शहरजाद ने कहा कि हे स्वामी, एक वृद्ध और धार्मिक प्रवृत्ति का मुसलमान मछुवारा मेहनत करके अपने स्त्री-बच्चों का पेट पालता था। वह नियमित रूप से प्रतिदिन सवेरे ही उठकर नदी के किनारे जाता और चार बार नदी में जाल फेंकता था। एक दिन सवेरे उठकर उसने नदी में जाल डाला। उसे निकालने लगा तो जाल बहुत भारी लगा। उसने समझा कि आज कोई बड़ी भारी मछली हाथ आई है लेकिन...
1 जनवरी, 1906 कामरेड, गरीबी की क्रूरता के विरुद्ध संघर्ष का अर्थ है, दुनिया में फैले उत्पीडऩ के जाल से मुक्ति के लिए छेडी गई जंग, और ढेरों असभ्य विरोधाभासों से भरी इस लड़ाई को लोग बहुत ही कमजोर तरीके से लड़ रहे हैं. आप पुरुषोचित तरीके से पूरी ताकत के साथ इस जाल को काटने की कोशिशों में लगे हैं, उधर आपके दुश्मन आपकी कोशिशों को तोडऩे और आप को हर संभव...
एक मोर को अपनी खूबसूरती पर बडा घमंड था, वह रोज नदी किनारे जाता और पानी में अपनी परछाई देखकर बहुत खुश होता. वह कहता जरा मेरी पूछ तो देखो कितनी मनमोहक है. मैं दुनिया का सबसे सुंदर पक्षी हूं. एक दिन मोर को नदी किनारे एक सारस दिखाई दिया उसने सारस को देखकर अपेक्षा भाव से मूंह फेर लिया और उसका अपमान करते हुए बोला – कितने बदंरग पक्षी हो तुम, तुम्हारें...
साधू की झोपड़ी एक गाँव के पास दो साधू अपनी अपनी झोपड़ियाँ बना कर रहते थे। दिन के वक्त वह दोनों गाँव जा कर भिक्षा मांगते और उसके बाद पूरा दिन पूजा-पाठ करते थे। एक दिन भारी तूफान और आँधी आने के कारण उनकी झोपड़ियाँ जगह-जगह से टूट-फूट गयीं और बहुत हद तक बर्बाद हो गयीं। पहला साधू यह सब देख कर दुख के मारे विलाप करने लगा और बोला, हे ईश्वर ! तूने मेरे साथ यह...
जे गरीब सों हित करै धनि रहीम वे लोग कहा सुदामा बापुरो कृश्राा मिताई जोग । रहीम कहते हैं कि जो लोग निर्धन और असहाय की सहायता करते हैं वे धन्य हैं । निर्धन सुदामा से मित्रता कर कृश्ण ने उसकी निर्धनता दूर की । इसी से वे दीनबंधु कहलाये । गहि सरनागत राम की भवसागर की नाव रहिमन जगत ईधार कर और न कछु उपाव। इस संसार सागर की नाव राम की शरराा में है। वही हमें...
बहुत समय पहले की बात है , दो दोस्त बीहड़ इलाकों से होकर शहर जा रहे थे । गर्मी बहुत अधिक होने के कारण वो बीच -बीच में रुकते और आराम करते । उन्होंने अपने साथ खाने-पीने की भी कुछ चीजें रखी हुई थीं । जब दोपहर में उन्हें भूख लगी तो दोनों ने एक जगह बैठकर खाने का विचार किया । खाना खाते – खाते दोनों में किसी बात को लेकर बहस छिड गयी । ।और धीरे -धीरे...
किसी नगर में मांडलिक नाम का राजा राज करता था। उसकी पत्नी का नाम चडवती था। वह मालव देश के राजा की लड़की थी। उसके लावण्यवती नाम की एक कन्या थी। जब वह विवाह के योग्य हुई तो राजा के भाई-बन्धुओं ने उसका राज्य छीन लिया और उसे देश-निकाला दे दिया। राजा रानी और कन्या को साथ लेकर मालव देश को चल दिया। रात को वे एक वन में ठहरे। पहले दिन चलकर भीलों की नगरी में...
