अकबर के पास दो व्यक्ति आए, सोहन और मोहन । सोहन ने कहा, “महाराज मैंने मोहन से कुँआ खरीदा पर अब वह उसमें से पानी नहीं भरने देता” अकबर ने मोहन को सफाई देने को कहा, मोहन बोला, “महाराज! सोहन ने सिर्फ कुँआ खरीदा है कुएँ का पानी नहीं” बीरबल मोहन की चालाकी समझ गए।
बीरबल ने कहा, “मोहन चूँकि तुमने कुँआ बेच दिया पर पानी अब भी तुम्हारा है तो तुम्हें सोहन के कुएँ में अपना पानी रखने के बदले में किराया देना होगा या कुएँ को खाली करना पडेगा।” बीरबल का तर्क सुनकर चालाक मोहन घबरा गया। उसने भरे दरबार में अपनी गलती स्वीकार की और सोहन से माफी माँग ।