आपकी ज़िन्दगी बस यूँ ही नहीं घट जाती. चाहे आप जानते हों या नहीं, ये आप ही के द्वारा डिजाईन की जाती है. आखिरकार आप ही अपने विकल्प चुनते हैं. आप खुशियाँ चुनते हैं. आप दुःख चुनते हैं. आप निश्चितता चुनते हैं. आप अपनी अनिश्चितता चुनते हैं. आप अपनी सफलता चुनते हैं. आप अपनी असफलता चुनते हैं. आप साहस चुनते हैं. आप डर चुनते हैं. इतना याद रखिये कि हर एक क्षण, हर एक परिस्थिति आपको एक नया विकल्प देती है. और ऐसे में आपके पास हमेशा ये Opportunity होती है कि आप चीजों को अलग तेरीके से करें और अपने लिए और Positive Result Produce करें.
Habit 1 : Be Proactive / प्रोएक्टिव बनिए / सकारात्मक सक्रिय बनिए
Proactive होने का मतलब है कि अपनी life के लिए खुद ज़िम्मेदार बनना. आप हर चीज के लिए अपने parents या grandparents को नही blame कर सकते. Proactive लोग इस बात को समझते हैं कि वो “response-able” हैं. वो अपने आचरण के लिए जेनेटिक्स, परिस्थितियों, या परिवेष को दोष नहीं देते हैं. उन्हें पता होता है कि वो अपना व्यवहार खुद चुनते हैं. एक बेहद महत्त्वपूर्ण चीज होती है कि आप इस बात का चुनाव कर सकते हैं कि आप क्या बोलते हैं. आप जो भाषा प्रयोग करते हैं वो इस बात को indicate करती है कि आप खुद को कैसे देखते हैं.
Habit 2: Begin with the End in Mind / अंत को ध्यान में रख कर शुरुआत करें
अंत को ध्यान में रख कर शुरुआत करें तो आप बड़े होकर क्या बनना चाहते हैं? शायद यह सवाल थोड़ा अटपटा लगे, लेकिन आप इसके बारे में एक क्षण के लिए सोचिये. क्या आप अभी वो हैं जो आप बनना चाहते थे, जिसका सपना आपने देखा था, क्या आप वो कर रहे हैं जो आप हमेशा से करना चाहते थे. ईमानदारी से सोचिये. कई बार ऐसा होता है कि लोग खुद को ऐसी जीत हासिल करते हुए देखते हैं जो दरअसल खोखली होती है– ऐसी सफलता, जिसके बदले में उससे कहीं बड़ी चीजों को गवाना पड़ा. यदि आपकी सीढ़ी सही दीवार पर नहीं लगी है तो आप जो भी कदम उठाते हैं वो आपको गलत जगह पर लेकर जाता है.
Habit 2 आपके Imagination या कल्पना पर आधारित है– Imagination, यानि आपकी वो क्षमता जो आपको अपने दिमाग में उन चीजों को दिखा सके जो आप अभी अपनी आँखों से नहीं देख सकते. यह इस सिधांत पर आधारित है कि हर एक चीज का निर्माण दो बार होता है. पहला Mental creation, और दूसरा Physical Creation. जिस तरह blue-print तैयार होने के बाद मकान बनता है, उसी प्रकार Mental Creation होने के बाद ही Physical Creation होती है. अगर आप खुद Visualize नहीं करते हैं कि आप क्या हैं और क्या बनना चाहते हैं तो आप, आपकी life कैसी होगी इस बात का फैसला औरों पर और परिस्थितियों पर छोड़ देते हैं. Habit 2 इस बारे में है कि आप किस तरह से अपनी विशेषता को पहचानते हैं, और फिर अपनी Personal, Moral और Ethical Guidelines के अन्दर खुद को खुश रख सकते और पूर्ण कर सकते हैं. अंत को ध्यान में रख कर आरम्भ करने का अर्थ है, हर दिन, काम या Project की शुरआत एक Clear Vision के साथ करना कि हमारी क्या दिशा और क्या मंजिल होनी चाहिए, और फिर Proactively उस काम को पूर्ण करने में लग जाना.
