कबीर के दोहे – वीरता/Bravery

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सिर राखे सिर जात है, सिर कटाये सिर होये
जैसे बाती दीप की कटि उजियारा होये।

सिर अंहकार का प्रतीक है । सिर बचाने से सिर चला जाता है-परमात्मा दूर हो जाता हैं।
सिर कटाने से सिर हो जाता है। प्रभु मिल जाते हैं जैसे दीपक की बत्ती का सिर काटने से प्रकाश बढ़ जाता है।

Sir rakhai sir jat hai,sir katai sir hoye
Jaise bati deep ki,kati ujiara hoye.

If you save the head,the head will vanish,if you sacrifice the head,you save the head
As the wick of the lamp is cut, the lamp shines brighter.

साधु सब ही सूरमा, अपनी अपनी ठौर
जिन ये पांचो चुरीया, सो माथे का मौर।

सभी संत वीर हैं-अपनी-अपनी जगह में वे श्रेष्ठ हैं। जिन्होंने काम,क्रोध,लोभ,मोह
एंव भय को जीत लिया है वे संतों में सचमुच महान हैं।

Sadhu sab hi surma,aapni apni thaur
Jin ye pancho churia,so mathe ka maur.

All the saints are brave at their own places
One who has controlled the five senses is great among the saints.

सूरा के मैदान मे, कायर का क्या काम
सूरा सो सूरा मिलै तब पूरा संग्राम।

वीरों के युद्ध क्षेत्र में कायरों का क्या काम। जब वीर का मिलन होता है तो संग्राम पूरा होता है।
जब एक साधक को ज्ञानी गुरु मिलते हैं तभी पूर्ण विजय मिलती है।

Sura ke maidan me, kayar ka kya kam
Sura so sura milay tab pura sangram.

In the battlefield of braves, what is the work of coward
When the brave meets another brave,then only the battle is complete.

सूरा के मैदान मे, क्या कायर का काम
कायर भागे पीठ दैई, सूर करै संग्राम।

वीरों के युद्ध मैदान में कायरों का क्या काम। कायर तो युद्ध छोड़ कर पीठ दिखाकर भाग जाता है।
पर वीर निरंतर युद्ध में डटा रहता है। वीर भक्ति और ज्ञान के संग्राम में रत रहता है।

Sura ke maidan me,kya kayar ka kam
Kayar bhagay peeth dai,soor karai sangram.

What is the need of a coward in the battlefield of braves
The coward leaves the battle showing his back and brave continues the battle.

सूरा के मैदान मे, कायर फंदा आये
ना भागे ना लड़ि सकै, मन ही मन पछिताये।

वीरों के मैदान में एक कायर फॅंस जाता है। उसे न तो भागते बनता है और न ही लड़ते बनता है।
वह केवल मन ही मन पछताता रहता है।

Sura ke maidan me,kayar fanda aaye
Na bhagay na lari sakai man hi man pachhitay.

In the battlefield of brave a coward has been trapped
He neither runs away nor can he fight and repents in the mind.

सूरा सोई जानिये, पांव ना पीछे पेख
आगे चलि पीछा फिरै, ताका मुख नहि देख।

साधना के राह में वह व्यक्ति सूरवीर है जो अपना कदम पीछे नहीं लौटाता है।
जो इस राह में आगे चल कर पीछे मुड़ जाता है उसे कभी भी नहीं देखना चाहिये।

Sura soyee janiye,pawn na pichhae pekh
Aage chali pichha firay,taka mukh nahi dekh.

The brave is one who never steps backward,
One who keeps going ahead never to returns and see his back.

आगि आंच सहना सुगम, सुगम खडग की धार
नेह निबाहन ऐक रस महा कठिन व्यवहार।

आग की लपट सहना और तलवार की धार की मार सहना सरल है किंतु प्रेम रस का निर्वाह अत्यंत कठिन व्यवहार है।

Aagi aanch sahna sugam,sugam kharag ki dhar
Neh nibahan ek ras,maha kathin byabhar.

It is easy to bear the blaze of fire,easy is the blade of sword
To maintain unflinching love is the most difficult in dealings.

