एक आदमीं सुबह को समुद्र के किनारे टहल रहा था. उसने देखा की लहरों के साथ सैंकड़ों स्टार मछलियां तट पर आ जाती है, जब लहरें पीछे जाती हैं तो मछलियां किनारे पर ही रह जाती हैं और धुप से मर जाती हैं.
लहरें उसी समय लोटी थी, और स्टार मछलियां अभी जीवित थी. वह आदमी कुछ कदम आगे बढ़ा, उसने एक मछली उठाई और पानी में फेंक दी. वह ऐसा बार-बार करता रहा. उस आदमी के ठीक पीछे एक आदमी और खड़ा था. जो यह नहीं समझ पा रहा था की यह क्या कर रहा है. वह उसके पास आया, और पूछा, “तुम क्या कर रहे हो ?
यहां तो सैंकड़ों स्टार मछलियां हैं तुम कितने को बचा सकोगे ? तुम्हारे ऐसा करने से क्या फर्क पड़ेगा ?” उस आदमी ने कोई जवाब नहीं दिया, दो कदम आगे बढ़कर उसने के और मछली को उठाकर पानी में फेंक दिया, और बोला ‘इससे इस मछली को तो फर्क पड़ता है.
इन चीजों की थोड़ी न थोड़ी फ़िक्र तो हर इंसान को होती है. लेकिन वह समझते है की मुझसे क्या होगा, मेरे अकेले से क्या फर्क पड़ता हैं, लेकिन सच यह हैं की “फर्क पड़ता हैं”. 99 में 1 न हो तो 100 होने में फर्क पड़ता है. हम अपनी जिंदगी में कौन सा फर्क डाल रहे हैं ? बड़ा या छोटा, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता. अगर थोड़ा-थोड़ा करके सभी लोग अभी करे तो काफी फर्क पड़ सकता हैं.