आरत कैय हरि भक्ति करु, सब कारज सिध होये
करम जाल भव जाल मे, भक्त फंसे नहि कोये।
प्रभु की भक्ति आर्त स्वर में करने से आप के सभी कार्य सफल होंगे।
सांसारिक कर्मों के सभी जाल भक्तों को कमी फाॅंस नहीं सकते हैं।
प्रभु भक्तों की सब प्रकार से रक्षा करते है।
Aarat kai Hari bhakti karu,sab karaj sidh hoye
Karam jal bhav jal me,bhakt fase nahi koye.
If one prays to God, crying with pain, all the works will be successful
Pitfalls of action and worldly nets can never trap a devotee.
कबीर हरि भक्ति बिन धिक जीवन संसार
धुवन कासा धुरहरा, बिनसत लागे ना बार।
कबीर का मत है कि प्रभु की भक्ति के बिना इस संसार में जीवन को धिक्कार है।
यह संसार वो धुआॅं के घर है जो किसी क्षण नाश हो जाता है।
Kabir Hari ki bhakti bin,dhik jeevan sansar
Dhuwan ka sa dhaurhara,binsat lage na bar.
Kabir, the life in the world without devotion to God is a curse
The world is like the house of smoke,it will vanish with the blink of an eye.
कबीर हरि की भक्ति से, संसय डारा धोये
भक्ति बिना जो दिन गया, सो दिन साले मोये।
कबीर को प्रभु की भक्ति से सभी संसारिक भ्रम और संशय मिट गये हैं।
जिस दिन वे ईश्वर की उपासना नहीं करते हैं तो उन्हें अत्यधिक कष्ट होता है।
Kabir Hari ki bhakti se,sansay dara dhoye
Bhakti bina jo din gaya,so din salay moye.
Kabir with the devotion to God, all my doubts have been washed
The day which ends without prayer, leaves me in utter pain.
कबीर हरि भक्ति करु, तजि विषय रस चैस
बार बार ना पाईये मानुस जनम की मौज।
कबीर कहते है की भक्ति इस तरह करो कि विषय-बासना के भोगों को त्याग कर दो।
इस मानव जीवन को तुम पुनः जनम नहीं कर पावोगे।
Kabir Hari ki bhakti karu,taj vishay ras chounse
Bar bar nahi paiye manush janam ki mauj.
Kabir says you devote yourself to God by sacrificing all your lustful senses
You won’t get many times,the chance of this human life.
कबीर हरि की भक्ति का, मन मे बहुत हुलास
मन मंनसा मांजै नहीं, हों चाहत है दास।
कबीर कहते हैं कि प्रभु भक्ति के लिये हार्दिक मन है लेकिन हमने अपने मन को अच्छी तरह धो-मांज नहीं लिया है
पर हम प्रभु का दास बनना चाहते हैं। मन की शुद्धता के बिना यह संभव नहीं है।
Kabir Hari ki bhakti ka,man me bahut hulas
Man mansa manjay nahi,hon chahat hai das.
Kabir says one has the strong desire for devotion to God
How do you wish to become his slave, when you have not yet cleaned your mind.
कामी क्रोधी लालची, इनसे भक्ति ना होये
भक्ति करै कोई सूरमा, जाति वरन कुल खोये।
कामी, क्रोधि और लोभी से भक्ति नहीं संभव है।
कोई सूरमा ही वीर होगा जो जाति ,कुल और वर्ण के घमंड को त्यागकर प्रभु की भक्ति कर सकता है।
Kami krodhi lalchi,inse bhakti na hoye
Bhakti karai koi surma,jati varan kul khoye.
The lustful,angry or greedy cannot have devotion
Only a valiant who has sacrificed caste,creed and race can have devotion.
चार च्ंन्ह हरि भक्ति के, परगट देखै देत
दया धरम आधीनता, पर दुख को हरि लेत।
प्रभु के भक्ति के चार लक्षण हैं जो स्पष्टतः दिखाई देते हैं।
दया,र्धम,गुरु एंव ईश्वर की अधिनता तथ् दुख का तरता-तब प्रभु उसे अपना लेते है ।
Char chinh Hari bhakti ke,prakat dekhai det
Daya dharm aadhinta,par dukh ko Hari let.
