लेकिन ज्ञानप्राप्ति की क्रिया यहीं समाप्त नहीं हो जाती। अगर ज्ञानप्राप्ति की द्वन्द्वात्मक भौतिकवादी क्रिया केवल बुद्धिसंगत ज्ञान पर ही रुक जाती है, तो समस्या का केवल आधा ही अंश निपटाया जा सकेगा। और जहां तक मार्क्सवादी दर्शन का संबंध है, उसके लिहाज से तो केवल वह आधा अंश ही निपटाया जाता है जो ज्यादा महत्वपूर्ण नहीं है। मार्क्सवादी दर्शन के मतानुसार सर्वाधिक महत्वपूर्ण समस्या यह नहीं है कि हम वस्तुगत जगत के नियमों को समझ लें और इस प्रकार विश्व की व्याख्या कर सकें, बल्कि यह है कि इन नियमों के ज्ञान को विश्व का रूपांतर करने के लिए गत्यात्मक रूप से लागू करें। मार्क्सवादी दृष्टिकोण के अनुसार सिद्धांत महत्वपूर्ण होता है, और उसके महत्व को लेनिन ने इस वाक्य में पूरी तरह बता दिया है, “बिना क्रांतिकारी सिद्धांत के कोई क्रांतिकारी आंदोलन नहीं हो सकता।”(5) लेकिन मार्क्सवाद ठीक इसी कारण और केवल इसीलिए सिद्धांत पर जोर देता है क्योंकि वह कर्म का पथ–प्रदर्शन कर सकता है। भले ही हमारे पास सही सिद्धांत मौजूद हो, लेकिन अगर हम महज उसका जाप करते रहेंगे, उसे उठाकर ताक पर रख देंगे और उसे अमल में नहीं लाएंगे, तो उस सिद्धांत का, चाहे वह कितना ही अच्छा क्यों न हो, कोई मूल्य नहीं रह जाएगा। ज्ञान व्यवहार से शुरू होता है, और व्यवहार के जरिए प्राप्त होने वाले सैद्धांतिक ज्ञान को फिर व्यवहार के पास लौट जाना होता है। ज्ञान का गत्यात्मक धर्म न सिर्फ इंद्रियग्राह्य ज्ञान से बुद्धिसंगत ज्ञान तक गत्यात्मक छलांग भरने में प्रकट होता है बल्कि-और यह अधिक महत्वपूर्ण है -बुद्धिसंगत ज्ञान से क्रांतिकारी व्यवहार तक छलांग भरने में भी प्रकट होता है। जो ज्ञान संसार के नियमों को आत्मसात कर लेता है, उसे संसार को बदलने के व्यवहार की ओर फिर से निर्देशित करना चाहिए, उत्पादन के व्यवहार में, क्रांतिकारी वर्ग–संघर्ष और क्रांतिकारी राष्ट्रीय संघर्ष के व्यवहार में, तथा वैज्ञानिक प्रयोगों के व्यवहार में फिर एक बार लागू करना चाहिए। यह सिद्धांत को परखने और उसे विकसित करने की प्रक्रिया है, ज्ञानप्राप्ति की समूची प्रक्रिया का ही जारी रूप है। सिद्धांत वस्तुगत यथार्थ के अनुरूप है अथवा नहीं, यह समस्या इंद्रियग्राह्य ज्ञान से बुद्धिसंगत ज्ञान तक पहुंचने की ऊपर बताई गई क्रिया में न तो पूरी तरह हल होती है और न पूरी तरह हल हो सकती है। उसे पूरी तरह हल करने का एकमात्र तरीका यह है कि बुद्धिसंगत ज्ञान