दूसरे फ़कीर की कहानी – अलिफ लैला

अभी पहले फकीर की अद्भुत आप बीती सुनकर पैदा होने वाले आश्चर्य से लोग उबरे नहीं थे कि जुबैदा ने दूसरे फकीर से कहा कि तुम बताओ कि तुम कौन हो और कहाँ से आए हो। उसने कहा कि आपकी आज्ञानुसार मैं आप को बताऊँगा कि मैं कौन हूँ, कहाँ से आया हूँ और मेरी आँख कैसे फूटी। मैं एक बड़े राजा का पुत्र था। बाल्यकाल ही से मेरी विद्यार्जन में गहरी रुचि थी। अतएव मेरे...

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कृतघ्न वानर -जातक कथा

वाराणसी के निकट कभी एक शीलवान गृहस्थ रहता था, जिसके घर के सामने का मार्ग वाराणसी को जाता था। उस मार्ग के किनारे एक गहरा कुआँ था जिसके निकट लोगों ने पुण्य-लाभ हेतु जानवरों को पानी पिलाने के लिए एक द्रोणि बाँध रखी थी । अनेक आते-जाते राहगीर जब कुएँ से पानी खींचते तो जानवरों के लिए भी द्रोणि में पानी भर जाते । एक दिन वह गृहस्थ भी उस राह से गुजरा । उसे...

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मानो मत जानो

मैंने तो नहीं कहा की वह सब गलत है | मैंने तो इतना ही कहा की आप उसे पकड़ लें, तो यह पकड़ लेना गलत है | ऋषि मुनियों से मुझे कोई वास्ता नहीं |क्योंकि ऋषि-मुनि बड़े खतरनाक होते हैं, उनसे वास्ता रखना खतरनाक है | अभी हिंदुस्तान के ऋषि मुनि और शंकराचार्य हाईकोर्ट में मुक़दमा लड़ते हैं | उनसे दोस्ती रखना, उनकी बात ही करना खतरनाक है | लेकिन आप किसको ऋषि कहने...

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सफलता से सिख

एक आठ साल का लड़का गर्मी की छुट्टियों में अपने दादा जी के पास गाँव घूमने आया। एक दिन वो बड़ा खुश था, उछलते-कूदते वो दादाजी के पास पहुंचा और बड़े गर्व से बोला, ” जब मैं बड़ा होऊंगा तब मैं बहुत सफल आसमी बनूँगा। क्या आप मुझे सफल होने के कुछ टिप्स दे सकते हैं?” दादा जी ने ‘हाँ’ में सिर हिला दिया, और बिना कुछ कहे लड़के का हाथ पकड़ा और उसे करीब की पौधशाला में...

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वह लड़का – मैक्सिम गोर्की

यह छोटी-सी कहानी सुनाना काफी कठिन होगा-इतनी सीधी-सादी है यह! जब मैं अभी छोटा ही था, तो गरमियों और वसन्त के दिनों में रविवार को, अपनी गली के बच्चों को इकट्ठा कर लेता था और उन्हें खेतों के पार, जंगल में ले जाता था। इन पंछियों की तरह चहकते, छोटे बच्चों के साथ दोस्तों की तरह रहना मुझे अच्छा लगता था। बच्चों को भी नगर की धूल और भीड़ भरी गलियों से दूर...

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शेख चिल्ली की चिट्ठी

शेख चिल्ली की “चिट्ठी” एक बार मियां शेख चिल्ली के भाई बीमार पड़ गए। इस बात की खबर पाते ही मियां शेख चिल्ली नें अपनें भाई की खैरियत पूछने के लिए चिट्ठी लिखने की सोची। पूर्व काल में डाक व्यवस्था और फोन जैसी आधुनिक सुविधाएं थी नहीं तो खत और चिट्ठियाँ मुसाफिर (लोगों) के हाथों ही भिजवाई जाती थीं। मियां शेख चिल्ली नें अपनें गाँव में नाई से चिट्ठी...

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ईर्ष्यालु बहनों की कहानी – अलिफ लैला

पुराने जमाने में फारस में खुसरो शाह नामी शहजादा था। वह रातों को अक्सर भेस बदल कर सिर्फ एक सेवक को अपने साथ रख कर नगर की सैर किया करता था और संसार की विचित्र बातें देख कर अपना ज्ञान बढ़ाया करता था। जब अपने वृद्ध पिता की मृत्यु होने पर वह राजगद्दी का मालिक हुआ तो उसने अपना नाम कैखुसरो रखा। किंतु उसने भेस बदल कर नगर का घूमना तब भी जारी रखा। हाँ, उसके...

