रहीम जी के प्रसिद्द दोहे – संगति

जेा रहीम उत्तम प्रकृति का करि सकत कुसंग चंदन विश ब्यापत नहीं लिपटे रहत भुजंग । अच्छे चरित्र के स्वभाव बालों पर बुरे लोगो के साथ का कोई असर नहीं होता। चंदन के बृक्ष पर साॅप लिपटा रहने से विश का कोई प्रभाव नही होता है । यद्पि अवनि अनेक हैैं कूपवंत सरताल रहिमन मान सरोवर हिं मनसा करत मराल । संसार में अनेकानेक तालाब जलाशय कुॅआ आदि हैं किंतु हंस को केवल...

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फूटा घड़ा

बात उन दिनों की है जब दुनिया में आज की तरह पानी की सुविधा नहीं थी। लोगों को दूर जाकर नदी से पानी लाना होता था। किसी गाँव में एक गरीब किसान रहता था जो मेहनत मजदूरी करके अपना पेट भरता था। वह किसान रोजाना दूर किसी नदी से पानी लाया करता था। किसान रोज सुबह सूर्योदय से पहले ही उठता और अपने 2 घड़ों को एक डंडे में बांधता और डंडे को कंधे पर रखकर पानी लेने...

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सबकुछ तुम्हारे हाथ में है

एक आदमी रेगिस्तान से गुजरते वक़्त बुदबुदा रहा था, “कितनी बेकार जगह है ये, बिलकुल भी हरियाली नहीं है…और हो भी कैसे सकती है यहाँ तो पानी का नामो-निशान भी नहीं है । ” तपती रेत में वो जैसे-जैसे आगे बढ़ रहा था उसका गुस्सा भी बढ़ता जा रहा था ।  अंत में वो आसमान की तरफ देख झल्लाते हुए बोला- क्या भगवान आप यहाँ पानी क्यों नहीं देते? अगर यहाँ पानी होता तो कोई...

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एक हाथ का निशानेबाज

बात 1920s की है। हंगरी आर्मी का एक नौजवान लड़का था जिसकी ज़िन्दगी में बस एक ही मकसद था; उसका मकसद था दुनिया का सबसे अच्छा pistol shooter बनना। अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए वो दिन-रात मेहनत करता, घंटो प्रैक्टिस करता, और इसी का परिणाम था कि वो अपने देश के टॉप पिस्टल शूटर्स में गिना जाने लगा। सन 1938 में , 28 साल का होते-होते उसने देश-विदेश की कई...

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मेहनत की कमाई

बहुत समय पहले की बात है, सुब्रोतो लगभग 20 साल का एक लड़का था और कलकत्ता की एक कॉलोनी में रहता था। उसके पिताजी एक भट्टी चलाते थे जिसमे वे दूध को पका-पका कर खोया बनाने का काम करते थे। सुब्रोतो वैसे तो एक अच्छा लड़का था लेकिन उसमे फिजूलखर्ची की एक बुरी आदत थी। वो अक्सर पिताजी से पैसा माँगा करता और उसे खाने-पीने या सिनेमा देखने में खर्च कर देता। एक दिन...

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परिस्थितियां दुःख का कारण नहीं है।

असली कारण, जो हम नहीं करना चाहते उसके लिए हमेशा Justification, उसके लिए हमेशा न्यायुक्त कारण खोज लेते है। और बेफिक्र हो जाते हैं। ऐसी कौन सी परिस्थिति हैं जिसमें आदमी शांत न हो सके ? ऐसी कौन सी परिस्थिति हैं जिसमें आदमी प्रेमपूर्ण न हो सके ? ऐसी कौन सी परिस्थिति हें जिसमें आदमी थोडी देर के लिए मौन और शांति में प्रविष्ट न हो सके ? हर परिस्थिति में...

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बंदर का हृदय -जातक कथा

किसी नदी के तट पर एक वन था। उस वन में एक बंदर निवास करता था, जो वन के फल आदि खा कर अपना निर्वाह करता था। नदी में एक टापू भी था और टापू और तट के बीच में एक बड़ी सी चट्टान भी थी। जब कभी बंदर को टापू के फल खाने की इच्छा होती वह उस चट्टान पर उस टापू पर पहुँच जाता और जी भर अपने मनचाहे फलों का आनंद उठाता। उसी नदी में घड़ियालों का एक जोड़ी भी रहती थी। जब भी...