को सामाजिक व्यवहार की ओर फिर से निर्देशित किया जाए, सिद्धांत को व्यवहार में लागू किया जाए और यह देखा जाए कि उससे प्रत्याशित फल मिलता है या नहीं। प्राकृतिक विज्ञान के बहुत से सिद्धांत सत्य माने जाते हैं, केवल इसलिए नहीं कि प्रकृति–वैज्ञानिकों ने जब उन्हें निकाला था तब उन्हें सत्य समझा जाता था, बल्कि इसलिए भी कि बाद के वैज्ञानिक व्यवहार में उनकी सच्चाई परखी जा चुकी है। इसी तरह मार्क्सवाद–लेनिनवाद को भी सत्य समझा जाता है, केवल इसलिए नहीं कि मार्क्स, एंगेल्स, लेनिन और स्तालिन ने जब वैज्ञानिक पद्धति से उसका प्रतिपादन किया था तब उसे सत्य समझा जाता था, बल्कि इसलिए भी कि बाद के क्रांतिकारी वर्ग–संघर्ष और क्रांतिकारी राष्ट्रीय संघर्ष के व्यवहार में उसकी सच्चाई परखी जा चुकी है। द्वन्द्वात्मक भौतिकवाद इसलिए एक सर्वव्यापी सत्य है, क्योंकि व्यवहार में उससे बचकर निकलना किसी के लिए भी संभव नहीं है। मानव–ज्ञान का इतिहास हमें बतलाता है कि बहुत से सिद्धांतों की सच्चाई अपूर्ण होती है और यह अपूर्णता व्यवहार की कसौटी से ही दूर की जाती है। बहुत से सिद्धांत गलत होते हैं और व्यवहार की कसौटी से ही उन्हें दुरुस्त किया जाता है। यही कारण है कि व्यवहार ही सत्य की कसौटी है और “जीवन के दृष्टिकोण को, व्यवहार के दृष्टिकोण को, ज्ञान–सिद्धांत में पहली और बुनियादी चीज होना चाहिए”(6)। स्तालिन ने ठीक ही कहा था, “सिद्धांत यदि क्रांतिकारी व्यवहार से संबद्ध न हो जाए, तो वह निरुद्देश्य हो जाता है-ठीक उसी तरह जैसे क्रांतिकारी सिद्धांत द्वारा पथ आलोकित न किए जाने पर व्यवहार अंधेरे में भटकता रहता है।’’(7)
व्यवहार के बारे में (ज्ञान और व्यवहार, जानने और कर्म करने के आपसी संबंध के बारे में) – माओ त्से–तुङ, जुलाई 1937
किसी भी विज्ञापन को विश्वास करने से पहले जांच करें ।
loading...
You may also like
लोकप्रिय
सोसिओपैथ
इंडिया का बुद्ध सभ्यता
-
हिंदी क्या है?
इंडिया का सबसे बड़ा अंधविश्वास और मानसिक विकृति
- गौतम बुद्ध के 101 अनमोल विचार
- गौतम बुद्ध के 53 प्रेरक अनमोल विचार
- असामाजिक व्यक्तित्व विकार
- चार्वाक
- प्रचार के शिकार
- मैं नास्तिक क्यों हूँ? (भगत सिंह )
- डा. अम्बेडकर की 22 प्रतिज्ञाएँ
भारत की खोज
- सम्पूर्ण चाणक्य नीति
- डारविन की ७ वादा
- हिन्दू धर्म और नैतिक यौन बिकृति
-
गेब्रियल भ्रम
All Topics
किसी भी विज्ञापन को विश्वास करने से पहले जांच करें ।
loading...