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सफलता का पाठ

इमरान ने बड़े उत्साह के साथ एक बिज़नेस की शुरुआत की , पर 5-6 महीने बाद किसी बड़े घाटे की वजह से उसे बिज़नेस बंद करना पड़ा । इस कारण से वह बहुत उदास रहने लगा ।  और काफी समय बीत जाने पर भी उसने कोई और काम नहीं शुरू किया । इमरान की इस परेशानी का पता प्रोफेसर कृष्णन को लगा , जो पहले कभी उसे पढ़ा चुके थे । “ उन्होंने एक दिन इमरान को अपने घर बुलाया और पूछा ...

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बंदर व्यापार

एक समय की बात है , एक गाँव में एक आदमी आया और उसने गाँव वालों से कहा कि वो बन्दर खरीदने आया है , और वो एक बन्दर के 10 रुपये देगा  ।  चूँकि गाँव में बहुत सारे बन्दर थे इसलिए गाँव वाले तुरंत ही इस काम में लग गए  ।  उस आदमी ने 10 रूपये की rate से 1000 बन्दर खरीद लिए अब बंदरों की supply काफी घट गयी और धीरे धीरे गाँव वालों ने बन्दर पकड़ने का प्रयास बंद...

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नाई के कुबड़े भाई की कहानी – अलिफ लैला

सरकार, मेरा सबसे बड़ा भाई जिसका नाम बकबक था, कुबड़ा था। उसने दरजीगीरी सीखी और जब यह काम सीख लिया तो उसने अपना कारबार चलाने के लिए एक दुकान किराए पर ली। उस की दुकान के सामने ही एक आटा चक्कीवाले की दुकान थी। चक्कीवाले का काम अच्छा चलता था और वह बहुत धनवान था किंतु मेरे भाई का काम नया था और वह बेचारा रोज कमाता और रोज खाता था। एक दिन मेरा भाई काम कर...

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हड़ताल मजदूरों को क्या सिखाती है – व्‍ला. ई. लेनिन

इधर कुछ वर्षों से रूस में मजदूरों की हड़तालें बारम्बार हो रही हैं। एक भी ऐसी औद्योगिक गुबेर्निया नहीं है, जहाँ कई हड़तालें न हुई हों। और बड़े शहरों में तो हड़तालें कभी रुकती ही नहीं। इसलिए यह बोधगम्य बात है कि वर्ग-सचेत मजदूर तथा समाजवादी हड़तालों के महत्‍व, उन्हें संचालित करने की विधियों तथा उनमें भाग लेने वाले समाजवादियों के कार्यभारों के प्रश्न...

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सुने सबकी पर माने अपने विवेक और अंतरात्मा की

मनुष्य एक  सामाजिक प्राणी है. जो की लोगो के समूह के बीच मे रहता है ,इस समूह मे कई तरह के रिश्तो को वो निभाता है !  कुछ रिश्ते निस्स्वार्थ होते है ,जबकि अधिकतर रिश्तो की नीव स्वार्थ पर टिकी होती है!   हम जो professional relation  बनाते हैं, वो अधिकतर आदान प्रदान या यो कहें एक से दूसरे  को, और दूसरे  से पहले व्यक्ति को फायदे की बुनियाद पर ही टिके...

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साधु और नर्तकी

किसी गाँव मेँ एक साधु रहता था जो दिन भर लोगोँ को उपदेश दिया करता था। उसी गाँव मेँ एक नर्तकी थी, जो लोगोँ के सामनेँ नाचकर उनका मन बहलाया करती थी। एक दिन गाँव मेँ बाढ़ आ गयी और दोनोँ एक साथ ही मर गये। मरनेँ के बाद जब ये दोनोँ यमलोक पहूँचे तो इनके कर्मोँ और उनके पीछे छिपी भावनाओँ के आधार पर इन्हेँ स्वर्ग या नरक दिये जानेँ की बात कही गई। साधु खुद को...

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सड़क को छोटा करवाना

स्थान पर जा रहे थे। यह एक गर्म दिन था और सम्राट यात्रा को लेकर थका हुआ था। उन्होंने कहा, “क्या कोई इस सड़क को छोटा नहीं कर सकता?” बीरबल ने कहा, “मैं कर सकता हूं”। अन्य दरबारियों ने एक-दूसरे को देखा, उलझन के साथ। उन सभी को पता था कि पहाड़ी इलाके के माध्यम से कोई अन्य रास्ता नहीं था। जिस सड़क पर वे यात्रा कर रहे थे वह केवल एक थी जो उन्हें अपने...