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मौत का सौदागर

1888 की बात है, एक व्यक्ति सुबह-सुबह उठ कर अखबार पढ़ रहा था , तभी अचानक उसकी नज़र एक “शोक – सन्देश ” पर पड़ी। वह उसे देख दंग रह गया , क्योंकि वहां मरने वाले की जगह उसी का नाम लिखा हुआ था। खुद का नाम पढ़कर वह आश्चर्यचकित तथा भयभीत हो गया। उसे यकीन नहीं हो रहा था कि अखबार ने उसके भाई लुडविग की मरने की खबर देने की जगह खुस उसके मरने की खबर प्रकाशित कर दी...

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शिवाजी और बीजापुर के सुलतान

शिवाजी के पिता का नाम शाहजी था . वह अक्सर युद्ध लड़ने के लिए घर से दूर रहते थे. इसलिए उन्हें शिवाजी के निडर और पराक्रमी होने का अधिक ज्ञान नहीं था. किसी अवसर पर वह शिवाजी को बीजापुर के सुलतान के दरबार में ले गए . शाहजी ने तीन बार झुककर सुलतान को सलाम किया, और शिवाजी से भी ऐसा ही करने को कहा . लेकिन , शिवाजी अपना सर ऊपर उठाये सीधे खड़े रहे . विदेशी...

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बाज की उड़ान

एक बार की बात है कि एक बाज का अंडा मुर्गी के अण्डों के बीच आ गया. कुछ दिनों  बाद उन अण्डों में से चूजे निकले, बाज का बच्चा भी उनमे से एक था.वो उन्ही के बीच बड़ा होने लगा. वो वही करता जो बाकी चूजे करते, मिटटी में इधर-उधर खेलता, दाना चुगता और दिन भर उन्हीकी तरह चूँ-चूँ करता. बाकी चूजों की तरह वो भी बस थोडा सा ही ऊपर उड़ पाता , और पंख फड़-फडाते हुए...

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चार मोमबत्तियां

रात का समय था, चारों तरफ सन्नाटा पसरा हुआ था , नज़दीक ही एक कमरे में चार मोमबत्तियां जल रही थीं। एकांत पा कर आज वे एक दुसरे से दिल की बात कर रही थीं। पहली मोमबत्ती बोली, ” मैं शांति हूँ , पर मुझे लगता है अब इस दुनिया को मेरी ज़रुरत नहीं है , हर तरफ आपाधापी और लूट-मार मची हुई है, मैं यहाँ अब और नहीं रह सकती। …” और ऐसा कहते हुए , कुछ देर में वो...

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गनीम और फितना की कहानी – अलिफ लैला

दुनियाजाद ने मलिका शहरजाद से नई कहानी सुनाने को कहा और बादशाह शहरजाद ने भी अपनी मौन स्वीकृति दे दी तो शहरजाद ने नई कहानी शुरू कर दी। उसने कहा कि पुराने जमाने में दमिश्क नगर में एक व्यापारी रहता था जिसका नाम अय्यूब था। उसके दो ही संतानें थीं, एक पुत्र और एक पुत्री। पुत्र का नाम था गनीम और पुत्री का अलकिंत। पुत्री अत्यंत रूपवती और गुणवंती थी और उसे...

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नेवले और सांप

समीर बहुत परेशान था। पिछले कुछ दिनों से एक के बाद एक उसे किसी न किसी दिक्कत का सामना करना पड़ रहा था। कभी ऑफिस में बॉस के साथ बहस हो जाती तो कभी घर पर वाइफ से तो कभी उसे किसी कलीग की बात ठेस पहुंचा दे रही थी। उसे समझ नहीं आ रहा था कि वो क्या करे इसलिए वो एक आश्रम में अपने गुरु जी के पास पहुंचा और अपनी समस्या बता दी। गुरु जी ने उसकी बात सुनी और कहने...

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किसानों के बारे में – व्ला.इ. लेनिन

“…वर्ग-चेतन मज़दूर के लाल झण्डे का पहला मतलब है, कि हम अपनी पूरी शक्ति के साथ पूरी आज़ादी और पूरी ज़मीन के लिए किसानों के संघर्ष का समर्थन करते हैं; दूसरे, इसका अर्थ है कि हम यहीं नहीं रुकते बल्कि इससे आगे जाते हैं। हम आज़ादी और ज़मीन के साथ ही समाजवाद के लिए युद्ध छेड़ रहे हैं। समाजवाद के लिए संघर्ष पूँजी के शासन के विरुद्ध संघर्ष है। यह सर्वप्रथम और...