Habit 2 को practice में लाने का सबसे अच्छा तरीका है कि अपना खुद का एक Personal Mission Statement बनाना. इसका फोकस इस बात पर होगा कि आप क्या बनना चाहते हैं और क्या करना चाहते हैं. ये Success के लिए की गयी आपकी planning है. ये इस बात की पुष्टि करता है कि आप कौन हैं, आपके goals को focus में रखता है, और आपके Ideas को इस दुनिया में लाता है. आपका Mission Statement आपको अपनी ज़िन्दगी का Leader बनाता है. आप अपना भाग्य खुद बनाते हैं, और जो सपने आपने देखे हैं उन्हें साकार करते हैं.
Habit 3 : Put First Things First / प्राथमिक चीजों को वरीयता दें
एक balanced life जीने के लिए, आपको इस बात को समझना होगा कि आप इस ज़िन्दगी में हर एक चीज नहीं कर सकते. खुद को अपनी क्षमता से अधिक कामो में व्यस्त करने की ज़रुरत नहीं है. जब ज़रूरी हो तो “ना” कहने में मत हिचकिये, और फिर अपनी Important Priorities पर Focus कीजिये.
Habit 1 कहती है कि, ” आप In charge हैं. आप Creator हैं”. Proactive होना आपकी अपनी Choice है. Habit 2 पहले दिमाग में चीजों को Visualize करने के बारे में है. अंत को ध्यान में रख कर शुरआत करना Vision से सम्बंधित है. Habit 3 दूसरी Creation, यानि Physical Creation के बारे में है. इस Habit में Habit 1 और Habit 2 का समागम होता है. और यह हर समय हर क्षण होता है. यह Time Management से Related कई प्रश्नों को Deal करता है.
लेकिन यह सिर्फ इतना ही नहीं है. Habit 3 Life Management के बारे में भी है—आपका Purpose, Values, Roles, और Priorities. “प्राथमिक चीजें” क्या हैं? प्राथमिक चीजें वह हैं, जिसको आप व्यक्तिगत रूप से सबसे मूल्यवान मानते हों. यदि आप प्राथमिक कार्यों को तरजीह देने का मतलब है कि,आप अपना समय, अपनी उर्जा Habit 2 में अपने द्वारा Set की गयीं Priorities पर लगा रहे हैं.
Habit 4: Think Win-Win / हमेशा जीत के बारे में सोचें
Think Win-Win अच्छा होने के बारे में नहीं है, ना ही यह कोई short-cut है. यह Character पर आधारित एक कोड है जो आपको बाकी लोगों से Interact और सहयोग करने के लिए है.
हम मे से ज्यादातर लोग अपना मुल्यांकन दूसरों से Comparison और Competition के आधार पर करते हैं. हम अपनी सफलता दूसरों की असफलता में देखते हैं—यानि अगर मैं जीता, तो तुम हारे, तुम जीते तो मैं हारा. इस तरह Life एक Zero-Sum Game बन जाती है. मानो एक ही रोटी हो, और अगर दूसरा बड़ा हिस्सा ले लेता है तो मुझे कम मिलेगा, और मेरी कोशिश होगी कि दूसरा अधिक ना पाए. हम सभी ये Game खेलते हैं, लेकिन आप ही सोचिये कि इसमें कितना मज़ा है?
Win -Win ज़िन्दगी को Co-operation की तरह देखती है, Competition की तरह नहीं. Win-Win दिल और दिमाग की ऐसी स्थिति है जो हमें लगातार सभी का हित सोचने के लिए प्रेरित करती है. Win-Win का अर्थ है ऐसे समझौते और समाधान जो सभी के लिए लाभप्रद और संतोषजनक हैं. इसमें सभी चीजें खाने को मिलती हैं, और वो काफी अच्छा Taste करती हैं.
एक व्यक्ति या संगठन जो Win-Win attitude के साथ समस्याओं को हल करने की कोशिश करता है उसके अन्दर तीन मुख्य बातें होती हैं:
1. Integrity / वफादारी: अपने Values, Commitments और Feelings के साथ समझौता ना करना.
2. Maturity / परिपक्वता: अपने Ideas और Feelings को साहस के साथ दूसरों के सामने रखना और दूसरों के विचारों और भावनाओं की भी कद्र करना.
