Category - मनोहर कहानियाँ

सताइसवीं पुतली – मलयवती ~ विक्रमादित्य और दानवीर राजा बलि

सताइसवीं पुतली – मलयवती नाम की सताइसवीं पुतली ने जो कथा सुनाई वह इस प्रकार है- विक्रमादित्य बड़े यशस्वी और प्रतापी राजा था और राज-काज चलाने में उनका कोई  सानी नहीं था। वीरता और विद्वता का अद्भुत संगम थे। उनके शस्त्र ज्ञान और शास्त्र ज्ञान की कोई सीमा नहीं थी। वे राज-काज से बचा समय अकसर...

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अट्ठाईसवीं पुतली ~ वैदेही ~ स्वर्ग की यात्रा

अट्ठाईसवीं पुतली का नाम वैदेही था और उसने अपनी कथा इस प्रकार कही- एक बार राजा विक्रमादित्य अपने शयन कक्ष में गहरी निद्रा में लीन थे। उन्होंने एक सपना देखा। एक स्वर्ण महल है जिसमें रत्न, माणिक इत्यादि जड़े हैं। महल में बड़े-बड़े कमरे हैं जिनमें सजावट की अलौकिक चीज़े हैं। महल के चारों ओर उद्यान हैं और...

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उन्तीसवीं पुतली ~ मानवती ~ राजा विक्रम की बहन की शादी

उन्तीसवीं पुतली – मानवती ने इस प्रकार कथा सुनाई- राजा विक्रमादित्य वेश बदलकर रात में घूमा करते थे। ऐसे ही एक दिन घूमते-घूमते नदी के किनारे पहुँच गए। चाँदनी रात में नदी का जल चमकता हुआ बड़ा ही प्यारा दृश्य प्रस्तुत कर रहा था। विक्रम चुपचाप नदी तट पर खड़े थे तभी उनके कानों में “बचाओ-बचाओ की...

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तीसवीं पुतली ~ जयलक्ष्मी ~ मृग रूप से मुक्ति

तीसवीं पुतली – जयलक्ष्मी ने जो कथा कही वह इस प्रकार है- राजा विक्रमादित्य जितने बड़े राजा थे उतने ही बड़े तपस्वी। उन्होंने अपने तप से जान लिया कि वे अब अधिक से अधिक छ: महीने जी सकते हैं। अपनी मृत्यु को आसन्न समझकर उन्होंने वन में एक कुटिया बनवा ली तथा राज-काज से बचा हुआ समय साधना में बिताने...

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इकत्तीसवीं पुतली ~ कौशल्या ~ विक्रमादित्य की मृत्यु

इकत्तीसवीं पुतली – कौशल्या ने अपनी कथा इस प्रकार कही- राजा विक्रमादित्य वृद्ध हो गए थे तथा अपने योगबल से उन्होंने यह भी जान लिया कि उनका अन्त अब काफी निकट है। वे राज-काज और धर्म कार्य दोनों में अपने को लगाए रखते थे। उन्होंने वन में भी साधना के लिए एक आवास बना रखा था। एक दिन उसी आवास में एक...

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बत्तीसवीं पुतली ~ रानी रूपवती ~ अंतिम कहानी

बत्तीसवीं पुतली रानी रूपवती ने राजा भोज को सिंहासन पर बैठने की कोई रुचि नहीं दिखाते देखा तो उसे अचरज हुआ। उसने जानना चाहा कि राजा भोज में आज पहले वाली व्यग्रता क्यों नहीं है। राजा भोज ने कहा कि राजा विक्रमादित्य के देवताओं वाले गुणों की कथाएँ सुनकर उन्हें ऐसा लगा कि इतनी विशेषताएँ एक मनुष्य में...

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इंडिया का बुद्ध सभ्यता

हमारा देश का नाम ना भारत था, ना हिन्दुस्तान था, ना इंडिया; ये विशाल भूखंड सदियों छोटे बड़े राज्यों का मिश्रित समूह रहा, ये भूखंड समय के साथ राजाओं के राज से जाना जाता था । ये भूखंड अनेक भाषीय सभ्यता का भूखंड है । आज भी यहाँ १२२ प्रमुख भाषा और १५९९ अन्य भाषाएं देखने मिलते हैं । जितने तरह की प्रमुख...

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अलिफ लैला की कहानियाँ

अलिफ़ लैला, अलिफ़ लैला , अलिफ़ लैला, हर शब्द में नयी कहानी, दिलचस्प है बयानी, सदियाँ गुज़र गयी हैं, लेकिन न हो पुरानी, अलिफ़ लैला, अलिफ़ लैला , अलिफ़ लैला। इस गीत को बचपन में हम सब ने कई बार दूरदर्शन के धारावाहिक अलिफ़ लैला में अवश्य ही सुना होगा।अलिफ लैला की कहानी अरब देश की एक प्रचलित लोक कथा है जो पूरी...

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शहरयार और शाहजमाँ की कहानी – अलिफ़ लैला

फारस देश भी हिंदुस्तान और चीन के समान था और कई नरेश उसके अधीन थे। वहाँ का राजा महाप्रतापी और बड़ा तेजस्वी था और न्यायप्रिय होने के कारण प्रजा को प्रिय था। उस बादशाह के दो बेटे थे जिनमें बड़े लड़के का नाम शहरयार और छोटे लड़के का नाम शाहजमाँ था। दोनों राजकुमार गुणवान, वीर धीर और शीलवान थे। जब बादशाह...

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शहरयार और शहरजाद की शादी – अलिफ लैला

एक बड़ा व्यापारी था जिसके गाँव में बहुत-से घर और कारखाने थे जिनमें तरह-तरह के पशु रहते थे। एक दिन वह अपने परिवार सहित कारखानों को देखने के लिए गाँव गया। उसने अपनी पशुशाला भी देखी जहाँ एक गधा और एक बैल बँधे हुए थे। उसने देखा कि वे दोनों आपस में वार्तालाप कर रहे हैं। वह व्यापारी पशु-पक्षियों की बोली...

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