सफलता का पाठ

इमरान ने बड़े उत्साह के साथ एक बिज़नेस की शुरुआत की , पर 5-6 महीने बाद किसी बड़े घाटे की वजह से उसे बिज़नेस बंद करना पड़ा । इस कारण से वह बहुत उदास रहने लगा ।  और काफी समय बीत जाने पर भी उसने कोई और काम नहीं शुरू किया । इमरान की इस परेशानी का पता प्रोफेसर कृष्णन को लगा , जो पहले कभी उसे पढ़ा चुके थे । “ उन्होंने एक दिन इमरान को अपने घर बुलाया और पूछा ...

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जीवन के दो रस्ते

बहुत समय पहले की बात है। शेरगढ़ में राजा वीरप्रताप का शासन था। राजा शिकार के बहुत शौकीन थे।एक दिन वे अपने कुछ विश्वसनीय सैनिकों के साथ दूर जंगल में शिकार के लिये निकले। शिकार की खोज में कई घंटे बीत गये लेकिन एक भी जानवर नहीं दिखा। साथ आये सैनिक थक कर एक पेड़ की छाँव में बैठ गये। लेकिन राजा ने हार नहीं मानी और शिकार की खोज में अकेले ही आगे बढते रहे।...

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मेरी ख्वाइश

वह प्राइमरी स्कूल की टीचर थी | सुबह उसने बच्चो का टेस्ट लिया था और उनकी कॉपिया जाचने के लिए घर ले आई थी | बच्चो की कॉपिया देखते देखते उसके आंसू बहने लगे | उसका पति वही लेटे TV देख रहा था | उसने रोने का कारण पूछा । टीचर बोली , “सुबह मैंने बच्चो को ‘मेरी सबसे बड़ी ख्वाइश’ विषय पर कुछ पंक्तिया लिखने को कहा था ; एक बच्चे ने इच्छा जाहिर करी है की भगवन...

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दरियाबार की शहजादी की कहानी – अलिफ लैला

उस सुंदरी ने कहा कि काहिरा के निकट दरियाबार नाम एक द्वीप है। उस का बादशाह सब प्रकार से सुखी था किंतु उसे संतान न होने का बड़ा दुख था। वर्षों की प्रार्थनाओं और सिद्धों के आशीर्वादों से उस के यहाँ एक पुत्री जन्मी। मैं ही वह अभागी हूँ। मेरे जन्म पर मेरे पिता ने बड़ा समारोह किया। मैं बड़ी हुई तो उस ने मुझे सारी विद्याओं और कलाओं की शिक्षा दिलवाई। उस...

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कबीर दास जी के दोहे

1. बुरा जो देखन मैं चला, बुरा न मिलिया कोय, जो दिल खोजा आपना, मुझसे बुरा न कोय। अर्थ: जब मैं इस संसार में बुराई खोजने चला तो मुझे कोई बुरा न मिला। जब मैंने अपने मन में झाँक कर देखा तो पाया कि मुझसे बुरा कोई नहीं है। 2. पोथी पढ़ि पढ़ि जग मुआ, पंडित भया न कोय, ढाई आखर प्रेम का, पढ़े सो पंडित होय। अर्थ: बड़ी बड़ी पुस्तकें पढ़ कर संसार में कितने ही...

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राजा के शिक्षा

बहुत समय पहले की बात है, सुदूर दक्षिण में किसी प्रतापी राजा का राज्य था  । राजा के तीन पुत्र थे, एक दिन राजा के मन में आया कि पुत्रों को को कुछ ऐसी शिक्षा दी जाये कि समय आने पर वो राज-काज सम्भाल सकें । इसी विचार के साथ राजा ने सभी पुत्रों को दरबार में बुलाया और बोला, “ पुत्रों, हमारे राज्य में नाशपाती का कोई वृक्ष नहीं है, मैं चाहता हूँ तुम सब चार...

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सफलता की तैयारी

शहर  से  कुछ  दूर   एक  बुजुर्ग  दम्पत्ती   रहते  थे .  वो  जगह  बिलकुल  शांत  थी  और  आस -पास  इक्का -दुक्का  लोग  ही  नज़र  आते  थे . एक  दिन  भोर  में  उन्होंने  देखा  की  एक  युवक  हाथ  में  फावड़ा  लिए  अपनी  साइकिल  से  कहीं   जा  रहा  है , वह  कुछ  देर  दिखाई  दिया  और  फिर  उनकी  नज़रों  से  ओझल  हो  गया .दम्पत्ती   ने  इस  बात  पर  अधिक ...

