(कार्ल मार्क्स की पुस्तिका ‘उजरती श्रम और पूँजी’ में फ्रेडरिक एंगेल्स की भूमिका का एक अंश) आज हम पूँजीवादी उत्पादन के आधिपत्य में रहते हैं, जिसमें आबादी का एक बड़ा और संख्या में दिनोंदिन बढ़नेवाला वर्ग ऐसा है, जो केवल उसी हालत में ज़िन्दा रह सकता है, जबकि वह उत्पादन के साधनों–यानी औज़ारों, मशीनों...
Category - प्रेरक प्रसंग
“प्रतिक्रियावादी बुर्जुआ वर्ग ने अपने आप को हर जगह धार्मिक झगड़ों को उभाड़ने के दुष्कृत्यों में संलग्न किया है, और वह रूस में भी ऐसा करने जा रहा है–इसमें उसका उद्देश्य आम जनता का ध्यान वास्तविक महत्व की और बुनियादी आर्थिक और राजनीतिक समस्याओं से हटाना है जिन्हें अब समस्त रूस का सर्वहारा वर्ग...
मज़दूरों का भी अपना उत्सव होना चाहिए। वह उत्सव है पहली मई का दिन और इस पर उन्हें ऐलान करना चाहिए ”सभी को काम, सभी को आज़ादी, सभी को बराबरी!” (इस पर्चे को ‘पहली मई ज़िन्दाबाद’ शीर्षक से मार्च 1912 में रूसी मज़दूरों द्वारा मई दिवस मनाने के लिए जोसेफ़ स्तालिन द्वारा तैयार और प्रकाशित किया गया...
एक तरफ़, धन और ऐशो-आराम बराबर बढ़ते जा रहे हैं और दूसरी तरफ़, करोड़ों-करोड़ आदमी, जो अपनी मेहनत से उस सारे धन को पैदा करते हैं, निर्धन और बेघरबार बने रहते हैं। किसान भूखों मरते हैं, मज़दूर बेकार हो इधर-उधर भटकते हैं, जबकि व्यापारी करोड़ों पूद* अनाज रूस से बाहर दूसरे देशों में भेजते हैं और कारख़ाने तथा...
हमारी राय में, हमारे कामों की शुरुआत, जिस संगठन को हम बनाना चाहते हैं उसके निर्माण की दिशा में हमारा पहला कदम, एक अखिल रूसी राजनीतिक अख़बार की स्थापना होना चाहिए। हम कह सकते हैं कि वही वह मुख्य सूत्र है जिसे पकड़ कर हम संगठन का लगातार विकास कर सकेंगे और उसे गहरा और विस्तृत बना सकेंगे। हमें सबसे...
हमारी पार्टी में कुछ साथी कठमुल्लावादी थे, जिन्होंने एक लंबे समय तक चीनी क्रांति के अनुभव को अस्वीकार किया और इस सत्य को नहीं माना कि “मार्क्सवाद कोई कठमुल्ला–सूत्र नहीं बल्कि कर्म का मार्गदर्शक है”। वे लोग मार्क्सवादी रचनाओं के वाक्यों और वाक्यांशों को उनके प्रसंग से अलग करके उन्हें रट लेते थे और...
यह दार्शनिक निबंध कामरेड माओ त्से–तुङ ने “व्यवहार के बारे में” शीर्षक अपने निबंध के बाद लिखा था, और उक्त निबंध के ही समान इस निबंध का उद्देश्य भी उन गंभीर कठमुल्लावादी विचारों को दूर करना था जो उस समय पार्टी में मौजूद थे। यह सबसे पहले येनान में जापान–विरोधी सैनिक व राजनीतिक कालेज में भाषण के रूप...
(आर्थिक नियमों के अनुसार मज़दूर का अलगाव इस तरह से प्रकट होता है : मज़दूर जितना अधिक उत्पादन करता है, उसके पास उपभोग करने के लिए उतना ही कम रहता है, वह जितना अधिक मूल्य पैदा करता है, वह ख़ुद उतना ही अधिक मूल्यहीन और महत्वहीन होता जाता है, उसका उत्पादन जितना ही अधिक सुन्दर-सुगठित होता है, मज़दूर...
फाँसी पर लटकाए जाने से 3 दिन पूर्व- 20 मार्च, 1931 को- सरदार भगतसिंह तथा उनके सहयोगियों श्री राजगुरु एवमं श्री सुखदेव ने निम्नांकित पत्र के द्वारा सम्मिलित रूप से पंजाब के गवर्नर से माँग की थी की उन्हें युद्धबन्दी माना जाए तथा फाँसी पर लटकाए जाने के बजाय गोली से उड़ा दिया जाए। यह पत्र इन...