क्रमरहित सूची
- राजकुमारी का चाँद
- कमरुज्जमाँ और बदौरा की कहानी – अलिफ लैला
- कुम्हार की कहानी ~ पंचतंत्र
- मन की भाषा
- आज ही अपनी ज़िन्दगी जी लो
- सैकड़ों चलते हैं लेकिन मुश्किल से एक पहुंचता है
- सिंह और सियार -जातक कथा
- मेहनत का महत्त्व
- सच या झूठ
- ताबूत
- कबीर के दोहे – वाणी/Speech
- कुएं का मेंढक
- चार मोमबत्तियां
- तीन गुरु
- फुस्स बुद्ध -जातक कथा
- सांप की सवारी करने वाले मेढकों की कथा ~ पंचतंत्र
- छोटी-छोटी बातें बड़ा फर्क डालती हैं
- शेर और सियार
- हेलेन केलर के अनमोल विचार
- लोग क्या कहेंगे
- गुरु – शिष्य
- भगत सिंह के क्रांतिकारी विचार
- सियार न्यायधीश -जातक कथा
- प्रेरणा का स्रोत
- बाज की उड़ान
- कबीर के दोहे – ईश्वर स्मरण/Remembrance
- ग़रीबी दूर करने का एक ही रास्ता, समाजवादी व्यवस्था – लेनिन
- कबीर के दोहे – प्रेम/Love
- मूर्ख राजा और चतुर मंत्री
- स्वर्ग की सुरंग
- खटमल और बेचारी जूं ~ पंचतंत्र
- सड़क को छोटा करवाना
- पडोसी
- दसवीं पुतली – प्रभावती ~ विक्रमादित्य और राजकुमारी का विवाह
- चाणक्य नीति : छठवां अध्याय
- घमंडी कौवा
- गरीबी और अमीरी
- उसका प्रेमी – मैक्सिम गोर्की
- डा. अम्बेडकर की 22 प्रतिज्ञाएँ
- मज़दूरों के महान नेता कार्ल मार्क्स की समाधि पर भाषण – फ़्रेडरिक एँगेल्स
- गन्दी शुरुआत
- वैज्ञानिक स्टीफन हॉकिंग के अनमोल विचार
- बीरबल और लालची दुकानदार
- प्राथना की शक्ति
- मूर्ख साधू और ठग ~ पंचतंत्र
- उल्लू का राज्याभिषेक -जातक कथा
- दर्जी की सीख
- बड़ा काम छोटा काम
- काशगर के बादशाह के सामने दरजी की कहानी – अलिफ लैला
- बिम्बिसार -जातक कथा
Recent Posts
- गेब्रियल भ्रम
- हिन्दू धर्म और नैतिक यौन बिकृति
- नियोग
- पंचतंत्र की सम्पूर्ण कहानियाँ
- बन्दर और लकड़ी का खूंटा ~ पंचतंत्र
- सियार और ढोल ~ पंचतंत्र
- व्यापारी का पतन और उदय ~ पंचतंत्र
- मूर्ख साधू और ठग ~ पंचतंत्र
- लड़ती भेड़ें और सियार ~पंचतंत्र
- दुष्ट सर्प और कौवे ~ पंचतंत्र
- बगुला भगत और केकड़ा ~ पंचतंत्र
- चतुर खरगोश और शेर ~ पंचतंत्र
- खटमल और बेचारी जूं ~ पंचतंत्र
- नीले सियार की कहानी ~ पंचतंत्र
- शेर, ऊंट, सियार और कौवा ~ पंचतंत्र
- मूर्ख बातूनी कछुआ ~ पंचतंत्र
- तीन मछलियां ~ पंचतंत्र
- गौरैया और हाथी ~पंचतंत्र
- सिंह और सियार ~ पंचतंत्र
- चिड़िया और बन्दर ~ पंचतंत्र
- मित्र-द्रोह का फल ~ पंचतंत्र
- गौरैया और बन्दर ~ पंचतंत्र
- टिटिहरी का जोडा़ और समुद्र का अभिमान ~ पंचतंत्र