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विक्रमादित्य और बेताल

प्राचीन काल में विक्रमादित्य नाम के एक आदर्श राजा हुआ करते थे। अपने साहस, पराक्रम और शौर्य के लिए राजा विक्रम मशहूर थे। ऐसा भी कहा जाता है कि राजा विक्रम अपनी प्राजा के जीवन के दुख दर्द जानने के लिए रात्री के पहर में भेष बदल कर नगर में घूमते थे। और दुखियों का दुख भी दूर करते थे। राजा विक्रम और बेताल के किस्सों पर कई सारी किताबें और कहानियाँ...

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हर काम अपने समय पर ही होता है

एकबार एक व्यक्ति भगवान् के दर्शन करने पर्वतों पर गया| जब पर्वत के शिखर पर पहुंचा तो उसे भगवान् के दर्शन हुए | वह व्यक्ति बड़ा खुश हुआ | उसने भगवान से कहा – भगवान् लाखों साल आपके लिए कितने के बराबर हैं ? भगवान ने कहा – केवल 1 मिनट के बराबर फिर व्यक्ति ने कहा – भगवान् लाखों रुपये आपके लिए कितने के बराबर हैं ? भगवान ने कहा – केवल 1 रुपये के बराबर तो...

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चाणक्य नीति : सातवां ध्याय

1. एक बुद्धिमान व्यक्ति को निम्नलिखित बातें किसी को नहीं बतानी चाहिए .. १. की उसकी दौलत खो चुकी है. २. उसे क्रोध आ गया है. ३. उसकी पत्नी ने जो गलत व्यवहार किया. ४. लोगो ने उसे जो गालिया दी. ५. वह किस प्रकार बेइज्जत हुआ है. 2. जो व्यक्ति आर्थिक व्यवहार करने में, ज्ञान अर्जन करने में, खाने में और काम-धंदा करने में शर्माता नहीं है वो सुखी हो जाता है...

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अंधा संत

सम्राट अकबर के राज्य में आश्रम में एक संत रहते थे वह सही भविष्यवाणी करने के लिए जाना जाता था एक बार एक आगंतुक जो अपनी भतीजी का इलाज कराने के लिए आया था। बच्चे के माता-पिता लड़की की आँखों के सामने मारे गए थे। उसने संत को देखा, तो उसने जोर से चीखना शुरू कर दिया कि वह संत ही अपराधी था। लड़की के शब्दों से नाराज होकर, संत ने इस जोड़े को अपने बच्चे के...

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सिद्धान्त और व्यवहार के मेल से ही सच्चा ज्ञान हासिल हो सकता है! – माओ त्से-तुङ

ज्ञान क्या है? जब से वर्ग-समाज बना है दुनिया में सिर्फ़ दो ही प्रकार का ज्ञान देखने में आया है-उत्पादन के संघर्ष का ज्ञान और वर्ग-संघर्ष का ज्ञान। प्राकृतिक विज्ञान और सामाजिक विज्ञान उक्त दो प्रकार के ज्ञान का निचोड़ है तथा दर्शनशास्त्र प्रकृति संबंधी ज्ञान और सामाजिक ज्ञान का सामान्यीकरण और समाकलन है। क्या ज्ञान की और भी कोई किस्म है? नहीं। अब हम...

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राज्य की मुहर

कोई डेढ़ हजार वर्ष पहले चीन के सम्राट ने सारे राज्य के चित्रकारों को खबर की कि वह राज्य की मुहर बनाना चाहता है। मुहर पर एक बांग देता हुआ, बोलता हुआ मुर्गा, उसका चित्र बनाना चाहता है। जो चित्रकार सबसे जीवंत चित्र बनाकर ला सकेगा, वह पुरस्कृत भी होगा, राज्य का कलागुरु भी नियुक्त हो जायेगा । और बड़े पुरस्कार की घोषणा की गयी। देश के दूर-दूर कोनों से...