There are four signs of devotion to God,which is clearly evident
Charity,virtue,surrender and suffering of others,God take upon himself.
जब लग आसा देह की, तब लगि भक्ति ना होये
आसा त्यागि हरि भज, भक्त कहाबै सोये।
जब तक हमें अपने शरीर से आसक्ति है तब तक भक्ति संभव नहीं है।
यदि समस्त आशाओं-इच्छााओं को त्याग कर प्रभु की भक्ति करें तो वही वास्तविक भक्त है।
Jab lag aasha deh ki,tab lagi bhakti na hoye
Aasha tyagi Hari bhajay,bhakt kahabai soye.
So long you are attached to your body, you cannot get devotion
Only one who abandons all desires and prays to God is a real devotee.
जब लग नाता जाति का, तब लग भक्ति ना होये
नाता तोरै हरि भजै, भक्त कहाबै सोये।
जब तक जाति और वंश का अभिमान है प्रभु की भक्ति नहीं हो सकती है।
इन सारे संसारिक संबंधों को जो तोड़ देगा वही सच्चा भक्त है।
Jab lag nata jati ka,tab lag bhakti na hoye
Nata torai Hari bhajai,bhakt kahabai soye.
So long one is proud of caste and lineage, one cannot have devotion to God.
One who break all worldly ties and prays to God is the actual devotee.
जल ज्यों प्यारा मछली, लोभी को धन प्यारी
माता प्यारा बालका, भक्ति प्यारी हरि।
जिस प्रकार जल मछली को, धन लोभी मनुष्य को तथा पुत्र अपने माता को प्यारा होता है,
उसी प्रकार भक्त को प्रभु की भक्ति प्यारी होती है।
Jal jyon pyara machhli, lovi ko dhan pyari,
Mata pyara balka,bhakti pyari Hari.
As the water is loved by fish, greedy loves the wealth
As the son is loved by the mother,so also God is loved by the devotee.
जाति बरन कुल खोये के, भक्ति करै चित लाय
कहे कबीर सतगुरु मिले, आबागमन नसाये।
जाति-वर्ण-वंश के विचार से मुक्त होकर पूरे मनोयोग से भक्ति करने से प्रभु की प्राप्ति
और आवागमन एंव पुनर्जन्म से मुक्ति हो सकती है।
Jati baran kul khoye ke,bhakti karai chit laye
Kahe Kabir satguru mile,aawagaman nasai.
Detach yourself from caste and creed,devote with passion of mind
Then only you can get God and liberation from transmigration.
तिमिर गया रबि देखत, कुमति गयी गुरु ज्ञान
सुमति गयी अति लोभ से, भक्ति गयी अभिमान ।
अंधकार सूर्य को देखते ही भाग जाता है। गुरु के ज्ञान से मूर्खता का नाश हो जाता है।
अत्यधिक लालच से सुबुद्धि नष्ट हो जाता है और अंहकार से भक्ति का अंत हो जाता है।
Timir gaya ravi dekhte,kumati gayi guru gyan
Sumati gayi ati lov se,bhakti gayi abhiman.
Just as darkness disappears on seeing the sun, stupidity disappers with the teacher’s sermon.
So does Wisdom disappear with lust and devotion disappears with pride.
देखा देखी भक्ति का, कबहुॅ ना चढ़सी रंग
बिपति पराई यों छारसी, केचुली तजत भुजंग।
दूसरो का देखा-देखी नकल से भक्ति नहीं आ सकती है।
दुख-विपत्ति में लोग भक्ति इस प्रकार छोड़ देते है जैसे साॅंप अपनी केंचुल छोड़ता है।
Dekha dekhi bhakti ka,kabahun na chadhasi rang
Bipati parai yon chharsi,kechuli tajat bhujang.
Devotion in its true colour does not come from seeing and copying others.
Such people leave devotion in hardship as the snake casts off its slough.
दया गरीबी दीनता सुमता सील करार
ये लच्छन है भक्ति के कहे कबीर बिचार।
दया, गरीबों पर दीनता, नम्रता,सुख-दुख में समता और सदाचार भक्ति के लक्षण हैं।
कबीर का यह सुविचारित मत है।
Daya garibi deenta sumata sheel karar
Ye lachhan hai bhakti ke kahai Kabir vichar.
