Category - मनोहर कहानियाँ

चाणक्य नीति : छठवां अध्याय

1. सत कर्मों की वाणी सुनने और उस को समझने से, द्वेष दूर होता है, ज्ञान की प्राप्ति होती है और भौतिक आसक्ति से मुक्ति होती है. 2. पक्षीयों में कौवा नीच है. पशुओ में कुत्ता नीच है. जो तपस्वी पाप करता है वो घिनौना है. लेकिन जो दूसरो की निंदा करता है वह सबसे बड़ा चांडाल है. 3. राख से घिसने पर पीतल...

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चाणक्य नीति : चौथा अध्याय

1. जैसे मछली दृष्टी से, कछुआ ध्यान देकर और पंछी स्पर्श करके अपने बच्चो को पालते है, वैसे ही सद् जन पुरुषों की सद गुण मनुष्य का पालन पोषण करती है. 2. जब आपका शरीर स्वस्थ है और आपके नियंत्रण में है उसी समय कुल की रक्षा का उपाय कर लेना चाहिए क्योंकि मृत्यु हो जाने के बाद कोई कुछ नहीं कर सकता है. 3...

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चाणक्य नीति : तीसरा अध्याय

1. इस दुनिया  मे ऐसा किसका घर है जिस पर कोई कलंक नहीं, वह कौन है जो रोग और दुख से मुक्त है. सदा सुख किसको रहता है? 2. मनुष्य के कुल की ख्याति उसके आचरण से होती है, मनुष्य के बोल चल से उसके देश की ख्याति बढ़ती है, मान सम्मान उसके प्रेम को बढ़ता है, एवं उसके शारीर का गठन उसे भोजन से बढ़ता है. 3...

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चाणक्य नीति : द्वितीय अध्याय

1.  झूठ बोलना, कठोरता, छल करना, बेवकूफी करना, लालच, अपवित्रता  और निर्दयता ये औरतो के कुछ नैसर्गिक दुर्गुण है। 2. भोजन के योग्य पदार्थ और भोजन करने की क्षमता, सुन्दर स्त्री और उसे भोगने के लिए काम शक्ति, पर्याप्त धनराशी तथा दान देने की भावना – ऐसे संयोगों का होना सामान्य तप का फल नहीं है। 3...

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चाणक्य नीति : प्रथम अध्याय

चाणक्य नीति : प्रथम अध्याय 1. जो व्यक्ति शास्त्रों के सूत्रों का अभ्यास करके ज्ञान ग्रहण करेगा उसे अत्यंत वैभवशाली कर्तव्य के सिद्धांत ज्ञात होगे। उसे इस बात का पता चलेगा कि किन बातों का अनुशरण करना चाहिए और किनका नहीं। उसे अच्छाई और बुराई का भी ज्ञात होगा और अंततः उसे सर्वोत्तम का भी ज्ञान होगा। 2...

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सम्पूर्ण चाणक्य नीति

आचार्य चाणक्य एक ऐसी महान विभूति थे, जिन्होंने अपनी विद्वत्ता, बुद्धिमता और क्षमता के बल पर इंडियन इतिहास की धारा को बदल दिया । जब इस विशाल भूखंड कई भाषीय सभ्यता और अनेक राजा, महाराजाओं का भूखंड था उन्होंने अखंड राज्य की परिकल्पना की. मौर्य साम्राज्य के संस्थापक चाणक्य कुशल राजनीतिज्ञ, कूटनीतिज्ञ...

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बिल्ली का न्याय

एक वन में एक पेड की खोव में एक चकोर रहता था. उसी पेड के आसपास कईं पेड और थे जिन पर फल व बीज उगते थे. उन फलों व बीजों से पेट भरकर चकोर मस्त पडा रहता. इसी प्रकार कईं वर्ष बीत गये. एक दिन उडते-उडते एक ओर चकोर सांस लेने लेने के लिए उस पेड की टहनी पर बैठा. दोनो में बातें हई. दूसरे चकोर को यह जानकर...

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ब्राह्मण और भील

एक पर्वत पर ब्राह्मणवादी वैदिक भगवान शिवजी का एक सुन्दर मंदिर था | वहां बहुत से ब्राह्मणवादी वैदिक अनुगामी शिवजी की पूजा के लिए आते थे | इनमें दो भक्त थे — एक ब्राह्मण और दूसरा भील | ब्राह्मण प्रतिदिन शिवजी का अभिषेक करता, उन पर फूल पत्तियां चढ़ाता, गूगल जलाता और चन्दन का लेप करता | भील के पास ये सब...

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हम मर सकते हैं लेकिन वासना कभी नहीं मरती

एक बार दरबार में राजा कृष्णदेव रॉय ने एक मंत्री से पूछा मानव में काम-वासना कितनी उम्र तक रहती हैं | वहां मौजूद मंत्रिगण में से कुछ ने 28 साल की उम्र, किसी ने 50 साल की उम्र तक की बताई | जब तेनाली राम से पूछा गया तो उन्होंने कहा – “मरते दम तक” | राजा कृष्णदेव रॉय को तेनाली राम की बात पर यकीन नहीं...

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हिरों से भरा ख़ेत

हफ़ीज अफ़्रीका का एक़ किसान था वह अपनी ज़िन्दगी से ख़ुश और संतुश्ट था। हफ़ीज ख़ुश ईसलिए था क़्योंकि वह संतुश्ट था। वह संतुश्ट ईसलिए था क्योंकि वह ख़ुश था। एक़ दिन एक़ अक़्लमन्द आदमी उसके पास आया और हफ़ीज को हिरों के महत्त्व और उनसें जुङी ताकत के बारे मेँ बताया। उसनें हफ़ीज से कहा- अग़र तुम्हारे पास अंगूठे जीतना...

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