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शहरयार और शहरजाद की शादी – अलिफ लैला

एक बड़ा व्यापारी था जिसके गाँव में बहुत-से घर और कारखाने थे जिनमें तरह-तरह के पशु रहते थे। एक दिन वह अपने परिवार सहित कारखानों को देखने के लिए गाँव गया। उसने अपनी पशुशाला भी देखी जहाँ एक गधा और एक बैल बँधे हुए थे। उसने देखा कि वे दोनों आपस में वार्तालाप कर रहे हैं। वह व्यापारी पशु-पक्षियों की बोली समझता था। वह चुपचाप खड़ा होकर दोनों की बातें सुनने...

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नाई के पाँचवें भाई अलनसचर की कहानी – अलिफ लैला

नाई ने कहा कि मेरे पाँचवें भाई का नाम अलनसचर था। वह बड़ा आलसी और निकम्मा था। वह रोज किसी न किसी मित्र के पास जा कर बेशर्मी से कुछ भीख माँग लेता और खा-पी कर पड़ा रहता। मेरा बाप कुछ समय बाद बूढ़ा हो कर मर गया। उसने तीन हजार एक सौ पचास रुपए छोड़े। इन रुपयों को हम सातों भाइयों ने बराबर-बराबर बाँट लिया। अलनसचर ने भी अपना भाग पाया और उससे कुछ व्यापार...

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तीसरे बूढ़े और उसके खच्चर की कहानी – अलिफ लैला

तीसरे बूढ़े ने कहना शुरू किया : ‘हे दैत्य सम्राट, यह खच्चर मेरी पत्नी है। मैं व्यापारी था। एक बार मैं व्यापार के लिए परदेश गया। जब मैं एक वर्ष बाद घर लौटकर आया तो मैंने देखा कि मेरी पत्नी एक हब्शी गुलाम के पास बैठी हास-विलास और प्रेमालाप कर रही है। यह देखकर मुझे अत्यंत आश्चर्य और क्रोध हुआ और मैंने चाहा कि उन दोनों को दंड दूँ। तभी मेरी पत्नी...

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मूर्ख साधू और ठग ~ पंचतंत्र

एक बार की बात है, किसी गाँव के मंदिर में एक प्रतिष्ठित साधू रहता था। गाँव में सभी उसका सम्मान करते थे। उसे अपने भक्तों से दान में तरह तरह के वस्त्र, उपहार, खाद्य सामग्री और पैसे मिलते थे। उन वस्त्रों को बेचकर साधू ने काफी धन जमा कर लिया था। साधू कभी किसी पर विश्वास नहीं करता था और हमेशा अपने धन की सुरक्षा के लिए चिंतित रहता था। वह अपने धन को एक...

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ब्राह्मण का सपना ~ पंचतंत्र

एक नगर में कोई कंजूस ब्राह्मण रहता था । उसने भिक्षा से प्राप्त सत्तुओं में से थोडे़ से खाकर शेष से एक घड़ा भर लिया था । उस घड़े को उसने रस्सी से बांधकर खूंटी पर लटका दिया और उसके नीचे पास ही खटिया डालकर उसपर लेटे-लेटे विचित्र सपने लेने लगा, और कल्पना के हवाई घोड़े दौड़ाने लगा । उसने सोचा कि जब देश में अकाल पड़ेगा तो इन सत्तुओं का मूल्य १०० रुपये हो...

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शक्र की उड़ान -जातक कथा

एक बार देवों और दानवों में भयंकर संग्राम हुआ । उस युद्ध में देव पराजित हुए और भाग खड़े हुए। देवों के राजा शक्र (सक्क) उस समय दानवों को पूरी टक्कर रहे थे। उनके सारथी ने जब देवों की सेना को भागते देखा तो वह देवराज के रथ को भगाता आकाश में ले उड़ा। दानवों ने उस रथ के तेजी से पीछा किया। तभी शक्र की दृष्टि ऊँचे-उँचे पेड़ों पर स्थित चीलों के घोंसलों पर पड़ी।...

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पंचतंत्र की सम्पूर्ण कहानियाँ

नीतिकथाओं में पंचतंत्र का पहला स्थान माना जाता है। एक राज्य का राजा के तीन पुत्र मुर्ख और अहंकारी थे । राजा ने उन्हें व्यवहारिक शिक्षा देने की बहुत कोशिश की, परन्तु किसी भी प्रकार से बात नहीं बनी । हारकर एक दिन राजा ने अपने मंत्रियो से मंत्रणा की । राजा के मंत्रिमंडल में कई कुशल, दूरदर्शी और योग्य मंत्री थे, उन्हीं में से एक मंत्री  ने राजा को...

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