Compassion,kindness, pridelessness, gentility and stability
These are signs of devotion,says Kabir in deep thought.
भक्ति कठिन अति दुर्लभ है, भेस सुगम नित सोये
भक्ति जु न्यारी भेस से येह जाने सब कोये।
प्रभु भक्ति अत्यंत कठिन और दुर्लभ वस्तु है किंतु इसका भेष बना लेना अत्यंत सरल कार्य है।
भक्ति भेष बनाने से बहुत उत्तम है-इसे सब लोग अच्छी तरह जानते हैं।
Bhakti kathin ati durlav hai,bhesh sugam nit soye
Bhakti ju nyari bhesh se,yeh jane sab koye.
Devotion is difficult and extremly rare but impersonating is always easy
Devotion is far better than impersonating, this be known to all.
भक्ति दुहिली हरि की, जस खाड़े की धार
जो डोलै सो कटि परै, निश्चल उतरै पार।
हरि की भक्ति दुधारी तलवार की तरह है।
जो संसारिक वासना से चंचल मन वाला है, वह कट कर मर जायेगा पर स्थिर बुद्धि वाला इस भव सागर को पार कर जायेगा।
Bhakti duhili Hari ki,jas khanre ki dhar
Jo dolai so kati pare,nischal utrai par.
Devotion is walking on double edged sword which is very difficult
One who is shaky will find it difficult to cross and will be cut himself to pieces.
भक्ति गेंद चैगान की, भाबै कोई लेजाये
कहै कबीर कछु भेद नहि, कहा रंक कह राये।
भक्ति चैराहे पर रखी गेंद के समान है जिसे वह अच्छा लगे उसे ले जा सकता है।
कबीर कहते हैं कि इसमे अमीर-गरीब,उॅंच-नीच,स्त्री पुरुष,मुर्ख-ज्ञानी का कोई भेद नहीं है।
Bhakti gend chaugan ki,bhabai koi le jaye
Kahai Kabir kachhu bhed nahi,kaha rank kah rai.
Devotion is a ball on four crossing,one who likes can take it
Devotion does not discimate between anyone.
भक्ति दुवारा सांकरा, राई दसवै भाये
मन तो मैगल होये रहै, कैसे आबै जाये।
भक्ति का द्वार अति संर्कीण है। यह राई के दसवें भाग के समान छोटा है।
परंतु मन मदमस्त हाथी की तरह है-यह कैसे उस द्वार से आना-जाना कर पायेगा।
Bhakti duwara sankra,rayee daswai bhay
Man to maigal hwai rahe,kaise aabey jaye.
The gateway of devotion is narrow,tenth part of a grain of oil seed
The mind is like a drunk elephant,how can it come and go through it.
भक्ति निसानी मुक्ति की, संत चढ़ै सब आये
नीचे बाघिन लुकि रही, कुचल परे कु खाये।
प्रभु की भक्ति मुक्ति की सीढ़ी है। संत इस पर चढ़कर मुक्ति पा जाते हैं
किंतु सीढ़ी के नीचे एक बाधिन छिप कर बैठी है जो फिसलने वाले को खा जाती है।
Bhakti nishani mukti ki,sant chadhai sab aaye
Neechey baghin luki rahi,kuchal pare ku khaye.
Devotion is a ladder of liberation,all the saints can come
A tigress is hidden downwards,will eat him who slips.
भक्ति निसानी मुक्ति की, संत चढ़ै सब आये
जिन जिन मन आलस किया, जनम जनम पछिताये।
भक्ति मुक्ति की सीढ़ी है और संत इसे चढ़ कर मुक्ति पा जाते हैं।
परंतु जिस व्यक्ति ने भक्ति में आलस किया उसे अनेक जन्मों तक पछताना पड़ता है।
Bhakti nishaini mukti ki,sant chadhai sab aaye
Jin jin man aalas kiya,janam janam pachhitaye.
Devotion is the staircase of emancipation,a saint can come through it
Whosoever remains lazy will regret for many a lives.