3. Abundance Mentality / प्रचुरता की मानसिकता: इस बात में यकीन रखना की सभी के लिए बहुत कुछ है.
बहुत लोग Either-Or के Terms में सोचते हैं: या तो आप अच्छे हैं या आप सख्त हैं. Win-Win में दोनों की आवश्यकता होती है. यह साहस और सूझबूझ के बीच Balance करने जैसा है. Win-Win को अपनाने के लिए आपको सिर्फ सहानभूतिपूर्ण ही नहीं बल्कि आत्मविश्वास से लबरेज़ भी होना होगा. आपको सिर्फ विचारशील और संवेदनशील ही नहीं बल्कि बहादुर भी होना होगा. ऐसा करना कि –Courage और Consideration में Balance स्थापित हो, यही Real Maturity है, और Win-Win के लिए बेहद ज़रूरी है.
Habit 5: Seek First to Understand, Then to Be Understood / पहले दूसरों को समझो फिर अपनी बात समझाओ
Communication लाइफ की सबसे ज़रूरी Skill है. आप अपने कई साल पढना-लिखना और बोलना सीखने में लगा देते हैं. लेकिन सुनने का क्या है? आपको ऐसी कौन सी Training मिली है, जो आपको दूसरों को सुनना सीखाती है, ताकि आप सामने वाले को सच-मुच अच्छे से समझ सकें? शायद कोई नहीं? क्यों?
अगर आप ज्यादातर लोगों की तरह हैं तो शायद आप भी पहले खुद आपनी बात समझाना चाहते होंगे. और ऐसा करने में आप दूसरे व्यक्ति को पूरी तरह Ignore कर देते होंगे, ऐसा दिखाते होंगे कि आप सुन रहे हैं, पर दरअसल आप बस शब्दों को सुनते हैं पर उनके असली मतलब को पूरी तरह से Miss कर जाते हैं.
सोचिये ऐसा क्यों होता है? क्योंकि ज्यादातर लोग इस Intention के साथ सुनते हैं कि उन्हें Reply करना है, समझना नहीं है. आप अन्दर ही अन्दर खुद को सुनते हैं और तैयारी करते हैं कि आपको आगे क्या कहना है, क्या सवाल पूछने हैं, etc. आप जो कुछ भी सुनते हैं वो आपके Life-Experiences से छनकर आप तक पहुचता है.
आप जो सुनते हैं उसे अपनी आत्मकथा से तुलना कर देखते हैं कि ये सही है या गलत. और इस वजह से आप दूसरे की बात ख़तम होने से पहले ही अपने मन में एक धारणा बना लेते हैं कि अगला क्या कहना चाहता है. क्या ये वाक्य कुछ सुने-सुने से लगते है?
“अरे, मुझे पता है कि तुम कैसा Feel कर रहे हो. मुझे भी ऐसा ही लगा था.” “मेरे साथ भी भी ऐसा ही हुआ था.” ” मैं तुम्हे बताता हूँ कि ऐसे वक़्त में मैंने क्या किया था.”
चूँकि आप अपने जीवन के अनुभवों के हिसाब से ही दूसरों को सुनते हैं. आप इन चारों में से किसी एक तरीके से ज़वाब देते हैं:
Evaluating/ मूल्यांकन: पहले आप Judge करते हैं उसके बाद सहमत या असहमत होते हैं.
Probing / जाँच : आप अपने हिसाब से सवाल-जवाब करते हैं.
Advising/ सलाह : आप सलाह देते हैं और उपाय सुझाते हैं.
Interpreting/ व्याख्या : आप दूसरों के मकसद और व्यवहार को अपने Experience के हिसाब से Analyze करते हैं.
शायद आप सोच रहे हों कि अपने Experience के हिसाब से किसी से Relate करने में बुराई क्या है? कुछ Situations में ऐसा करना उचित हो सकता है, जैसे कि जब कोई आपसे आपके अनुभवों के आधार पर कुछ बताने के लिए कहे, जब आप दोनों के बीच एक Trust की Relationship हो. पर हमेशा ऐसा करना उचित नहीं है.
Habit 6: Synergize / ताल-मेल बैठाना
सरल शब्दों में समझें तो, “दो दिमाग एक से बेहतर हैं ” Synergize करने का अर्थ है रचनात्मक सहयोग देना. यह team-work है. यह खुले दिमाग से पुरानी समस्याओं के नए निदान ढूँढना है.
