एक बार की बात है बादशाह अकबर दरबार में बैठे हुए थे, ठीक तभी एक तेली और कसाई परस्पर लडते-झगडते हुए आये, बीरबल ने पूछा- तुम दोनों में से शिकायत कौन लेकर आया है? इस पर तेली ने कहा- हूजूर मैं वादी हूं, कसाई ने कहा – मैं प्रतिवादी हूं हूजूर.
बीरबल ने उन दोनों से लडाई का कारण पूछा इस पर तेली ने कहा- गरीब परवर मैं अपनी दुकान पर बैठा हुआ हिसाब लिख रहा था कि इतने में इस कसाई ने मेरे पास आकर तेल मांगा, अपना काम छोडकर मैंने इसे तेल दे दिया और फिर से अपने काम में जुट गया थोडी देर बाद क्या देखता हूं कि पैंसो की थैली नहीं है.
मुझे इस कसाई पर शक हुआ इसलिए मैं उसी वक्त दौडता हुआ उसके पास गया और इसके हाथ में वह थैली देखी लेकिन जब मैंने इससे थैली मांगी तो इसने देने से इनकार कर दिया और कहा कि यह तो मेरी हैं, में बिलकुल सत्य कह रहा हूं अगर इसमें थोडा भी झुठ होतो उपर वाला साक्षी है. वह जानता है आप अब इंसाफ करके मेरी थैली मुझे दिलवा दीजिए.
इस तरह तेली जब अपना हाल सुना चुका तो कसाई कहने लगा हूजूर मैं अपनी दुकान पर बैठा हुआ बिक्री के पैसे गिन रहा था कि इतने में यह तेली रोज की तरह तेल बेचने आया इसकी दुकान मेरी दुकान से चार-पांच घरों के फासले पर हैं, यह जिस वक्त तेरे पास आया उस वक्त पैंसो की थैली मेरे पास रखी हुई थी इसके जाते ही मैंने देखा तो थैली नहीं मिली, मैंने दोडकर इसे पकड लिया और अपनी थैली इससे छिन ली इतना कहने के बाद कसाई और बोला मैंने अपनी बात सच्ची-सच्ची कही है.
अगर इसमें थोडा भी झुठ बोला होतो खुदा गवाह है, हूजूर आप ही अब हमारा इंसाफ करें. दोनों की बात सुनकर बीरबल ने उन्हें दूसरे दिन आने का हुक्म दिया और पैंसों की थैली अपने पास रहने दी. उनके चले जाने के बाद बीरबल ने उस थैली में से पैसे निकालकर धुलवाये तो उनमें तेल का अंश बिलकुल भी दिखाई न दिया बल्कि एक प्रकार की बदबू आई जिससे उन्हें विश्वाश हो गया कि यह पैसे कसाई के है.
अगले दिन ठिक समय पर कसाई और तेली दोनों आ गये, बीरबल ने उन्हें अपना फैसला बता दिया तो तेली चिखने पुकारने लगा, लेकिन जब बीरबल ने उसे कोडे लगाने का हुक्म दिया तो उसने अपना गुनाह कबूल कर लिया। पैंसों की थैली कसाई को सौंप दी गई और तेली को उपयुक्त सजा देने का हुक्म दिया गया।