भक्ति प्रान से होत है, मन दे कीजैये भाव
परमारथ परतीती मे, येह तन जाये जाये।
भक्ति करने के लिये प्रण करना पड़ता है और इसके लिये मन और आत्मा लगानी पड़ती है।
प्रभु में विश्वास प्रबल करने में यदि इस शरीर का भी त्याग करना पड़े तो इसे खुशी से जाने दें।
Bhakti pran se hot hai,man de kijay bhaw
Parmarath partiti me,yeh tan jaye jaye.
Devotion is done with a vow,do it with your mind and soul
If in believing God,if the body goes let it go.
भक्ति भक्ति सब कोई कहै, भक्ति ना जाने भेव
पूरन भक्ति जब मिलै, कृपा करै गुरुदेव।
भक्ति-भक्ति तो सब कोई कहते है। परंतु भक्ति के रहस्य को कोई नहीं जानता।
पूर्ण भक्ति तभी प्राप्त होती है जब प्रभु की कृपा होती है।
Bhakti bhakti sab koi kahai,bhakti na jane bhev
Puran bhakti jab milay kripa karai Gurudev.
Everybody speaks of devotion, no one knows the mystery of devotion
You get complete devotion only when you get the blessings of God.
भक्ति बीज है प्रेम का, परगट पृथ्वी माहि
कहै कबीर बोया घना निपजै कोई ऐक ठाहि।
भक्ति बीज है प्रेम का- इसे प्रत्यक्ष पृथ्वी पर देखते हैं।
कबीर कहते है कि उन्होंनेे बीज बहुत धना बोया पर कहीं-कहीं अंकुरित हुआ।
विरले लोगों में भक्ति का बीज उपज पाता है।
Bhakti beej hai prem ka,pargat prithvi mahi
Kahai Kabir boya ghana,nipjay ko ek thahi.
Devotion is the seed of love, it can be seen growing on the earth
Kabir sowed the seeds densely but it germinated only at few places.
भाव बिना नहि भक्ति जग, भक्ति बिना नहि भाव
भक्ति भाव ऐक रुप है, दोउ ऐक सुभाव।
विश्वास और प्रेम बिना भक्ति निरर्थक और भक्ति के बिना विश्वास और प्रेम वेकार है।
भक्ति और प्रेम का स्वरुप और स्वभाव एक है।
Bhaw bina nahi bhakti jag,bhakti bina nahi bhaw
Bhakti bhaw ek roop hai,dowu ek subhaw.
There is no devotion in the world without faith,there is no faith without devotion
Devotion and faith are one form ,both have one quality and character.
सतगुरु की कृपा बिना, सत की भक्ति ना होये
मनसा बाचा करमना, सुनि लिजौ सब कोये।
बिना ईश्वर की कृपा के संतो के प्रति भक्ति भाव नहीं हो सकता है।
प्रभु एंव संत के प्रति मन,वचन और कर्म से यह भक्ति होनी चाहिये। इसे सब लोगों को सुन और जान लेना चाहिये।
Satguru ki kripa bina,sat ki bhakti na hoye
Mansa bacha karmna,suni lijou sab koye.
Without the blessin of God,there is no devotion to saint
With mind speech and doings hear it all of us.
मन की मनसा मिटि गयी, दुरुमति भयी सब दूर
जब मन प्यारा हरि का, नगर बसै भरपूर।
जब मन की इच्छायें-तृष्णायें मिट जाती है तो मन के सारे विकार भी मिट जाते हैं।
जब लोग प्रभु के प्यारे हो जाते हैं तो हरि का निवास लोगों के हृदय नगर में रहता है।
Man ki mansa miti gayee,durmati bhaiyee sab door
Jab man pyara Hari ka,nagar basai bharpoor.
If the desires of mind are gone,all the perversions have gone far
When the man becomes beloved of god,then god resides in his heart.
सांच शब्द खाली करै, आपन होये अयान
सो जीव मन मुखी भये, कलियुग के वर्तमान।
जब लोग सच्चे उपदेशों को भी व्यर्थ समझने लगते हैं और लोग चतुर चालाक हो जाते हैं तो लोग अपने मनोन्मुखी हो जाते हैं।
यही कलियुग का वत्र्तमान यथार्थ है।
Sanch sabd khali karai,apan hoye aayan
So jeev man mukhi bhaye, kaliyug ke vratman.
The true preaching is thought useless when one becomes clever
The man becomes oriented to his mind ,this is the reality of this age.