीसी एक लोककथा संग्रह है। प्रजा से प्रेम करने वाले,न्याय प्रिय, जननायक, प्रयोगवादी एवं दूरदर्शी महाराजा विक्रमादित्य इंडियन लोककथाओं के एक बहुत ही चर्चित पात्र रहे हैं। उनके इन अद्भुत गुणों का बखान करती अनेक कथाएं हम बचपन से ही पढ़ते आए हैं । सिंहासन बत्तीसी भी ऐसी ही ३२ कथाओं का संग्रह है जिसमें ३२ पुतलियाँ विक्रमादित्य...
सिंदबाद ने कहा, दोस्तो, मैंने दृढ़ निश्चय किया था कि अब कभी जल यात्रा न करूँगा। मेरी अवस्था भी इतनी हो गई थी कि मैं कहीं आराम के साथ बैठ कर दिन गुजारता। इसीलिए मैं अपने घर में आनंदपूर्वक रहने लगा। एक दिन अपने मित्रों के साथ भोजन कर रहा था कि एक नौकर ने आ कर कहा कि खलीफा के दरबार से एक सरदार आया है, वह आपसे बात करना चाहता है। मैं भोजन करके बाहर गया...
एक बार 2 पडोसीयों के बीच आम के पेड को लेकर झगडा हो गया, झगडे ने इतना उग्र रूप धारण कर लिया कि एक पडोसी केशव ने बादशाह के यहां जाकर फरियाद की कि उदयवीर नामक मेरा पडोसी मेरे लगाये हुए पेड पर कब्जा करना चाहता हैं. जबकि 7 सालों से मैं उसकी देखभाल कर रहा हूं, इसलिए मुझे न्याय दिया जाये। इस मामले का निपटारा करने का हुक्म बीरबल को मिला, आज्ञा पाकर बीरबल...
अकबर बीरबल से तरह-तरह के अजीबो-गरीब प्रश्न पूछा करते थे. कुछ प्रश्न ऐसे भी होते थे जो वह बीरबल की बुद्धि की परीक्षा लेने के लिए पुछते थे. एक बार बादशाह अकबर बीरबल से बोले – बीरबल इस दुनिया में कोई अमीर है कोई गरीब हैं ऐसा क्यों होता है ? सब लोग ईश्वर को परमपिता कहते हैं इस नाते सभी आदमी उनके पुत्र ही हुए. पिता अपने बच्चों को सदा खुशाल देखना चाहता...
तीसरी पुतली चन्द्रकला ने जो कथा सुनाई वह इस प्रकार है। एक बार पुरुषार्थ और भाग्य में इस बात पर ठन गई कि कौन बड़ा है। पुरुषार्थ कहता कि बगैर मेहनत के कुछ भी सम्भव नहीं है जबकि भाग्य का मानना था कि जिसको जो भी मिलता है भाग्य से मिलता है परिश्रम की कोई भूमिका नहीं होती है। उनके विवाद ने ऐसा उग्र रुप ग्रहण कर लिया कि दोनों को देवराज इन्द्र के पास जाना...
एक बार देवों और दानवों में भयंकर संग्राम हुआ । उस युद्ध में देव पराजित हुए और भाग खड़े हुए। देवों के राजा शक्र (सक्क) उस समय दानवों को पूरी टक्कर रहे थे। उनके सारथी ने जब देवों की सेना को भागते देखा तो वह देवराज के रथ को भगाता आकाश में ले उड़ा। दानवों ने उस रथ के तेजी से पीछा किया। तभी शक्र की दृष्टि ऊँचे-उँचे पेड़ों पर स्थित चीलों के घोंसलों पर पड़ी।...
अमावस्या का दिन था। एक व्यक्ति उसी दिन समुद्र-स्नान करने के लिए गया, किन्तु स्नान करने के बजाय वह किनारे बैठा रहा। किसी ने पूछा, “स्नान करने आये हो तो किनारे पर ही क्यों बैठे हो ? स्नान कब करोगे ? उस व्यक्ति ने उत्तर दिया कि “इसी समय समुद्र अशान्त है। उसमे ऊँची-ऊँची लहरे उठ रही है; जब लहरे बंद होगी और जब उपयुक्त समय आएगा तब मैं स्नान कर लूंगा। ”...