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बुद्ध और अनुयायी

प्रज्ञात्मक बुद्ध को एक अनुयायी ने कहा , ” प्रभु ! मुझे आपसे एक निवेदन करना है .” बुद्ध: बताओ क्या कहना है ? अनुयायी: मेरे वस्त्र पुराने हो चुके हैं . अब ये पहनने लायक नहीं रहे . कृपया मुझे नए वस्त्र देने का कष्ट करें ! बुद्ध ने अनुयायी के वस्त्र देखे , वे सचमुच बिलकुल जीर्ण हो चुके थे और जगह जगह से घिस चुके थे …इसलिए उन्होंने एक अन्य अनुयायी को...

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परिनिब्बान -जातक कथा

राजगीर के गिज्जहकुत पर्वत से, भिक्षुओं के बड़े संघ के साथ, बुद्ध ने अपनी अन्तिम यात्रा प्रारम्भ की। अम्बलथ्थिका और नालन्दा होते हुए वे पाटलिगाम गाँव (आधुनिक पटना, जिसे बाद में पाटलिपुत्र कहा गया) पहुँचे। उत्तरवर्ती काल में मौर्यों की राजधानी बना पाटलि, उन दिनों एक गाँव-मात्र था। पाटलि से उन्होंने गंगा नदी पार की और कोटिगाम और वैशाली होते हुए वे...

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चौदहवीं पुतली – सुनयना ~ विक्रमादित्य और हिंसक सिंह का शिकार!

चौदहवीं पुतली – सुनयना ने जो कथा की वह इस प्रकार है- राजा विक्रमादित्य सारे नृपोचित गुणों के सागर थे। उन जैसा न्यायप्रिय, दानी और त्यागी और कोई न था। इन नृपोचित गुणों के अलावा उनमें एक और गुण था। वे बहुत बड़े शिकारी थे तथा निहत्थे भी हिंसक से हिंसक जानवरों का वध कर सकते थे। उन्हें पता चला कि एक हिंसक सिंह बहुत उत्पात मचा रहा है और कई लोगों का...

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सिंदबाद जहाजी की सातवीं यात्रा – अलिफ लैला

सिंदबाद ने कहा, दोस्तो, मैंने दृढ़ निश्चय किया था कि अब कभी जल यात्रा न करूँगा। मेरी अवस्था भी इतनी हो गई थी कि मैं कहीं आराम के साथ बैठ कर दिन गुजारता। इसीलिए मैं अपने घर में आनंदपूर्वक रहने लगा। एक दिन अपने मित्रों के साथ भोजन कर रहा था कि एक नौकर ने आ कर कहा कि खलीफा के दरबार से एक सरदार आया है, वह आपसे बात करना चाहता है। मैं भोजन करके बाहर गया...

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क्या बनना चाहेंगे आप कैरट्स , एग्स या कॉफ़ी बीन्स

कुछ दिनों से उदास रह रही अपनी बेटी को देखकर माँ ने पूछा , ” क्या हुआ बेटा , मैं देख रही हूँ तुम बहुत उदास रहने लगी हो …सब ठीक तो है न ?” ” कुछ भी ठीक नहीं है माँ … ऑफिस में बॉस की फटकार , दोस्तों की बेमतलब की नाराजगी ….पैसो की दिक्कत …मेरा मन बिल्कुल अशांत रहेने लगा है माँ , जी में तो आता है कि ये सब छोड़ कर कहीं चली जाऊं ….” , बेटी ने रुआंसे होते...

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नाई के दूसरे भाई बकबारह की कहानी – अलिफ लैला

दूसरे रोज खलीफा के सामने पहुँच कर मैं ने कहा कि मेरा दूसरा भाई बकबारह पोपला है। एक दिन उससे एक बुढ़िया ने कहा, मैं तुम्हारे लाभ की एक बात कहती हूँ। एक बड़े घर की स्वामिनी तुम से आकृष्ट है। मैं तुम्हें उसके घर ले जा सकती हूँ। उस की कृपा हो गई तो तुम शीघ्र ही धनवान हो जाओगे। मेरे भाई ने उसका बड़ा अहसान माना और कुछ पैसे भी बुढ़िया को दिए। बुढ़िया ने...

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