पर ये युहीं बस अपने आप ही नहीं हो जाता. यह एक Process है, और उसी Process से, लोग अपने Experience और Expertise को उपयोग में ला पाते हैं. अकेले की अपेक्षा वो एक साथ कहीं अच्छा Result दे पाते हैं. Synergy से हम एक साथ ऐसा बहुत कुछ खोज पाते हैं जो हमारे अकेले खोजने पर शायद ही कभी मिलता. ये वो Idea है जिसमे The whole is greater than the sum of the parts. One plus one equals three, or six, or sixty–या उससे भी ज्यादा.
जब लोग आपस में इमानदारी से Interact करने लगते हैं, और एक दूसरे से प्रभावित होने के लिए खुले होते हैं, तब उन्हें नयी जानकारीयाँ मिलना प्रारम्भ हो जाती हैं. आपस में मतभेद नए तरीकों के आविष्कार की क्षमता कई गुना बढ़ा देते हैं.
मतभेदों को महत्त्व देना Synergy का मूल है. क्या आप सचमुच लोगों के बीच जो Mental, Emotional, और Psychological Differences होते हैं, उन्हें महत्त्व देते हैं? या फिर आप ये चाहते हैं कि सभी लोग आपकी बात मान जायें ताकि आप आसानी से आगे बढ़ सकें? कई लोग एकरूपता को एकता समझ लेते हैं. आपसी मतभेदों को Weakness नहीं Strength के रूप में देखना चाहिए. वो हमारे जीवन में उत्साह भरते हैं.
Habit 7: Sharpen the Saw / कुल्हाड़ी को तेज करें
Sharpen the Saw का मतलब है अपने सबसे बड़ी सम्पत्ति यानि खुद को सुरक्षित रखना. इसका अर्थ है अपने लिए एक प्रोग्राम डिजाईन करना जो आपके जीवन के चार क्षेत्रों Mental, Physical, Emotional and Social में आपका नवीनीकरण करे. नीचे ऐसी कुछ Activities के Example दिए गए हैं:
Physical / शारीरिक : अच्छा खाना, व्यायाम करना, आराम करना
Mental / मानसिक : पढना-लिखना, सीखना-सिखाना.
Emotional /भावनात्मक : औरों के साथ अर्थपूर्ण सम्बन्ध बनाना.
Social /सामजिक :प्रकृति के साथ समय बिताना, ध्यान करना, सेवा करना और सामाज के साथ अर्थपूर्ण सम्बन्ध बनाना .
आप जैसे -जैसे हर एक क्षेत्र में खुद को सुधारेंगे, आप अपने जीवन में प्रगति और बदलाव लायेंगे. Sharpen the Saw आपको Fresh रखता है ताकि आप बाकी की Six Habits अच्छे से Practice कर सकें. ऐसा करने से आप Challenges Face करने की अपनी क्षमता को बढ़ा लेते हैं. बिना ऐसा किये आपका शरीर कमजोर पड़ जाता है, मस्तिष्क बुद्धि रहित हो जाता है, भावनाए ठंडी पड़ जाती हैं, स्वाभाव असंवेदनशील हो जाता है, और इंसान स्वार्थी हो जाता है. और यह एक अच्छी तस्वीर नहीं है, क्यों?
आप अच्छा Feel करें, ऐसा अपने आप नहीं होता. एक Balanced Life जीने काअर्थ है खुद को Renew करने के लिए ज़रूरी वक़्त निकालना. ये सब आपके ऊपरहै. आप खुद को आराम करके Renew कर सकते हैं. या हर काम अत्यधिक करके खुद को जला सकते हैं. आप खुद को Mentally/Emotionally प्यार कर सकते हैं, या फिर अपने Well-being से बेखबर यूँ ही अपनी ज़िन्दगी बिता सकते हैं. आप अपने अन्दर जीवंत उर्जा का अनुभव कर सकते हैं या फिर टाल-मटोल कर अच्छे स्वास्थ्य और व्यायाम के फायदों को खो सकते हैं.
आप खुद को पुनर्जीवित कर सकते हैं और एक नए दिन का स्वागत शांति और सद्भाव के साथ कर सकते हैं. या फिर आप उदासी के साथ उठकर दिन को गुजरते देख सकते हैं. बस इतना याद रखिये कि हर दिन आपको खुद को Renew करने का एक नया अवसर देता है, अवसर देता है खुद को Recharge करने का. बस ज़रुरत है Desire (इच्छा), Knowledge ( ज्ञान) और Skills (कौशल) का सही इस्तेमाल की .