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इंडिया का सबसे बड़ा अंधविश्वास और मानसिक विकृति

बिना सोचे समझे जिस पर बिलीव या भरोसा/विश्वास किया जाता है उसे हम ब्लाइंडबिलीव यानी अंध विश्वास कहते हैं. अगर हम ये जानते हैं जिस पर हम बिलीव या भरोसा/विश्वास कर रहे हैं वह एक ब्लाइंडबिलीव यानी अंध विश्वास है या झूठ और भ्रम है; और अभ्यास के कारण एक लम्बे समय तक करते आ रहे हैं, वह एक मानसिक विकार यानी मानसिक विकृति है. ऐसा ही इंडियन भूखंड में वैदिक...

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सिंदबाद जहाजी की पहली यात्रा – अलिफ लैला

सिंदबाद ने कहा कि मैंने अच्छी-खासी पैतृक संपत्ति पाई थी किंतु मैंने नौजवानी की मूर्खताओं के वश में पड़कर उसे भोग-विलास में उड़ा डाला। मेरे पिता जब जीवित थे तो कहते थे कि निर्धनता की अपेक्षा मृत्यु श्रेयस्कर है। सभी बुद्धिमानों ने ऐसा कहा है। मैं इस बात को बार-बार सोचता और मन ही मन अपनी दुर्दशा पर रोता। अंत में जब निर्धनता मेरी सहन शक्ति के बाहर हो...

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शक्र की उड़ान -जातक कथा

एक बार देवों और दानवों में भयंकर संग्राम हुआ । उस युद्ध में देव पराजित हुए और भाग खड़े हुए। देवों के राजा शक्र (सक्क) उस समय दानवों को पूरी टक्कर रहे थे। उनके सारथी ने जब देवों की सेना को भागते देखा तो वह देवराज के रथ को भगाता आकाश में ले उड़ा। दानवों ने उस रथ के तेजी से पीछा किया। तभी शक्र की दृष्टि ऊँचे-उँचे पेड़ों पर स्थित चीलों के घोंसलों पर पड़ी।...

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घमंडी कौवा

हंसों का एक झुण्ड समुद्र तट के ऊपर से गुज़र रहा था, उसी जगह एक कौवा भी मौज मस्ती कर रहा था। उसने हंसों को उपेक्षा भरी नज़रों से देखा “तुम लोग कितनी अच्छी उड़ान भर लेते हो !” कौवा मज़ाक के लहजे में बोला, “तुम लोग और कर ही क्या सकते हो बस अपना पंख फड़फड़ा कर उड़ान भर सकते हो !!!  क्या तुम मेरी तरह फूर्ती से उड़ सकते हो ??? मेरी तरह हवा में...

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छोटा पत्थर

एक किसान था । वह एक बड़े से खेत में खेती किया करता था । उस खेत के बीचो-बीच पत्थर का एक हिस्सा ज़मीन से ऊपर निकला हुआ था जिससे ठोकर खाकर वह कई बार गिर चुका था और ना जाने कितनी ही बार उससे टकराकर खेती के औजार भी टूट चुके थे । रोजाना की तरह आज भी वह सुबह-सुबह खेती करने पहुंचा पर जो सालों से होता आ रहा था एक वही हुआ , एक बार फिर किसान का हल पत्थर से...

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बंदर का कलेजा और मगरमच्छ ~ पंचतंत्र

किसी नदी के किनारे एक बहुत बड़ा पेड़ था । उस पर एक बंदर रहता था। उस पेड़ पर बड़े मीठे-रसीले फल लगते थे । बंदर उन्हें भरपेट खाता और मौज उड़ाता । वह अकेला ही मजे में दिन गुजार रहा था। एक दिन एक मगर कहीं से निकलकर उस पेड़ के तले आया, जिस पर बंदर रहता था। पेड़ पर से बंदर ने पूछा, ‘तू कौन है भाई?’ मगर ने बंदर की ऒर देखकर कहा, ‘मैं मगर...

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किसी भी विज्ञापन को विश्वास करने से पहले जांच करें ।

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