Category - अनमोल विचार

चाणक्य नीति : चौथा अध्याय

1. जैसे मछली दृष्टी से, कछुआ ध्यान देकर और पंछी स्पर्श करके अपने बच्चो को पालते है, वैसे ही सद् जन पुरुषों की सद गुण मनुष्य का पालन पोषण करती है. 2. जब आपका शरीर स्वस्थ है और आपके नियंत्रण में है उसी समय कुल की रक्षा का उपाय कर लेना चाहिए क्योंकि मृत्यु हो जाने के बाद कोई कुछ नहीं कर सकता है. 3...

Read More

चाणक्य नीति : तीसरा अध्याय

1. इस दुनिया  मे ऐसा किसका घर है जिस पर कोई कलंक नहीं, वह कौन है जो रोग और दुख से मुक्त है. सदा सुख किसको रहता है? 2. मनुष्य के कुल की ख्याति उसके आचरण से होती है, मनुष्य के बोल चल से उसके देश की ख्याति बढ़ती है, मान सम्मान उसके प्रेम को बढ़ता है, एवं उसके शारीर का गठन उसे भोजन से बढ़ता है. 3...

Read More

चाणक्य नीति : द्वितीय अध्याय

1.  झूठ बोलना, कठोरता, छल करना, बेवकूफी करना, लालच, अपवित्रता  और निर्दयता ये औरतो के कुछ नैसर्गिक दुर्गुण है। 2. भोजन के योग्य पदार्थ और भोजन करने की क्षमता, सुन्दर स्त्री और उसे भोगने के लिए काम शक्ति, पर्याप्त धनराशी तथा दान देने की भावना – ऐसे संयोगों का होना सामान्य तप का फल नहीं है। 3...

Read More

चाणक्य नीति : प्रथम अध्याय

चाणक्य नीति : प्रथम अध्याय 1. जो व्यक्ति शास्त्रों के सूत्रों का अभ्यास करके ज्ञान ग्रहण करेगा उसे अत्यंत वैभवशाली कर्तव्य के सिद्धांत ज्ञात होगे। उसे इस बात का पता चलेगा कि किन बातों का अनुशरण करना चाहिए और किनका नहीं। उसे अच्छाई और बुराई का भी ज्ञात होगा और अंततः उसे सर्वोत्तम का भी ज्ञान होगा। 2...

Read More

सम्पूर्ण चाणक्य नीति

आचार्य चाणक्य एक ऐसी महान विभूति थे, जिन्होंने अपनी विद्वत्ता, बुद्धिमता और क्षमता के बल पर इंडियन इतिहास की धारा को बदल दिया । जब इस विशाल भूखंड कई भाषीय सभ्यता और अनेक राजा, महाराजाओं का भूखंड था उन्होंने अखंड राज्य की परिकल्पना की. मौर्य साम्राज्य के संस्थापक चाणक्य कुशल राजनीतिज्ञ, कूटनीतिज्ञ...

Read More

डा. अम्बेडकर की 22 प्रतिज्ञाएँ

डा बी.आर. अम्बेडकर ने दीक्षा भूमि, नागपुर, भारत में ऐतिहासिक बौद्ध धर्मं में परिवर्तन के अवसर पर,15 अक्टूबर 1956 को अपने अनुयायियों के लिए 22 प्रतिज्ञाएँ निर्धारित कीं. 800000 लोगों का बौद्ध धर्म में रूपांतरण ऐतिहासिक था क्योंकि यह विश्व का सबसे बड़ा धार्मिक रूपांतरण था. उन्होंने इन शपथों को...

Read More

इंडिया का सबसे बड़ा अंधविश्वास और मानसिक विकृति

बिना सोचे समझे जिस पर बिलीव या भरोसा/विश्वास किया जाता है उसे हम ब्लाइंडबिलीव यानी अंध विश्वास कहते हैं. अगर हम ये जानते हैं जिस पर हम बिलीव या भरोसा/विश्वास कर रहे हैं वह एक ब्लाइंडबिलीव यानी अंध विश्वास है या झूठ और भ्रम है; और अभ्यास के कारण एक लम्बे समय तक करते आ रहे हैं, वह एक मानसिक विकार...

Read More

कबीर के दोहे – संतजन/Saints

कहे कबीर हम ब्याहि चले हैं, पुरुख एक अबिनासी। कबीर एक अमर अविनासी पुरुष को अपना पति मानते हैं। यहॉं कबीर का ईश्वर के साथ दाम्पत्य प्रेम दिखाया हैं। Kahe kabir hum byahi chale hain, purakh ek abinaashi. Kabir says he has been married to the immortal. भग भोगे भग उपजे,भग से बचे ना कोइ कहे कबीर भग ते...

Read More

कबीर के दोहे – बुद्धि/Wisdom

जिनमे जितनी बुद्धि है, तितनो देत बताय वाको बुरा ना मानिये, और कहां से लाय। जिसे जितना ज्ञान एंव बुद्धि है उतना वह बता देते हैं। तुम्हें उनका बुरा नहीं मानना चाहिये। उससे अधिक वे कहाॅं से लावें। यहाॅं संतो के ज्ञान प्राप्ति के संबंध कहा गया है। jinme jitni budhi hai,titno det batai Wake bura na...

Read More

कबीर के दोहे – क्रोध/Anger

जहां काम तहां नाम नहीं,जहां नाम नहि काम दोनो कबहू ना मिलैय रवि रजनी एक ठाम। जहाॅं काम, वसाना, इच्छा हो वहाॅं प्रभु नहीं रहते और जहाॅं प्रभु रहते है वहाॅं काम, वासना, इच्छा नहीं रह सकते । इन दोनों का मिलन असंभव है जैसे सुर्य एंव रात्रि का मिलन नहीं हो सकता। Jahan kaam tahan naam nahi, jahan naam...

Read More

किसी भी विज्ञापन को विश्वास करने से पहले जांच करें ।

loading...

क्रमरहित सूची

Recent Posts

ज्ञान, आजाद है; और किसी को भी बिना किसी प्रतिबंध के ज्ञान का आनंद लेने का अधिकार है. इस में प्रकाशित कोई भी कहानी या लेख को आप बिना प्रतिबन्ध के उपयोग कर सकते हो. आप अपने ब्लॉग में यहाँ से कॉपी करके पेस्ट कर सकते हो लेकिन कोई भी फेब्रिकेशन या फाल्सीफिकेशन की जिम्मेदारी आप की होगी. वेबसाइट का सिद्धांत नैतिक ज्ञान फैलाना है, ना कि ज्ञान पर हक़ जताना. ज्ञान की स्वतंत्रता वेबसाइट का आदर्श है; आप जितना चाहते हैं उतना उसकी प्रतिलिपि(Copy) बनाकर बिना प्रतिबन्ध के ज्यादा से ज्यादा लोगों तक फैला सकते हो.