सिंदबाद जहाजी की तीसरी यात्रा – अलिफ लैला

सिंदबाद ने कहा कि घर आकर मैं सुखपूर्वक रहने लगा। कुछ ही दिनों में जैसे पिछली दो यात्राओं के कष्ट और संकट भूल गया और तीसरी यात्रा की तैयारी शुरू कर दी। मैंने बगदाद से व्यापार की वस्तुएँ लीं और कुछ व्यापारियों के साथ बसरा के बंदरगाह पर जाकर एक जहाज पर सवार हुआ। हमारा जहाज कई द्वीपों में गया जहाँ व्यापार करके हम लोगों ने अच्छा लाभ कमाया। किंतु एक दिन...

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तीन साधू

एक औरत अपने घर से निकली, उसने घर के सामने सफ़ेद लम्बी दाढ़ी में तीन साधू-महात्माओं को बैठे देखा। वह उन्हें पहचान नही पायी। उसने कहा, ” मैं आप लोगों को नहीं पहचानती, बताइए क्या काम है ?” ” हमें भोजन करना है।”, साधुओं ने बोला। ” ठीक है ! कृपया मेरे घर में पधारिये और भोजन ग्रहण कीजिये।” ” क्या तुम्हारा पति घर में है ?”, एक साधू ने प्रश्न किया। “नहीं...

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चौथी पुतली कामकंदला ~ विक्रमादित्य की दानवीरता तथा त्याग की भावना

चौथी पुतली कामकंदला की कथा से भी विक्रमादित्य की दानवीरता तथा त्याग की भावना का पता चलता है। वह इस प्रकार है- एक दिन राजा विक्रमादित्य दरबार को सम्बोधित कर रहे थे तभी किसी ने सूचना दी कि एक ब्राह्मण उनसे मिलना चाहता है। विक्रमादित्य ने कहा कि ब्राह्मण को अन्दर लाया जाए। जब ब्राह्मण उनसे मिला तो विक्रम ने उसके आने का प्रयोजन पूछा। ब्राह्मण ने कहा...

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बुर्जुआ जनवाद – लेनिन

बुर्जुआ जनवाद : संकीर्ण, पाखण्डपूर्ण, जाली और झूठा; अमीरों के लिए जनवाद और गरीबों के लिए झाँसा- लेनिन ”…केवल संसदीय-सांविधानिक राजतंत्रों में ही नहीं, बल्कि अधिक से अधिक जनवादी जनतंत्रों में भी बुर्जुआ संसदीय व्यवस्था का सच्चा सार कुछ वर्षों में एक बार यह फैसला करना ही है कि शासक वर्ग का कौन सदस्य संसद में जनता का दमन और उत्पीड़न करेगा।” (मार्क्‍स)...

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गरीबी और अमीरी

अकबर बीरबल से तरह-तरह के अजीबो-गरीब प्रश्न पूछा करते थे. कुछ प्रश्न ऐसे भी होते थे जो वह बीरबल की बुद्धि की परीक्षा लेने के लिए पुछते थे. एक बार बादशाह अकबर बीरबल से बोले – बीरबल इस दुनिया में कोई अमीर है कोई गरीब हैं ऐसा क्यों होता है ? सब लोग ईश्वर को परमपिता कहते हैं इस नाते सभी आदमी उनके पुत्र ही हुए. पिता अपने बच्चों को सदा खुशाल देखना चाहता...

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असामाजिक व्यक्तित्व विकार (ASPD)

असामाजिक व्यक्तित्व विकार (ए.एस.पी.डी या ए.पी.डी) एक व्यक्तित्व विकार है जिसे की दीर्घकालिक दूसरों की उपेक्षा, दूसरों  के अधिकारों के उल्लंघन या उनके उत्पीड़न के नमूना की लक्षण के आधार पर निर्धारित किया गया है. व्यक्तित्व विकार से पीडित लोग अक्सर नैतिक हीनता, हीन भावना या अविवेक में ग्रसित होते हैं, साथ ही अपराध का इतिहास, कानूनी समस्याएं, या आवेगी...

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इन्क़लाब ज़िन्दाबाद – भगत सिंह (1929)

भगतसिंह ने अपने विचार स्पष्ट रूप से इंडियन जनता के सामने रखे। उनके विचार में, क्रांति की तलवार विचारों की धार से ही तेज होती है। वे विचारधारात्मक क्रान्तिकारी हालात के लिए संघर्ष कर रहे थे। अपने विचारों पर हुए सभी वारों का उन्होंने तर्कपूर्ण उत्तर दिया। यह वार अंग्रेजी सरकार की ओर से किए गए या देशी नेताओं की ओर से अखबारों में। शहीद यतीन्द्रनाथ दास...

