”मेहनतकश साथियो! ”मेहनतकश साथियो! मई दिवस आ रहा है। वह दिन, जब तमाम देशों के मेहनतकश वर्ग चेतना की दुनिया में प्रवेश करने का जश्न मनाते हैं, इन्सान के हाथों इन्सान के शोषण और दमन के ख़िलाफ अपनी संघर्षशील एकजुटता का इज़हार करते हैं, करोड़ों मेहनतकशों को भूख, ग़रीबी और ज़िल्लत की ज़िन्दगी से आज़ाद...
Category - प्रेरक प्रसंग
जनता के साथ संपर्क, इन संपर्कों को सुदृढ़ बनाना, जनता की आवाज सुनने के लिए तत्पर रहना, इसी में बोल्शेविक (कम्युनिस्ट क्रान्तिकारी – सं.) नेतृत्व की शक्ति और अजेयता रहती है। इसे एक नियम के रूप में माना जा सकता है कि जब तक बोल्शेविक व्यापक जनता के साथ सम्पर्क रखते हैं, तब तक वे अजेय बने रहेंगे। और...
ज्ञान क्या है? जब से वर्ग–समाज बना है दुनिया में सिर्फ दो ही प्रकार का ज्ञान देखने में आया है–उत्पादन के संघर्ष का ज्ञान और वर्ग–संघर्ष का ज्ञान। प्राकृतिक विज्ञान और सामाजिक विज्ञान उक्त दो प्रकार के ज्ञान का निचोड़ हैं तथा दर्शनशास्त्र प्रकृति संबंधी ज्ञान और सामाजिक ज्ञान का सामान्यीकरण और समाकलन...
ज्ञान क्या है? जब से वर्ग-समाज बना है दुनिया में सिर्फ़ दो ही प्रकार का ज्ञान देखने में आया है-उत्पादन के संघर्ष का ज्ञान और वर्ग-संघर्ष का ज्ञान। प्राकृतिक विज्ञान और सामाजिक विज्ञान उक्त दो प्रकार के ज्ञान का निचोड़ है तथा दर्शनशास्त्र प्रकृति संबंधी ज्ञान और सामाजिक ज्ञान का सामान्यीकरण और समाकलन...
…“मार्क्सवाद भौतिकवाद है। इस कारण यह धर्म का उतना ही निर्मम शत्रु है जितना कि अठारहवीं सदी के विश्वकोषवादी पण्डितों का भौतिकवाद या फ़ायरबाख का भौतिकवाद था, इसमें सन्देह की गुंजाइश नहीं है। लेकिन मार्क्स और एंगेल्स का द्वंद्वात्मक भौतिकवाद विश्व कोषवादियों और फ़ायरबाख से आगे निकल जाता है, क्योंकि यह...
“…वर्ग-चेतन मज़दूर के लाल झण्डे का पहला मतलब है, कि हम अपनी पूरी शक्ति के साथ पूरी आज़ादी और पूरी ज़मीन के लिए किसानों के संघर्ष का समर्थन करते हैं; दूसरे, इसका अर्थ है कि हम यहीं नहीं रुकते बल्कि इससे आगे जाते हैं। हम आज़ादी और ज़मीन के साथ ही समाजवाद के लिए युद्ध छेड़ रहे हैं। समाजवाद के लिए संघर्ष...
जोसेफ स्तालिन सर्वहारा वर्ग के महान शिक्षक और नेता थे। स्तालिन ही थे जिनकी अगुवाई में दुनिया में पहली बार सोवियत संघ में उत्पादन के साधनों के समाजीकरण के काम को अंजाम दिया गया। स्तालिन के ही नेतृत्व में सोवियत जनता ने अपने दो करोड़ बेटे–बेटियों की बलि देकर और पूरे देश की भयंकर तबाही सहकर हिटलर की...
सही विचार आखिर कहाँ से आते हैं? क्या वे आसमान से टपक पड़ते हैं? नहीं। क्या वे हमारे दिमाग में स्वाभाविक रूप से पैदा हो जाते हैं? नहीं। वे सामाजिक व्यवहार से, और केवल सामाजिक व्यवहार से ही पैदा होते हैं; वे तीन किस्म के सामाजिक व्यवहार से पैदा होते हैं – उत्पादन-संघर्ष, वर्ग-संघर्ष और वैज्ञानिक...
विज्ञान के इतिहास में मार्क्स ने जिन महत्त्वपूर्ण बातों का पता लगाकर अपना नाम अमर किया है, उनमें से हम यहाँ दो का ही उल्लेख कर सकते हैं। पहली तो विश्व इतिहास की सम्पूर्ण धारणा में ही वह क्रान्ति है, जो उन्होंने सम्पन्न की। इतिहास का पहले का पूरा दृष्टिकोण इस धारणा पर आधारित था कि सभी तरह के...
इधर कुछ वर्षों से रूस में मजदूरों की हड़तालें बारम्बार हो रही हैं। एक भी ऐसी औद्योगिक गुबेर्निया नहीं है, जहाँ कई हड़तालें न हुई हों। और बड़े शहरों में तो हड़तालें कभी रुकती ही नहीं। इसलिए यह बोधगम्य बात है कि वर्ग-सचेत मजदूर तथा समाजवादी हड़तालों के महत्व, उन्हें संचालित करने की विधियों तथा उनमें...