आगरा केवल ताजमहल के लिए ही नहीं जूतों के लिए भी प्रसिद्ध रहा है। बादशाह अकबर के जमाने से ही जूतों का उद्योग प्रगति पर था। स्वयं बादशाह आगरा के बेहतरीन जूते पहनने के शौकीन थे।
एक बार बादशाह अकबर ने बडी खोजबीन के बाद अपने लिये किमती जूते मंगवाये। उस दिन दरबार में बादशाह के जूतों की चर्चा चल रही थी। हरकोई बादशाह अकबर की चापलून में उनके जूतों की तारीफ के पूल बांध रहा था।
कुछ देर बाद दरबार में बीरबल ने कदम रखा तो उन्हें भी बादशाह अकबर के जूतो के बारे में बताया गया। जूते देखकर बीरबल ने बादशाह अकबर सलामत से पूछा ?
आलमपनाह यह जूते कितने के है ? पुरे दो सौ रूपये के। फिर एक जूता कितने का पडा ? बीरबल ने पुछा? सौ रूपये का बादशाह ने तुरन्त उत्तर दिया। किन्तु तभी उनका ध्यान अपने उत्तर पर गया तो शरमाकर रह गये। बेचारे दरबारीयों से उस समय न हंसते बन रहा था न ही रोते। बीरबल का सवाल ही एसा था।