एक विद्वान् परिवार में सात भाई और एक बहन थी। परिवार का सबसे बड़ा भाई बहुत ही शीलवान् और गुणी था। उसने अपने काल की अनेक विद्याओं का अच्छा ज्ञान प्राप्त किया था। जब उसके माता-पिता की मृत्यु हो गई तो उसने संयास वरण करने का निश्चय किया। भाई के आदर्शों पर चलने वाले उसके छोटे बहन-भाई भी उसका अनुकरण करना...
Category - मनोहर कहानियाँ
एक राजकुमार था। उसका नाम कंदरी था। वह बहुत ही सुन्दर था और प्रतिदिन हज़ार घटों के इत्र से नहाता था। भोजन भी वह सुगंधित लकड़ियों की थाल में करता था। उसका रुप यौवन और उसकी जीवन चर्या इतनी आकर्षक थी कि कोई भी कन्या उस पर अनायास मुग्ध हो उठती थी। युवावस्था में ही वह राजा बना और उसका विवाह किन्नरा नाम की...
वाराणसी में राज्य करता हुआ घतकुमार नाम के एक राजा ने अपने हरम में एक मंत्री के दुर्व्यवहार को देखा। उसने उस मंत्री को दण्डित करते हुए अपने राज्य से निष्कासित कर दिया। उस मंत्री ने तब श्रावस्ती के राजा वंक के पास शरण ली। कुछ दिनों के बाद उस मंत्री ने राजा वंक को वाराणसी राज्य के कई भेद बताये। जिससे...
सुप्पारक नाम के एक कुशल नाविक ने अचानक अपनी आँखों की रोशनी खो दी। इस कारण उसे कुछ दिनों तक एक राजा के यहाँ नौकरी करनी पड़ी। राजा ने उसकी कद्र नहीं की। अत: वह वहाँ से इस्तीफा देकर अपने घर बैठ गया। एक दिन उसकी योग्यताओं को सुन कुछ समुद्री व्यापारी उसके पास पहुँचे। उन्होंने उसे एक जहाज का कप्तान बना...
राजगृह का राजा एक बौद्ध धर्मी राजा से उपदेश ग्रहण कर मरणोपरान्त संखपाल नामक एक संन्यासी बना; और परम-सील की सिद्धि प्राप्त करने हेतु दीमक-पर्वत-पर कठिन तप करने लगा । उसी समय सोलह दुष्ट व्यक्तियों ने उन्हें भालों से बींध कर उनके शरीर में कई छेद बनाये और उन छेदों में रस्सी घुसा कर उन्हें बाँध दिया।...
पारमिता को सिद्ध करने के लिए नागराज चंपेय्य ने संन्यास वरण किया। बौद्धों में यह अवधारणा है कि दान, शील, धैर्य आदि दस गुणों के परम आचरण से बुद्धत्व की प्राप्ति होती है, और उसकी संपूर्ण सिद्धि पारमिता कहलाती है। संन्यास वरण कर चंपेय्य पर्वत पर जाकर साधना में लीन हो गये । वहाँ एक दुष्ट ब्राह्मण ने...
जब वाराणसी के कुछ व्यापारी बावेरु द्वीप पहुँचे तो वे अपने साथ एक कौवा भी ले गये। उस देश के लोगों ने कभी भी किसी कौवे को नहीं देखा था। इसलिए उन्होंने मुँह माँगा दाम दे उस कौवे को खरीद लिया। कौवे की तब अच्छी आवभगत हुई। उसे सोने के पिंजरे में रखा गया और नाना प्रकार के फल व मांस से उसका सत्कार किया...
एक रईस नौजवान जुआरी एक बार रात काटने के लिए एक सराय में रुका । उस सराय में भी कुछ लोग जुआ खेल रहे थे। नौजवान भी उन लोगों के साथ जुआ खेलने लगा । जुआ खेलते हुए उसने देखा कि एक जुआरी बड़ी सफाई से खेल की कौड़ी को मुँह में डाल दूसरी कौड़ी को खेल के स्थान में रख देता था, जिससे उसकी जीत हो जाती थी। नौजवान ने...
काशी की महारानी चंदादेवी की कोई संतान नहीं थी। चूँकि वह शीलवती थी इसलिए उसने नियोग के जरिये पुत्र गर्भस्थ किया और उसका नाम तेमिय रखा गया। तेमिय राज सुख से ना खुश होकर राजा न बनने के लिए उसने सोलह वर्षों तक गूंगा और अक्रियमाण बने रहने का स्वांग रचा । लोगों ने जब उसे भविष्य में राजा बनने के योग्य...
काशी नगरी के पास के गाँव में एक बार भयंकर बाढ़ आई और गाँव वालों की फसल बहा ले गयी। तब गाँव वाले सहायता के लिए गाँव के मुखिया के पास पहुँचे। मुखिया ने उन्हें बैल ॠण में दिया और कहा कि जब उनके मक्के आदि की फसल कटेगी तो वे अपने फसल का कुछ भाग उसे दे अपना ॠण चुका दें। उसी गाँव में एक सीधा-सादा गृहस्थ...