कबीर दुनिया से दोस्ती, होेये भक्ति मह भंग एंका ऐकी हरि सो, कै साधुन के संग। कबीर का कहना है की दुनिया के लोगों से मित्रता करने पर भक्ति में बाधा होती है। या तो अकेले में प्रभु का सुमिरन करो या संतो की संगति करो। Kabir dunia se dosti, hoye bhakti mah bhang Eka eki Hari so, kai sadhun ke sang. Kabir says friendship with the world, hinders my...
अयोध्या नगरी में वीरकेतु नाम का राजा राज करता था। उसके राज्य में रत्नदत्त नाम का एक साहूकार था, जिसके रत्नवती नाम की एक लड़की थी। वह सुन्दर थी। वह पुरुष के भेस में रहा करती थी और किसी से भी ब्याह नहीं करना चाहती थी। उसका पिता बड़ा दु:खी था। इसी बीच नगर में खूब चोरियाँ होने लगी। प्रजा दु:खी हो गयी। कोशिश करने पर भी जब चोर पकड़ में न आया तो राजा...
एक राजा बहुत बड़ा प्रजापालक था, हमेशा प्रजा के हित में प्रयत्नशील रहता था. वह इतना कर्मठ था कि अपना सुख, ऐशो-आराम सब छोड़कर सारा समय जन-कल्याण में ही लगा देता था . यहाँ तक कि जो मोक्ष का साधन है अर्थात भगवत-भजन, उसके लिए भी वह समय नहीं निकाल पाता था. एक सुबह राजा वन की तरफ भ्रमण करने के लिए जा रहा था कि उसे एक देव के दर्शन हुए. राजा ने देव को प्रणाम...
किसी ज़माने में अंगदेश मे यशकेतु नाम का राजा था। उसके दीर्घदर्शी नाम का बड़ा ही चतुर दीवान था। राजा बड़ा विलासी था। राज्य का सारा बोझ दीवान पर डालकर वह भोग में पड़ गया। दीवान को बहुत दु:ख हुआ। उसने देखा कि राजा के साथ सब जगह उसकी निन्दा होती है। इसलिए वह तीरथ का बहाना करके चल पड़ा। चलते-चलते रास्ते में उसे एक शिव-मन्दिर मिला। उसी समय निछिदत्त नाम...
शहरजाद ने कहा, बादशाह सलामत, पुराने जमाने में हिंदोस्तान का एक बादशाह बड़ा प्रतापी और ऐश्वर्यवान था। उसके तीन बेटे थे। बड़े का नाम हुसैन, मँझले का अली और छोटे का अहमद था। बादशाह का एक भाई जब मरा तो उसने उसकी पुत्री को अपने महल में रख कर उसका पालन-पोषण किया। उसने उसकी शिक्षा-दीक्षा के लिए कई गुणवान और विद्वान नियुक्त किए। वह बचपन में अपने चचेरे...
एक छोटे से कसबे में समीर नाम का एक लड़का रहता था। बचपन में ही पिता की मृत्यु हो जाने के कारण परिवार की आर्थिक स्थिति बड़ी दयनीय थी, समीर की माँ कुछ पढ़ी-लिखी ज़रुर थीं लेकिन उतनी पढाई से नौकरी कहाँ मिलने वाली थी सो घर-घर बर्तन मांज कर और सिलाई-बुनाई का काम करके किसी तरह अपने बच्चे को पढ़ा-लिखा रही थीं। समीर स्वाभाव से थोड़ा शर्मीला था और अक्सर चुप-चाप...
एक वृद्ध व्यक्ति हवाईजहाज से न्यूयार्क जा रहा था. बीच के एक एयरपोर्ट पर एक युवक भी उसमें सवार हुआ. उस युवक के बैग को देखकर लगता था कि वह शायद किसी इंश्योरेंस कंपनी का एक्जीक्यूटिव था. युवक को उस वृद्ध व्यक्ति के पास की सीट मिली. कुछ देर चुपचाप बैठे रहने के बाद उसने वृद्ध से पूछा, “सर, आपकी घड़ी में कितना समय हुआ है?” वृद्ध कुछ देर चुप रहा, फिर...