- मूर्ख बगुला और नेवला ~ पंचतंत्र
- जैसे को तैसा ~ पंचतंत्र
- मूर्ख मित्र ~ पंचतंत्र
- साधु और चूहा ~ पंचतंत्र
- गजराज और मूषकराज की कथा ~ पंचतंत्र
- सियार की रणनीति ~ पंचतंत्र
- बूढा आदमी, युवा पत्नी और चोर ~ पंचतंत्र
- सांप की सवारी करने वाले मेढकों की कथा ~ पंचतंत्र
- बकरा, पुजारी और तीन ठग ~ पंचतंत्र
- व्यापारी के पुत्र की कहानी ~ पंचतंत्र
- बंदर का कलेजा और मगरमच्छ ~ पंचतंत्र
- बोलने वाली गुफा ~ पंचतंत्र
- लालची नाग और मेढकों का राजा ~ पंचतंत्र
- पुजारी और सर्प की कथा ~ पंचतंत्र
- संगीतमय गधा ~ पंचतंत्र
- पुजारी का पत्नी और तिल के बीज ~ पंचतंत्र
- अभागा बुनकर ~ पंचतंत्र
- कौवे और उल्लू के बैर की कथा ~पंचतंत्र
- धूर्त बिल्ली का न्याय ~ पंचतंत्र
- कबूतर का जोड़ा और शिकारी ~ पंचतंत्र
- कौवे और उल्लू का युद्ध ~ पंचतंत्र
- हाथी और चतुर खरगोश ~ पंचतंत्र
- पुजारी, चोर, और दानव की कथा ~ पंचतंत्र
- दो सांपों की कथा ~ पंचतंत्र
- चुहिया का स्वयंवर ~ पंचतंत्र
- सुनहरे विष्ठा की कथा ~ पंचतंत्र
- शेर और मूर्ख गधा ~ पंचतंत्र
- कुम्हार की कहानी ~ पंचतंत्र
- गीदड़ गीदड़ ही रहता है ~ पंचतंत्र
- गधा और धोबी ~ पंचतंत्र
- कुत्ता जो विदेश चला गया ~ पंचतंत्र
- स्त्री का विश्वास ~ पंचतंत्र
- अविवेक का मूल्य ~ पंचतंत्र
- स्त्री-भक्त राजा ~ पंचतंत्र
- लोभी नाई ~ पंचतंत्र
- पुजारी पत्नी और नेवला की कथा~ पंचतंत्र
- लोभी पुजारियां ~ पंचतंत्र
- तीन मूर्ख-पंडित ~ पंचतंत्र
- चार मूर्ख पंडितों की कथा ~ पंचतंत्र
- दो मछलियों और एक मेंढक की कथा ~ पंचतंत्र
- ब्राह्मण का सपना ~ पंचतंत्र
- दो सिर वाला जुलाहा ~ पंचतंत्र
- वानरराज का बदला ~ पंचतंत्र
- राक्षस का भय ~ पंचतंत्र
- दो सिर वाला पक्षी ~ पंचतंत्र
- सोसिओपैथ
- सम्पूर्ण बैताल पचीसी
- बैताल पच्चीसी – प्रारम्भ की कहानी । विक्रम -बैताल की कहानियाँ!
- पापी कौन ? – बेताल पच्चीसी – पहली कहानी!
- पति कौन ? बेताल पच्चीसी – दूसरी कहानी!
- पुण्य किसका ? – बेताल पच्चीसी – तीसरी कहानी!
- ज्यादा पापी कौन ? – बेताल पच्चीसी – चौथी कहानी!
- असली वर कौन? – बेताल पच्चीसी – पाँचवीं कहानी!
- पत्नी किसकी ? – बेताल पच्चीसी – छठी कहानी!
- किसका पुण्य बड़ा ? – बेताल पच्चीसी – सातवीं कहानी!
- सबसे बढ़कर कौन ? – बेताल पच्चीसी – आठवीं कहानी!
- सर्वश्रेष्ठ वर कौन – बेताल पच्चीसी – नवीं कहानी!
- सबसे अधिक त्यागी कौन?- बेताल पच्चीसी – दसवीं कहानी!
- सबसे अधिक सुकुमार कौन? – बेताल पच्चीसी ग्यारहवीं कहानी!
