Category - मनोहर कहानियाँ

तीन राजकुमारों और पाँच सुंदरियों की कहानी – अलिफ लैला

शहरजाद की कहानी रात रहे समाप्त हो गई तो दुनियाजाद ने कहा – बहन, यह कहानी तो बहुत अच्छी थी, कोई और भी कहानी तुम्हें आती है? शहरजाद ने कहा कि आती तो है किंतु बादशाह की अनुमति हो तो कहूँ। बादशाह ने अनुमति दे दी और शहरजाद ने कहना शुरू किया। खलीफा हारूँ रशीद के राज्य में बगदाद में एक मजदूर रहता...

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मजदूर की कहानी – अलिफ लैला

मजदूर बोला, ‘हे सुंदरी, मैं तुम्हारी आज्ञानुसार ही अपना हाल कहूँगा और यह बताऊँगा कि मैं यहाँ क्यों आया। आज सवेरे मैं अपना टोकरा लिए काम की तलाश में बाजार में खड़ा था। तभी तुम्हारी बहन ने मुझे बुलाया। मुझे लेकर पहले वह शराब बेचने वाले के यहाँ गई। फिर कुँजड़े की दुकान पर उसने ढेर-सी तरकारियाँ...

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पहले फ़कीर की कहानी – अलिफ लैला

पहले फकीर ने अदब से घुटनों के बल खड़े होकर कहा ‘सुंदरी, अब ध्यान लगाकर सुनो कि मेरी आँख किस प्रकार गई और मैं क्यों फकीर बना। मैं एक बड़े बादशाह का बेटा था। बादशाह का भाई यानी मेरा चचा भी एक समीपवर्ती राज्य का स्वामी था। मेरे चचा का एक बेटा मेरी उम्र का था और दूसरी संतान एक पुत्री थी। मैं अपने...

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दूसरे फ़कीर की कहानी – अलिफ लैला

अभी पहले फकीर की अद्भुत आप बीती सुनकर पैदा होने वाले आश्चर्य से लोग उबरे नहीं थे कि जुबैदा ने दूसरे फकीर से कहा कि तुम बताओ कि तुम कौन हो और कहाँ से आए हो। उसने कहा कि आपकी आज्ञानुसार मैं आप को बताऊँगा कि मैं कौन हूँ, कहाँ से आया हूँ और मेरी आँख कैसे फूटी। मैं एक बड़े राजा का पुत्र था। बाल्यकाल ही...

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भले आदमी और ईर्ष्यालु पुरुष की कहानी – अलिफ लैला

किसी नगर में दो आदमियों का घर एक दूसरे से लगा हुआ था। उनमें से एक पड़ोसी दूसरे के प्रति ईर्ष्या और द्वेष रखता था। भले मानस ने सोचा कि मकान छोड़कर कहीं जा बसूँ क्योंकि मैं इस आदमी के प्रति उपकार करता हूँ और यह मुझ से वैर ही रखे जाता है। अतएव वह वहाँ से कुछ दूर पर बसे दूसरे नगर में एक अच्छा मकान खरीद...

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तीसरे फ़कीर की कहानी – अलिफ लैला

हे दयालु सुंदरी, मेरी कहानी बहुत ही आश्चर्यकारी है। इन दोनों शहजादों की दाहिनी आँखें परिस्थितिवश गईं किंतु मेरी आँख मेरी ही मूर्खता और मेरे ही अपराध के कारण फूटी। मैं इसका विस्तृत वर्णन करता हूँ। मेरा नाम अजब है और मैं महा ऐश्वर्यशाली बादशाह किसब का बेटा हूँ। पिता के स्वर्गवास के बाद मैं...

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जुबैदा की कहानी – अलिफ लैला

जुबैदा ने खलीफा के सामने सर झुका कर निवेदन किया है राजाधिराज, मेरी कहानी बड़ी ही विचित्र है, आपने इस प्रकार की कोई कहानी नहीं सुनी होगी। मैं और वे दोनों काली कुतियाँ तीनों सगी बहिनें हैं और यह दो स्त्रियाँ जो मेरे साथ बैठी हैं मेरी सौतेली बहनें हैं। जिस स्त्री के कंधों पर काले निशान हैं उसका नाम...

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अमीना की कहानी – अलिफ लैला

अमीना ने कहा, ‘जुबैदा की कहानी आप उसके मुँह से सुन चुके, अब मैं अपनी कहानी आपके सम्मुख प्रस्तुत करती हूँ। मेरी माँ मुझे लेकर अपने घर में आई कि रँड़ापे का अकेलापन उसे न खले। फिर उसने मेरा विवाह इसी नगर के बड़े आदमी के पुत्र के साथ कर दिया। दुर्भाग्यवश एक ही वर्ष बीता था कि मेरा पति मर गया।...

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स्त्री के हत्या की कहानी – अलिफ लैला

शहरयार को सिंदबाद की यात्राओं की कहानी सुन कर बड़ा आनंद हुआ। उसने शहरजाद से और कहानी सुनाने को कहा। शहरजाद ने कहा कि खलीफा हारूँ रशीद का नियम था कि वह समय-समय पर वेश बदल कर बगदाद की सड़कों पर प्रजा का हाल जानने के लिए घूमा करता था। एक रोज उसने अपने मंत्री जाफर से कहा कि आज रात मैं वेश बदल कर...

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मृत स्त्री और जवान हत्यारे की कहानी – अलिफ लैला

उस जवान ने कहा कि ‘मृत स्त्री मेरी पत्नी और इन वृद्ध सज्जन की बेटी थी और यह मेरे चचा हैं। ग्यारह वर्ष पूर्व उससे मेरा विवाह हुआ था। हमारे तीन बेटे हैं जो जीवित हैं। मेरी पत्नी अत्यंत सुशील और पतिव्रता थी। हर काम मेरी प्रसन्नता का करती थी और मैं भी उससे बहुत प्रेम करता था। एक महीने पहले वह...

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