सूरा सोई जानिये, लड़ा पांच के संग
हरि नाम राता रहै, चढ़ै सबाया रंग।

सूरवीर उसे जानो जो पाॅंच बिषय-विकारों के साथ लड़ता है।
वह सर्वदा हरि के नाम में निमग्न रहता है और प्रभु की भक्ति में पूरी तरह रंग गया है।

Sura soyee janiye,lara panch ke sang
Hari nam rata rahai,chadhai sabaya rang.

Know him to be brave one who fights with the five senses
One who is absorbed in name of God and has become colored with him.

आप स्वार्थी मेदनी, भक्ति स्वार्थी दास
कबिरा नाम स्वार्थी, डारी तन की आस।

पृथ्वी जल के लिये इच्छा-स्वार्थ कड़ती है और भक्ति प्रभु के लिये आत्म समर्पण चाहती है।
कबीर शरीर के लिये समस्त आशाओं को त्याग कर प्रभु नामक सूमिरण हेतु इच्छा रखते हैं।

Aap swarthi medini,bhakti swarthi das
Kabira nam swarthi, dari tan ki aas.

This earth is thirsty of water, devotion is thirsty of surrender
Kabir is thirsty for the name of Ram, leaving all hope for this body.

उॅंचा तरुवर गगन फल, पंछी मुआ झूर
बहुत सयाने पचि गये, फल निरमल पैय दूर।

वृक्ष बहुत उॅंचा है और फल आसमान में लगा है-पक्षी बिना खाये मर गई।
अनेक समझदार और चतुर व्यक्ति भी उस निर्मल पवित्र फल को खाये बिना मर गये।
प्रभु की भक्ति कठिन साधना के बिना संभव नहीं है।

Uncha tarubar gagan fal,pankhi mua jhoor
Bahut sayane patchi gaye,fal nirmal pai door.

The tree is very high and the fruit touches the sky, the bird is dead without the fruit
Many clever have died but the pious fruit remains far.

हरि का गुन अति कठिन है, उॅंचा बहुत अकथ्थ
सिर काटि पगतर धरै, तब जा पंहुॅचैय हथ्थ।

प्रभु के गुण दुर्लभ,कठिन,अवर्णनीय और अनंत हैं।
जो सम्पूर्ण आत्म त्याग कर प्रभु के पैर पर समर्पण करेगा वही प्रभु के निकट जाकर उनके गुणों को समझ सकता है।

Hari ka gun ati kathin hai,uncha bahut akathya
Sir kati pagtar dharai ,tab ja pahuchai hathya.

The merit of God is beyond description,it is very high and infinitely difficult
Cut your head and place it on his feet,then only can you reach near Him.

अब तो जूझै ही बनै, मुरि चलै घर दूर
सिर सहिब को सौपते, सोंच ना किजैये सूर।

अब तो प्रभु प्राप्ति के युद्ध में जूझना ही उचित होगा-मुड़ कर जाने से घर बहुत दूर है।
तुम अपने सिर-सर्वस्व का त्याग प्रभु को समर्पित करो। एक वीर का यही कत्र्तव्य है।

Aab to jujhai hi banai,muri chalai ghar door
Sir sahib ko saunpate,soch na kijay soor.

There is no way but to fight,if you turn back – the house is very far
Become brave and hand over your head to the God, you will never repent it.

सूरा सोई सराहिये, लड़ै धनी के हेत
पुरजा पुरजा है परै, तौउ ना छारै खेत।

उस वीर की सराहना करें जो महान प्रभु के हेतु निरंतर संघर्ष-साधना करता है।
वह युद्ध के मैदान-साधन के पथ को कभी नहीं छोड़ता है भले ही उसके टुकड़े टुकड़े हो जायें।
वह सर्वस्व त्याग के बाबजूद साधना पथ पर अडिग रहता है।

Sura soi sarahiye,larai dhani ke het
Purja purja hwai pare,tau na chharai khet.

Hail the brave who fights for getting the God
He does not leave the field even if he is cut into pieces.

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