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शेर और लकड़बग्घे

शेरा नाम का एक शेर बहुत परेशान था । वो एक नौजवान शेर था जिसने अभी -अभी शिकार करना शुरू किया था । पर अनुभव न होने के कारण वो अभी तक एक भी शिकार नहीं कर पाया था । हर एक असफल प्रयास के बाद वो उदास हो जाता , और ऊपर से आस -पास घूम रहे लकड़बघ्घे भी उसकी खिल्ली उड़ा कर खूब मजे लेते । शेरा गुस्से में उनपर दहाड़ता पर वे ढीठ कहाँ डरने वाले थे , ऐसा करने पर वे...

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कार्टूनिस्ट आर के लक्ष्मण के प्रेरक कथन

Quote 1: A cartoonist enjoys not a great man but a ridiculous man. In Hindi: एक कार्टूनिस्ट को एक महान आदमी में नहीं एक हास्यास्पद आदमी में आनंद मिलता है . Quote 2: Britishers who came to India missed Indian humor since they couldn’t understand our sense of domestic humor. They thought Indians have no sense of humor! In Hindi: जो अंग्रेज इंडिया...

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अछूत समस्या – भगतसिंह (1923)

काकीनाडा में 1923 मे कांग्रेस-अधिवेशन हुआ। मुहम्मद अली जिन्ना ने अपने अध्यक्षीय भाषण मे आजकल की अनुसूचित जातियों को, जिन्हें उन दिनों ‘अछूत’ कहा जाता था, हिन्दू और मुस्लिम मिशनरी संस्थाओं में बाँट देने का सुझाव दिया। हिन्दू और मुस्लिम अमीर लोग इस वर्गभेद को पक्का करने के लिए धन देने को तैयार थे। इस प्रकार अछूतों के यह ‘दोस्त’ उन्हें धर्म के नाम पर...

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जनता से जुड़ाव ही क्रान्तिकारियों को अजेय बनाता है! – स्तालिन

जनता के साथ संपर्क, इन संपर्कों को सुदृढ़ बनाना, जनता की आवाज सुनने के लिए तत्पर रहना, इसी में बोल्‍शेविक (कम्युनिस्ट क्रान्तिकारी – सं.) नेतृत्व की शक्ति और अजेयता रहती है। इसे एक नियम के रूप में माना जा सकता है कि जब तक बोल्‍शेविक व्यापक जनता के साथ सम्पर्क रखते हैं, तब तक वे अजेय बने रहेंगे। और इसके विपरीत, बोल्‍शेविकों के लिए बस इतना ही काफी...

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शेख चिल्ली की चिट्ठी

शेख चिल्ली की “चिट्ठी” एक बार मियां शेख चिल्ली के भाई बीमार पड़ गए। इस बात की खबर पाते ही मियां शेख चिल्ली नें अपनें भाई की खैरियत पूछने के लिए चिट्ठी लिखने की सोची। पूर्व काल में डाक व्यवस्था और फोन जैसी आधुनिक सुविधाएं थी नहीं तो खत और चिट्ठियाँ मुसाफिर (लोगों) के हाथों ही भिजवाई जाती थीं। मियां शेख चिल्ली नें अपनें गाँव में नाई से चिट्ठी...

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सम्पूर्ण जातक कथाएँ

जातक या जातक पालि या जातक कथाएँ बौद्ध ग्रंथ त्रिपिटक का भाग है ।  जातक कथाओं को विश्व की प्राचीनतम लिखित कहानियों में गिना जाता है जिसमे लगभग 600 कहानियाँ संग्रह की गयी है। इन कथाओं मे मनोरंजन के माध्यम से नीति और धर्म को समझाने का प्रयास किया गया है। चूंकि ‘जातक कथाएँ’ बुद्ध के सम्बन्धी कथाएँ है इसलिए अधिकतर कहानियों में वे ही प्रधान पात्र के रूप...

