हम माँ दुर्गा से जुड़े कुछ बेहद रोचक व भक्तिपूर्ण प्रेरक प्रसंगों को जानते हैं और माँ की आराधना करते हैं। सबसे पहले माँ दुर्गा के नौ रूपों के नाम जानते हैं: माँ शैलपुत्री, माँ ब्रह्मचारिणी, माँ चन्द्रघण्टा, माँ कुष्मांडा, माँ कालरात्रि, माँ कात्यायनी, माँ सिद्धिदात्री, माँ महागौरी, माँ स्कंदमाता ।
माँ दुर्गा से जुड़े 5 बेहद रोचक व शिक्षाप्रद पौराणिक कथाएँ:
1: क्यों माता शक्ति (माँ भगवती) का नाम दुर्गा पड़ा? पुरातन काल में दुर्गम नाम का एक अत्यंत बलशाली दैत्य हुआ करता था। उसने ब्राहमाजी को प्रसन्न कर के समस्त वेदों को अपनें आधीन कर लिया, जिस कारण सारे देव गण का बल क्षीण हो गया। इस घटना के उपरांत दुर्गम नें स्वर्ग पर आक्रमण कर के उसे जीत लिया।और तब समस्त देव गण एकत्रित हुए और उन्होने देवी माँ भगवती का आह्वान किया और फिर देव गण नें उन्हे अपनी व्यथा सुनाई। तब माँ भगवती नें समस्त देव गण को दैत्य दुर्गम के प्रकोप से मुक्ति दिलाने का आश्वासन दिया। माँ भगवती नें दुर्गम का अंत करने का प्रण लिया है, यह बात जब दुर्गम को पता चली तब उसने सवर्ग लोग पर पुनः आक्रमण कर दिया। और तब माँ भगवती नें दैत्य दुर्गम की सेना का संहार किया और अंत में दुर्गम को भी मृत्यु लोक पहुंचा दिया। माँ भगवती नें दुर्गम के साथ जब अंतिम युद्ध किया तब उन्होने भुवनेश्वरी, काली, तारा, छीन्नमस्ता, भैरवी, बगला तथा दूसरी अन्य महा शक्तियों का आह्वान कर के उनकी सहायता से दुर्गम को पराजित किया था। इस भीषण युद्ध में विकट दैत्य दुर्गम को पराजित करके उसका वध करने पर माँ भगवती दुर्गा नाम से प्रख्यात हुईं।
4: माँ दुर्गा नें किया प्रचंड पराक्रमी असुर महिषासुर का संहार अत्याचारी असुरों का नाश करने हेतु माँ भगवती नें कई अवतार लिए हैं। असुर महिषासुर का वध करने के लिए शक्ति माँ नें दुर्गा का अवतार लिया था। एक धार्मिक कथा अनुसार महिषासुर नें अपने बल और पराक्रम से स्वर्ग लोक देवताओं से छीन लिया था। तब सारे देवता मिल कर विष्णु भगवान एवं शंकर भगवान से सहाय मांगने उनके समक्ष गए। पूरी बात जान कर भगवान विष्णु एवं शंकर भगवान क्रोधित हो उठे। और तब उन सभी के मुख से दिव्य तेज प्रकट हुआ जिस तेज से एक नारी का सर्जन हुआ। जिन्हें “दुर्गा” कहा गया। भगवान शिव के तेज से मुख बना। यमराज के तेज से केश बने। भगवान विष्णु के तेज से भुजाएँ बनी। चंद्रमाँ के तेज से वक्ष स्थल की रचना हुई। सूर्यदेव के तेज से पैरों की उँगलियों की रचना हुई। कुबेरदेव के तेज से नाक की रचना हुई। प्रजापतिदेव के तेज से दांत बने। अग्निदेव के तेज से तीनों नेत्र की रचना हुई। संध्या के तेज से भृकुटी बनी। वायुदेव तेज से कानों की उत्पति हुई। दुर्गा माँ के दिव्य रूप के सर्जन करने के बाद देव गण नें उन्हे इन शस्त्रों से शुशोभित किया। भगवान विष्णु नें सुदर्शन चक्र दिया भगवान शंकर नें त्रिशूल दिया। अग्निदेव नें अपनी प्रचंड श्कती प्रदान की। वरुणदेव नें शंख भेट किया। इन्द्रदेव नें वज्र और घंटा अर्पण किया। पवनदेव नें धनुषबाण दिये। यमराज नें काल दंड अर्पण किया। प्रजापति दक्ष नें स्फटिक माला अर्पण की। भगवान ब्रह्मा नें कमंडल दिया। सूर्यदेव नें असीम तेज प्रदान किया। सरोवर नें कभी ना मुरझानें वाली कमल की माला प्रदान की। पर्वतराज