मध्य पूर्वी देश से एक ईरानी शेख व्यापारी महाराज कृष्णदेव राय का अतिथि बन कर आता है। महाराज अपने अतिथि का सत्कार बड़े भव्य तरीके से करते हैं और उसके अच्छे खाने और रहने का प्रबंध करते हैं, और साथ ही कई अन्य सुविधाएं भी प्रदान करते हैं। एक दिन भोजन पर महाराज का रसोइया शेख व्यापारी के लिए रसगुल्ले बना कर लता है। व्यापारी कहता है कि उसे रसगुल्ले नहीं...
एक बार की बात है कि एक बाज का अंडा मुर्गी के अण्डों के बीच आ गया । कुछ दिनों बाद उन अण्डों में से चूजे निकले, बाज का बच्चा भी उनमे से एक था । वो उन्ही के बीच बड़ा होने लगा । वो वही करता जो बाकी चूजे करते, मिटटी में इधर-उधर खेलता, दाना चुगता और दिन भर उन्हीकी तरह चूँ-चूँ करता । बाकी चूजों की तरह वो भी बस थोडा सा ही ऊपर उड़ पाता , और पंख फड़-फडाते...
सिंहासन बत्तीसी/सिंघासन बत्तीसी एक लोककथा संग्रह है। प्रजा से प्रेम करने वाले,न्याय प्रिय, जननायक, प्रयोगवादी एवं दूरदर्शी महाराजा विक्रमादित्य इंडियन लोककथाओं के एक बहुत ही चर्चित पात्र रहे हैं। उनके इन अद्भुत गुणों का बखान करती अनेक कथाएं हम बचपन से ही पढ़ते आए हैं । सिंहासन बत्तीसी भी ऐसी ही ३२ कथाओं का संग्रह है जिसमें ३२ पुतलियाँ विक्रमादित्य...
अगली सुबह से पहले शहरजाद ने नई कहानी शुरू करते हुए कहा कि पहले जमाने में बसरा बगदाद के अधीन था। बगदाद में खलीफा हारूँ रशीद का राज था और उसने अपने चचेरे भाई जुबैनी को बसरा का हाकिम बनाया था। जुबैनी के दो मंत्री थे। एक का नाम था खाकान और दूसरे का सूएखाकान। खाकान उदार और क्षमाशील था और इसलिए बड़ा लोकप्रिय था। सूएखाकान उतना ही क्रूर और अन्यायी था और...
जंगल के एक बड़े वट-वृक्ष की खोल में बहुत से बगुले रहते थे । उसी वृक्ष की जड़ में एक साँप भी रहता था । वह बगलों के छोटे-छोटे बच्चों को खा जाता था । एक बगुला साँप द्वार बार-बार बच्चों के खाये जाने पर बहुत दुःखी और विरक्त सा होकर नदी के किनारे आ बैठा । उसकी आँखों में आँसू भरे हुए थे । उसे इस प्रकार दुःखमग्न देखकर एक केकड़े ने पानी से निकल कर उसे कहा :...
जापान के टोक्यो शहर के निकट एक कस्बा अपनी खुशहाली के लिए प्रसिद्द था . एक बार एक व्यक्ति उस कसबे की खुशहाली का कारण जानने के लिए सुबह -सुबह वहाँ पहुंचा . कस्बे में घुसते ही उसे एक कॉफ़ी -शॉप दिखायी दी। उसने मन ही मन सोचा कि मैं यहाँ बैठ कर चुप -चाप लोगों को देखता हूँ , और वह धीरे -धीरे आगे बढ़ते हुए शॉप के अंदर लगी एक कुर्सी पर जा कर बैठ गया . कॉफ़ी...