- दीवान की मृत्यु क्यूँ ? – बेताल पच्चीसी – बारहवीं कहानी!
- अपराधी कौन? – बेताल पच्चीसी – तेरहवीं कहानी!
- चोर ज़ोर-ज़ोर से क्यों रोया और फिर हँसा? – बेताल पच्चीसी – चौदहवीं कहानी!
- क्या चोरी की गयी चीज़ पर चोर का अधिकार होता है: बेताल पच्चीसी पन्द्रहवीं कहानी!
- सबसे बड़ा काम किसने किया? – बेताल पच्चीसी सोलहवीं कहानी!
- सबसे बड़ा काम किसने किया? – बेताल पच्चीसी सोलहवीं कहानी!
- अधिक साहसी कौन : बेताल पच्चीसी – सत्रहवीं कहानी!
- विद्या क्यों नष्ट हो गयी? बेताल पच्चीसी -अठारहवीं कहानी!
- पिण्ड दान का अधिकारी कौन – बेताल पच्चीसी – उन्नीसवीं कहानी!
- बालक क्यों हँसा? बेताल पच्चीसी – बीसवीं कहानी!
- सबसे ज्यादा प्रेम में अंधा कौन था? – बेताल पच्चीसी – इक्कीसवीं कहानी!
- शेर बनाने का अपराध किसने किया? बेताल पच्चीसी – बाईसवीं कहानी!
- योगी पहले क्यों रोया, फिर क्यों हँसा? बेताल पच्चीसी – तेईसवीं कहानी!
- माँ-बेटी के बच्चों में क्या रिश्ता हुआ? बेताल पच्चीसी – चौबीसवीं कहानी!
- बेताल पच्चीसी – पच्चीसवीं कहानी!
- सम्पूर्ण जातक कथाएँ
- रुरु मृग -जातक कथा
- दो हंसों की कहानी -जातक कथा
- चाँद पर खरगोश -जातक कथा
- छद्दन्द हाथी -जातक कथा
- महाकपि -जातक कथा
- लक्खण मृग की -जातक कथा
- संत महिष -जातक कथा
- सीलवा हाथी -जातक कथा
- बुद्धिमान् वानर -जातक कथा
- सोने का हंस -जातक कथा
- महान मर्कट -जातक कथा
- महान् मत्स्य -जातक कथा
- कपिराज -जातक कथा
- सिंह और सियार -जातक कथा
- सोमदन्त -जातक कथा
- कौवों की कहानी -जातक कथा
- वानर-बन्धु -जातक कथा
- निग्रोध मृग -जातक कथा
- कालबाहु -जातक कथा
- नन्दीविसाल -जातक कथा
- उल्लू का राज्याभिषेक -जातक कथा
- श्राद्ध-संभोजन -जातक कथा
- बंदर का हृदय -जातक कथा
- बुद्धिमान् मुर्गा -जातक कथा
- व्याघ्री-कथा -जातक कथा
- कबूतर और कौवा -जातक कथा
- रोमक कबूतर -जातक कथा
- रुरदीय हिरण -जातक कथा
- कृतघ्न वानर -जातक कथा
- मूर्ख करे जब बुद्धिमानी का काम ! -जातक कथा
- कछुए की कहानी -जातक कथा
- सियार न्यायधीश -जातक कथा
- सपेरी और बंदर -जातक कथा
- चमड़े की धोती -जातक कथा
- दानव-केकड़ा -जातक कथा
- महिलामुख हाथी -जातक कथा
- विनीलक -जातक कथा
- वेस्सन्तर का त्याग -जातक कथा
- विधुर -जातक कथा
- क्रोध-विजयी चुल्लबोधि -जातक कथा
- कहानी कुशीनगर की -जातक कथा
- सहिष्णुता का व्रत -जातक कथा
- मातंग : अस्पृश्यता का पहला सेनानी -जातक कथा