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अछूत व्यक्ति

एक दिन एक बौद्ध सन्यासी अपने शिष्यों के साथ एकदम शांत बैठे हुए थे। उन्हें इस प्रकार बैठे हुए देख उनके शिष्य चिंतित हुए कि कहीं वे अस्वस्थ तो नहीं हैं। एक शिष्य ने उनसे पूछा  कि आज वह मौन क्यों बैठे हैं। क्या शिष्यों से कोई गलती हो गई है ? इसी बीच एक अन्य शिष्य ने पूछा कि क्या वह अस्वस्थ हैं ? पर बौद्ध सन्यासी मौन रहे। तभी कुछ दूर खड़ा व्यक्ति जोर...

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लकड़ी का कटोरा

एक वृद्ध व्यक्ति अपने बहु – बेटे के यहाँ शहर रहने गया। उम्र के इस पड़ाव पर वह अत्यंत कमजोर हो चुका था, उसके हाथ कांपते थे और दिखाई भी कम देता था। वो एक छोटे से घर में रहते थे, पूरा परिवार और उसका चार वर्षीया पोता एक साथ डिनर टेबल पर खाना खाते थे। लेकिन वृद्ध होने के कारण उस व्यक्ति को खाने में बड़ी दिक्कत होती थी। कभी मटर के दाने उसकी चम्मच से...

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जनपद कल्याणी की आध्यात्मिक यात्रा -जातक कथा

जब नन्द के प्रत्यावर्तन की सभी आशाएँ विफल हो गईं, तो शनै:-शनै: जनपद कल्याणी इस दु:ख से उबरने लगीं। थोड़े समय बाद, उन्हें लगा कि उनका सम्पूर्ण जीवन व्यर्थ और उद्देश्यहीन हो चुका है, सो उन्होंने संघ में शरण लेने का विचार बनाया। प्रजापति के निर्देशन में उन्होंने सांसारिक जीवन का परित्याग कर दिया और संघ में शरण ले ली। तब तक बुद्ध ने संघ में भिक्षुणियों...

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व्यापारी और दैत्य की कहानी – अलिफ लैला

प्राचीन काल में एक अत्यंत धनी व्यापारी बहुत-सी वस्तुओं का कारोबार किया करता था। यद्यपि प्रत्येक स्थान पर उसकी कोठियाँ, गुमाश्ते और नौकर-चाकर रहते थे तथापि वह स्वयं भी व्यापार के लिए देश-विदेश की यात्रा किया करता था। एक बार उसे किसी विशेष कार्य के लिए अन्य स्थान पर जाना पड़ा। वह अकेला घोड़े पर बैठ कर चल दिया। गंतव्य स्थान पर खाने-पीने को कुछ नहीं...

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बाज की सीख

एक बार एक शिकारी जंगल में शिकार करने के लिए गया। बहुत प्रयास करने के बाद उसने जाल में एक बाज पकड़ लिया। शिकारी जब बाज को लेकर जाने लगा तब रास्ते में बाज ने शिकारी से कहा, “तुम मुझे लेकर क्यों जा रहे हो?” शिकारी बोला, “ मैं तुम्हे मारकर खाने के लिए ले जा रहा हूँ।” बाज ने सोचा कि अब तो मेरी मृत्यु निश्चित है। वह कुछ देर यूँही शांत रहा और फिर कुछ...

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बीरबल की खिचड़ी

अकबर ने कडकड़ाती सर्दियों के मौसम में एक दिन यह ऐलान किया की अगर कोई व्यक्ति पूरी रात भर पानी के अंदर छाती तक डूब कर खड़ा रह पाएगा तो उसे 1000 मोहरों का इनाम दिया जाएगा। इस चुनौती को पार करना काफी कठिन था। पर फिर भी एक गरीब ब्राह्मण अपनी बेटी के विवाह के लिए धन जोड़ने की खातिर तैयार हो गया। जैसे-तैसे कर के उसने कांपते, ठिठुरते रात निकाल ली। और सुबह...

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जीवन की डोर

रमेश क्लास 8 का स्टूडेंट था। वह जब क्लास में होता तब बाहर खेलने के बारे में सोचता और जब खेलने का मौका मिलता तो वो कहीं घूमने के बारे में सोचता…इस तरह वह कभी भी प्रेजेंट मोमेंट को एन्जॉय नहीं करता बल्कि कुछ न कुछ आगे का सोचा करता। उसके घर वाले और दोस्त भी उसकी इस आदत से परेशान थे। एक बार रमेश अकेले ही पास के जंगलों में घूमने निकल गया। थोड़ी देर चलने...

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