बुद्ध के दो प्रधान शिष्यों में से एक थे- मोग्गलन, जिन्हें पालि परम्परा में, महामोग्गलन भी कहा जाता है। इन्हें बुद्ध ने सारिपुत्त के साथ एक ही दिन दीक्षा दी थी और यह भी घोषणा कि थी कि ये दोनों उनके शिष्य हैं। मोग्गलन और सारिपुत्त एक ही दिन जन्मे थे। इनकी माता का नाम मोग्गली (या मोग्गलानी) होने से...
Category - मनोहर कहानियाँ
बौद्ध-परम्परा में मार मृत्यु, कुकृत बल और प्रलोभक के रुप में जाना जाता है जिसे आधुनिक भाषा में शैतान का रुप समझा जा सकता हैं। जब यह कहा जाता है कि ‘मार’ तो वह क्लेश अथवा मृत्यु का द्योतक है। मार को नमुचि का नाम दिया गया है क्योंकि कोई भी उससे नहीं बच सकता। उसे वसवत्ती भी कहा जाता हैं...
मगध के राजा बिम्बिसार की राजधानी राजगीर थी । बिम्बिसार गौतम बुद्ध के सबसे बड़े प्रश्रयदाता थे। वे पन्द्रह वर्ष की आयु में राजा बने और अपने पुत्र अजातसत्तु (संस्कृत- अजातशत्रु) के लिए राज-पाट त्यागने से पूर्व बावन वर्ष इन्होंने राज्य किया। राजा पसेनदी की बहन और कोसल की राजकुमारी, इनकी पत्नी और...
बुद्ध के सौतेले भाई तथा उनकी माता की छोटी बहन के पुत्र नंद जिस दिन जनपद कल्याणी के साथ परिणय-सूत्र में बँधने वाले थे उसी दिन बुद्ध उनके महल में पहुँचे । फिर उनसे अपने भिक्षाटन के कटोरे को उठा अपने साथ अपने विहार ले आये । विहार लाकर बुद्ध ने उन्हें भी भिक्षु बना दिया । नंद ने भी भिक्षुत्व स्वीकार...
बुद्ध के भाई नंद की मंगेतर जनपद कल्याणी नंदा अपने काल की अपूर्व रुपसी थी। उसका नाम ‘जनपद कल्याणी’ इसलिए पड़ा था कि उसका रुप, लावण्य और शोभा और श्री समस्त जनपद के लिए कल्याणकारी माना जाता था । नंद से उसका प्रगाढ प्रेम था और उनसे शादी की आशा में वह फूले न समा रही थी। किन्तु जिस दिन वह नंद...
जब नन्द के प्रत्यावर्तन की सभी आशाएँ विफल हो गईं, तो शनै:-शनै: जनपद कल्याणी इस दु:ख से उबरने लगीं। थोड़े समय बाद, उन्हें लगा कि उनका सम्पूर्ण जीवन व्यर्थ और उद्देश्यहीन हो चुका है, सो उन्होंने संघ में शरण लेने का विचार बनाया। प्रजापति के निर्देशन में उन्होंने सांसारिक जीवन का परित्याग कर दिया और संघ...
चौबीस बुद्धों की परिगणना में फुस्स बुद्ध का स्थान अट्ठारहवाँ हैं । इनका जन्म काशी के सिरिमा उद्यान में हुआ था । मनोरत्थपूरणी के अनुसार उनके पिता का नाम महिन्द्र था । उनकी एक बहन थी और तीन सौतेले भाई । इनकी पत्नी का नाम किसागोतमा था, जिससे उन्हें आनन्द नाम के पुत्र-रत्न की प्राप्ति हुई थी। सम्बोधि...
पालि परम्परा में विपस्सी उन्नीसवें बुद्ध माने जाते हैं। उनका जन्म बन्धुमती के खेम-उद्यान में हुआ था । उनकी माता का नान भी बन्धुमती था । उनके पिता का नाम बन्धुम था । उनका विवाह सूतना के साथ हुआ था जिससे उन्हें समवत्तसंघ नामक पुत्र की प्राप्ति हुई थी। एक रथ पर सवार हो उन्होंने अपने गृहस्थ-जीवन का...
पालि परम्परा में शिखि बुद्ध बीसवें बुद्ध हैं । इनके पिता का नाम अरुनव और माता का नाम पभावति है। अरुणावती नामक स्थान पर इनका जन्म हुआ। इनकी पत्नी का नाम सब्बकामा था। इनके अतुल नाम का एक पुत्र था। आठ महीने इन्होंने तपस्या की । बुद्धत्व-प्राप्ति से पूर्व इन्होंने प्रियदस्सी सेट्ठी की पुत्री से खीर...
वेस्सभू बुद्ध पालि परम्परा में इक्कीसवें बुद्ध के रुप में मान्य हैं । उनके पिता का नाम सुप्पतित्त तथ माता का नाम यसवती था। उनका जन्म अनोम नगर में हुआ था तथा उनका नाम वेस्सभू रखा गया । उनकी पत्नी का नाम सुचित्रा तथा पुत्र का नाम सुप्पबुद्ध था। उन्होंने अपने प्रथम उपदेश अपने दो भाई सोन और उत्तर को...