बहुत समय पहले की बात है, सुब्रोतो लगभग 20 साल का एक लड़का था और कलकत्ता की एक कॉलोनी में रहता था। उसके पिताजी एक भट्टी चलाते थे जिसमे वे दूध को पका-पका कर खोया बनाने का काम करते थे। सुब्रोतो वैसे तो एक अच्छा लड़का था लेकिन उसमे फिजूलखर्ची की एक बुरी आदत थी। वो अक्सर पिताजी से पैसा माँगा करता और उसे खाने-पीने या सिनेमा देखने में खर्च कर देता। एक दिन...
दो मित्र धर्मबुद्धि और पापबुद्धि हिम्मत नगर में रहते थे। एक बार पापबुद्धि के मन में एक विचार आया कि क्यों न मैं मित्र धर्मबुद्धि के साथ दूसरे देश जाकर धनोपार्जन कर्रूँ। बाद में किसी न किसी युक्ति से उसका सारा धन ठग-हड़प कर सुख-चैन से पूरी जिंदगी जीऊँगा। इसी नियति से पापबुद्धि ने धर्मबुद्धि को धन और ज्ञान प्राप्त होने का लोभ देते हुए अपने साथ बाहर...
एक राजकुमार था। उसका नाम कंदरी था। वह बहुत ही सुन्दर था और प्रतिदिन हज़ार घटों के इत्र से नहाता था। भोजन भी वह सुगंधित लकड़ियों की थाल में करता था। उसका रुप यौवन और उसकी जीवन चर्या इतनी आकर्षक थी कि कोई भी कन्या उस पर अनायास मुग्ध हो उठती थी। युवावस्था में ही वह राजा बना और उसका विवाह किन्नरा नाम की एक राजकुमारी से हुआ। वह अपनी रानी से इतना प्यार...
दान में प्राप्त बछड़े को एक ब्राह्मण ने बड़े ही ममत्व के साथ पाला-पोसा और उसका नाम नन्दीविसाल रखा । कुछ ही दिनों में वह बछड़ा एक बलिष्ठ बैल बन गया । नन्दीविसाल बलिष्ठ ही नहीं एक बुद्धिमान और स्वामिभक्त बैल था । उसने एक दिन ब्राह्मण के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करते हुए कहा, ” हे ब्राह्मण ! आपने वर्षों मेरा पालन-पोषण किया है। आपने तन-मन और धन से...
बत्तीसवीं पुतली रानी रूपवती ने राजा भोज को सिंहासन पर बैठने की कोई रुचि नहीं दिखाते देखा तो उसे अचरज हुआ। उसने जानना चाहा कि राजा भोज में आज पहले वाली व्यग्रता क्यों नहीं है। राजा भोज ने कहा कि राजा विक्रमादित्य के देवताओं वाले गुणों की कथाएँ सुनकर उन्हें ऐसा लगा कि इतनी विशेषताएँ एक मनुष्य में असम्भव हैं और मानते हैं कि उनमें बहुत सारी कमियाँ है।...
मियां शेख चिल्ली चले लकड़ीयां काटनें एक बार मियां शेख चिल्ली अपने मित्र के साथ जंगल में लकड़ियाँ कांटने गए। एक बड़ा सा पेड़ देख कर वह दोनों दोस्त उस पर लकड़ियाँ काटने के लिए चढ़ गए। मियां शेख चिल्ली अब लकड़ियाँ काटते-काटते लगे अपनी सोच के घोड़े दौड़ने। उन्होने सोचा कि मै इस जंगल से ढेर सारी लकड़ियाँ काटूँगा। उन लकड़ियों को बाज़ार में अच्छे दामों में बेचूंगा।...
हमारा देश का नाम ना भारत था, ना हिन्दुस्तान था, ना इंडिया; ये विशाल भूखंड सदियों छोटे बड़े राज्यों का मिश्रित समूह रहा, ये भूखंड समय के साथ राजाओं के राज से जाना जाता था । ये भूखंड अनेक भाषीय सभ्यता का भूखंड है । आज भी यहाँ १२२ प्रमुख भाषा और १५९९ अन्य भाषाएं देखने मिलते हैं । जितने तरह की प्रमुख भाषाएं है उतने ही भाषीय सभ्यता इस भूखंड पैदा किया ।...