चाणक्य नीति : छठवां अध्याय

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1. सत कर्मों की वाणी सुनने और उस को समझने से, द्वेष दूर होता है, ज्ञान की प्राप्ति होती है और भौतिक आसक्ति से मुक्ति होती है.

2. पक्षीयों में कौवा नीच है. पशुओ में कुत्ता नीच है. जो तपस्वी पाप करता है वो घिनौना है. लेकिन जो दूसरो की निंदा करता है वह सबसे बड़ा चांडाल है.

3. राख से घिसने पर पीतल चमकता है . ताम्बा इमली से साफ़ होता है. औरते प्रदर से शुद्ध होती है. नदी बहती रहे तो साफ़ रहती है.

4. राजा, ज्ञानी और योगी जब दुसरे देश जाते है, तो आदर पाते है. लेकिन औरत यदि भटक जाती है तो बर्बाद हो जाती है.

5. सर्व शक्तिमान के इच्छा से ही बुद्धि काम करती है, वही कर्मो को नियंत्रीत करता है. उसी की इच्छा से आस पास में मदद करने वाले आ जाते है.

6. काल सभी जीवो को निपुणता प्रदान करता है. वही सभी जीवो का संहार भी करता है. वह जागता रहता है जब सब सो जाते है. काल को कोई जीत नहीं सकता.

7. जो जन्म से अंध है वो देख नहीं सकते. उसी तरह जो वासना के अधीन है वो भी देख नहीं सकते. अहंकारी व्यक्ति को कभी ऐसा नहीं लगता की वह कुछ बुरा कर रहा है. और जो पैसे के पीछे पड़े है उनको उनके कर्मो में कोई पाप दिखाई नहीं देता.

8. जीव अपने कर्म के मार्ग से जाता है और अपनी कर्मों के हिसाब से ही उस को अपनी अच्छे और बुरा का परिणाम मिलता है. अपने ही कर्मो से वह संसार में बंधता है और अपने ही कर्मो से बन्धनों से छूटता है.

9. राजा को उसके नागरिको के पाप लगते है. राजा के यहाँ काम करने वाले पुजारी को राजा के पाप लगते है. पति को पत्नी के पाप लगते है. गुरु को उसके शिष्यों के पाप लगते है.

10. एक कर्जदार पिता, एक व्यभिचारी मां, एक दुष्चरित्र सुंदर पत्नी, और एक मुर्ख पुत्र अपने घर का ही दुश्मन हैं ।

11. एक लालची आदमी को भेट वस्तु दे कर संतुष्ट करे. एक कठोर आदमी को हाथ जोड़कर संतुष्ट करे. एक मुर्ख को सम्मान देकर संतुष्ट करे. एक विद्वान् आदमी को सच बोलकर संतुष्ट करे.

12. एक बेकार राज्य का राजा होने से यह बेहतर है की व्यक्ति किसी राज्य का राजा ना हो.
एक पापी का मित्र होने से बेहतर है की बिना मित्र का हो.
एक मुर्ख का गुरु होने से बेहतर है की बिना शिष्य वाला हो.
एक बुरी पत्नी वाला होने से बेहतर है की बिना पत्नी वाला हो.

13. एक बेकार राज्य में लोग सुखी कैसे हो? एक पापी से किसी शान्ति की प्राप्ति कैसे हो? एक बुरी पत्नी के साथ घर में कौनसा सुख प्राप्त हो सकता है. एक नालायक शिष्य को शिक्षा देकर कैसे कीर्ति प्राप्त हो?

14. शेर से एक बात सीखे. बगुले से एक. मुर्गे से चार. कौवे से पांच. कुत्ते से छह. और गधे से तीन.

शेर से यह बढ़िया बात सीखे की आप जो भी करना चाहते हो एकदिली से और जबरदस्त प्रयास से करे.

बुद्धिमान व्यक्ति अपने इन्द्रियों को बगुले की तरह वश में करते हुए अपने लक्ष्य को जगह, समय और योग्यता का पूरा ध्यान रखते हुए पूर्ण करे.

मुर्गे से हे चार बाते सीखे…
१. सही समय पर उठे. २. नीडर बने और लढ़े. ३. संपत्ति का रिश्तेदारों से उचित बटवारा करे. ४. अपने कष्ट से अपना रोजगार प्राप्त करे.

कौवे से ये पाच बाते सीखे…

१. अपनी पत्नी के साथ एकांत में प्रणय करे. २. नीडरता  ३. उपयोगी वस्तुओ का संचय करे.  ४. सभी ओर दृष्टी घुमाये. ५. दुसरो पर आसानी से विश्वास ना करे.

कुत्ते से ये बाते सीखे १. बहुत भूख हो पर खाने को कुछ ना मिले या कम मिले तो भी संतोष करे. २. गाढ़ी नींद में हो तो भी क्षण में उठ जाए. ३. अपने स्वामी के प्रति बेहिचक इमानदारी रखे ४. नीडरता.

थकान की बावजूद गधा अपना बोझ उठाना नहीं छोड़ता; उस को  ठंड और गर्मी से फर्क नहीं पड़ता; और वह हमेशा हर हाल में संतुष्ट होता है; इन तीन चीजों को गधे से सीखा जाना चाहिए.

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