- इसिसंग का प्रलोभन -जातक कथा
- शक्र की उड़ान -जातक कथा
- महाजनक का संयास -जातक कथा
- सुरा-कुंभ -जातक कथा
- सिवि का त्याग -जातक कथा
- दैत्य का संदूक -जातक कथा
- कुशल-ककड़ी -जातक कथा
- कंदरी और किन्नरा -जातक कथा
- घतकुमार -जातक कथा
- नाविक सुप्पारक -जातक कथा
- नागराज संखपाल -जातक कथा
- चंपेय्य नाग -जातक कथा
- बावेरु द्वीप -जातक कथा
- कुशल जुआरी -जातक कथा
- गूंगा राजकुमार -जातक कथा
- निश्छल गृहस्थ -जातक कथा
- मणिवाला साँप -जातक कथा
- आम चोर -जातक कथा
- पैरों के निशान पढ़ने वाला पुत्र -जातक कथा
- सुतसोम -जातक कथा
- सुदास -जातक कथा
- बौना तीरंदाज -जातक कथा
- पेट का दूत -जातक कथा
- ढोल बजाने वाले की कहानी -जातक कथा
- जानवरों की भाषा जानने वाला राजा -जातक कथा
- सुखबिहारी -जातक कथा
- साम -जातक कथा
- गौतम की बुद्धत्व प्राप्ति -जातक कथा
- गौतम बुद्ध की जन्म -जातक कथा
- महामाया का स्वप्न -जातक कथा
- असित -जातक कथा
- चार दृश्य -जातक कथा
- गौतम का गृह-त्याग -जातक कथा
- मार पर बुद्ध की विजय -जातक कथा
- बुद्ध का व्यक्तित्व -जातक कथा
- बुद्ध और नालागिरी हाथी -जातक कथा
- बालक कुमार कस्सप की -जातक कथा
- धम्म चक्र-पवत्तन -जातक कथा
- बुद्ध की अभिधर्म-देशना -जातक कथा
- राहुलमाता से बुद्ध की भेंट -जातक कथा
- सावत्थि -जातक कथा
- बुद्ध की यात्रा -जातक कथा
- परिनिब्बान -जातक कथा
- सुद्धोदन -जातक कथा
- सुजाता -जातक कथा
- सारिपुत्र -जातक कथा
- मोग्गलन -जातक कथा
- मार -जातक कथा
- बिम्बिसार -जातक कथा
- नंद कुमार -जातक कथा
- जनपद कल्याणी नंदा -जातक कथा
- जनपद कल्याणी की आध्यात्मिक यात्रा -जातक कथा
- फुस्स बुद्ध -जातक कथा
- विपस्सी बुद्ध -जातक कथा
- शिखि बुद्ध -जातक कथा
- वेस्सभू बुद्ध -जातक कथा
- ककुसन्ध बुद्ध -जातक कथा
- कोनगमन बुद्ध -जातक कथा
- कस्सप बुद्ध -जातक कथा
Major Topics
ज्ञान, आजाद है; और किसी को भी बिना किसी प्रतिबंध के ज्ञान का आनंद लेने का अधिकार है. इस में प्रकाशित कोई भी कहानी या लेख को आप बिना प्रतिबन्ध के उपयोग कर सकते हो. आप अपने ब्लॉग में यहाँ से कॉपी करके पेस्ट कर सकते हो लेकिन कोई भी फेब्रिकेशन या फाल्सीफिकेशन की जिम्मेदारी आप की होगी. वेबसाइट का सिद्धांत नैतिक ज्ञान फैलाना है, ना कि ज्ञान पर हक़ जताना. ज्ञान की स्वतंत्रता वेबसाइट का आदर्श है; आप जितना चाहते हैं उतना उसकी प्रतिलिपि(Copy) बनाकर बिना प्रतिबन्ध के ज्यादा से ज्यादा लोगों तक फैला सकते हो.