हिमालय नें सवारी करने के लिए शक्तिशाली सिंह भेट किया। कुबेरदेव नें मधु से भरा एक दिव्य पात्र दिया। समुद्रदेव नें माँ दुर्गा को एक उज्ज्वल हार, दो दिव्य वस्त्र, एक दिव्य चूड़ामणि, दो कुंडल, दो कड़े, अर्ध चंद्र, एक सुंदर हँसली एवं उँगलियों में पहन नें के लिए रत्न जड़ित अंगूठियां दी। श्स्त्रो से सुसज्जित माँ दुर्गा नें असुर महिषासुर से भीषण युद्ध किया और उसे परास्त कर के उसका वध कर दिया। उसके पश्चात दुर्गा माँ नें स्वर्गलोक पुनः देवताओं को सौप दिया। बलशाली असुर महिषासुर का हनन करने के बाद दुर्गा माँ महिषासुरमर्दिनी नाम से प्रसिद्धि हुईं।
|| जय माता दी ||
अच्छी तरह से ध्यान दें: हालांकि देवी दुर्गा को वैदिक अनुयायी अपना देवी मानते हो लेकिन ज़माने के साथ हम को ये तय करना पड़ेगा हम को सत्य की पूजा करनी चाहिए या झूठ की । ज्ञान की पूजा करना चाहिए या अज्ञान की? ऊपर लिखित कहानियां हालांकि पीढ़ी दर पीढ़ी सुनाया गया हो लेकिन आज तक कोई उसकी पुष्टि नहीं की, ये सत्य है या काल्पनिक? क्या कोई दस हात वाली औरत सम्भव है? मान्यता की हिसाब से दुर्गा किसी योनि से यानी जैविक प्रणाली से पैदा हुआ पहचान नहीं थी; जबकि देवों के द्वारा तत्काल बना एक ३० या ४० साल की दैविक औरत थी जिन को देवोंने अपने सक्ति यानी अस्त्र शस्त्र प्रदान करके शक्तिशाली बनाया और उनके कहानी के अनुसार दानवों की हत्या के लिए दुर्गा को इस्तेमाल किआगया। अगर दुर्गा की सृष्टि ही झूठ और कल्पना की आधार पर हो; उनके ज़माने में कौन दानव था, ओह सही में मारे थे की नहीं हम तो उस को जांच कर नहीं सकते? तो ये अंधा विश्वास की कहानी को सुना सुना के लोगों को धर्म के नामपे ज्ञान बाँटा जा रहा है या अंध विश्वास, झूठ और मूर्खता? हालाँकि ये बात आपको अजीब लगे लेकिन इसके वारे में जरूर सोचे ।
कुछ कहानियां मनोरंजन और नीति ज्ञान के लिए बस काल्पनिक और मन गढ़न होता है । कुछ कहानियों में कुछ सच्चाई होसकता है लेकिन कुछ धूर्त लेखक उस को ज्यादा ही कुछ बढ़ा चढ़ा के अपने बुरा इरादों को हासिल करने के लिए इस्तेमाल करते हैं । अगर किसी कहानी में वैज्ञानिक आधार और यौक्तिकता नहीं है तो इसे सत्य मानना या नैतिक ज्ञान समझना मूर्खता है । हालांकि कुछ कहानियाँ मनोरंजन और नीति ज्ञान के लिए क्यों न लिखा गया हो लेकिन ये ज्यादातर वर्ण व्यवस्था यानि जात पात, अंध विश्वास, तर्क हीनता, अज्ञानता, नफरत, धर्म, हिंसा और व्यक्ति विशेष के प्रचार और प्रसार के उद्देश्य से लिखागया धूर्त कहानियां है इसलिए ये कहानियाँ आपको पढ़ के उसके सच्चाई भी आप को जान ने की जरूरत है । कुछ कहानियाँ अच्छे बिचारोंसे क्यों न लिखा गया हो लेकिन कुछ धूर्त समय के साथ साथ उसमे बदलाव डाल के अपनी धर्म, वर्ग या व्यक्ति विशेष नाम से अपना प्रचार और प्रसार के लिए इस्तेमाल करते आ रहे हैं । ये सब बातों को आप अपनी साधारण ज्ञान और तार्किक आधार पर परखें और सच्चाई को अपने दिमाग का हिस्सा बनाये । जैसे अच्छा खाना एक अच्छा स्वास्थ्य बनता है, वैसे ही अच्छी ज्ञान अच्छी दिमाग बनाते हैं । अगर किसी व्यक्ति का काल्पनिक और मानसिक स्तर अगर वास्तविकता के साथ समानता नहीं है और अंध विश्वास के अधीन होकर अज्ञानता का अधिकारी बन जाये तो उस को मानसिक विकृति कहते हैं ।