हमारा देश का नाम ना भारत था, ना हिन्दुस्तान था, ना इंडिया; ये भूखंड सदियों छोटे बड़े राज्यों का मिश्रित समूह रहा, ये भूखंड समय के साथ राजाओं के राज से जाना जाता था. ये भूखंड अनेक भाषीय सभ्यता का भूखंड है. आज भी यहाँ १२२ प्रमुख भाषा और १५९९ अन्य भाषाएं देखने मिलते हैं. पुराने युग में कोई वर्ण...
Category - मनोहर कहानियाँ
ऋषि मुनि एवं शास्त्र से यह ज्ञात होता है की अगर जाने अनजाने में किसी से पाप कर्म हो जाए, तो उसका प्रायश्चित करने से पाप कम हो जाते हैं. प्रायश्चित, अर्थात पश्यताप. इसी सन्दर्भ में एक विद्वान ने एक कथा का विवेचन करते हुए बताया था की एक कस्बें में एक महात्मा रहते थे. उसी कसबे में एक वेश्या रहती थी...
आज का हर एक भक्त भक्ति करके मानो एहसान कर रहा हो, भक्ति का अर्थ होता है प्रेम, लगाव न की सौदेबाजी लेकिन आज के भक्त यही कर रहे है. वह मंदिर जाते है इसलिए नहीं की उन्हें भगवान से प्रेम है, लगाव है; नहीं! बल्कि वह अपनी इच्छाओ की पूर्ति के लिये भगवान की भक्ति करते है. वह चाहते है की भगवान उनकी सेवा करे...
दूसरों की नज़रों में अच्छा बनने के लिए हम क्या कुछ नहीं करते हैं, हम अपना पूरा जीवन ही इस वाक्य के लिए जी लेते हैं की – लोग क्या कहेंगे. यह अब तक मानव समाज में पाया गया सबसे बड़ा रोग हैं. इसी वाक्य पर निर्धारित यह बोलती कहानी जरूर पड़े सबसे बड़ा रोग लोग क्या कहेंगे. एक महिला का जन्मदिन था, एक पार्टी...
जीवन में ऐसा बहुत बार मौका आता है जब हमारे साथ लोग ठगी बेईमानी करने लगते है, ऐसे समय में बिना उनकी इस हरकत का सामना किया बिना हम उनके इस जुर्म को सहन कर लेते है. ऐसे लोगों की बेईमानी भरी हरकतों का सामना करने के लिए सिर्फ बुद्धि/विवेक ही काफी होता है. लेकिन हम ऐसी परिस्थितियों में होश खो बैठते हैं...
किसी गांव में एक धुनिया रूई बुनने वाला रहता था वह बडा मेहनती था और हमेशा खुश रहता था. लोग उसके भाग्य से ईष्या करते थे और अक्सर उसे सफेद भूत कहकर चिढाते थे क्योंकि काम करते समय उसे बहुत पसीना आता था और रूई धुनते समय रूई के छोटे-छोटे फोंहे उसके बदन से चिपक जाते थे. इसलिए उसका नाम सफेद भूत पड गया था...
आपने बीरबल के बहुत से किस्से पड़े होंगे, लेकिन एक भी किस्सा ऐसा नही पड़ा होगा जिसमे बीरबल ने कभी मात खाई हो. क्योंकि बीरबल से चतुर और चालक व्यक्तित्व शायद ही कभी हुआ हो. बीरबल की बदसूरती पर राज्य सभा के सभी मंत्री मजाक बना रहे थे तभी चतुर बीरबल कुछ ऐसा कहते है, जिसे सुनकर सभी दरबारी अपना सर शर्म से...
लकडहारे को लकडी काटते देख पेड की आखों में एक दम ही आंसू की धारा बहने लगी। यू तो वह हर दृष्टि से द्रढ़ था, उसकी जड भी गहरी थी, काया भी हृष्ट-पुष्ट सभी तरह से मजबूत लेकिन आज अपने आप कुछ सोच-सोच कर वह मन ही मन पश्यताप कर रहा था। कुल्हाडी की तीखी चोंटे बाराबर उसके तने पर पड रही थी। लगातार कुल्हाडी चलाने...
रामदास का एक व्यापारी मित्र मोतीचंद था. उन दोनों में काफी गहरी मित्रता थी. एक दिन मोतीचंद को सपरिवार यात्रा पर किसी दूसरे शहर जाना पडा, उसने अपना सारा सामान रामदास के हवाले कर दिया और बेफिक्र होकर चला गया. यात्रा लंबी थी इसलिए मोतीचंद को अपने शहर लौटने में तीन वर्ष लग गये घर में आकर उसने देखा की...
लोमड़ी और अंगूर – एक लोमडी भूखी-प्यासी जंगल में इधर-उधर भटक रही थी लेकिन उसे कहीं कुछ खाने को न मिला. बेचारी पानी पीकर पेट भरतीं और आगे बढ जाती. घुमती-घुमती वह अंगूरों के एक बगीचे में पहुची वहां बैलों पर पके अगूरों के लटकते गुच्छे को देखते ही भूखी लोमडी के मूंह में पानी भर गया. वह अपने पिछले पैरों...